44. शांत हुआ तलाक का तूफ़ान

लू शी, जापान

2015 में मेरी एक दोस्त ने मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर पर विश्वास करना शुरू करने के लिए प्रेरित किया। अंतिम दिनों के सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को प्राप्त करने के बाद मैंने परमेश्वर के वचन को तीव्र अभिलाषा के साथ ग्रहण किया, और उसके माध्यम से सत्य के कई ऐसे रहस्यों को समझा, जिन्हें मैं पहले नहीं समझती थी, जैसे: मानवजाति को बचाने का परमेश्वर का कार्य तीन चरणों में विभाजित है, परमेश्वर हर चरण में अपना कार्य कैसे करते हैं, कार्य के तीन चरणों के बीच संबंध, देहधारण क्या है, और परमेश्वर को देह क्यों बनना है। इससे मैं और भी निश्चित हो गयी कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही लौटे हुए प्रभु यीशु हैं। चूँकि मेरे पास परमेश्वर के वचनों का मार्गदर्शन था, इसलिए मैं अब पहले की तरह टीवी देखकर समय नहीं बिताती थी। मेरे पति ने मुझसे कहा: "परमेश्वर में विश्वास करने से तुम पढ़ने लगी हो, यह हर दिन कोरियाई सीरियल देखने से बेहतर है। इससे मुझे वास्तव में खुशी होती है।" हालांकि मेरे पति सभाओं में नहीं जाते थे, लेकिन अपनी माँ के विश्वासी होने के कारण उन्होंने हमेशा माना था कि परमेश्वर है, इसलिए वे परमेश्वर में मेरे विश्वास का भी समर्थन किया करते थे। आमतौर पर, जब भी मैं परमेश्वर के वचन से किसी प्रकार का प्रबोधन पाती थी, तो मैं उसे अपने पति के साथ साझा करती थी, और वे विश्वास रखने को स्वीकृति भी देते थे। बाद में मेरे पति ने ये जानना चाहा कि मैं हमेशा "सर्वशक्तिमान परमेश्वर" का उल्लेख क्यों करती हूँ, जबकि उनकी माँ तो प्रभु यीशु पर विश्वास करती थी, इसलिए वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के बारे में जानने के लिए ऑनलाइन गये। लेकिन एकाएक, उन्होंने देखा कि इंटरनेट अफवाहों, झूठी गवाहियों और सर्वशक्तिमान परमेश्वर के खिलाफ निन्दा से भरा हुआ था। इस बात ने उनके मन में बहुत ज्यादा ज़हर भर दिया और उन्होंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर में मेरी आस्था का विरोध करना शुरू कर दिया। चूँकि मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ा था और भाई-बहनों की संगति और गवाहियों को सुना था, इसलिए मैं अपने दिल में पहले से ही निश्चित थी कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर एक सच्चे परमेश्वर हैं, और मुझे पता था कि ऑनलाइन लिखी वे बातें केवल अफवाहें और झूठ थीं, जो लोगों को धोखा देने के उद्देश्य से गढ़ी गई थीं। हालाँकि, मेरे पति अफवाहों के झांसे में आ गए थे और स्थिति की वास्तविकता को नहीं समझ पा रहे थे। मैंने उन्हें समझाने और अंतिम दिनों के परमेश्वर के कार्य की गवाही देने की बहुत कोशिश की, लेकिन उन्होंने एक न सुनी।

कुछ समय के बाद बहन यिंघे ने मेरी मदद की। उन्होंने मेरे पति के साथ बार-बार संगति और गवाहियाँ साझा कीं, तब जाकर उन्होंने आखिरकार अनिच्छा से अंतिम दिनों के परमेश्वर के कार्य की जाँच के लिए सहमति व्यक्त की। हालाँकि मेरे पति अपनी माँ से प्रभावित थे और बाइबल को लेकर अपेक्षाकृत रूढ़िवादी थे, इस कारण उनकी इस समस्या को हल करने के लिए कुछ बहनों ने सिफारिश की कि मैं अपने पति के साथ ईसाई फिल्म बाइबल के बारे में रहस्य का खुलासा देखूँ। लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया। इसके बजाय मैंने अपनी सोच के मुताबिक काम किया और उन्हें तोड़ डालो अफ़वाहों की ज़ंजीरें नामक फिल्म दिखायी, जिसमें दिखाया गया था कि कैसे सीसीपी सरकार और धार्मिक दुनिया के मसीह विरोधी लोग परमेश्वर के कार्य का विरोध करते हैं। फिल्म का सिर्फ एक हिस्सा देखने के बाद उन्होंने कहा: "सीसीपी एक नास्तिक सरकार है और चीन एक नास्तिक देश है, जिसने हमेशा धार्मिक विश्वासियों को सताया है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को सीसीपी सरकार द्वारा दबाया जा रहा है, और हम उनके सामने बौने हैं और उनसे नहीं लड़ सकते। अगर हम चीन वापस गए और गिरफ्तार कर लिए गए, तो? इसके अलावा, ऑनलाइन तमाम तरह की बातें लिखी हुई हैं, मैं नहीं बता सकता कि उनमें से क्या सच है और क्या झूठ। मुझे अभी भी लगता है कि तुम्हें इस पर विश्वास नहीं करना चाहिए।" मैंने अपने पति से आग्रह किया कि वे पूरी फिल्म देख लें और फिर फैसला करें, लेकिन उन्होंने मेरी बात नहीं मानी। यह देखकर कि मैं अपना विश्वास बनाए रखने पर जोर दे रही हूँ, एक बार तो वे गुस्से से मुझ पर बरस पड़े और बोले: "अगर तुम विश्वास करने पर अड़ी हो, तो करती रहो, अगर तुम गिरफ्तार होना चाहती हो तो हो जाओ। लेकिन अगर तुम गिरफ्तार हो गयी, तो यह मत कहना कि मैं तुम्हारा पति हूँ! क्या तुम नहीं जानती कि मैं अभी बहुत दबाव में हूँ? अगर मैं विश्वास नहीं करता, तो मुझे डर रहेगा कि कहीं यह सच्चा परमेश्वर तो नहीं, लेकिन अगर मैं विश्वास करता हूँ, तो ऑनलाइन लिखी बातें तो हैं ही, साथ ही साथ मेरे गिरफ्तार होने का खतरा भी है। तो मुझे वास्तव में किसकी बात सुननी चाहिए?" अपने पति की ऑनलाइन अफवाहों से विवश होने की पीड़ा देखकर मुझे एहसास हुआ कि सीसीपी द्वारा गढ़ी गई अफवाहें और झूठी गवाहियाँ कितनी हानिकारक हैं। न केवल वे लोगों द्वारा सच्चा मार्ग स्वीकार किए जाने में बाधा डालती हैं, बल्कि वे पारिवारिक रिश्तों को भी बरबाद कर देती हैं। जाहिर तौर पर, ये लोग जो अफवाहें गढ़ते हैं और झूठी गवाही देते हैं, दुष्ट शैतान के वंशज हैं! इतना तो बिलकुल स्पष्ट है।

एक दिन मेरे पति काम पर से घर आए और देखा कि मैं एक सभा में थी। उनका चेहरे तुरंत मुरझा गया, फिर उन्होंने झटके से दरवाजा खोला और चले गए। राते के खाने का समय आया और बीत गया, लेकिन वे वापस नहीं आए—मैं चिंतित हुए बिना नहीं रह पायी। आखिरकार वे आठ बजे घर लौटे, लेकिन वे अभी भी गुस्से में थे। मैंने उनके लिए खाना बनाने की सोची थी, लेकिन उन्होंने मुझसे रुखाई से कहा: "रहने दो! चूंकि तुम मेरी बात नहीं मानतीं और अपने विश्वास पर अडिग हो, इसलिए अब से तुम मेरे मामलों में मत पड़ना। अब से मैं हमारे जीवन-यापन के खर्च के लिए ही ज़िम्मेदार हूँगा, और इस घर के बाहर मैं जो कुछ भी करता हूँ, उससे तुम्हारा कोई लेना-देना नहीं है! यहाँ तक ​​कि अगर मैं ऐसा भी कुछ करता हूँ, जिससे इस परिवार को नीचा देखना पड़े, तो भी तुम्हें इससे कोई मतलब नहीं रखना है!" अपने पति की इन बातों को सुनकर मैं जितना इस बारे में सोचती, उतना ही अधिक परेशान होती जाती। उस रात मैं सो नहीं पाई और बिस्तर पर करवटें बदलती रही, और लगातार अपने दिल में परमेश्वर से प्रार्थना करती रही: "हे परमेश्वर! मेरे पति अफवाहों से धोखा खा गए हैं और आप पर मेरे विश्वास को ठेस पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं, और ऐसी निर्मम बातें कह रहे हैं। मुझे क्या करना चाहिए? कृपया मुझे राह दिखाएँ! मैं आपसे अलग नहीं होना चाहती।" अगली सुबह मुझे अचानक परमेश्वर के कुछ वचनों की याद आई, जिनके बारे में हमने एक सभा में संगति की थी: "परमेश्वर द्वारा मनुष्य के भीतर किए जाने वाले कार्य के प्रत्येक चरण में, बाहर से यह लोगों के मध्य अंतःक्रिया प्रतीत होता है, मानो यह मानव-व्यवस्थाओं द्वारा या मानवीय हस्तक्षेप से उत्पन्न हुआ हो। किंतु पर्दे के पीछे, कार्य का प्रत्येक चरण, और घटित होने वाली हर चीज़, शैतान द्वारा परमेश्वर के सामने चली गई बाज़ी है, और लोगों से अपेक्षित है कि वे परमेश्वर के लिए अपनी गवाही में अडिग बने रहें। उदाहरण के लिए, जब अय्यूब को आजमाया गया था : पर्दे के पीछे शैतान परमेश्वर के साथ दाँव लगा रहा था, और अय्यूब के साथ जो हुआ वह मनुष्यों के कर्म थे, और मनुष्यों का हस्तक्षेप था। परमेश्वर द्वारा तुम लोगों में किए गए कार्य के हर कदम के पीछे शैतान की परमेश्वर के साथ बाज़ी होती है—इस सब के पीछे एक संघर्ष होता है। ... जब परमेश्वर और शैतान आध्यात्मिक क्षेत्र में संघर्ष करते हैं, तो तुम्हें परमेश्वर को कैसे संतुष्ट करना चाहिए, और किस प्रकार उसकी गवाही में अडिग रहना चाहिए? तुम्हें यह पता होना चाहिए कि जो कुछ भी तुम्हारे साथ होता है, वह एक महान परीक्षण है और ऐसा समय है, जब परमेश्वर चाहता है कि तुम उसके लिए गवाही दो" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, केवल परमेश्वर से प्रेम करना ही वास्तव में परमेश्वर पर विश्वास करना है)। परमेश्वर के वचन के प्रबोधन से मैं थोड़ा जाग गयी: इस दौरान मैं हमेशा अपने पति पर ही ध्यान लगाए रहती थी, और महसूस करती थी कि आज दुनिया में बहुत ढकोसले और घोटाले हो रहे हैं, हर जगह झूठ और धोखे से भरी हुई है, खासकर सीसीपी मीडिया के तमाम झूठों और गलत बयानों से। मुझे लगता था कि जिसके पास थोड़ा भी दिमाग होगा, वह एक पल के लिए इस बारे में सोचेगा और फिर समझ जाएगा कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर पर ऑनलाइन हमला करने, उनकी आलोचना और निंदा करने वाले ये शब्द सब झूठ और बकवास हैं, उन्हें इससे धोखा नहीं खाना और भ्रमित नहीं होना चाहिए। लेकिन दुर्भाग्यवश मेरे पति ने ऑनलाइन सुनी अफवाहों पर विश्वास कर लिया, और मुझे सचमुच लगता था कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। उस समय मैं मूल कारण ढूँढने के लिए अपने सिवाय कुछ नहीं देख पा रही थी। परमेश्वर मेरी परीक्षा ले रहे थे, इस बात का उपयोग यह जाँचने के लिए कर रहे थे कि उन पर मेरा विश्वास सच्चा है या नहीं, वे देखना चाहते थे कि क्या मैं शैतान द्वारा हमला किए जाने पर सच्चे मार्ग पर दृढ़ता से बनी रह सकती हूँ या नहीं, और इस परीक्षा के बीच मैं परमेश्वर की गवाही दे सकती हूँ या नहीं। जैसे ही मैंने परमेश्वर की इच्छा को समझा, मेरे दिलो-दिमाग पर छाई धुंध तितर-बितर हो गयी और मेरा दिल काफी हद तक प्रसन्न हो गया।

अगले दिन जब हम नाश्ता कर रहे थे, तो मेरे पति अभी भी उखड़े-उखड़े दिख रहे थे और मुझसे बात नहीं कर रहे थे, लेकिन चूंकि मेरे पास परमेश्वर के वचनों का मार्गदर्शन था, इसलिए मैं पिछले दिन की तरह चिंतित या डरी हुई नहीं थी। मैंने उनसे शांति से कहा: "मैं परमेश्वर में विश्वास करती हूँ और मैंने इस परिवार को नीचा दिखाने के लिए कभी कुछ नहीं किया। यदि आप कुछ ऐसा करना चाहते हैं, तो यह सिर्फ पतित होने की आपकी इच्छा के कारण है, परमेश्वर में मेरे विश्वास के कारण नहीं।" मुझे यह कहते हुए सुनकर मेरे पति ने नरम स्वर में कहा: "क्या मैंने वो बातें केवल इसलिए नहीं कहीं, क्योंकि तुम मेरी बात नहीं सुन रही थी और अपना विश्वास बनाए रखने पर ज़ोर दे रही थी?" उसके बाद उन्होंने कुछ और नहीं कहा और तूफान गुजर गया। परमेश्वर का धन्यवाद! ये परमेश्वर के वचन थे, जिन्होंने मुझे शैतान के प्रलोभनों पर विजय पाने की शक्ति दी!

लेकिन अच्छा समय हमेशा के लिए नहीं रहता। एक महीने बाद मेरे पति एक बार फिर से ऑनलाइन जाकर उन अफवाहों को पढ़ने लगे। एक दिन जब वे काम से घर लौटे, तो मुझे कंप्यूटर पर बैठा देख मुझ पर चिल्लाने लगे: "मुझे लगता है कि तुम पागल हो गई हो! मैंने इस बारे में सोच लिया है: या तो तुम अपना विश्वास तुरंत छोड़ दो या हमें तलाक लेना होगा। मैंने अपने दोनों बच्चों के बारे में भी सोचा है; तुम दोनों को अपने साथ ले जा सकती हो, लेकिन मेरा अंदाज़ा है कि तुम जापान में नहीं रह पाओगी, इसलिए हमारे बच्चों को वापस शंघाई ले जाओ! मैं शंघाई का हमारा अपार्टमेंट तुम्हें दे दूंगा, और हर महीने बच्चों की देखभाल के लिए 100,000 येन भी दूंगा। और अगर तुम बच्चों को साथ न रखना चाहो, तो वह भी चलेगा; जो भी तुम्हें ठीक लगे! मैंने तलाक की कार्यवाही के बारे में भी पता कर लिया है। हमें बस वार्ड कार्यालय जाकर तलाक के समझौते पर हस्ताक्षर करने हैं, मुझे बस बता दो कि तुम क्या चाहती हो!" उन्हें यह सब कहते सुनकर मेरा दिल ज़ोरों से धड़कने लगाऔर मुझे ऐसा महसूस हुआ, जैसे मेरा सिर घूम रहा हो। कुछ भी कहने में असमर्थ मैं वहाँ बस बैठी रही, यहाँ तक कि मैं परमेश्वर से प्रार्थना करना भी भूल गयी। मैं बस यही सोच पा रही थी कि अगर हमारा तलाक हो गया, तो हमारे बच्चों का क्या होगा? वे मेरे साथ रह सकते हैं, लेकिन मेरे पास पैसों की व्यवस्था नहीं है! अगर वे मेरे साथ नहीं आये, तो उनका बिना माँ के होना कितने अफ़सोस की बात होगी! और फिर मेरे माता-पिता, दोस्त और अन्य रिश्तेदार भी हैं, वे मेरे बारे में क्या सोचेंगे? विदेश में रहना वैसे तो एक बड़ी बात थी, लेकिन अगर हमारा तलाक हो गया तो मेरे माता-पिता दूसरों के सामने सिर उठाकर कैसे जी सकेंगे...। इसलिए मैंने अपने पति को कोई जवाब नहीं दिया; मैंने उनसे सिर्फ इतना कहा कि मुझे इसके बारे में सोचना है। मैं अपने कमरे में गयी और फूट-फूटकर रोने लगी। जितना मैं तलाक के बाद के अपने जीवन के बारे में सोचती, उतना ही अधिक दर्द मुझे महसूस होता। मैं उस रात बिलकुल नहीं सो पायी और मेरे आंसुओं से मेरा तकिया भीग गया। अगले दिन मेरे पति बिना एक शब्द कहे काम पर चले गए, और उसके बाद ही मैं प्रार्थना करने परमेश्वर के सामने आयी। मैंने परमेश्वर से मुझे और ताकत देने के लिए याचना की, ताकि मैं देह की कमज़ोरी पर विजय पा सकूँ। जब मैं दुख में डूबी हुई थी और समझ नहीं पा रही थी कि क्या करना है, तब मैंने कुछ भाई-बहनों को अपने साथ घटी घटना के बारे में बताया। उन सभी ने मुझे प्रोत्साहित किया और मुझे सांत्वना देते हुए कहा कि यह शैतान का एक प्रलोभन है, जिससे मैं गुजर रही हूँ। उन्होंने यह सीखने में मेरी मदद की कि परमेश्वर पर भरोसा कैसे करना है। उन्होंने कहा कि मैं अपना विश्वास नहीं खो सकती या परमेश्वर को गलत नहीं समझ सकती। उन्होंने मेरे साथ अन्य भाई-बहनों के अनुभवों और गवाही को भी मेरे साथ साझा किया, और इस बारे में संगति की कि किस तरह परमेश्वर ही मानवजाति को बचाता है और केवल शैतान हमें पीड़ित करता है, सताता है और अन्य लोगों के साथ हमारे संबंध नष्ट कर देता है। उन्होंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन का एक अंश भी मुझे पढ़कर सुनाया: "अभी जब लोगों को बचाया नहीं गया है, तब शैतान के द्वारा उनके जीवन में प्रायः हस्तक्षेप, और यहाँ तक कि उन्हें नियंत्रित भी किया जाता है। दूसरे शब्दों में, वे लोग जिन्हें बचाया नहीं गया है शैतान के क़ैदी होते हैं, उन्हें कोई स्वतंत्रता नहीं होती, उन्हें शैतान द्वारा छोड़ा नहीं गया है, वे परमेश्वर की आराधना करने के योग्य या पात्र नहीं हैं, शैतान द्वारा उनका क़रीब से पीछा और उन पर क्रूरतापूर्वक आक्रमण किया जाता है। ऐसे लोगों के पास कहने को भी कोई खुशी नहीं होती है, उनके पास कहने को भी सामान्य अस्तित्व का अधिकार नहीं होता, और इतना ही नहीं, उनके पास कहने को भी कोई गरिमा नहीं होती है। यदि तुम डटकर खड़े हो जाते हो और शैतान के साथ संग्राम करते हो, शैतान के साथ जीवन और मरण की लड़ाई लड़ने के लिए शस्त्रास्त्र के रूप में परमेश्वर में अपने विश्वास और अपनी आज्ञाकारिता, और परमेश्वर के भय का उपयोग करते हो, ऐसे कि तुम शैतान को पूरी तरह परास्त कर देते हो और उसे तुम्हें देखते ही दुम दबाने और भीतकातर बन जाने को मज़बूर कर देते हो, ताकि वह तुम्हारे विरुद्ध अपने आक्रमणों और आरोपों को पूरी तरह छोड़ दे—केवल तभी तुम बचाए जाओगे और स्वतंत्र हो पाओगे" (वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर का स्वभाव और स्वयं परमेश्वर II)। परमेश्वर के वचन ने मुझे एहसास कराया कि जब मैं परमेश्वर में विश्वास नहीं कर रही थी, तब मैं पूरी तरह से शैतान के प्रभुत्व में जी रही थी; मैं शैतान की एक दासी, एक खिलौना मात्र थी। विश्वास हासिल करने के बाद मैं शैतान के शिविर से बाहर आ गयी और परमेश्वर की मौजूदगी के आगे लौट आयी; चूँकि मैंने शैतान को त्याग दिया था और वह पराजित होने के लिए तैयार नहीं था, इसलिए उसने मेरी कमज़ोरियों पर हमला करने के लिए मेरे पति का इस्तेमाल किया। उसने तलाक का इस्तेमाल किया, जिससे कि वह मुझे परमेश्वर को धोखा देने और अपने प्रभुत्व में लौट आने के लिए मजबूर कर सके। यह वास्तव में शैतान की चालबाज़ी थी। मुझे इस बात की चिंता थी कि तलाक के बाद बच्चों का क्या करूँगी, मेरे शहर के लोग मुझे किन नज़रों से देखेंगे, और मेरे माता-पिता अपने पड़ोसियों के सामने सिर ऊंचा करके कैसे रह पाएँगे। ये सभी विचार शैतान के व्यवधानों से आए थे और अगर मैं इन विचारों द्वारा नियंत्रित हो जाती, तो मैं शैतान के नियंत्रण में आ जाती, जो अंततः मुझे परमेश्वर से दूर कर देता, यहाँ तक कि उन्हें अस्वीकार करवा देता, और मैं एक बार फिर शैतान के शिविर में वापस लौट जाती। सृष्टिकर्ता के प्रति मेरा विश्वास और मेरी आराधना पूरी तरह से सकारात्मक चीजें हैं, यह स्वर्ग का नियम और पृथ्वी का सिद्धांत है, किसी को भी इसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है, फिर भी शैतान मुझे नियंत्रित करने के लिए, मुझे परमेश्वर को धोखा देने पर मजबूर करने के लिए हर तरह की कोशिश करता है। शैतान वास्तव में बहुत नीच और नफ़रत के लायक है! उस समय मैं जान गई कि मुझमें अपने दम पर शैतान के प्रलोभनों का सामना करने के लिए विश्वास की कमी है, लेकिन मैं आगे की राह पर चलने के लिए परमेश्वर और उनके वचन के मार्गदर्शन पर भरोसा करने के लिए तैयार थी, मैं परमेश्वर के साथ खड़े होने और उनकी गवाही देने के लिए दृढ़ संकल्पित थी; शैतान के आगे हार मानने का तो कोई सवाल ही नहीं था। जब मुझे यह सब समझ आ गया, तो मेरे बेचैन दिल को कुछ मजबूत आधार मिला और मेरा दु:ख कम हो गया।

बाद में मेरे भाई-बहनों ने फिर से मेरे साथ परमेश्वर के वचन साझा किए: "परमेश्वर की अनुमति के बिना शैतान के लिए भूमि की सतह पर पानी की एक बूँद या रेत के एक कण को भी छूना कठिन है; परमेश्वर की अनुमति के बिना, शैतान के पास इतनी भी आज़ादी नहीं है कि वह भूमि की सतह पर से एक चींटी को हटा सके, परमेश्वर द्वारा सृजित इंसान को हटाने की तो बात ही क्या है। परमेश्वर की नज़रों में शैतान पहाड़ों के सोसन फूलों, हवा में उड़ते हुए पक्षियों, समुद्र की मछलियों और पृथ्वी के कीड़े-मकौड़ों से भी कमतर है। सभी चीज़ों के बीच में उसकी भूमिका यह है कि वह सभी चीज़ों की सेवा करे, मानवजाति के लिए कार्य करे, परमेश्वर और उसकी प्रबंधकीय योजना के कार्य करे। इसके बावजूद कि उसका स्वभाव कितना ईर्ष्यालु है, उसका सार कितना बुरा है, एकमात्र कार्य जो वो कर सकता है वह है आज्ञाकारिता से अपने कार्यों को करना : परमेश्वर की सेवाके योग्य होना, परमेश्वर के कार्यों में पूरक होना। शैतान का सार-तत्व और हैसियत ऐसे ही हैं। उसका सार जीवन से जुड़ा हुआ नहीं है, सामर्थ्‍य से जुड़ा हुआ नहीं है, अधिकार से जुड़ा हुआ नहीं है; वह परमेश्वर के हाथों में मात्र एक खिलौना है, परमेश्वर की सेवा में लगा मात्र एक मशीन है!" (वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है I)। परमेश्वर के वचन से मुझे ज्ञात हुआ कि परमेश्वर का अधिकार सर्वोच्च है, परमेश्वर आकाश, पृथ्वी और सभी चीजों को नियंत्रित करते हैं, और हमारा सब-कुछ उनके हाथों में है। मेरा तलाक और मेरा परिवार भी परमेश्वर के हाथों में है, और परमेश्वर की अनुमति के बिना शैतान कुछ नहीं कर सकता। मेरा तलाक होगा या नहीं, यह सब परमेश्वर की संप्रभुता और प्रारब्ध के अधीन है—मेरे पति का कहा अंतिम नहीं है, इसलिए मैं परमेश्वर की संप्रभुता और आयोजनों के प्रति समर्पित होने के लिए तैयार थी। मैंने अविश्वासियों के बारे में सोचा, जो तलाक लेते हैं। उनमें से कुछ लोग पैसों के लिए तलाक लेते हैं, कुछ ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि उनके साथी के विवाहेतर संबंध होते हैं, और कुछ इसलिए करते हैं क्योंकि उनका रिश्ता कमज़ोर पड़ जाता है...। मेरे पति मुझसे इसलिए तलाक लेना चाहते थे, क्योंकि मैंने परमेश्वर पर विश्वास करना और जीवन का सही रास्ता अपनाना, सत्य का अनुसरण करना और एक सार्थक जीवन जीना चुना। यह सम्मानजनक है, शर्मनाक नहीं! तभी परमेश्वर के ये वचन मेरे दिमाग में आए: "विश्वास एक ही लट्ठे से बने पुल की तरह है: जो लोग घृणास्पद ढंग से जीवन से चिपके रहते हैं उन्हें इसे पार करने में परेशानी होगी, परन्तु जो आत्म बलिदान करने को तैयार रहते हैं, वे बिना किसी फ़िक्र के, मज़बूती से कदम रखते हुए उसे पार कर सकते हैं। अगर मनुष्य कायरता और भय के विचार रखते हैं तो ऐसा इसलिए है कि शैतान ने उन्हें मूर्ख बनाया है क्योंकि उसे इस बात का डर है कि हम विश्वास का पुल पार कर परमेश्वर में प्रवेश कर जायेंगे। शैतान अपने विचारों को हम तक पहुँचाने का हर संभव प्रयास कर रहा है। हमें हर पल परमेश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि वह हमें अपने प्रकाश से रोशन करे, अपने भीतर मौजूद शैतान के ज़हर से छुटकारा पाने के लिए हमें हर पल परमेश्वर पर भरोसा करना चाहिए। हमें हमेशा अपनी आत्मा के भीतर यह अभ्यास करना चाहिए कि हम परमेश्वर के निकट आ सकें और हमें अपने सम्पूर्ण अस्तित्व पर परमेश्वर का प्रभुत्व होने देना चाहिए" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आरंभ में मसीह के कथन, अध्याय 6)। परमेश्वर के वचनों ने एक बार फिर मुझे विश्वास और शक्ति दी, चलने के लिए मार्ग दिया, साथ ही अपने पति का सामना करने का साहस भी दिया। यह सही है—मैं बस यही कर सकती थी कि ज्यादा सोच-विचार करना छोड़ दूँ। भविष्य के रास्ते पर चाहे कुछ भी हो, विश्वास के रास्ते पर चलने में कुछ भी गलत नहीं हो सकता!

उस शाम जब मेरे पति घर लौटे, तो मैंने उनसे स्पष्ट और सरल शब्दों में कहा: "आप नहीं चाहते कि मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करूँ, लेकिन मेरे लिए यह असंभव है। अगर आप तलाक लेना चाहते हैं, तो हम वही करेंगे!" यह सुनकर मेरे पति भौचक्के रह गए और कोई अन्य विकल्प न देख उन्होंने कहा: "जाहिर है कि मेरा अब तुम पर कोई बस नहीं है! ऑनलाइन सभी प्रकार की बातें हैं—अगर मैंने तुम पर नियंत्रण नहीं रखा, तो यदि किसी दिन तुम्हारे साथ कुछ हो गया तो मैं जिम्मेदार होऊँगा। मैं इस तलाक का इस्तेमाल सिर्फ तुम्हें धमकी देने के के लिए कर रहा था, लेकिन तुम फिर भी परमेश्वर में अपने विश्वास को नहीं त्यागने वाली। अगर तुम्हारे विश्वास के कारण तुम्हारे साथ कुछ होता है, तो तुम्हारी माँ को पता चल जाएगा, तब मुझ पर दोष मत डालना।" तब से उन्होंने परमेश्वर में मेरे विश्वास में दखलंदाज़ी करना बंद कर दिया; हमारे रिश्ते में चमत्कारी रूप से सुधार आया और मेरे पति ने फिर कभी तलाक लेने की बात नहीं की। इस तरह से सीसीपी की अफवाहों के कारण आया तलाक का तूफान शांत हो गया।

बाद में एक समय ऐसा आया, जब मेरी छोटी बेटी और मुझे, दोनों को जुकाम हो गया। उस समय हल्की बारिश हो रही थी, लेकिन मेरी बड़ी बेटी को अभ्यास के लिए जाना था, इसलिए मेरे पास थके होने की बावजूद अपनी छोटी बेटी के साथ उसे ले जाने के अलावा और कोई चारा नहीं था। मेरे पति को जब इस बारे में पता चला तो उन्होंने कहा: "तुमने आज कड़ी मेहनत की है। लू शी, मैंने हाल ही में तुममें एक बदलाव देखा है। तुम बच्चों के साथ अधिक प्यार से पेश आती हो और बहुत मेहनत करती हो।" अपने पति से ये शब्द सुनकर मैंने अपने दिल में सर्वशक्तिमान परमेश्वर को धन्यवाद दिया, क्योंकि मुझे पता था कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों ने ही मुझे बदला है। अपने आधार के रूप में परमेश्वर के वचनों के कारण मेरे जीवन को दिशा मिली है, मुझे पता है कि उचित मानवता क्या है और एक भ्रष्ट स्वभाव क्या होता है। केवल परमेश्वर के वचन के अनुसार आचरण करके ही आप उचित मानवता को जी सकते हैं। नतीजतन, मैं अब अपने बच्चों पर यों ही भड़क नहीं जाती, और अब केवल आनंद के लिए जीवन नहीं जीती। धीरे-धीरे मुझे पता चला कि मेरे पति भी बदल गए हैं। पहले वे हमेशा यह महसूस करते थे कि हमेशा वही सही होते हैं, लेकिन अब कुछ मामलों में वे मेरी राय लेते हैं। यहाँ तक कि उन्होंने अपने मित्रों को परमेश्वर के अधिकार और संप्रभुता की गवाही भी दी है। यह सब देखकर मेरा दिल कृतज्ञता से भर जाता है। हे परमेश्वर, आप सच में सर्वशक्तिमान हैं! आपका वचन हमारी जीवन-शक्ति है, और शैतान का बल कितना भी आक्रामक या उग्र क्यों न हो, जब तक हमारा मार्गदर्शन करने के लिए आपके वचन हमारे पास हैं, तब तक हम शैतान के सभी प्रलोभनों पर विजय पा सकेंगे, और आपकी देखभाल और संरक्षकता में शांति से रह पाएंगे।

मेरी खातिर यह सब व्यवस्था करने के लिए और मुझे अपने वचन का अनुभव कराने और कई सत्य समझने का अवसर देने के लिए परमेश्वर का धन्यवाद। इस प्रकार की परिस्थितियों का अनुभव करने के बाद मैंने देखा है कि शैतान वास्तव में नीच है, वह लोगों को परमेश्वर को छोड़ने पर मजबूर करने और अपना शिकार बनाने के लिए हर संभव प्रयास करने के बारे में सोचता है, ताकि वह हमें निगल जाए। साथ ही मैंने यह भी देखा है कि परमेश्वर सभी चीजों को नियंत्रित करते हैं और सब-कुछ व्यवस्थित करते हैं; परमेश्वर की अनुमति के बिना यह कुछ मायने नहीं रखता कि शैतान कितना उन्मत्त हो जाता है। वह कुछ भी नहीं कर पाएगा, वह कुछ भी हासिल नहीं कर पाएगा—वह हमारे सिर का एक बाल भी बांका नहीं कर सकता। जब तक हमारे पास विश्वास है और हम जीने के लिए परमेश्वर के वचन पर भरोसा करते हैं, तब तक हम शैतान के अंधेरे प्रभाव को दूर करने में सक्षम होंगे, परमेश्वर के लिए गवाही दे पाएँगे और उसे महिमामंडित कर पाएंगे! तथ्य यह भी साबित करते हैं कि ऑनलाइन पाई जाने वाली अफवाहें और झूठी गवाहियाँ समर्थन-योग्य नहीं हैं। तथ्य और समय सब-कुछ साबित कर देंगे, और अंत में ये अफवाहें "नास्तिकता," "डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत" और "साम्यवाद" की तरह अनन्त अपयश के साथ इतिहास में लिखी जाएंगी, वे सीसीपी के लिए शाश्वत शर्म की निशानी बन जाएँगी। परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज़ सुनेंगी, चाहे शैतान की बाधा कितनी भी बड़ी क्यों न हो, जो लोग ईमानदारी से परमेश्वर पर विश्वास और सत्य से प्रेम करते हैं, वे धोखे और अफवाहों के बंधन को त्यागने, परमेश्वर के सामने आने और परमेश्वर द्वारा प्राप्त किए जाने में सक्षम होंगे। ऐसा इसलिए है, क्योंकि परमेश्वर ऐसा करना चाहते हैं—शैतान की कोई भी ताकत रास्ते में बाधा नहीं बन सकती!

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32. एक महत्वपूर्ण खोज

लेखिका: फांगफांग, चीनमेरे परिवार के सब लोग प्रभु यीशु में विश्वास रखते हैं। मैं कलीसिया में एक साधारण विश्वासी थी और मेरे डैड कलीसिया में...

परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन मसीह-विरोधियों को उजागर करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ सत्य के अनुसरण के बारे में I सत्य के अनुसरण के बारे में न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सत्य वास्तविकताएं जिनमें परमेश्वर के विश्वासियों को जरूर प्रवेश करना चाहिए मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 1) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 2) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 3) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 4) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 5) मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

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