261 मानव के भविष्य पर परमेश्वर विलाप करता है

1

इस विशाल जगत में, जो कि बार-बार बदला है,

कोई नहीं है कि जो इंसां को राह दिखलाए,

सिवाय उस परमेश्वर के, जो इस जहां का मालिक है।

कोई नहीं है बलशाली जो इंसान के लिये मेहनत करे,

कोई नहीं है जो इंसान की ज़रूरतों को पूरा करे।

कोई नहीं है जो इंसान को, उजले भविष्य में ले जाए,

और दुनिया की नाइंसाफ़ी से मुक्ति दिला पाए, दिला पाए।

मानव के भविष्य पर परमेश्वर विलाप करता है।

उसके पतन पर वो कितना शोक करता है!

परमेश्वर अफ़सोस करता है कि इंसान सीखता नहीं,

पतन की उस राह पर बढ़ता है जहां से वापसी नहीं।

इंसान ने बग़ावत की है, परमेश्वर का दिल तोड़ा है,

शैतान की पतित राह पर, ख़ुशी से चल पड़ा है।

और कोई नहीं जो ये सोचे, आख़िर इंसान किधर जाएगा।


2

कौन फिर रुके और महसूस करे परमेश्वर के रोष को?

कौन ख़ुश करना चाहता और निकट आना चाहता है परमेश्वर के?

कौन परमेश्वर के ग़म को देखे, या समझे उसके दर्द को?

सुनकर भी परमेश्वर की पुकार,

वो चले जा रहे उस पथ पर, जो ले जाती है दूर उन्हें,

परमेश्वर की करुणा से, सच्चाई से, उसकी सजग निगाहों से;

बेच देते हैं ख़ुद को शैतान के हाथों स्वेच्छा से।

मानव के भविष्य पर परमेश्वर विलाप करता है।

उसके पतन पर वो कितना शोक करता है!

परमेश्वर अफ़सोस करता है कि इंसान सीखता नहीं,

पतन की उस राह पर बढ़ता है जहां से वापसी नहीं।

इंसान ने बग़ावत की है, परमेश्वर का दिल तोड़ा है,

शैतान की पतित राह पर, ख़ुशी से चल पड़ा है।

और कोई नहीं जो ये सोचे, आख़िर इंसान किधर जाएगा।


3

कैसा बर्ताव करेगा परमेश्वर उनसे, जो उसे ललकारते और नकारते हैं?

जान लो, परमेश्वर की चेतावनी और प्रबोधन के बाद,

विपदा बड़ी आती है, जो सही नहीं जाती है,

जिसे इंसान की रूह और देह सह नहीं पाती है, देह सह नहीं पाती है।

देह के साथ-साथ इंसान की, रूह भी सज़ा पाती है।

जब परमेश्वर की योजना बेअसर की जाती है,

उसकी आवाज़ की उपेक्षा की जाती है, उपेक्षा की जाती है,

कौन जाने उनके लिये परमेश्वर का कैसा रोष होगा;

ऐसा रोष जो मानव ने, ना कभी अनुभव किया, ना सुना होगा, ना सुना होगा।

ये विपदा अनोखी है;

परमेश्वर की योजना में, एक ही रचना है, एक ही मुक्ति है।

ये पहली और अंतिम बार है।

हृदय किसी का अनुभव नहीं कर सकता है,

परमेश्वर के व्यथित प्रेम और उत्कट अभिलाषा को,

कि हो मानव का उद्धार, कि हो मानव का उद्धार।

मानव के भविष्य पर परमेश्वर विलाप करता है।

उसके पतन पर वो कितना शोक करता है!

परमेश्वर अफ़सोस करता है कि इंसान सीखता नहीं,

पतन की उस राह पर बढ़ता है जहां से वापसी नहीं।

इंसान ने बग़ावत की है, परमेश्वर का दिल तोड़ा है,

शैतान की पतित राह पर, ख़ुशी से चल पड़ा है।

और कोई नहीं जो ये सोचे, आख़िर इंसान किधर जाएगा।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर मनुष्य के जीवन का स्रोत है से रूपांतरित

पिछला: 260 इंसान के जीवन के लिए, परमेश्वर सारे कष्ट झेलता है

अगला: 262 क्या तुमने सर्वशक्तिमान को आहें भरते सुना है?

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

संबंधित सामग्री

420 सच्ची प्रार्थना का प्रभाव

1ईमानदारी से चलो,और प्रार्थना करो कि तुम अपने दिल में बैठे, गहरे छल से छुटकारा पाओगे।प्रार्थना करो, खुद को शुद्ध करने के लिए;प्रार्थना करो,...

परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन सत्य के अनुसरण के बारे में I न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

सेटिंग

  • इबारत
  • कथ्य

ठोस रंग

कथ्य

फ़ॉन्ट

फ़ॉन्ट आकार

लाइन स्पेस

लाइन स्पेस

पृष्ठ की चौड़ाई

विषय-वस्तु

खोज

  • यह पाठ चुनें
  • यह किताब चुनें

WhatsApp पर हमसे संपर्क करें