उत्तर: आप लोगों ने जो सवाल उठाया है ठीक वही सवाल है जिसे ज्यादातर विश्वासियों को समझने में परेशानी होती है। जब देहधारी प्रभु यीशु मानवजाति के छुटकारे का कार्य करने के लिए आये थे, तो लोगों के बीच प्रकट होकर कार्य करते हुए, परमेश्वर मनुष्य के पुत्र बन गए। उन्होंने न केवल अनुग्रह के युग का आरंभ किया, बल्कि एक नए युग की भी शुरुआत की जिसमें परमेश्वर व्यक्तिगत रूप से मनुष्यों के बीच रहने के लिए मनुष्यों की दुनिया में आये। पूरी श्रद्धा के साथ, मनुष्य ने प्रभु यीशु को मसीह यानी परमेश्वर का पुत्र कहा। उस समय, पवित्र आत्मा ने भी इस तथ्य की गवाही दी कि प्रभु यीशु परमेश्वर के प्रिय पुत्र हैं, और प्रभु यीशु स्वर्ग के परमेश्वर को पिता कहते थे। इस तरह, लोगों ने विश्वास किया कि प्रभु यीशु परमेश्वर के पुत्र हैं। इस तरीके से, पिता-पुत्र के इस संबंध की धारणा बनी। अब हम एक पल के लिए विचार करते हैं। क्या परमेश्वर ने उत्पत्ति (के अध्याय) में कहीं भी कहा है उनका कोई बेटा है? अब व्यवस्था के युग के दौरान, क्या यहोवा परमेश्वर ने कभी कहा था कि उनका कोई बेटा है? उन्होंने ऐसा नहीं कहा था! इससे साबित होता है कि परमेश्वर सिर्फ़ एक हैं, पिता-पुत्र के संबंध की कहीं कोई बात नहीं है। अब कुछ लोग यह पूछ सकते हैं: अनुग्रह के युग के दौरान, प्रभु यीशु ने ऐसा क्यों कहा कि वे परमेश्वर के पुत्र थे? प्रभु यीशु मसीह परमेश्वर के पुत्र थे या स्वयं परमेश्वर थे? आप लोग कह सकते हैं, यह एक ऐसा सवाल है जिस पर हम विश्वासियों ने सदियों से बहस की है। लोग इस मुद्दे में निहित विरोधाभास को अनुभव करते हैं, लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि इसे कैसे समझाया जाए। प्रभु यीशु परमेश्वर हैं, लेकिन परमेश्वर के पुत्र भी हैं, तो क्या कोई परमपिता परमेश्वर भी है? लोग इस विषय को भी अच्छी तरह समझाने में असमर्थ हैं। पिछले दो हज़ार सालों में, ऐसे लोग बहुत कम हैं जिन्होंने यह पहचाना कि प्रभु यीशु मसीह स्वयं परमेश्वर हैं, परमेश्वर का प्रकटन हैं। दरअसल, बाइबल में स्पष्ट रूप से इसका उल्लेख है। यूहन्ना 14:8 में, फिलिप्पुस ने प्रभु यीशु से पूछा था: "हे प्रभु, पिता को हमें दिखा दे, यही हमारे लिये बहुत है।" अब, उस समय, प्रभु यीशु ने फिलिप्पुस को कैसे जवाब दिया? प्रभु यीशु ने फिलिप्पुस से कहा था: "हे फिलिप्पुस, मैं इतने दिन से तुम्हारे साथ हूँ, और क्या तू मुझे नहीं जानता? जिसने मुझे देखा है उसने पिता को देखा है। तू क्यों कहता है कि पिता को हमें दिखा? क्या तू विश्वास नहीं करता कि मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में है? ये बातें जो मैं तुम से कहता हूँ, अपनी ओर से नहीं कहता, परन्तु पिता मुझ में रहकर अपने काम करता है। मेरा विश्वास करो कि मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में है; नहीं तो कामों ही के कारण मेरा विश्वास करो" (यूहन्ना 14:9-11)। यहाँ, प्रभु यीशु ने बहुत स्पष्ट रूप से कहा, "जिसने मुझे देखा है उसने पिता को देखा है।" जैसा कि आप लोग देख सकते हैं, प्रभु यीशु स्वयं परमेश्वर का प्रकटन हैं। यहाँ प्रभु यीशु ने ऐसा नहीं कहा था कि उनके और परमेश्वर के बीच पिता-पुत्र का संबंध है। उन्होंने कहा, "मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में है।" "मैं और पिता एक हैं" (यूहन्ना 10:30)। अब, प्रभु यीशु के वचनों के अनुसार, क्या हम इस बात की पुष्टि नहीं कर सकते कि प्रभु यीशु स्वयं परमेश्वर हैं, परमेश्वर सिर्फ़ एक है और "पिता-पुत्र के संबंध" जैसी कोई बात नहीं है?
"भक्ति का भेद - भाग 2" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश