260 इंसान के जीवन के लिए, परमेश्वर सारे कष्ट झेलता है
1
किसी ने ये रहस्य नहीं जाँचे कि
कैसे इंसान का जीवन शुरू हुआ,
कैसे वो निरंतर जीता है।
केवल ईश्वर इसे समझे,
उस इंसान द्वारा दी गयी चोटें सहे,
जो सब कुछ पाकर भी शुक्रिया न कहे।
जीवन से जो मिले, उसका मोल न समझे,
इसलिए वो ईश्वर को धोखा दे,
उससे जबरन वसूले, उसे भूल जाए।
ईश्वर सारा कष्ट सहे अपनी योजना और इंसान के
जीवन के लिए, न कि उसकी देह के लिए,
देह नहीं बल्कि उसकी साँस से
आया जीवन वापस लेने के लिए।
यह है उसकी योजना, जो है इंसान के जीवन के लिए।
2
क्या ईश-योजना इतनी महत्वपूर्ण हो सके?
ईश्वर ने जिस इंसान को दिया जीवन,
क्या वो भी उतना महत्वपूर्ण हो सके?
ईश-योजना महत्वपूर्ण है,
लेकिन उसने जो प्राणी बनाया अपने हाथों से
उसका अस्तित्व है बस ईश-योजना के लिए।
इसलिए, इंसानों से अपनी नफ़रत के कारण
ईश्वर अपनी योजना बर्बाद न होने दे सके।
ईश्वर सारा कष्ट सहे अपनी योजना और इंसान के
जीवन के लिए, न कि उसकी देह के लिए,
देह नहीं बल्कि उसकी साँस से
आया जीवन वापस लेने के लिए।
यह है उसकी योजना, जो है इंसान के जीवन के लिए।
ईश्वर सारा कष्ट सहे अपनी योजना और इंसान के
जीवन के लिए, न कि उसकी देह के लिए,
देह नहीं बल्कि उसकी साँस से
आया जीवन वापस लेने के लिए।
यह है उसकी योजना, जो है इंसान के जीवन के लिए।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर मनुष्य के जीवन का स्रोत है से रूपांतरित