890 मसीह का सार प्रेम है

1 मनुष्यों के लिए, मसीह का सार प्रेम है; जो लोग उसका अनुसरण करते हैं, उनके लिए यह असीम प्रेम है। अगर उसमें कोई प्यार न होता या दया नहीं होती, तो लोग अभी भी उसका अनुसरण नहीं कर रहे होते। परमेश्वर देहधारण के दरम्यान मानवजाति के लिए जो काम करता है, उसमें उसका सबसे स्पष्ट और प्रमुख सार प्रेम है; यह असीम सहिष्णुता है। यदि प्रेम की जगह वैसा होता जैसी तुम लोग कल्पना करते हो, जब परमेश्वर किसी को मार गिराना चाहता है, तो वह ऐसा करता है; जब वह किसी से घृणा करता है, तो वह उस व्यक्ति को दंड देता है, शाप देता है, उसका न्याय करता है और उसे ताड़ना देता है—वह इतना सख्त है! तब तो वह होगा ही! यदि वह लोगों पर क्रोधित होता है, तो लोग डर से कांप जाएँगे और उसके सामने टिक नहीं पाएँगे...। यह केवल एक तरीक़ा है जिससे परमेश्वर का स्वभाव व्यक्त किया जाता है। अंततः, अभी भी उसका लक्ष्य उद्धार करना है और उसका प्यार उसके स्वभाव के सभी प्रकटनों में बना रहता है।

2 देह में काम करते समय, परमेश्वर लोगों के सामने जो सबसे अधिक प्रकट करता है, वह प्रेम है। भीतर के प्रेम से करुणा उत्पन्न होती है जो धैर्य है, और तब भी इसका उद्देश्य लोगों को बचाना है। परमेश्वर लोगों पर करुणा दिखाने में सक्षम है क्योंकि उसके पास प्रेम है। यदि परमेश्वर में मात्र नफ़रत होती, रोष होता और वह बिना किसी प्रेम के केवल न्याय करता और ताड़ना ही देता, तो तुम लोगों पर विपत्ति आ पड़ती। क्या वह तुम्हें सच्चाई प्रदान करता? अगर न्याय और ताड़ना दिये जाने के बाद लोगों को शाप दिया जाता, तो फिर आज तक इंसान कैसे जीवित रहता? परमेश्वर की नफ़रत, क्रोध और धार्मिकता, ये सभी, लोगों के इस समूह को उद्धार देने की बुनियाद द्वारा अभिव्यक्त किये जाते हैं। इस स्वभाव में प्रेम और दया के साथ-साथ असीम धैर्य भी शामिल है। इस नफ़रत में कोई और विकल्प न होने का भाव निहित है, और इसमें परमेश्वर की असीम चिंता और मानवजाति के लिये प्रत्याशा शामिल है!

3 परमेश्वर की नफ़रत मानवजाति की भ्रष्टता पर लक्षित है; यह लोगों के विद्रोह और पापों पर लक्षित है, यह एक पक्ष से जुड़ा है और यह प्रेम की बुनियाद पर बना है। जहाँ प्रेम होगा वहीं नफ़रत भी होगी। इंसानों के प्रति परमेश्वर की नफ़रत शैतान के प्रति उसकी नफ़रत से अलग है, क्योंकि परमेश्वर लोगों को बचाता है और वह शैतान को नहीं बचाता है। परमेश्वर का धार्मिक स्वभाव हमेशा से ही विद्यमान है; उसके पास शुरू से ही क्रोध, धार्मिकता और न्याय रहा है। ये चीजें उस क्षण अस्तित्व में नहीं आईं जिस क्षण परमेश्वर ने उन्हें मानव जाति की ओर निर्देशित किया। वास्तव में, चाहे परमेश्वर धार्मिक हो, प्रतापी हो, या क्रोधी हो, इंसान के उद्धार के लिए वह जो भी कार्य करता है, वह प्रेम के परिणामस्वरूप होता है। उसके पास लोगों के लिए प्रेम के कुछ एक बताशे नहीं हैं; उसके पास सौ प्रतिशत प्रेम है। इससे अगर थोड़ा भी कम होता मनुष्यों को बचाया नहीं जाता। परमेश्वर अपना सारा प्रेम लोगों को समर्पित करता है।

—वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, मसीह का सार प्रेम है से रूपांतरित

पिछला: 889 चूँकि परमेश्वर मनुष्यों को बचाता है, वह उन्हें पूर्ण रूप से बचायेगा

अगला: 891 जिन्हें बचाएगा परमेश्वर उनकी वो सबसे अधिक परवाह करता है

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

संबंधित सामग्री

420 सच्ची प्रार्थना का प्रभाव

1ईमानदारी से चलो,और प्रार्थना करो कि तुम अपने दिल में बैठे, गहरे छल से छुटकारा पाओगे।प्रार्थना करो, खुद को शुद्ध करने के लिए;प्रार्थना करो,...

418 प्रार्थना के मायने

1प्रार्थनाएँ वह मार्ग होती हैं जो जोड़ें मानव को परमेश्वर से,जिससे वह पुकारे पवित्र आत्मा को और प्राप्त करे स्पर्श परमेश्वर का।जितनी करोगे...

परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन मसीह-विरोधियों को उजागर करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ सत्य के अनुसरण के बारे में I सत्य के अनुसरण के बारे में न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सत्य वास्तविकताएं जिनमें परमेश्वर के विश्वासियों को जरूर प्रवेश करना चाहिए मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 1) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 2) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 3) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 4) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 5) मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

सेटिंग

  • इबारत
  • कथ्य

ठोस रंग

कथ्य

फ़ॉन्ट

फ़ॉन्ट आकार

लाइन स्पेस

लाइन स्पेस

पृष्ठ की चौड़ाई

विषय-वस्तु

खोज

  • यह पाठ चुनें
  • यह किताब चुनें

WhatsApp पर हमसे संपर्क करें