25 . मैं असली और नकली मसीह में भेद कर सकती हूँ
"देहधारी हुए परमेश्वर को मसीह कहा जाता है, और इसलिए वह मसीह जो लोगों को सत्य दे सकता है परमेश्वर कहलाता है। इसमें कुछ भी अतिशयोक्ति नहीं है, क्योंकि वह परमेश्वर का सार धारण करता है, और अपने कार्य में परमेश्वर का स्वभाव और बुद्धि धारण करता है, जो मनुष्य के लिए अप्राप्य हैं। वे जो अपने आप को मसीह कहते हैं, परंतु परमेश्वर का कार्य नहीं कर सकते हैं, धोखेबाज हैं। मसीह पृथ्वी पर परमेश्वर की अभिव्यक्ति मात्र नहीं है, बल्कि वह विशेष देह भी है जिसे धारण करके परमेश्वर मनुष्य के बीच रहकर अपना कार्य करता और पूरा करता है। यह देह किसी भी आम मनुष्य द्वारा उसके बदले धारण नहीं की जा सकती है, बल्कि यह वह देह है जो पृथ्वी पर परमेश्वर का कार्य पर्याप्त रूप से संभाल सकती है और परमेश्वर का स्वभाव व्यक्त कर सकती है, और परमेश्वर का अच्छी तरह प्रतिनिधित्व कर सकती है, और मनुष्य को जीवन प्रदान कर सकती है" (मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ)। परमेश्वर के वचन खुलासा करते हैं कि देहधारण क्या है, असली और नकली मसीह में भेद में कैसे करें। प्रभु का अनुसरण करते समय मुझे इस सत्य की समझ नहीं थी। मैं पादरी और एल्डरों की ही सुनती थी। मुझे गुमराह होने का डर था, इसलिए नकली मसीहों से बचकर रहती थी। मैं अपना ही नुकसान कर रही थी। परमेश्वर के कार्य की खोज करने की मेरी हिम्मत नहीं थी, और परमेश्वर के उद्धार को करीब-करीब गँवा ही दिया था। अब मुझे लगता है मैं बाल-बाल बच गई।
मैं बचपन से ही कलीसिया जाकर बाइबल पढ़ा करती थी, और बड़ी होकर युवा-ग्रुप में शामिल हो गयी। हमारे पादरी ने धर्मशास्त्र में डॉक्टरेट की थी। उनका कहना था कि पादरी बनना बड़ा मुश्किल है, इसके लिए पवित्र आत्मा से प्रेरित होना ज़रूरी है। हम उन्हें सम्मान से देखते थे। हम मानते थे कि वो पवित्र आत्मा द्वारा प्रेरित हैं और उन्होंने प्रभु को प्रसन्न कर लिया है। वो अक्सर ये पद सुनाया करते थे: "उस समय यदि कोई तुम से कहे, 'देखो, मसीह यहाँ है!' या 'वहाँ है!' तो विश्वास न करना। क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्ता उठ खड़े होंगे, और बड़े चिह्न, और अद्भुत काम दिखाएँगे कि यदि हो सके तो चुने हुओं को भी भरमा दें" (मत्ती 24:23-24)। उनका कहना था कि अंत के दिनों में नकली मसीह हमें धोखा देंगे, इस कारण हम सतर्क रहते थे। खासतौर से उनसे जिनका आध्यात्मिक कद छोटा था और बाइबल का ज्ञान नहीं था, वो हमें दूसरे संप्रदायों की बातें सुनने, पढ़ने या उनकी चीज़ों की जाँच-पड़ताल करने से भी रोकते थे। पादरी समूह चमकती पूर्वी बिजली के बारे में बहुत-सी उल्टी-सीधी बातें किया करते थे ताकि हम उससे दूर रहें। वो कहते थे कि हमें हर रोज़ बाइबल पढ़नी चाहिए, अपने पाप स्वीकार कर प्रायश्चित करना चाहिए, और प्रभु के आने पर, उसके राज्य में जाने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन दिनों मैं उनकी बात मानकर कलीसिया जाने से डरती थी। वही करती जो पादरी कहते। मुझे लगता, ऐसा करके मैं प्रभु के आगमन का इंतज़ार कर रही हूँ।
एक दिन कलीसिया के भाई हू ने मुझे बताया कि मेरी मॉम और बहन चमकती पूर्वी बिजली में शामिल हो गयी हैं। सुनकर मुझे झटका लगा। मैंने सोचा, "लेकिन पादरी तो हमें चमकती पूर्वी बिजली से दूर रहने के लिए कहते हैं? मेरी मॉम उसमें कैसे शामिल हो सकती हैं?" फिर भाई हू ने मुझे चमकती पूर्वी बिजली के बारे में फैल रही कुछ खौफ़नाक अफवाहों के बारे में बताया। मैं और डर गयी। एकदम घबरा गयी। भाई हू ने मुझसे कहा, घर जाकर मॉम से बात करो और सारी बातचीत रिकॉर्ड करके मुझे भेजो।
वही हुआ, घर पहुँची तो मॉम ने कहा, प्रभु यीशु सर्वशक्तिमान परमेश्वर के रूप में लौट आया है, और वो परमेश्वर के घर से शुरू होने वाला न्याय का कार्य कर रहा है, ताकि लोगों को शुद्ध और परिवर्तित किया जा सके, हमें पाप से बचाया जा सके। वो चाहती थीं कि मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़कर उसके कार्य की जाँच-पड़ताल करूँ। उनकी बात सुनकर मैं चमकती पूर्वी बिजली के बारे में फैल रही खौफ़नाक अफवाहों पर सोचने लगी। मेरे अंदर विरोध का स्वर उठ रहा था, लेकिन चूँकि मैं रिकॉर्ड कर रही थी, इसलिए मैंने शांति से उनकी बात सुनी।
अगले दिन, उन्होंने मुझसे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य की जाँच-पड़ताल करने को कहा। उस समय मेरे मन में वो खौफ़नाक अफवाहें घूम रही थीं जो पादरी ने कही थीं। सुनने पर मेरा ध्यान नहीं था। मैंने उन्हें सलाह दी, "पादरी हमेशा कहते हैं चमकती पूर्वी बिजली की बातें मत सुनो। उससे दूर रहो!" मॉम ने शांति से कहा, "वो हमें परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की जाँच-पड़ताल करने से क्यों रोकते हैं? क्या प्रभु भी यही चाहता है? प्रभु यीशु ने कहा है: 'धन्य हैं वे, जो मन के दीन हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है' (मत्ती 5:3)। 'आधी रात को धूम मची : "देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो"' (मत्ती 25:6)। परमेश्वर चाहता है हम विनम्रता से खोजें। चमकती पूर्वी बिजली प्रभु की वापसी की गवाही देती है, इसलिये हमें उसकी जाँच-पड़ताल करनी चाहिए। लेकिन पादरी हमें प्रभु का स्वागत करने से रोकते हैं। क्या यह प्रभु की शिक्षाओं का विरोध नहीं है? हमें प्रभु की बात सुननी चाहिए, न कि पादरी की बात। प्रभु के दिन, यहूदी विश्वासियों ने उसकी वाणी नहीं सुनी, बल्कि याजकों, शास्त्रियों और फरीसियों की झूठी बात मानी, प्रभु का तिरस्कार और विरोध किया। उन्होंने प्रभु यीशु को सूली पर लटका दिया और परमेश्वर के हाथों सज़ा पायी। हमें उनसे सबक लेना चाहिए! प्रकाशितवाक्य में लिखा है: 'जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है' (प्रकाशितवाक्य अध्याय 2, 3)। इसका अर्थ है कि वापस आने पर प्रभु वचन बोलेगा। उसका स्वागत करने के लिए हमें परमेश्वर की वाणी को पहचानना होगा। पता करो कि क्या सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन परमेश्वर की वाणी हैं, और क्या प्रभु यीशु लौट आया है।" उन्होंने अंत के दिनों के मसीह के कथन नामक पुस्तक उठायी। मैं बहुत परेशान थी और अपने कमरे में चली गयी।
मैंने तसल्ली से मॉम की बातों पर विचार किया। परमेश्वर की वाणी की पहचान करना सीखना और विनम्र हृदय से खोज करना तो उसकी शिक्षाओं के अनुरूप ही है। चूँकि चमकती पूर्वी बिजली प्रभु के लौट आने की गवाही दे रही है, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़े बिना आँख मूंदकर पादरी का अनुसरण करना तो नासमझी है। अगर सर्वशक्तिमान परमेश्वर लौटकर आया प्रभु यीशु हुआ और मैंने उसे नहीं स्वीकारा, तो क्या मैं प्रभु के स्वागत के अवसर को गँवा नहीं दूँगी? फिर मुझे पादरी की बात याद आयी कि अंत के दिनों में नकली मसीह प्रकट होंगे। अगर अब मैं भटक गयी तो मेरी सारी आस्था बेकार हो जाएगी। मैं बहुत उलझन और भ्रम में थी। समझ नहीं आ रहा था किसकी सुनूँ। मैंने प्रभु से मार्गदर्शन की गुहार लगायी।
मॉम ने मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की संगति सुनने को कहा। मैं थोड़ी झिझकी, फिर मान गयी। शुरू में तो कुछ समझ नहीं आ रहा था, लेकिन जब वे उद्धार के लिए परमेश्वर की प्रबंधन योजना के रहस्यों और उसके कार्य के तीन चरणों पर बोले, तो मेरा ध्यान उधर गया। सब-कुछ नया सा लगा। मैं बाइबल पढ़ने वाले कई समूहों में शामिल रही हूँ, लेकिन ऐसा मैंने पहले कभी नहीं सुना था। सभा के बाद मेरा मन बदल गया। मैंने परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की जाँच-पड़ताल करने का फैसला कर लिया और मॉम के साथ हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग हटा दी।
हमारी दूसरी सभा में, भाई झांग ने बुद्धिमान और मूर्ख कुँवारियों के बारे में बताया। उन्होंने कहा, "बुद्धिमान कुँवारियाँ इसलिए बुद्धिमान हैं क्योंकि वे परमेश्वर के प्रकटन के लिए तरसती हैं और उसकी वाणी सुनती हैं। जब वे प्रभु के आगमन के बारे में सुनती हैं, तो तुरंत जाँच-पड़ताल करती हैं। उन पर कोई बंधन नहीं होता, न ही वे अपनी धारणाओं से चिपकती हैं। परमेश्वर की वाणी की पुष्टि हो जाने पर, वे उसका स्वागत और अनुसरण करती हैं। नकली मसीह इन्हें मूर्ख नहीं बना सकते। मूर्ख कुँवारियों में न तो पहचानने की शक्ति होती है, न सत्य के लिए प्रेम। वे प्रभु की वाणी को सुनने या उसका स्वागत करने की कोशिश ही नहीं करतीं, उन्हें तो बस रुतबे और सत्ता से प्रेम होता है, वे पादरियों और एल्डरों की ही बात सुनती हैं। प्रभु के खटखटाने पर, वे अपने कान और दरवाज़े बंद कर लेती हैं। वे अज्ञानी हैं। कुछ लोग परमेश्वर की वाणी को पहचानते तो हैं, मगर उसका अनुसरण करने की हिम्मत नहीं करते, वो डरते हैं, कहीं लोग और उनकी कलीसिया उन्हें नकार न दें। जब वो सत्य खोजते ही नहीं, तो प्रभु की वापसी का स्वागत कैसे करेंगे?"
ये सुनकर मेरी आँखें खुल गयीं। मुझे एहसास हुआ, मैं भी तो सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य की खोज करने के बजाय, काफी समय से पादरियों और एल्डरों की बात ही मान रही थी। अगर सर्वशक्तिमान परमेश्वर लौटकर आया प्रभु यीशु है और मैं उसे स्वीकार न करूँ, तो क्या मैं मूर्ख कुँवारी नहीं हुई? प्रभु यीशु ने कहा है: "माँगो, तो तुम्हें दिया जाएगा; ढूँढ़ो तो तुम पाओगे; खटखटाओ, तो तुम्हारे लिये खोला जाएगा" (मत्ती 7:7)। मेरा मन हुआ कि प्रभु का स्वागत करूँ। चमकती पूर्वी बिजली ने उसके लौट आने की गवाही दी, मुझे बुद्धिमान कुँवारी बनकर जाँच-पड़ताल करनी चाहिए। यही परमेश्वर की इच्छा है! मैंने अपनी उलझन उन्हें बतायी। "प्रभु यीशु ने कहा था, 'उस समय यदि कोई तुम से कहे, "देखो, मसीह यहाँ है!" या "वहाँ है!" तो विश्वास न करना। क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्ता उठ खड़े होंगे, और बड़े चिह्न, और अद्भुत काम दिखाएँगे कि यदि हो सके तो चुने हुओं को भी भरमा दें' (मत्ती 24:23-24)। पादरी और एल्डर हमें इन्हीं पदों के ज़रिए अंत के दिनों के नकली मसीहों और प्रभु के आगमन की किसी भी खबर के खिलाफ आगाह करते हैं। और हम लोग गुमराह होने के डर से, प्रभु के आगमन की जाँच-पड़ताल नहीं करते, लेकिन लगता है यह सही अभ्यास नहीं है। प्रभु ने जो कहा, उसे हम कैसे समझें? नकली मसीहों के हाथों गुमराह हुए बिना, हम प्रभु का स्वागत कैसे कर सकते हैं?"
भाई झांग बोले: "बाइबल में लिखा है कि प्रभु की वापसी के समय नकली मसीह और झूठे नबी लोगों को धोखा देंगे। पादरी समूह लोगों से नकली मसीहों और झूठे नबियों पर नज़र रखवाने के लिए बाइबल का इस्तेमाल करता है, इसलिये अधिकांश लोग अपनी आस्था में इसे बड़ी गंभीरता से लेते हैं। उन्हें लगता है कि प्रभु के आगमन की खबर झूठी है। लेकिन क्या ये प्रभु यीशु के वचनों के अनुरूप है? प्रभु यीशु ने कहा था, 'उस समय यदि कोई तुम से कहे, "देखो, मसीह यहाँ है!" या "वहाँ है!" तो विश्वास न करना। क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्ता उठ खड़े होंगे, और बड़े चिह्न, और अद्भुत काम दिखाएँगे कि यदि हो सके तो चुने हुओं को भी भरमा दें' (मत्ती 24:23-24)। इससे पता चलता है कि प्रभु यीशु ने अंत के दिनों में नकली मसीहों और झूठे नबियों के बारे में हमें आगाह कर दिया था। वे लोगों को धोखा देने के लिए बड़े-बड़े संकेत और चमत्कार दिखाएँगे, तो हमें उन्हें पहचानना होगा। उसने ये कभी नहीं कहा कि प्रभु की वापसी की सारी खबरें झूठी होंगी। प्रभु यीशु ने कहा था वो फिर आएगा, हम इस बात को नहीं भूल सकते, प्रभु के लौटने की बात को झूठ बताकर, क्या पादरी उसकी वापसी को नकार नहीं रहे हैं, प्रभु के वचनों, प्रकटन और कार्य को बेशर्मी से झुठला नहीं रहे हैं? क्या वो लोगों को गुमराह करने और प्रभु की बात को काटने का काम नहीं कर रहे हैं? अगर हम इन पदों को संदर्भ से अलग करके, प्रभु के अर्थ का अनर्थ करेंगे, ऐसी खबरों को झूठा मानेंगे, तो क्या ये परमेश्वर के प्रकटन और कार्य का तिरस्कार करना नहीं होगा? फिर हम प्रभु की वापसी का स्वागत कैसे करेंगे?"
उनकी संगति सुनकर मेरी आँखें खुल गयीं। उन पदों में लिखा है कि नकली मसीह अंत के दिनों में लोगों को धोखा देने के लिए बड़े-बड़े संकेत और चमत्कार दिखाएँगे। पादरी बाइबल के अच्छे जानकार हैं, वो लोग नकली मसीहों को पहचान क्यों नहीं पाए? भाई झांग ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों के अंश पढ़े: "यदि वर्तमान समय में ऐसा कोई व्यक्ति उभरे, जो चिह्न और चमत्कार प्रदर्शित करने, दुष्टात्माओं को निकालने, बीमारों को चंगा करने और कई चमत्कार दिखाने में समर्थ हो, और यदि वह व्यक्ति दावा करे कि वह यीशु है जो आ गया है, तो यह बुरी आत्माओं द्वारा उत्पन्न नकली व्यक्ति होगा, जो यीशु की नकल उतार रहा होगा। यह याद रखो! परमेश्वर वही कार्य नहीं दोहराता। कार्य का यीशु का चरण पहले ही पूरा हो चुका है, और परमेश्वर कार्य के उस चरण को पुनः कभी हाथ में नहीं लेगा। ... यदि अंत के दिनों के दौरान, परमेश्वर अब भी चिह्नों और चमत्कारों को प्रदर्शित करे, और अब भी दुष्टात्माओं को निकाले और बीमारों को चंगा करे—यदि वह बिल्कुल यीशु की तरह करे—तो परमेश्वर वही कार्य दोहरा रहा होगा, और यीशु के कार्य का कोई महत्व या मूल्य नहीं रह जाएगा। इसलिए परमेश्वर प्रत्येक युग में कार्य का एक चरण पूरा करता है। ज्यों ही उसके कार्य का प्रत्येक चरण पूरा होता है, बुरी आत्माएँ शीघ्र ही उसकी नकल करने लगती हैं, और जब शैतान परमेश्वर के बिल्कुल पीछे-पीछे चलने लगता है, तब परमेश्वर तरीक़ा बदलकर भिन्न तरीक़ा अपना लेता है। ज्यों ही परमेश्वर ने अपने कार्य का एक चरण पूरा किया, बुरी आत्माएँ उसकी नकल कर लेती हैं। तुम लोगों को इस बारे में स्पष्ट होना चाहिए।" "यदि अंत के दिनों में यीशु के जैसा ही कोई 'परमेश्वर' प्रकट हो जाता, जो बीमार को चंगा करता और दुष्टात्माओं को निकालता, और मनुष्य के लिए सलीब पर चढ़ाया जाता, तो वह 'परमेश्वर', बाइबल में वर्णित परमेश्वर के समरूप तो अवश्य होता और उसे मनुष्य के लिए स्वीकार करना भी आसान होता, लेकिन तब वह अपने सार रूप में, परमेश्वर के आत्मा द्वारा नहीं, बल्कि एक दुष्टात्मा द्वारा धारण किया गया देह होता। क्योंकि जो परमेश्वर ने पहले ही पूरा कर लिया है, उसे कभी नहीं दोहराना, यह परमेश्वर के कार्य का सिद्धांत है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य)।
वचन पढ़ने के बाद, उन्होंने ये संगति सुनायी: "परमेश्वर सदा नया रहता है, कभी पुराना नहीं होता और अपना कार्य नहीं दोहराता। कार्य के हर नए चरण में, वो लोगों को अभ्यास के नए मार्ग पर ले जाता है। जैसे, जब प्रभु यीशु आया, तो उसने फिर से व्यवस्था और आदेश जारी नहीं किए, बल्कि इन चीज़ों की बुनियाद पर छुटकारे का कार्य किया। उसने प्रायश्चित करना सिखाया, उसने लोगों को पाप स्वीकार करके प्रायश्चित करना, क्षमा करना, प्रेम करना सिखाया। वो इंसान के लिए पाप-बलि के रूप में सूली पर चढ़ गया। सर्वशक्तिमान परमेश्वर अंत के दिनों में, संकेत या चमत्कार नहीं दिखाता। वो छुटकारे के कार्य की बुनियाद पर न्याय और शुद्धिकरण का कार्य करता है। वो सत्य व्यक्त करता है, इंसान की भ्रष्टता और प्रकृति को उजागर करता है, इंसान की अधार्मिकता का न्याय करता है। वो इंसान को शुद्ध करने और बचाने के लिए उसे सत्य प्रदान करता है, भ्रष्टता और शैतान के प्रभाव से बचाता है ताकि परमेश्वर उसे प्राप्त कर सके। इस तरह इंसान को बचाने का परमेश्वर का कार्य पूरा होता है। हर चरण के साथ परमेश्वर का कार्य ऊपर उठता रहता है और कभी दोहराया नहीं जाता। अगर प्रभु आकर संकेत और चमत्कार दिखाए, रोगियों को चंगा करे, तो ये परमेश्वर के कार्य की पुनरावृत्ति होगी और उसका कोई अर्थ नहीं होगा। कुछ लोग दावा करते हैं कि परमेश्वर केवल संकेत और चमत्कार ही दिखा सकता है, रोगियों को चंगा कर सकता है। वो परमेश्वर को परिसीमित कर देते हैं और सोचते हैं उसका कार्य आगे नहीं बढ़ सकता। इसलिए परमेश्वर का कार्य कभी दोहराया नहीं जाता और अगर कोई ये सब काम करता है तो वो यकीनन नकली मसीह होगा। ज़्यादातर नकली मसीहों में दुष्ट आत्माएं होती हैं। वो सत्य व्यक्त नहीं कर सकते, नए युग की शुरुआत या पुराने युग का अंत नहीं कर सकते। वो लोग केवल प्रभु यीशु की नकल कर सकते हैं और मामूली से कपटपूर्ण चमत्कार दिखा सकते हैं। लेकिन प्रभु यीशु की तरह, पुनरुत्थान नहीं कर सकते, पाँच रोटियों और दो मछलियों से पाँच हज़ार लोगों का पेट नहीं भर सकते। ऐसा सामर्थ्य केवल परमेश्वर में है, नकली मसीहों में नहीं। जो लोग बिना सत्य व्यक्त किए, छोटे-मोटे संकेत और चमत्कार दिखाते हैं और खुद को मसीह कहते हैं, यकीनन वो असली नहीं हैं। इस आधार पर हम नकली और असली मसीह में भेद कर सकते हैं।"
मैंने भाई झांग की संगति से यह सीखा: परमेश्वर का कार्य नया है, कभी पुराना नहीं होता, न ही दोहराया जाता है। नकली मसीह परमेश्वर का कार्य नहीं कर सकते। वो परमेश्वर के पुराने कार्य की नकल करके, लोगों को धोखा देने के लिए कुछ चमत्कार दिखाते हैं। इस आधार पर नकली मसीहों को पहचाना जा सकता है। जैसे दुनिया में नकली चीज़ों को बिल्कुल असली जैसा बना दिया जाता है, लेकिन आखिरकार होती वो नकली ही हैं, नकली मसीहों की तरह। इसने मेरी आँखें खोल दीं।
भाई झांग ने अपनी संगति जारी रखी: "नकली मसीहों को पहचानने का सबसे महत्वपूर्ण आधार है मसीह के सार को जानना। यह सबसे गंभीर हिस्सा है।" उन्होंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों के दो अंश पढ़े: "जो देहधारी परमेश्वर है, उसके पास परमेश्वर का सार होगा और जो देहधारी परमेश्वर है, उसके पास परमेश्वर की अभिव्यक्ति होगी। चूँकि परमेश्वर ने देह धारण किया है, इसलिए वह उस कार्य को सामने लाएगा, जो वह करना चाहता है, और चूँकि परमेश्वर ने देह धारण किया है, इसलिए वह उसे अभिव्यक्त करेगा जो वह है और वह मनुष्य के लिए सत्य को लाने, उसे जीवन प्रदान करने और उसे मार्ग दिखाने में सक्षम होगा। जिस देह में परमेश्वर का सार नहीं है, वह निश्चित रूप से देहधारी परमेश्वर नहीं है; इसमें कोई संदेह नहीं। अगर मनुष्य यह पता करना चाहता है कि क्या यह देहधारी परमेश्वर है, तो इसकी पुष्टि उसे उसके द्वारा अभिव्यक्त स्वभाव और उसके द्वारा बोले गए वचनों से करनी चाहिए। इसे ऐसे कहें, व्यक्ति को इस बात का निश्चय कि यह देहधारी परमेश्वर है या नहीं और कि यह सही मार्ग है या नहीं, उसके सार से करना चाहिए। और इसलिए, यह निर्धारित करने की कुंजी कि यह देहधारी परमेश्वर की देह है या नहीं, उसके बाहरी स्वरूप के बजाय उसके सार (उसका कार्य, उसके कथन, उसका स्वभाव और कई अन्य पहलू) में निहित है। यदि मनुष्य केवल उसके बाहरी स्वरूप की ही जाँच करता है, और परिणामस्वरूप उसके सार की अनदेखी करता है, तो इससे उसके अनाड़ी और अज्ञानी होने का पता चलता है।" "देहधारी हुए परमेश्वर को मसीह कहा जाता है, और इसलिए वह मसीह जो लोगों को सत्य दे सकता है परमेश्वर कहलाता है। इसमें कुछ भी अतिशयोक्ति नहीं है, क्योंकि वह परमेश्वर का सार धारण करता है, और अपने कार्य में परमेश्वर का स्वभाव और बुद्धि धारण करता है, जो मनुष्य के लिए अप्राप्य हैं। वे जो अपने आप को मसीह कहते हैं, परंतु परमेश्वर का कार्य नहीं कर सकते हैं, धोखेबाज हैं। मसीह पृथ्वी पर परमेश्वर की अभिव्यक्ति मात्र नहीं है, बल्कि वह विशेष देह भी है जिसे धारण करके परमेश्वर मनुष्य के बीच रहकर अपना कार्य करता और पूरा करता है। यह देह किसी भी आम मनुष्य द्वारा उसके बदले धारण नहीं की जा सकती है, बल्कि यह वह देह है जो पृथ्वी पर परमेश्वर का कार्य पर्याप्त रूप से संभाल सकती है और परमेश्वर का स्वभाव व्यक्त कर सकती है, और परमेश्वर का अच्छी तरह प्रतिनिधित्व कर सकती है, और मनुष्य को जीवन प्रदान कर सकती है। जो मसीह का भेस धारण करते हैं, उनका देर-सवेर पतन हो जाएगा, क्योंकि वे भले ही मसीह होने का दावा करते हैं, किंतु उनमें मसीह के सार का लेशमात्र भी नहीं है। और इसलिए मैं कहता हूँ कि मसीह की प्रामाणिकता मनुष्य द्वारा परिभाषित नहीं की जा सकती, बल्कि स्वयं परमेश्वर द्वारा ही इसका उत्तर दिया और निर्णय लिया जा सकता है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य)।
उन्होंने वचन पढ़ने के बाद यह संगति की: "मसीह देहधारी परमेश्वर है। वो देह में परमेश्वर का आत्मा है, जिसमें सामान्य मानवता और पूर्ण दिव्यता है। मसीह देखने में मामूली लगता है लेकिन उसका सार दिव्य है, वह सत्य और परमेश्वर के धार्मिक स्वभाव को व्यक्त करता है। वो नए युग की शुरुआत और पुराने युग का अंत करता है। वो इंसान को छुटकारा दिला सकता है और बचा सकता है। वो लोगों के पोषण और रखवाली के लिए सत्य व्यक्त कर सकता है। कोई उसकी जगह नहीं ले सकता। प्रभु यीशु मसीह था, देहधारी परमेश्वर था। वो देखने में आम इंसान लगता था, लेकिन उसने अनुग्रह के युग की शुरूआत और व्यवस्था के युग का अंत किया और इंसान को प्रायश्चित का मार्ग दिया। उसने पापों को क्षमा किया। सूली पर चढ़कर हमें पापों से छुटकारा दिलाया। उसने अनेक संकेत और चमत्कार दिखाए जैसे तूफान को शांत करना, पाँच रोटी और दो मछली से लोगों को खिलाना, मरे हुए लोगों को ज़िंदा करना। उसने परमेश्वर का अधिकार दिखाया। उसने हर जगह जाकर उपदेश दिए और सत्य व्यक्त करते हुए लोगों को उनकी ज़रूरतों के अनुसार पोषण दिया, उनकी रखवाली की। प्रभु यीशु के कार्य और वचनों ने हमें बताया: वो सत्य, मार्ग और जीवन है। उसके कार्य और वचनों ने साबित कर दिया कि वो देहधारी परमेश्वर था और लोगों को छुटकारा दिलाने वाला था। सर्वशक्तिमान परमेश्वर अंत के दिनों में आकर राज्य के युग की शुरुआत और अनुग्रह के युग का अंत करता है, लोगों का न्याय करके उन्हें शुद्ध करने के लिए कार्य करता है। वो अपना धार्मिक स्वभाव व्यक्त करता है जो कोई अपमान बर्दाश्त नहीं करता। उसके वचन उसकी छह हज़ार सालों की प्रबंधन योजना के रहस्यों का खुलासा करते हैं, इंसान के पापों, परमेश्वर-विरोध के मूल को और उसके भ्रष्ट स्वभाव को उजागर करते हैं, उसे शुद्ध करने और (पूरी तरह से) बचाने के लिए (साफ तौर पर) तमाम सत्य व्यक्त करते हैं। इसमें ये भी शामिल है कि कैसे परमेश्वर इंसान का न्याय करके उसे शुद्ध करता है, कैसे परमेश्वर का आज्ञापालन और उसमें आस्था रखनी चाहिए, परमेश्वर को कौन खुशी देता है, किससे वो घृणा करता है और किसे हटाता है, किन बातों के अनुसरण से इंसान शुद्ध और पूर्ण हो सकता है, इंसान का परिणाम क्या होगा, आदि। परमेश्वर के न्याय और ताड़ना के ज़रिये, हमने शैतान द्वारा अपनी भ्रष्टता के सत्य को देखा और परमेश्वर के धार्मिक, पवित्र स्वभाव को जाना। हमने परमेश्वर के आगे प्रायश्चित किया। हमने परमेश्वर के प्रति समर्पित होना शुरू किया तो हमारा जीवन-स्वभाव बदलने लगा। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य और वचनों से साबित होता है कि वो देहधारी परमेश्वर है, अंत के दिनों का मसीह है। नकली मसीह दुष्ट आत्माएँ हैं। इंसान को बचाने की बात तो दूर, वो सत्य भी व्यक्त नहीं कर सकते। वो लोगों को गुमराह करने और नुकसान पहुँचाने के लिए सफेद झूठ बोलते हैं, भांतियाँ फैलाते हैं। नकली मसीह का अनुसरण करने वाले जीवन का पोषण या पवित्र आत्मा का कार्य प्राप्त नहीं कर सकते। उनकी आस्था कितनी भी पुरानी हो, वो न तो परमेश्वर को समझ सकते हैं, न सत्य को, न ही उनका स्वभाव बदल सकता है। नकली मसीह का अनुसरण करने का मतलब है शैतान का अनुसरण करना। जो कोई खुद को परमेश्वर या मसीह कहता है, लेकिन सत्य व्यक्त नहीं कर सकता, वो यकीनन नकली मसीह है, शैतान है। नकली मसीह न तो सत्य व्यक्त कर सकता है, न ही परमेश्वर का कार्य कर सकता है। वो खुद को कितना भी मसीह बताएँ, लेकिन वो हैं नहीं। सच और झूठ में ज़मीन-आसमान का फर्क होता है। ढिंढोरा पीटने से कोई मसीह नहीं बन जाता। मसीह बनता है अपने सार और कार्य से। केवल मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। मसीह सत्य और परमेश्वर की धार्मिकता को व्यक्त करता है, परमेश्वर का कार्य करता है। ये तय होता है उसके सार से। परमेश्वर से आयी हर चीज़ फलती-फूलती है। परमेश्वर के कार्य का कोई कितना भी विरोध करे, तिरस्कार करे, नकारे, लेकिन उसे कोई रोक नहीं सकता। मसीह के सार को कोई नकार नहीं सकता। वो मसीह है और हमेशा रहेगा। प्रभु यीशु के कार्यकाल में, यहूदी अगुआओं और रोम की सरकार ने उसकी निंदा और विरोध किया, और उसे सूली पर चढ़ा दिया। उस युग के लोगों ने उसे नकार दिया, लेकिन आज दो हज़ार साल बाद पूरी दुनिया में उसका सुसमाचार फैल गया, पूरा धार्मिक जगत उसे मान्यता देता है। अब अंत के दिनों में, सीसीपी और धार्मिक समुदाय सर्वशक्तिमान परमेश्वर की निंदा करते हैं, लेकिन सत्य का हमेशा बोलबाला रहेगा। इसे कोई नकार नहीं सकता। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन कुछ समय से इंटरनेट पर उपलब्ध हैं जो पूरे विश्व में गवाही दे रहे हैं। लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों में परमेश्वर की वाणी को पहचान रहे हैं, ये जानकर कि वो लौटकर आया प्रभु यीशु है, लोग उसकी शरण में जा रहे हैं। नकली मसीहों में सत्य नहीं है, वो लोगों को जीत नहीं सकते। उनके शब्द और कर्म सार्वजनिक नहीं किए जा सकते और वे जाँच-पड़ताल के लिए कभी इंटरनेट पर नहीं आएँगे, क्योंकि नकली मसीह अंधकारपूर्ण और दुष्ट हैं, उनमें रोशनी नहीं हो सकती। वो छोटे-छोटे संकेत और चमत्कार दिखाते हैं और सफेद झूठ बोलते हैं, वो छुप-छुप कर अज्ञानी और मूर्ख लोगों को गुमराह करते हैं। नकली मसीह या दुष्ट आत्मा की बातें टिकाऊ नहीं होतीं। जल्दी ही बिखरकर गायब हो जाती हैं।"
इस संगति से मैंने जाना कि असली और नकली मसीह में भेद कैसे करना है। मैं रोमाँचित थी। केवल मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। सिर्फ़ वही सत्य व्यक्त कर सकता है और परमेश्वर का कार्य कर सकता है। जो कोई मसीह होने का दावा करे लेकिन सत्य व्यक्त न कर सके, तो वो नकली मसीह है। ये गज़ब का ज्ञान था! मैं आँख मूंदकर पादरी का सम्मान करती थी और उनका कहा मानती थी। गुमराह होने के भय से, मैंने कभी सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की खोज नहीं की। मुझे लगता था कि अपनी कलीसिया और पादरी की बात मानना ही ठीक है, इसी से मैं प्रभु के राज्य में पहुँच जाऊँगी। पादरी समूह ने कहा कि प्रभु यीशु के आगमन की हर खबर झूठी है और उन्होंने हमें सत्य मार्ग की खोज से दूर रखा। अब समझ में आया कि वे धोखेबाज़ और अंधे रहनुमा हैं। मैं भी बेवकूफ थी। मैंने प्रभु की वाणी नहीं सुनी और उनकी बातों पर आँख मूंदकर भरोसा करती रही। मैंने अपना ही नुकसान किया और करीब-करीब प्रभु के स्वागत के अवसर को गँवा ही दिया था। मैं बाल-बाल बच गयी।
मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के और भी वचन पढ़कर देहधारण, परमेश्वर और इंसान के कार्य में अंतर, एवं बाइबल की अंदरूनी कहानी के बारे में जाना। इससे मुझे प्रबोधन मिला। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही लौटकर आया प्रभु यीशु है! मैंने उसके अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार कर लिया।