प्रश्न 4: अभी आपने जो संगति की है कि किस तरह लोगों को धोखा देने के लिए झूठे मसीह बाइबल की गलत व्याख्या करते हैं, संकेतों और चमत्कारों का इस्तेमाल करते हैं, मुझे इसका ये पहलू कुछ-कुछ समझ में आ रहा है। लेकिन मेरा अभी भी एक सवाल है जो मैं आपसे पूछना चाहती हूँ। कुछ झूठे मसीह दावा करते हैं कि परमेश्वर का आत्मा उन पर उतरा है। वे वापस आए प्रभु यीशु का छद्मवेष धारण करके कुछ लोगों को धोखा देते हैं। हम इसे कैसे पहचानें?

उत्तर: इसे पहचानना बहुत आसान है। मसीह देह में परमेश्वर है, परमेश्वर का आत्मा देह के रूप में साकार हुआ है। परमेश्वर का आत्मा कोई बाद में नहीं उतरा है। मसीह उसी तरह पैदा हुए थे; वे पैदा होने के क्षण से ही मसीह थे। वे मसीह के रूप में ही पैदा हुए थे और हमेशा मसीह ही रहेंगे। अगर कोई इस तरह पैदा नहीं हुआ है, तो वह कभी मसीह नहीं होगा। जैसे कि प्रभु यीशु जन्म से मसीह थे, न कि सिर्फ़ पवित्र आत्मा के उन पर उतरने के बाद। जब प्रभु यीशु का बपतिस्मा किया गया, तो पवित्र आत्मा उन पर कबूतर की तरह उतरकर आया। और देखो, यह आकाशवाणी हुई: "यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिससे मैं अत्यन्त प्रसन्न हूँ" (मत्ती 3:17)। ये पवित्र आत्मा की गवाही है, ताकि लोग जानें कि प्रभु यीशु स्वयं देहधारी परमेश्वर हैं। उसी पल से, प्रभु यीशु ने आधिकारिक तौर पर अनुग्रह के युग के लिए अपनी सेवकाई को पूरा करना शुरू कर दिया। अंत के दिनों में देहधारी सर्वशक्तिमान परमेश्वर इस बात की गवाही देने के लिये कि वे मसीह हैं, देहधारी परमेश्वर हैं, सत्य व्यक्त करते हैं। मसीह का सार सत्य, मार्ग और जीवन है। इसलिए, जब मसीह कार्य के लिये आएंगे तो वे निश्चय ही सत्य व्यक्त करेंगे, जबकि वे झूठे मसीह जो ऐलान करते हैं कि उन पर परमेश्वर का आत्मा उतरा है किसी भी तरह का कोई सत्य व्यक्त नहीं कर पाते। इससे ये सिद्ध होता है कि वे दुष्ट आत्माएँ हैं जो छद्म मसीह बनकर लोगों को धोखा देते हैं। इसलिए, वो झूठे मसीह जो ये झूठा दावा करते हैं कि उन पर परमेश्वर का आत्मा उतरा है हकीकत में वे सब दुष्ट आत्माओं के कब्ज़े में हैं। ये बात बिल्कुल सच है। जैसा सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "कुछ ऐसे लोग हैं, जो दुष्टात्माओं से ग्रस्त हैं और ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाते रहते हैं, 'मैं परमेश्‍वर हूँ!' लेकिन अंत में, उनका भेद खुल जाता है, क्योंकि वे गलत चीज़ का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे शैतान का प्रतिनिधित्व करते हैं, और पवित्र आत्मा उन पर कोई ध्यान नहीं देता। तुम अपने आपको कितना भी बड़ा ठहराओ या तुम कितना भी जोर से चिल्लाओ, तुम फिर भी एक सृजित प्राणी ही रहते हो और एक ऐसा प्राणी, जो शैतान से संबंधित है। ... तुम नए मार्ग लाने या पवित्रात्मा का प्रतिनिधित्व करने में असमर्थ हो। तुम पवित्र आत्मा के कार्य को या उसके द्वारा बोले जाने वाले वचनों को व्यक्त नहीं कर सकते। तुम स्वयं परमेश्वर का या पवित्रात्मा का कार्य करने में असमर्थ हो। परमेश्वर की बुद्धि, चमत्कार और अगाधता, और उसके स्वभाव की समग्रता, जिसके द्वारा परमेश्वर मनुष्य को ताड़ना देता है—इन सबको व्यक्त करना तुम्हारी क्षमता के बाहर है। इसलिए परमेश्वर होने का दावा करने की कोशिश करना व्यर्थ होगा; तुम्हारे पास सिर्फ़ नाम होगा और कोई सार नहीं होगा। स्वयं परमेश्वर आ गया है, किंतु कोई उसे नहीं पहचानता, फिर भी वह अपना काम जारी रखता है और ऐसा वह पवित्रात्मा के प्रतिनिधित्व में करता है। ... वह परमेश्वर के आत्मा का देहधारी स्वरूप है; वह पवित्रात्मा का प्रतिनिधित्व करता है और उसके द्वारा अनुमोदित है। यदि तुम एक नए युग के लिए मार्ग नहीं बना सकते, या पुराने युग का समापन नहीं कर सकते, या एक नए युग का सूत्रपात या नया कार्य नहीं कर सकते, तो तुम्हें परमेश्वर नहीं कहा जा सकता!" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, देहधारण का रहस्य (1))

कोई कहने से ही मसीह नहीं बन जाता। अगर कोई मानवजाति का न्याय करने और बचाव करने के लिए सारे सत्य व्यक्त नहीं कर सकता है, अगर कोई परमेश्वर के अंत के दिनों के न्याय का कार्य नहीं कर सकता है, या एक नए युग का आरंभ और पुराने युग को समाप्त नहीं कर सकता है, तो फिर चाहे वो मसीह होने का कितना भी आत्म-प्रचार करे, वो ढोंगी है। अंत के दिनों के देहधारी मसीह-सर्वशक्तिमान परमेश्वर, इंसान का न्याय करने और उसे शुद्ध करने के लिए सारे सत्य व्यक्त करते हैं, परमेश्वर के घर से न्याय का कार्य आरंभ करते हैं, अनुग्रह के युग का समापन और राज्य के युग का आरंभ करते हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन, परमेश्वर के स्वभाव की और परमेश्वर के पास जो है और जो वे हैं, उसकी अभिव्यक्ति हैं। ये जीवन की ऐसी सच्चाई है जो हर इंसान में होनी चाहिए। ये परमेश्वर के प्रति भ्रष्ट इंसान के विरोध और विश्वासघात की सारी समस्याओं को हल कर सकता है। ये परमेश्वर के कार्य की और उनके स्वभाव और सार की हमारी समझ के लिए, बेहद महत्वपूर्ण और मूल्यवान वस्तु है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने अपनी 6,000 साल की प्रबंधन योजना के सभी रहस्यों का और परमेश्वर के तीन चरण के कार्य की अंदरूनी कहानी और सार का खुलासा कर दिया है, और यह भी खुलासा कर दिया है कि शैतान मानवजाति को कैसे भ्रष्ट करता है और कैसे चरणबद्ध तरीके से परमेश्वर मानवजाति को बचाते हैं, साथ ही परमेश्वर के अंत के दिनों के न्याय के कार्य की क्या आवश्यकता है और उसका महत्वपूर्ण अर्थ क्या है, इंसान कैसे अपनी पापी प्रकृति का समाधान कर सकता है और उद्धार पाने के लिए किस प्रकार शैतान के प्रभाव से आज़ाद हो सकता है, वे किस तरह स्वर्गिक पिता की इच्छा को पूरा करने वाले बन सकते हैं, परमेश्वर किस तरह के लोगों को बचाते हैं और किस प्रकार के लोगों को हटा देते हैं, स्वर्ग के राज्य में किस प्रकार के व्यक्ति को लाया जा सकता है, अच्छे और बुरे को कैसे अलग करना है, परमेश्वर हर किस्म के इंसान के समापन को कैसे तय करते हैं, वगैरह-वगैरह। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने लोगों के सामने इंसान के उद्धार और पूर्णता से जुड़े हर रहस्य का खुलासा कर दिया है। इससे प्रभु यीशु की ये भविष्यवाणी पूरी हो जाती है: "मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा परन्तु जो कुछ सुनेगा वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा" (यूहन्ना 16:12-13)। सर्वशक्तिमान परमेश्वर का कार्य राज्य के युग का कार्य है, और ऐसा कार्य भी है जो अंधकारमय और बुरी पुरानी दुनिया को समाप्त करता है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा किया गए कार्य से और उनके द्वारा व्यक्त सच्चाई से पूरी तरह ये साबित हो जाता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर अंत के दिनों के मसीह हैं, यानी प्रभु यीशु का दूसरा आगमन हैं।

"वे कौन हैं जो वापस आए हैं" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश

पिछला: प्रश्न 3: आपने यह प्रमाणित किया है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर लौटकर आए प्रभु यीशु हैं और उन्होंने बहुत से वचन व्यक्त किये हैं। परन्तु दक्षिण कोरिया में कुछ लोग ऐसे हैं जो लौटकर आए प्रभु यीशु की नकल करते हैं। उन्होंने कुछ वचन भी कहे हैं और कुछ किताबें भी लिखी हैं। कुछ को अनुयायी भी मिल गए हैं। मैं सुनना चाहता हूँ कि आपका इस बारे में क्या विचार है कि इन झूठे मसीहों के वचनों में भेद कैसे किया जाए।

अगला: प्रश्न 1: धार्मिक पादरी और एल्डर ऐसे लोग हैं जो कलीसिया में परमेश्वर की सेवा करते हैं। यह कहना उचित ही है कि, जब प्रभु के वापस आने की बात आती है, तो उन्हें चौकस रहकर प्रतीक्षा करनी चाहिए, और पूरी सावधानी बरतनी चाहिए। मगर क्या वजह है कि वे अंत के दिनों के सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य की खोज और जांच-पड़ताल नहीं करते, इसके बजाय उनके बारे में अफवाहें गढ़ने, राय बनाते और निंदा करने में लगे रहते हैं, वे विश्वासियों को धोखा देकर सच्चे मार्ग की खोजबीन करने से रोकते हैं?

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

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प्रश्न: प्रभु यीशु कहते हैं: "मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं" (यूहन्ना 10:27)। तब समझ आया कि प्रभु अपनी भेड़ों को बुलाने के लिए वचन बोलने को लौटते हैं। प्रभु के आगमन की प्रतीक्षा से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बात है, प्रभु की वाणी सुनने की कोशिश करना। लेकिन अब, सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि हमें नहीं पता कि प्रभु की वाणी कैसे सुनें। हम परमेश्वर की वाणी और मनुष्य की आवाज़ के बीच भी अंतर नहीं कर पाते हैं। कृपया हमें बताइये कि हम प्रभु की वाणी की पक्की पहचान कैसे करें।

उत्तर: हम परमेश्वर की वाणी कैसे सुनते हैं? हममें कितने भी गुण हों, हमें कितना भी अनुभव हो, उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। प्रभु यीशु में विश्वास...

प्रश्न 1: सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है," तो मुझे वह याद आया जो प्रभु यीशु ने एक बार कहा था, "परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूँगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा; वरन् जो जल मैं उसे दूँगा, वह उसमें एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा" (यूहन्ना 4:14)। हम पहले से ही जानते हैं कि प्रभु यीशु जीवन के सजीव जल का स्रोत हैं, और अनन्‍त जीवन का मार्ग हैं। क्या ऐसा हो सकता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर और प्रभु यीशु समान स्रोत हों? क्या उनके कार्य और वचन दोनों पवित्र आत्मा के कार्य और वचन हैं? क्या उनका कार्य एक ही परमेश्‍वर करते हैं?

उत्तर: दोनों बार जब परमेश्‍वर ने देह धारण की तो अपने कार्य में, उन्होंने यह गवाही दी कि वे सत्‍य, मार्ग, जीवन और अनन्‍त जीवन के मार्ग हैं।...

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