480 जीवन को परमेश्वर के वचनों से भरो
1
आज से जब भी तुम सब बोलो, ईश्वर के वचनों के बारे में ही बोलो।
जब भी तुम सब एकजुट हो, सत्य की संगति होने दो,
बोलो जो भी जानते हो ईश्वर के वचन के बारे में,
कैसे तुम अभ्यास करते हो, कैसे पवित्र आत्मा काम करता है।
जब भी अवसर मिले, ईश्वर के वचन की बात करो।
इतनी व्यर्थ बातें न करो। ओ...
अपने जीवन को भरने दो ईश्वर के वचन से,
तब तुम एक सच्चे विश्वासी हो! तब तुम एक सच्चे विश्वासी हो!
2
जब तुम करो सहभागिता, तब पवित्र आत्मा तुम्हें प्रबुद्ध करेगा।
ईश्वर के वचन का संसार बनाने मानव को सहयोग करना चाहिए।
यदि तुम इस में प्रवेश नहीं करते हो, ईश्वर कार्य नहीं कर सकता है।
यदि तुम बात न करो, वो तुम्हें प्रबुद्ध नहीं कर सकता।
जब भी अवसर मिले, ईश्वर के वचन की बात करो।
इतनी व्यर्थ बातें न करो। ओ...
अपने जीवन को भरने दो ईश्वर के वचन से,
तब तुम एक सच्चे विश्वासी हो! तब तुम एक सच्चे विश्वासी हो!
3
यहां तक कि जब सहभागिता सतही हो, वो ठीक होगा, ठीक ही होगा।
बिना सतही के, गहराई भी नहीं है। प्रक्रिया का होना जरूरी है। ओ...
अपने अभ्यास से तुम, पवित्र आत्मा की तुम पर
की हुई रोशनी में अंतर्दृष्टि पाओगे,
जानोगे कैसे खाना-पीना है प्रभावी रूप से ईश्वर के वचनों को,
फिर उसके वचन की वास्तविकता में प्रवेश करोगे।
केवल सहयोग की इच्छा के साथ तुम पवित्र आत्मा का कार्य पा सकोगे।
जब भी अवसर मिले, ईश्वर के वचन की बात करो।
इतनी व्यर्थ बातें न करो। ओ...
अपने जीवन को भरने दो ईश्वर के वचन से,
तब तुम एक सच्चे विश्वासी हो! तब तुम एक सच्चे विश्वासी हो!
तब तुम एक सच्चे विश्वासी हो! तब तुम एक सच्चे विश्वासी हो!
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, राज्य का युग वचन का युग है से रूपांतरित