17. शैतान के तंग घेरे से निकलना
उत्तर-पूर्व चीन में विगत नवंबर में कड़ाके की ठंड पड़ी थी, ज़मीन पर गिरी बर्फ ज़रा भी नहीं पिघलती थी, और कई लोग जो बाहर चल रहे थे, इतने ठिठुरे हुए थे कि वे अपने हाथों को अपनी कांख में दबाकर सावधानीपूर्वक, झुक कर चलते थे। दूसरे दिन जब सुबह-सुबह उत्तर-पश्चिम से हवाएँ चल रही थीं, मैं, मेरे साले, उसकी पत्नी और लगभग एक दर्जन भाई-बहन मेरे घर में गर्म बिस्तर पर बैठे हुए थे। सभी के पास बाइबल की एक प्रति रखी हुई थी, और हर कोई अपने हाथों में परमेश्वर के वचनों की पुस्तक 'न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है' की एक प्रति लिए हुए था। सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की दो बहनें परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों से सम्बंधित सत्य पर सहभागिता कर रही थीं। वे दो बहनें सहभागिता करते समय कार्य के तीन चरणों की तस्वीरें बना रही थीं: "मानव जाति के उद्धार के लिए परमेश्वर के कार्य को तीन चरणों में विभाजित किया जा सकता है। व्यवस्था के युग से अनुग्रह के युग और फिर राज्य के युग तक, प्रत्येक चरण का कार्य पिछले चरण की तुलना में अधिक ऊँचा और अधिक गहरा होता है। अंतिम दिनों में किया गया कार्य इसका अंतिम चरण होता है, जिसमें परमेश्वर न्याय करने और मनुष्य को शुद्ध करने के लिए वचनों को व्यक्त करता है...।" सुनते समय हमने सहमति में अपने सिर हिलाए, और हमारे दिल प्रकाश से भर गए: किसने सोचा होगा कि मानव जाति के उद्धार के लिए परमेश्वर की प्रबंधन योजना में इतने सारे रहस्य होंगे! स्वयं परमेश्वर के अलावा, परमेश्वर के कार्य के इन तीन चरणों के रहस्यों को और कौन इतने स्पष्ट रूप से कह सकता था? यह वास्तव में परमेश्वर का कार्य है! हम अगले दिन की शाम तक सहभागिता करते रहे, और हमारे पूरे समूह ने अंतिम दिनों के सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को खोजने और समझने की इच्छा व्यक्त की।
बाद में, दोनों बहनों ने परमेश्वर के देहधारण के महत्व की सच्चाई पर सहभागिता की, और हम बाकी लोग ध्यान से सुन रहे थे, कि अचानक हमारी कलीसिया की नेता वांग पिंग आ गई। जैसे ही वह घर में दाखिल हुई, उसने सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की दो बहनों की तरफ़ इशारा किया और मुझसे पूछा: "ये दोनों यहाँ क्या कर रही हैं?" मैंने स्पष्ट कहा: "वे हैं बहन झांग और बहन म्यू—", लेकिन इससे पहले कि मैं अपनी बात पूरी भी कर सकूँ, उसने एक उत्तेजित लहजे में कहा, "बहन झांग और बहन म्यू कौन हैं? मैं देख सकती हूँ कि वे पूर्वी बिजली की प्रचारक हैं, वे भेड़ चुराने वाली हैं।" वांग पिंग की बात पूरी होने के बाद, हम सभी सदमे में वहीं बैठे रहे। मैंने मन ही मन सोचा: "बहन वांग पिंग ने हमेशा अपने पड़ोसियों से वैसे ही प्रेम करने की बात की है जैसे हम खुद से प्रेम करते हैं, और अपने दुश्मनों से प्रेम करने की बात कही है; ऐसा क्यों है कि आज वह इस तरह की अनुचित बातें कहने यहाँ आई है? वह इन दोनों बहनों को क्यों दोषी ठहरा कर उनकी निंदा कर रही है?" मैं यह सोच ही रहा था कि मैंने बहन झांग को शांति से वांग पिंग से यह कहते हुए सुना, "बहन, आज हमारे यहाँ आने के पीछे कोई गुप्त इरादे नहीं हैं। प्रभु यीशु पहले ही लौट चुका है। हम केवल अंतिम दिनों में परमेश्वर के सुसमाचार का आपके सामने प्रचार करना चाहते हैं—" वांग पिंग ने बहन झांग को बीच में ही रोक लिया और चिल्ला कर कहा: "प्रभु लौट आया है? यहाँ तक कि हम भी जो नेता के रूप में सेवा करते हैं, प्रभु की वापसी के बारे में कुछ भी नहीं जानते हैं, इसलिए आप इसके बारे में कुछ भी कैसे जान सकती हैं? यह संभव नहीं है! प्रभु यीशु ने कहा था: 'जितने मुझ से पहले आए वे सब चोर और डाकू हैं, परन्तु भेड़ों ने उनकी न सुनी' (यूहन्ना 10:8)। तुम दोनों को अभी चले जाने की ज़रूरत है और यहाँ कभी वापस मत आना।" जब मैंने वांग पिंग को यह कहते हुए सुना, तो मुझे अंदर से घृणा महसूस हुई: उसके उपदेश आमतौर पर हमेशा उचित और तर्क-संगत होते हैं; यह कैसे है कि वह अचानक इतनी निष्ठुर हो सकती है? इसलिए मैंने वांग पिंग से पूछा: "बहन वांग, अभी बहुत देर हो चुकी है। आप उन्हें कहाँ भेजना चाहती हैं? प्रभु हमें सिखाता है कि हमें अपने दुश्मनों से प्रेम करना चाहिए, इन दो बहनों के बारे में क्या कहना जो परमेश्वर में विश्वास करती हैं। अगर हम इन दोनों से इस तरह का व्यवहार करते हैं, तो हम किसी भी तरह से प्रभु में विश्वासियों जैसे नहीं होंगे—" लेकिन इससे पहले कि मेरी बात पूरी हो, वांग पिंग ने परेशानी में मेरे साले की पत्नी का हाथ पकड़ लिया और उससे और उसके पति से कहा, "अगर झाओ गांग नहीं चाहता कि ये दोनों महिलाएँ जाएँ, तो चलो हम जाते हैं। उनकी बात अब और मत सुनो!" उसने फिर इन दोनों को क्रोधावेश में पकड़ लिया और वे बाहर चले गए।
उनके चले जाने के बाद, बहन म्यू हमारी ओर मुड़ीं और पूछा: "भाइयों और बहनों, आप सभी उस दृश्य के बारे में कैसा महसूस करते हैं जिसे हमने अभी देखा? आइए, इस पर एक साथ चर्चा करें।" सभी भाई-बहन कुछ भी कहे बिना, मेरी ओर मुड़ गए। मैंने स्पष्ट रूप से कहा, "बहन, पिछले दो दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन को पढ़ने और आपकी सहभागिता को सुनने के माध्यम से, मेरा दृढ़ता से यह मानना है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन सत्य हैं, और सर्वशक्तिमान परमेश्वर लौटा हुआ प्रभु यीशु है। बहरहाल, वांग पिंग ने जो बातें कही हैं, वे अकारण नहीं हैं। आखिरकार, वह हमारी नेता है और उसे लंबे समय से प्रभु पर भरोसा रहा है। वह बाइबल में खूब पारंगत है और उसने हमेशा खुद को परमेश्वर के लिए व्यस्त रखा और खपाया है। अगर प्रभु वापस आ गया है, तो उसे सबसे पहले पता होना चाहिए।" बहन झांग ने दयापूर्वक कहा, "लोगों का मानना है कि परमेश्वर की वापसी पहले नेताओं को बताई जानी चाहिए जो उसके बाद इस बारे में विश्वासियों को बताएँ, लेकिन क्या वास्तव में परमेश्वर के वचनों में इस तरह की सोच का कोई आधार है? क्या यह सत्य और परमेश्वर के कार्य के तथ्यों के अनुरूप है? प्रभु यीशु ने कहा: 'मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं; मैं उन्हें जानता हूँ, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं' (यूहन्ना 10:27)। 'जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है' (प्रकाशितवाक्य 2:7)। प्रभु यीशु स्पष्ट रूप से हमें बताता है कि जब वह आएगा, तो वह निश्चित रूप से वचनों को कहेगा और सच्चाई को व्यक्त करेगा, और जो सभी परमेश्वर की आवाज़ सुनेंगे और फिर उसे खोजकर स्वीकार करेंगे, वे प्रभु की वापसी का स्वागत करेंगे और परमेश्वर के सामने ऊँचे उठाए जाएँगे। क्या प्रभु ने ऐसा कहा था कि जब वह वापस आएगा, तब वह किसी नेता को उसके आगमन के ज्ञान के साथ प्रबुद्ध करेगा? नहीं, उसने ऐसा नहीं किया। इसलिए, यह लोगों का यह विचार केवल उन्हें गुमराह और भ्रमित करता है, और यदि वे इस कथन के अनुरूप प्रभु द्वारा प्रबुद्ध किये जाने की प्रतीक्षा करते हैं, तो वे निष्क्रिय रूप से इसके अंजाम का इंतज़ार कर रहे हैं। आइए, हम देखें कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों में इस पर क्या कहा गया है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने कहा: 'ऐसे लोग तो और भी हैं जो यह मानते हैं कि परमेश्वर का नया कार्य जो भी हो, उसे भविष्यवाणियों द्वारा सही साबित किया जाना ही चाहिए और कार्य के प्रत्येक चरण में, जो भी "सच्चे" मन से उसका अनुसरण करते हैं, उन्हें प्रकटन भी अवश्य दिखाया जाना चाहिए; अन्यथा वह कार्य परमेश्वर का कार्य नहीं हो सकता। परमेश्वर को जानना मनुष्य के लिए पहले ही आसान कार्य नहीं है। मनुष्य के बेतुके हृदय और उसके आत्म-महत्व एवं दंभी विद्रोही स्वभाव को देखते हुए, परमेश्वर के नए कार्य को ग्रहण करना मनुष्य के लिए और भी अधिक कठिन है। मनुष्य न तो परमेश्वर के कार्य पर ध्यान से विचार करता है और न ही इसे विनम्रता से स्वीकार करता है; बल्कि मनुष्य परमेश्वर से प्रकाशन और मार्गदर्शन का इंतजार करते हुए, तिरस्कार का रवैया अपनाता है। क्या यह ऐसे मनुष्य का व्यवहार नहीं है जो परमेश्वर का विरोधी और उससे विद्रोह करने वाला है? इस प्रकार के मनुष्य कैसे परमेश्वर का अनुमोदन प्राप्त कर सकते हैं?' (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, वो मनुष्य, जिसने परमेश्वर को अपनी ही धारणाओं में सीमित कर दिया है, किस प्रकार उसके प्रकटनों को प्राप्त कर सकता है?)। परमेश्वर के वचनों से हमें पता चलता है कि प्रभु के आगमन के मामले में, यदि लोग आँख मूँद कर अपनी अवधारणाओं और कल्पनाओं को थामे रहते हैं और सत्य की तलाश नहीं करते हैं या परमेश्वर की आवाज़ सुनने पर ध्यान नहीं देते हैं, बल्कि वे केवल परमेश्वर द्वारा प्रबुद्ध होने की प्रतीक्षा करते हैं, तो वे कभी भी प्रभु की वापसी का स्वागत नहीं कर पाएँगे। केवल वे ही जो परमेश्वर की आवाज़ सुनने पर ध्यान देते हैं, प्रभु के प्रकटन का स्वागत करने में सक्षम हैं। वास्तव में, अनुग्रह के युग में प्रभु यीशु का अनुसरण करने वाले लोगों में से एक भी ऐसा नहीं था जो यीशु का अनुसरण करने से पहले परमेश्वर द्वारा प्रबुद्ध हुआ हो। उन्होंने किसी और को प्रभु यीशु की गवाही देते सुना, या उन्होंने प्रभु को बोलते या धर्मोपदेश देते हुए सुना, और उन्होंने प्रभु की आवाज़ को पहचानने के बाद ही उसका अनुसरण किया। हालाँकि पतरस ने परमेश्वर का ज्ञान प्राप्त किया और प्रभु यीशु को मसीह और परमेश्वर के पुत्र के रूप में पहचाना, यह केवल तभी हुआ जब उसने एक समय के लिए प्रभु यीशु का अनुसरण किया; केवल जब उसने प्रभु के वचनों और कार्य से प्रभु का कुछ ज्ञान प्राप्त किया, तभी उसने पवित्र आत्मा का प्रबोधन और प्रकाश प्राप्त किया—यह एक तथ्य है। अब अंतिम दिनों में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर सत्य को व्यक्त करता है, और मानवजाति का न्याय और शुद्धिकरण करने का और बचाने का कार्य करता है। बहुत से लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर को स्वीकार करते और उसका अनुसरण करते हैं, लेकिन उनमें से कोई भी ऐसा नहीं है जिसने उसका अनुसरण करने के पहले ही परमेश्वर का प्रबोधन प्राप्त कर लिया हो। परमेश्वर धर्मी है और वह निश्चित रूप से किसी का पक्ष नहीं लेता है। परमेश्वर उन दयालु लोगों में आनंद लेता है जो सच्चाई की तलाश करने के प्यासे हैं। जैसा कि प्रभु यीशु ने कहा है: 'धन्य हैं वे, जो धार्मिकता के भूखे और प्यासे हैं, क्योंकि वे तृप्त किए जाएँगे' (मत्ती 5:6)। 'धन्य हैं वे, जिन के मन शुद्ध हैं, क्योंकि वे परमेश्वर को देखेंगे' (मत्ती 5:8)। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने यह भी कहा: 'परमेश्वर उनकी खोज कर रहा है, जो उसके प्रकट होने की लालसा करते हैं। वह उनकी खोज करता है, जो उसके वचनों को सुनने में सक्षम हैं, जो उसके आदेश को नहीं भूले और अपना तन-मन उसे समर्पित करते हैं। वह उनकी खोज करता है, जो उसके सामने बच्चों के समान आज्ञाकारी हैं, और उसका विरोध नहीं करते' (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परिशिष्ट 2: परमेश्वर संपूर्ण मानवजाति के भाग्य का नियंता है)। इससे हम यह देख सकते हैं कि जब तक मनुष्य सत्य से प्रेम करता है और सत्य की प्यास रखता है, भले ही उसके पास कोई दर्जा हो या न हो, और चाहे वह बाइबल को जितना भी समझता हो, परमेश्वर उसका प्रबोधन और मार्गदर्शन करेगा, और उस व्यक्ति को उसकी आवाज़ सुनने और उसके प्रकटन को देखने की अनुमति देगा। यदि नेता के रूप में सेवा करने वालों को लगता है कि परमेश्वर को अपने वापस लौटने का ज्ञान पहले उन्हें देना चाहिए, तो इससे पता चलता है कि उन्हें परमेश्वर के कार्य की कोई भी समझ नहीं है और वे परमेश्वर के धर्मी स्वभाव को नहीं जानते हैं। इससे उनके बहुत अभिमानी होने का भी पता चलता है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन में यह कहा गया है: 'और इसीलिए मैं कहता हूँ कि जो लोग परमेश्वर और उसके कार्य को "पूरी तरह से समझने" का दावा करते करते हैं, वे मूर्खों की जमात हैं; वे सभी अभिमानी और अज्ञानी हैं। मनुष्य को परमेश्वर के कार्य को परिभाषित नहीं करना चाहिए; बल्कि, मनुष्य परमेश्वर के कार्य को परिभाषित नहीं कर सकता। परमेश्वर की दृष्टि में मनुष्य एक चींटी जितना महत्वहीन है; तो फिर वह परमेश्वर के कार्य की थाह कैसे पा सकता है? जो लोग गंभीरतापूर्वक यह कहना पसंद करते हैं, "परमेश्वर इस तरह से या उस तरह से कार्य नहीं करता," या "परमेश्वर ऐसा है या वैसा है"—क्या वे अहंकारपूर्वक नहीं बोलते?' (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, प्रस्तावना)। परमेश्वर की सर्वशक्तिमत्ता और बुद्धिमत्ता अगाध रूप से गहरी हैं। लोग सिर्फ नन्ही रचनाएँ हैं। हमारे मन और हमारे विचार सीमित हैं, तो हम रचयिता के कार्य को कैसे माप सकते हैं? इसलिए, जब हम प्रभु के लौटने का इंतज़ार करते हैं, तो हमें अपने दिलों में परमेश्वर के लिए श्रद्धा रखनी चाहिए और सावधानीपूर्वक खोज और जांच करनी चाहिए। हमें अपनी स्वयं की अवधारणाओं और कल्पनाओं का इस्तेमाल कर मनमाने ढंग से परमेश्वर का सीमांकन और आकलन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे परमेश्वर के स्वभाव को ठेस पहुँचेगी, और ऐसा करना सच्चे उद्धार को हासिल करने की हमारी संभावनाओं को भी बर्बाद कर देगा।"
परमेश्वर के वचन को सुनने के बाद, मैं समझ गया कि परमेश्वर के सामने हम बहुत महत्वहीन हैं, एक चींटी से भी अधिक महत्वहीन। इसके अलावा, हमें शैतान ने इस हद तक भ्रष्ट कर दिया है कि हम अहंकार और दंभ के भ्रष्ट स्वभाव से भरे हुए हैं। परमेश्वर को सीमांकित करने के लिए हम हमेशा अपनी कल्पनाओं और अवधारणाओं पर भरोसा करना पसंद करते हैं, और जब भी परमेश्वर का कार्य हमारी अवधारणाओं के अनुरूप नहीं होता, तो हम परमेश्वर को नकार भी देते हैं, परमेश्वर की निंदा करते हैं और परमेश्वर का विरोध करते हैं। जाहिर है, अगर इंसान सच्चाई को नहीं समझता है और उसके दिल में परमेश्वर के प्रति लेशमात्र भी श्रद्धा नहीं है, तो वह मनचाहा करने का दुस्साहस करेगा। यह बहुत खतरनाक है! इससे मुझे याद आया कि प्रभु यीशु ने एक बार कहा था: "हे पिता, स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु, मैं तेरा धन्यवाद करता हूँ कि तू ने इन बातों को ज्ञानियों और समझदारों से छिपा रखा, और बालकों पर प्रगट किया है। हाँ, हे पिता, क्योंकि तुझे यही अच्छा लगा" (मत्ती 11:25-26)। यह आज तक नहीं हुआ था कि मैंने देखा हो कि वास्तव में चीज़ें कैसी हैं! परमेश्वर के वचन द्वारा रहस्योद्घाटन और बहन झांग की सहभागिता ने मुझे यह पहचानने की अनुमति दी कि यह विचार कि "जब प्रभु वापस लौटता है, तो नेताओं को उसके आने के बारे में सबसे पहले ज्ञान होना चाहिए," ग़लत और बेतुका है, यह सत्य के अनुरूप बिलकुल नहीं है, और यह पूरी तरह से मनुष्य की अवधारणाओं और कल्पनाओं से उत्पन्न होता है। वास्तव में, केवल उन्हें जो सत्य की प्यास रखते हैं और परमेश्वर की आवाज़ को खोजते हैं, परमेश्वर के कार्य और उसके मार्गदर्शन को प्राप्त करने और परमेश्वर के सामने लाए जाने का अवसर मिलेगा। इससे मुझे परमेश्वर की निष्पक्षता और धार्मिकता की एक नई समझ मिली। परमेश्वर को धन्यवाद हो!
तीसरे दिन सुबह, बहन झांग और बहन म्यू के जाने के बाद, मेरे साथी भाई गुआन, जो हमारी कलीसिया के ऊपरी दर्जे के सहकर्मी थे, मेरे पास आए और उन्होंने मुझसे पूछा: "भाई झाओ, मैंने सुना है कि तुम दोनों अब पूर्वी बिजली में विश्वास करते हो?" मैंने उनसे ईमानदारी से कहा, "हाँ, मैंने अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार कर लिया है, क्योंकि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों के माध्यम से मुझे कई सच्चाइयाँ समझ में आ गई हैं जिन्हें मैं पहले नहीं समझता था, जैसे कि उनके तीन चरणों के कार्य के रहस्य और परमेश्वर के देहधारण का महत्व। मैं देख रहा हूँ कि प्रकाशितवाक्य की भविष्यवाणी के अनुसार, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन 'आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है', हैं।" भाई गुआन ने मेरी ओर देखा और कहा, "भाई झाओ, क्या आप वाकई इन लोगों का अनुसरण करने वाले हैं? क्या आप जानते हैं कि वे किस तरह के लोग हैं?" मैंने कहा, "मैं देख रहा हूँ कि वे सभी एक महान मानवीय स्वभाव रखते हैं और वे सच्चाई के बारे में बहुत स्पष्ट रूप से सहभागिता करते हैं। वे जो भी चर्चा करते हैं, वह परमेश्वर के कार्य की सच्चाइयों के साथ सम्बन्ध रखती है। मैंने वास्तव में विगत दो दिनों में बहुत कुछ हासिल किया है।" भाई गुआन ने मुझे गुस्से से कहा, "आप इतने ज़िद्दी कैसे हो सकते हैं? इब्रानियों 6:6–8 में हमें बताया गया है: 'यदि वे भटक जाएँ तो उन्हें मन फिराव के लिये फिर नया बनाना अनहोना है; क्योंकि वे परमेश्वर के पुत्र को अपने लिये फिर क्रूस पर चढ़ाते हैं और प्रगट में उस पर कलंक लगाते हैं। क्योंकि जो भूमि वर्षा के पानी को, जो उस पर बार-बार पड़ता है, पी पीकर जिन लोगों के लिये वह जोती-बोई जाती है उनके काम का साग-पात उपजाती है, वह परमेश्वर से आशीष पाती है। पर यदि वह झाड़ी और ऊँटकटारे उगाती है, तो निकम्मी और स्रापित होने पर है, और उसका अन्त जलाया जाना है।' आप एक उपदेशक हैं, आप प्रभु के अनुग्रह का बहुत आनंद लेते हैं, लेकिन न केवल आप भाइयों और बहनों की प्रभु पर विश्वास करने में अगुआई नहीं कर रहे हैं, बल्कि आप हमारी कलीसिया छोड़ने में उनका नेतृत्व कर रहे हैं। क्या आपको दण्डित होने का डर नहीं है? यदि आप वापस नहीं लौटते हैं, तो आप प्रभु की सुरक्षा खो देंगे, और आप एक खुशहाल जीवन नहीं जी पाएँगे। आपकी पिछली बीमारियाँ लौट आएँगी, और आपके दो बच्चों के पास अच्छी नौकरियाँ न होंगी...।"
भाई गुआन के चले जाने के बाद, मुझे कुछ घबराहट-सी महसूस हुई, और मैंने मन ही मन सोचा: जो बातें उन्होंने कही हैं, उनमें कुछ तर्क-संगतता नज़र आ रही है, इसलिए सर्वशक्तिमान परमेश्वर में मेरी आस्था के कारण यदि मैं प्रभु की कृपा खो दूँ, तो मुझे क्या करना चाहिए? जब मैंने इस बारे में सोचा, तो मुझे लगा कि मेरा दिल कमज़ोर हो रहा है, इसलिए मैं जल्दी से अपने घुटनों पर झुककर बैठ गया और मैंने परमेश्वर से प्रार्थना की: "सर्वशक्तिमान परमेश्वर! भाई गुआन की बातों ने मुझे थोड़ा कमज़ोर बना दिया है। परमेश्वर! क्या उन्होंने जो कहा है, वह वास्तव में सच है, या नहीं? मैं वास्तव में नहीं जानता कि अब मुझे क्या करना है...।" जैसे ही मैं परमेश्वर से प्रार्थना कर रहा था, मेरी पत्नी वापस आ गई, और मैंने उसे अभी जो हुआ था, वह बताया। यह सुनने के बाद, उसने घबराते हुए कहा, "क्या वास्तव में उन्होंने ऐसा कहा है?" मैंने सहमति में अपना सिर हिलाया, और मेरी पत्नी ने चिंतित होकर कहा, "वे एक प्रमुख नेता हैं जो कई वर्षों से प्रभु में विश्वास करते आये हैं, और वे बाइबल के बारे में अच्छी तरह से जानते हैं। मुझे नहीं लगता कि वे झूठ बोलेंगे। अगर वास्तव में वैसा ही होने जा रहा है जैसा कि वे कहते हैं, तो हमें क्या करना चाहिए?" ठीक तभी, मैंने अचानक परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों की सच्चाई के बारे में सोचा जिस पर बहन झांग और बहन म्यू ने सहभागिता की थी: मानवजाति के उद्धार के लिए परमेश्वर का कार्य तीन चरणों में विभाजित है, लेकिन सभी तीन चरणों को एक ही परमेश्वर द्वारा पूरा किया जाता है। जैसे ही मैंने इस बारे में सोचा, यह अचानक मेरे लिए स्पष्ट हो गया, और मैंने अपनी पत्नी से फ़ौरन कहा: "भाई गुआन ने जो कहा वह सही नहीं लगता। उन्होंने कहा कि अंतिम दिनों में परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करके हम प्रभु का मार्ग छोड़ रहे हैं और प्रभु यीशु के साथ विश्वासघात कर रहे हैं, लेकिन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के जो वचन हम पिछले कुछ दिनों से पढ़ते रहे हैं वे वास्तव में परमेश्वर की वाणी हैं और सर्वशक्तिमान परमेश्वर लौटा हुआ प्रभु यीशु है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अनुसरण करके, हम वास्तव में मेमने के नक्शेकदम पर चल रहे हैं। हम वो हैं जो बुद्धिमान कुंवारियाँ थीं। परमेश्वर हमें क्यों सजा देंगे? ..." हम इस बारे में सहभागिता कर ही रहे थे कि बहन झांग और बहन म्यू अंदर आईं ...
मेरी पत्नी ने बहनों को बताया कि भाई गुआन जब हमारे घर पर आए, तो उन्होंने क्या कहा था, और बहन झांग ने मुझसे पूछा कि मुझे इस पूरी बात के बारे में कैसा लगा। इसलिए मैंने बहनों को उस कमज़ोरी के बारे में बताया जो मैंने महसूस की थी, और उस समझ के बारे में जो मैंने अभी-अभी हासिल की थी। बहन झांग ने मुस्कुराते हुए कहा, "परमेश्वर को धन्यवाद हो! यह इतनी शुद्ध समझ है, और यह परमेश्वर का प्रबोधन और मार्गदर्शन है!" मेरी पत्नी ने भ्रमित होते हुए पूछा, "चूँकि हम भटक नहीं गए हैं, तो भाई गुआन उन बातों को क्यों कह रहे हैं? वे एक प्रमुख नेता हैं जो कई वर्षों से प्रभु में विश्वास करते रहे हैं!" मैंने अपनी पत्नी की ओर देखा और कहा: "वे चाहते हैं कि हम अपनी पूर्व कलीसिया में वापस आ जाएँ!" बहन झांग मुस्कुराई और बोलीं, "फिलहाल, हम जो देख सकते हैं वह केवल बाहरी स्वरुप है, लेकिन हमने उनकी प्रकृति के सार पर ध्यान नहीं दिया है! प्रभु यीशु ने एक बार कहा था: 'हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! तुम मनुष्यों के लिए स्वर्ग के राज्य का द्वार बन्द करते हो, न तो स्वयं ही उसमें प्रवेश करते हो और न उस में प्रवेश करनेवालों को प्रवेश करने देते हो' (मत्ती 23:13)। 'हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! तुम चूना फिरी हुई कब्रों के समान हो जो ऊपर से तो सुन्दर दिखाई देती हैं, परन्तु भीतर मुर्दों की हड्डियों और सब प्रकार की मलिनता से भरी हैं' (मत्ती 23:27)। अगर हम फरीसियों के बाहरी स्वरुप को देखें, तो वे परमेश्वर की सेवा में बहुत वफ़ादार थे। लोगों की नज़रों में, फरीसी परमेश्वर के प्रति समर्पित सेवक थे, और वे धार्मिक नेताओं में सबसे भरोसेमंद थे। बहरहाल, जब प्रभु यीशु अपने काम को पूरा करने के लिए आया, तो फरीसियों के परमेश्वर-विरोधी स्वभाव का पता चला। ये फरीसी ही वो थे जिन्होंने प्रभु यीशु के कार्य की निंदा की और उसका विरोध किया। उन्होंने सभी तरह की अफ़वाहें गढ़ीं और आम लोगों को धोखा देने के लिए झूठी गवाही दी। उन्होंने कहा कि प्रभु यीशु ने राक्षसों के राजकुमार, बालज़बूल के माध्यम से भूतों को बाहर निकाल दिया था। और जब सलीब पर चढ़ाए जाने के तीन दिन बाद प्रभु यीशु फिर से जीवित हो गया, तो उन्होंने सैनिकों को रिश्वत देकर अफ़वाह फैलाई कि प्रभु यीशु के शरीर को उनके शिष्यों द्वारा चुरा लिया गया था, इत्यादि। फरीसियों ने सभी प्रकार के झूठ गढ़े, और लोगों को सही तरीके से तलाश और जांच करने से रोकने के लिए, सभी संभव चालाकियों का इस्तेमाल किया। उनका लक्ष्य परमेश्वर के कार्य पर प्रतिबंध लगाना था ताकि वे हमेशा के लिए परमेश्वर के चुने हुए लोगों पर प्रभुत्व रख सकें। यद्यपि वे बाहर से श्रद्धापूर्ण दिखाई देते थे, सारतः वे ऐसे मसीह-विरोधी थे जो सत्य से घृणा करते थे और जो परमेश्वर के शत्रु के रूप में खड़े थे। प्रभु यीशु ने जब उन्हें उजागर किया और उनकी निंदा की, तब कहा: 'हे साँपो, हे करैतों के बच्चो, तुम नरक के दण्ड से कैसे बचोगे?' (मत्ती 23:33)। इसलिए अब, हम इसके बारे में सोचें: क्या ये धार्मिक नेता आज के फरीसियों से अलग हैं?" बहनों ने तब मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों का एक अंश पढ़ने के लिए कहा: "ऐसे भी लोग हैं जो बड़ी-बड़ी कलीसियाओं में दिन-भर बाइबल पढ़ते रहते हैं, फिर भी उनमें से एक भी ऐसा नहीं होता जो परमेश्वर के कार्य के उद्देश्य को समझता हो। उनमें से एक भी ऐसा नहीं होता जो परमेश्वर को जान पाता हो; उनमें से परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप तो एक भी नहीं होता। वे सबके सब निकम्मे और अधम लोग हैं, जिनमें से प्रत्येक परमेश्वर को सिखाने के लिए ऊँचे पायदान पर खड़ा रहता है। वे लोग परमेश्वर के नाम का झंडा उठाकर, जानबूझकर उसका विरोध करते हैं। वे परमेश्वर में विश्वास रखने का दावा करते हैं, फिर भी मनुष्यों का माँस खाते और रक्त पीते हैं। ऐसे सभी मनुष्य शैतान हैं जो मनुष्यों की आत्माओं को निगल जाते हैं, ऐसे मुख्य राक्षस हैं जो जानबूझकर उन्हें विचलित करते हैं जो सही मार्ग पर कदम बढ़ाने का प्रयास करते हैं और ऐसी बाधाएँ हैं जो परमेश्वर को खोजने वालों के मार्ग में रुकावट पैदा करते हैं। वे 'मज़बूत देह' वाले दिख सकते हैं, किंतु उसके अनुयायियों को कैसे पता चलेगा कि वे मसीह-विरोधी हैं जो लोगों से परमेश्वर का विरोध करवाते हैं? अनुयायी कैसे जानेंगे कि वे जीवित शैतान हैं जो इंसानी आत्माओं को निगलने को तैयार बैठे हैं?" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर को न जानने वाले सभी लोग परमेश्वर का विरोध करते हैं)। बहनों ने हमें परमेश्वर के इन वचनों के अनुसार, धार्मिक नेताओं के सभी कार्यों का, उनकी प्रकृति के सार के साथ, विश्लेषण करते हुए एक विस्तृत सहभागिता प्रदान की, जिससे अंततः मुझे यह पता चला कि वे हमें सर्वशक्तिमान परमेश्वर पर विश्वास करने में लगातार परेशान और बाधित करते हैं, और यहाँ तक कि हमें धमकाते और भयभीत भी करते हैं, हमारी रक्षा करने के लिए नहीं, बल्कि इसलिए कि वे परमेश्वर के चुने हुए लोगों पर अपना प्रभुत्व जमा सकें, ताकि हम उनकी उपासना करें और उनको ईश्वर मानें। इसलिए, दरअसल, वे फरीसियों जैसे ही हैं। वे सभी मसीह-विरोधी हैं जो सच्चाई से नफ़रत और परमेश्वर का विरोध करते हैं। परमेश्वर हमें बचाने के लिए आया है, लेकिन वे हमें परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करने से, और परमेश्वर के वचनों को पढ़ने से, रोकने के लिए हर संभव तरीका सोच निकालते हैं। क्या वे ऐसा करके हमें नीचे नर्क में नहीं खींच रहे हैं? वे वास्तव में बहुत दुर्भावनापूर्ण हैं! यदि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों ने सारतः यह न बताया होता कि ये लोग कैसे परमेश्वर का विरोध करते हैं और मनुष्य की खातिर परमेश्वर से लड़ जाते हैं, तो मैं उनकी चाल में लगभग फँस ही गया था, जिससे सच्चा उद्धार प्राप्त करने का मेरा मौका बर्बाद हो जाता। तभी, मेरी पत्नी ने आश्चर्य से कहा, "अब पता चला कि वे हमें नुकसान पहुँचाने के लिए यहाँ हैं! ये लोग तब तक हार नहीं मानेंगे जब तक वे हमें नरक में न घसीट लें! मैं अब से उनकी बात पर विश्वास नहीं करुँगी।"
बहन म्यू ने तब हमारे लिए परमेश्वर के वचनों का एक और अंश पढ़ा: "परमेश्वर द्वारा मनुष्य के भीतर किए जाने वाले कार्य के प्रत्येक चरण में, बाहर से यह लोगों के मध्य अंतःक्रिया प्रतीत होता है, मानो यह मानव-व्यवस्थाओं द्वारा या मानवीय हस्तक्षेप से उत्पन्न हुआ हो। किंतु पर्दे के पीछे, कार्य का प्रत्येक चरण, और घटित होने वाली हर चीज़, शैतान द्वारा परमेश्वर के सामने चली गई बाज़ी है, और लोगों से अपेक्षित है कि वे परमेश्वर के लिए अपनी गवाही में अडिग बने रहें। उदाहरण के लिए, जब अय्यूब को आजमाया गया था : पर्दे के पीछे शैतान परमेश्वर के साथ दाँव लगा रहा था, और अय्यूब के साथ जो हुआ वह मनुष्यों के कर्म थे, और मनुष्यों का हस्तक्षेप था। परमेश्वर द्वारा तुम लोगों में किए गए कार्य के हर कदम के पीछे शैतान की परमेश्वर के साथ बाज़ी होती है—इस सब के पीछे एक संघर्ष होता है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, केवल परमेश्वर से प्रेम करना ही वास्तव में परमेश्वर पर विश्वास करना है)। तब बहन झांग ने सहभागिता शुरू की: "परमेश्वर के वचनों के माध्यम से हम देख सकते हैं कि हमारे साथ जो भी होता है, हालाँकि बाहर से यह इंसानों द्वारा किया हुआ लगता है, वास्तव में यह काम शैतान का होता है, जो पर्दे के पीछे परमेश्वर के साथ दांव-पेच खेलता है। यह वैसा ही है जैसा कि अय्यूब को शैतान का प्रलोभन दिया गया था। उसकी पत्नी ने उसे यहोवा को छोड़ देने के लिए कहा, लेकिन अय्यूब शैतान की चाल को पहचानने में सक्षम था। वह परमेश्वर में अपने विश्वास पर निर्भर रहा, उसने परमेश्वर के लिए गवाही दी और उसने अपनी पत्नी को एक अज्ञानी और जिद्दी महिला कहकर फटकार लगाई। अय्यूब के अनुभव हमें बताते हैं कि, हर किसी को जिसे परमेश्वर बचाना चाहता है, शैतान हमेशा बुरी तरह से प्रलोभित और परेशान करेगा और उन पर हमला करने के लिए उसके पास रही सभी चालें खेलेगा, ताकि लोग परमेश्वर को त्याग दें, परमेश्वर को धोखा दें, और अंततः सच्चा उद्धार पाने का अपना मौका खो दें। चूँकि शैतान हमेशा मनुष्य को नियंत्रित करना और निगलना चाहता है, इसलिए वह वास्तव में नहीं चाहता कि मनुष्य परमेश्वर के उद्धार को प्राप्त करे।" बहन म्यू ने भी सहभागिता की: "यह सच है। शैतान हम पर हमला करने और हमें डराने के लिए बार-बार नेताओं का उपयोग करता है, ताकि हम परमेश्वर को नकार दें, परमेश्वर को धोखा दे दें और सच्चे मार्ग को त्याग दें। यह शैतान की चालबाज़ी है। हमें आध्यात्मिक दुनिया में चल रही इस लड़ाई को स्पष्ट रूप से देखने में सक्षम होना चाहिए।" इन दोनों बहनों की सहभागिता को सुनने के बाद, मैंने कुछ देर के लिए चीजों पर चिंतन किया, और फिर कहा, "अच्छा तो शैतान परमेश्वर के साथ एक दांव लगा रहा है, और यह उन नेताओं द्वारा कथित बातों के माध्यम से है कि शैतान हमारे कमज़ोर पहलू पर हमला करता है, और वह चाहता है कि हम सच्चे मार्ग को त्याग दें और परमेश्वर को हमारी कायरता के कारण छोड़ दें! शैतान वास्तव में विश्वासघाती है!" तब मेरी पत्नी ने भी कहा, "शैतान कितना घृणास्पद है! यदि हम परमेश्वर के वचनों और आपकी संगति को न सुनते, तो हम कैसे जान पाते कि यह शैतान की चालाकियों में से एक थी?" मैंने प्रसन्नता के साथ कहा, "अब जब हम इन बातों को समझते हैं, तो हमें शैतान के तंग घेरे को तोड़ने के लिए परमेश्वर पर भरोसा करना होगा, परमेश्वर के लिए गवाही देनी होगी, और हमारी व्यावहारिक हरक़तों से शैतान को शर्मसार करना होगा!" बहन झांग ने फिर ख़ुशी से कहा, "भाई, बहन, अब से परमेश्वर के वचन के बारे में सहभागिता करने के लिए हम लोग अधिक मिला करें। केवल इस तरह से हम खुद को अधिक सच्चाई से लैस कर सकते हैं ताकि किसी दिन हम जल्द ही अंतिम दिनों में परमेश्वर के कार्य के बारे में निश्चित हो सकें और सच्चे तरीके से एक नींव रख सकें, और फिर हम शैतान की तरह-तरह की अफ़वाहों और सफ़ेद झूठ से धोखा नहीं खाएँगे।" मैंने कहा, "बहुत बढ़िया! यह बहुत अच्छा होगा यदि आप हमारे साथ सहभागिता करने अधिक बार आ सकें।" बहन म्यू ने मुस्कुराते हुए कहा, "तो फिर हम वैसा ही करेंगे।"
कुछ दिन बाद, एक दिन सुबह-सुबह, मैं बिस्तर से उठा और मैंने खिड़की से बाहर देखा कि काफी बर्फ गिरी थी, और मैंने अनजाने में अपने हाथों को एक साथ रगड़ना शुरू कर दिया। फिर, मैंने एक ऊनी टोपी और कपास के दस्ताने पहने, और बर्फ को हटाने के लिए मैं आंगन में चला गया। जब मैंने यह कर लिया, तो मैं वापस अंदर गया और आग बढ़ाने के लिए चूल्हे को ऊपर से खोला, और मेरी पत्नी घर को ठीक-ठाक कर रही थी। इसी समय मेरी पत्नी का बड़ा भाई और उसकी पत्नी अंदर आए, और जैसे ही मेरे साले की पत्नी अंदर आई, उसने चिंतित स्वर में कहा, "नेता वांग और सह-कार्यकर्ता गुआन यहाँ आए और आपसे बहुत बातें कीं, आपने उनकी बात क्यों नहीं सुनी? उन्होंने विशेष रूप से हमें आज यहाँ आने के लिए कहा ताकि हम एक बार फिर से आपको मनाने की कोशिश कर सकें। पूर्वी बिजली में अब और विश्वास मत करो। हमारे नेता ही हैं जो हमारे जीवन की ज़िम्मेदारी लेते हैं!" उसकी यह बात सुनने के बाद, मैंने दृढ़ता से कहा, "यदि वे वास्तव में हमारे जीवन की ज़िम्मेदारी लेते हैं, तो उन्हें अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य का अध्ययन करने और परमेश्वर की वापसी का स्वागत करने के लिए हमारी अगुआई करनी चाहिए!" मेरी पत्नी ने फिर स्पष्ट कह दिया, "वे यह हमारी खातिर नहीं कर रहे हैं। उन्हें डर है कि अगर हम सब सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करने लगें तो उनकी बात सुनने वाला कोई नहीं बचेगा।" मेरे साले की पत्नी यह सुनकर कुछ चिढ़ गई और बोली, "आप दोनों ऐसी बातें कैसे कह सकते हैं? उन्होंने आपको कुछ और करने के लिए नहीं कहा है। क्या वे बस इतना ही नहीं चाहते हैं कि आप कलीसिया में लौट आएँ? मेरी बात सुनें। क्या आपको लगता है कि मैं आपको नुकसान पहुँचा सकती हूँ जब कि हमारे दो परिवार इतने करीब हैं?" मेरे साले ने आगे कहना जारी रखा। "इस बारे में सोचें कि मैंने आपके साथ इन वर्षों में कैसा व्यवहार किया है। क्या आप जानते हैं कि हमने आपके लिए कितना किया है? क्या वाकई आपके पास खुद को हमसे अलग करने का दिल है? क्या आप दोषी महसूस नहीं करते हैं?" उन दोनों की ये बातें सुनकर, मैं बहुत परेशान हो गया, और मैंने मन ही मन सोचा: "उन्होंने वास्तव में हमारी बहुत मदद की है, और अब वे देखते हैं कि हम सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अनुसरण करने पर ज़ोर दे रहे हैं। निश्चित रूप से, वे बहुत आहत महसूस कर रहे हैं, लेकिन क्या किया जा सकता है? वे मुझसे सच्चा मार्ग त्याग देने और परमेश्वर को धोखा देने के लिए कह सकते हैं, लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकता, क्योंकि मैं जानता हूँ कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर लौटा हुआ प्रभु यीशु है। लेकिन अगर मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करने पर ज़ोर देता हूँ, तो वे मेरे बारे में क्या सोचेंगे? क्या वे कहेंगे कि मैं कृतघ्न हूँ?" मुझे तब परेशानी महसूस हुई, मेरा दिल मानो दो अलग-अलग दिशाओं में खिंचा जा रहा था। मैंने चुपचाप परमेश्वर से मुझे इससे बाहर निकलने का रास्ता दिखाने के लिए प्रार्थना की। अचानक, मैंने परमेश्वर के इन वचनों के बारे में सोचा: "लोगों के साथ जो कुछ भी होता है, वह तब होता है जब परमेश्वर को आवश्यकता होती है कि लोग उसके लिए अपनी गवाही में अडिग रहें" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, केवल परमेश्वर से प्रेम करना ही वास्तव में परमेश्वर पर विश्वास करना है)। तब मैंने उन वचनों पर फिर से सोचा जिस पर बहन झांग और बहन म्यू ने कुछ दिनों पहले मेरे साथ सहभागिता की थी: जो कुछ भी आपके साथ होता है वह आध्यात्मिक दुनिया में चल रही लड़ाई से संबंधित होता है, और यह शैतान का परमेश्वर के साथ एक दांव लगाना है। मैं सोच रहा था, "आज मेरी पत्नी के भाई और उसकी पत्नी ने हमारी रिश्तेदारी का उपयोग करके हमें परमेश्वर से धोखा देने और धर्म में वापस आने का आग्रह करने की कोशिश की, लेकिन यह शैतान की चालों में से एक है। अगर मैं अपनी निजी भावनाओं की सुरक्षा के लिए परमेश्वर के साथ विश्वासघात करता हूँ, तो वह वास्तव में कृतघ्नतापूर्ण होगा और यह दिखाएगा कि मुझमें अंतरात्मा की कमी है। अगर मैं अपने साले को निराश करना नहीं चाहता, तो मुझे उनके साथ परमेश्वर के अंतिम दिनों के सुसमाचार को साझा करना चाहिए ताकि उन्हें भी परमेश्वर के उद्धार को प्राप्त करने का अवसर मिले। मेरे पास जो करुणा होनी चाहिए, उसे दिखाने का यही एकमात्र तरीका है।" जैसे ही मैंने इस बारे में सोचा, मेरा दिल अचानक प्रकाश से भर गया, और मैंने कहा: "भाई, बहन, मुझे पता है कि आप दोनों मेरे प्रति अच्छे रहे हैं, और यही वजह है कि मुझे आपको यह बताने की आवश्यकता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर वास्तव में लौटा हुआ प्रभु यीशु है। अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य का अनुसरण करके ही हम परमेश्वर के उद्धार को प्राप्त कर पाएँगे! अन्यथा, इन सभी वर्षों में प्रभु पर हमारा विश्वास व्यर्थ हो जाएगा, और हम कुछ भी हासिल नहीं करेंगे! यहाँ, मैं आपको परमेश्वर के वचनों का एक अंश पढ़कर सुनाता हूँ, और यह सुनने के बाद आप जानेंगे कि ये वचन सत्य हैं या नहीं, और वे परमेश्वर के कथन हैं या नहीं।" मैंने अपने परमेश्वर के वचनों की पुस्तक उठाई और मैं इसमें से पढ़ना शुरू करने ही वाला था, जब मेरे साले की पत्नी तुरंत उठ खड़ी हुई और नाखुश होकर बोली, "हम आज आपको मनाने की कोशिश करने के लिए आए थे, लेकिन आप अपने इरादे को बदलने की जगह, इस सुसमाचार का हमारे लिए प्रचार तक करना चाहते हैं, लेकिन हम आपकी बात नहीं सुनेंगे।" यह कहने के बाद, उसने अपने पति को थाम लिया और गुस्से में दनदनाती हुई बाहर चली गई।
मैं आंगन से होते हुए उनके पीछे प्रवेश द्वार तक गया, लेकिन मैंने देखा कि वे पहले ही काफ़ी दूर निकल चुके थे। असहाय महसूस करते हुए, मैं अपना सिर हिलाते हुए वहाँ खड़ा था। इसी समय मैंने देखा कि मौसम साफ़ हो गया था, और आंगन के बाहर एक देवदार के पेड़ पर एक गर्म प्रकाश चमक रहा था। देवदार के पेड़ पर जमी बर्फ पिघलनी शुरू हो गई, मानो उसी क्षण पेड़ ने बस एक बपतिस्मा ले लिया हो। बर्फ से ढके मैदान की तुलना में, सीधा और लंबा पेड़ विशेष रूप से हरा-भरा दिखाई दिया। मुझे बहुत खुशी महसूस हुई, जैसे कि देवदार के पेड़ की तरह, मैंने भी हवा और बर्फ के बपतिस्मा का अनुभव किया हो, और धूप के पोषण में वृद्धि पाई हो। मुझे पता था कि ये परमेश्वर के वचन थे जिन्होंने इस तंग घेरे से निकलने और उसके लिए गवाही देने में खड़े होने के लिए मेरी अगुवाई की थी। सर्वशक्तिमान परमेश्वर को धन्यवाद हो!