जैसा कि बाइबल में भविष्यवाणी की गयी थी: "हे गलीली पुरुषो, तुम क्यों खड़े आकाश की ओर देख रहे हो? यही यीशु, जो तुम्हारे पास से स्वर्ग पर उठा लिया गया है, जिस रीति से तुम ने उसे स्वर्ग को जाते देखा है उसी रीति से वह फिर आएगा" (प्रेरितों 1:11)। प्रभु यीशु के जी उठने के बाद, आकाश में जो आरोहित हुआ, वह उनका आध्यात्मिक शरीर था। जब प्रभु लौटेंगे, तो वह उनका आध्यात्मिक शरीर होना चाहिए, जो एक बादल पर नीचे आयेगा। परंतु आप लोग यह गवाही देते हैं कि अंत के दिनों में न्याय कार्य करने के लिए परमेश्वर पुन: देहधारी – मनुष्य के पुत्र – हो गए हैं। स्वाभाविक रूप से यह बाइबल से असंगत है। पादरी और एल्डर्स अक्सर कहते हैं कि प्रभु के देहधारी हो कर आने के बारे में कोई भी गवाही झूठी है। इसलिए मैं समझता हूँ कि प्रभु के लिए देहधारी हो कर लौटना असंभव है। मैं आप लोगों की गवाही स्वीकार नहीं कर सकता। मैं बस प्रभु के बादल पर उतरने और हमें स्वर्ग के राज्य में ले जाने की प्रतीक्षा करूंगा। निश्चित रूप से यह गलत नहीं हो सकता!
उत्तर: आप लोग कहते हैं कि प्रभु का देहधारी हो कर लौटना असंभव है, सही है न? बाइबल में यह स्पष्ट तौर पर लिखा है कि प्रभु देहधारी हो कर लौटेंगे। क्या आप लोग यह कहना चाहते हैं कि आप लोग यह नहीं ढूंढ़ पाये? प्रभु के लौटने को ले कर बाइबल में अनेक भविष्यवाणियाँ लिखी हुई हैं, जिनमें से प्रभु के देहधारी हो कर लौटने की भविष्यवाणियाँ विशेष रूप से स्पष्ट हैं। उदाहरण के लिए, जब प्रभु यीशु ने कहा, "क्योंकि जैसे बिजली पूर्व से निकलकर पश्चिम तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य के पुत्र का भी आना होगा" (मत्ती 24:27)। "क्योंकि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से कौंध कर आकाश के दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा। परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ" (लूका 17:24-25)। प्रभु यीशु ने बार-बार यह भविष्यवाणी की कि मनुष्य के पुत्र के रूप में, वे दोबारा आयेंगे। मनुष्य के पुत्र का संदर्भ देहधारी परमेश्वर से है, जैसे कि देहधारी प्रभु यीशु, जो बाहर से एक साधारण, सामान्य व्यक्ति जैसे दिखाई देते हैं, जो एक सामान्य मनुष्य की तरह खाते-पीते हैं, सोते हैं, और चलते हैं। लेकिन प्रभु यीशु का आध्यात्मिक शरीर उनके जी उठने के बाद भिन्न था, जो दीवारों को भेद सकता था, प्रकट हो सकता था और गायब हो सकता था। वह विशेष रूप से अलौकिक था। इसलिए उनको मनुष्य का पुत्र नहीं कहा जा सकता था। मनुष्य के पुत्र के लौटने के बारे में भविष्यवाणी करते समय, प्रभु यीशु ने कहा था, "परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ" (लूका 17:25)। परंतु आप लोगों के कहे अनुसार, प्रभु एक आध्यात्मिक शरीर के रूप में बादल पर नीचे आयेंगे और सार्वजनिक तौर पर अत्यंत भव्य रूप में प्रकट होंगे, जब सभी लोगों को साष्टांग दंडवत हो कर उनकी आराधना करनी होगी, तो फिर कौन उनका विरोध कर उनकी निंदा करेगा? प्रभु यीशु ने कहा था, "परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ" (लूका 17:25)। इन वचनों को कैसे साकार किया जाएगा? सिर्फ तभी जब देहधारी परमेश्वर मनुष्य पुत्र के रूप में कार्य करने के लिए प्रकट होंगे, जब लोग यह नहीं पहचान पायेंगे कि वे देहधारी मसीह हैं। तभी वे अपनी धारणाओं और कल्पनाओं के अनुसार मसीह की निंदा करने और उनको ठुकराने का साहस करेंगे। क्या आप लोगों को ऐसा नहीं लगता? इसके अलावा, प्रभु यीशु ने यह भविष्यवाणी भी की, "उस दिन या उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता, न स्वर्ग के दूत और न पुत्र; परन्तु केवल पिता" (मत्ती 24:36)। "यदि तू जागृत न रहेगा तो मैं चोर के समान आ जाऊँगा, और तू कदापि न जान सकेगा कि मैं किस घड़ी तुझ पर आ पड़ूँगा" (प्रकाशितवाक्य 3:3)। अगर प्रभु एक आध्यात्मिक शरीर में एक बादल पर उतर कर आते, तो इस बारे में सबको पता चल जाता और सब उनको देख पाते। फिर भी प्रभु यीशु ने भविष्यवाणी की कि वे कब लौटेंगे, यह है "कोई नहीं जानता," "और न पुत्र" और "चोर के समान" ये वचन कैसे साकार हो पायेंगे? अगर प्रभु यीशु आध्यात्मिक शरीर में प्रकट होने वाले होते, तो इस बारे में वे खुद कैसे अनजान होते? सिर्फ तभी जब परमेश्वर अंत के दिनों में मनुष्य पुत्र के रूप में देहधारी हों, एक साधारण, सामान्य व्यक्ति बनें, तभी ये वचन साकार होंगे कि पुत्र को पता नहीं चल पायेगा। उसी तरह जैसे प्रभु यीशु, अपना सेवाकार्य करने से पहले, स्वयं भी मसीह के रूप में अपनी पहचान के बारे में नहीं जानते थे जो पापमुक्ति का कार्य पूरा करने आये थे। इसलिए, प्रभु यीशु अक्सर परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना करते। जब प्रभु यीशु ने अपना सेवाकार्य करना शुरू किया, तभी वे स्वयं को पहचान पाये। क्या आप लोग मानते हैं कि इसको इस प्रकार से ग्रहण करना अधिक व्यावहारिक है? क्या आप लोग अब भी यह कहने का साहस करेंगे कि बाइबल में कोई भविष्यवाणी नहीं है कि प्रभु देह में लौटेंगे? यह थी प्रभु यीशु द्वारा की गयी भविष्यवाणी। क्या "मनुष्य का पुत्र" देहधारी परमेश्वर के लिए नहीं कहा गया है? कुछ लोगों को लगता है कि, अगर प्रभु को देह में लौटना था, तो उन्होंने यह बात सीधे क्यों नहीं कही? उनको "मनुष्य के पुत्र" का प्रकटन क्यों कहना पड़ा? यह भविष्यवाणियों की प्रकृति है। भविष्यवाणियाँ अप्रत्यक्ष होती हैं। अगर देह में प्रकटन कहा जाता, तो यह भविष्यवाणी की बजाय सपाट भाषा होती। जब ग्रहण करने में सक्षम लोग मनुष्य के पुत्र के अर्थ की गहराई में उतरेंगे, तो उनमें प्रबुद्धता आयेगी, और वे समझ पायेंगे कि "मनुष्य के पुत्र" का मतलब देहधारी है। इसे हम तभी समझ पाये जब सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने आ कर देहधारण के रहस्य को उजागर किया। तब पता चला कि बाइबल की इस भविष्यवाणी "मनुष्य पुत्र के आगमन" का अर्थ देहधारण है। चूंकि अब हम निश्चित हैं कि प्रभु देह में लौटे हैं, हम यह कैसे सुनिश्चित करें कि वे ही देह में परमेश्वर का प्रकटन हैं? इसके लिए, हमें परमेश्वर की वाणी को पहचानना आना चाहिए। यदि वे सच में देह में मनुष्य पुत्र का प्रकटन हैं, तो वे बहुत से सत्य व्यक्त करेंगे और स्पष्ट रूप से समझा पायेंगे कि परमेश्वर के प्रकटन और कार्य का उद्भव और उद्देश्य क्या है, साथ-ही-साथ वे सत्य व्यक्त कर के अपने कार्य का एक चरण भी पूरा करेंगे। तो, देहधारी सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने अंत के दिनों में मानवजाति के शुद्धिकरण और उद्धार के लिए समस्त सत्य व्यक्त किये हैं और परमेश्वर के निवास से शुरू कर के न्याय का कार्य किया है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्त वचन पवित्र आत्मा द्वारा कलीसियाओं से बोले गए वचन हैं। परमेश्वर उनके प्रकटन के लिए लालायित सभी लोगों के दरवाज़े खटखटाने के लिए देह के जरिये बोलते हैं। जो सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन को सत्य और परमेश्वर की वाणी के रूप में समझ पाते हैं वे बुद्धिमान कुंवारियां हैं, जिन्हें मेमने के विवाह भोज में शामिल होने के लिए परमेश्वर के सामने लाया गया है। वे प्रतिदिन पवित्र आत्मा के नवीनतम वचन को खाते और पीते हैं, परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य का अनुभव करते हैं, और पूरी तरह से इसको सत्यापित करते हैं कि यह अंत के दिनों में परमेश्वर का प्रकटन और कार्य है। इसलिए वे विभिन्न संप्रदायों और वर्गों को यह गवाही देना शुरू करते हैं कि प्रभु यीशु देहधारी सर्वशक्तिमान परमेश्वर के रूप में लौट आये हैं और लोगों को परमेश्वर की वाणी यानी सर्वशक्तिमान परमेश्वर की अभिव्यक्ति सुनने आने देते हैं - वचन देह में प्रकट हुआ। यह प्रभु यीशु की इस भविष्यवाणी का साकार होना है: "आधी रात को धूम मची: 'देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो'" (मत्ती 25:6)। "देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा और वह मेरे साथ" (प्रकाशितवाक्य 3:20)। जो परमेश्वर की वाणी को नहीं पहचान पाते, परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की निंदा कर उस पर अपनी राय देते हैं, वे मूर्ख कुंवारियां हैं, जिनकी पोल खोल कर खत्म कर दिया जाता है। ये लोग विपत्ति आने पर दांत भींच कर रोयेंगे।
प्रभु का अभिनंदन करने के मामले में, प्रभु का बादल पर अवतरण देखने के लिये सिर्फ आकाश पर आँखें गड़ाये रखने पर ध्यान देते हुए अगर हम परमेश्वर की वाणी को पूरी तरह अनसुना कर दें और पवित्र आत्मा द्वारा कलीसियाओं को दिए गए व्याख्यान की खोज न करें, बल्कि पादरियों और एल्डर्स की बातों को आँख मूँद कर सुनते रहें, और प्रभु के देह में लौटने की सभी गवाहियों को झूठा करार दे दें, तो क्या हम बाइबल के विरुद्ध नहीं जा रहे? बाइबल में क्या कहा गया है? प्रेरित यूहन्ना ने स्पष्ट रूप से कहा था: "क्योंकि बहुत से ऐसे भरमानेवाले जगत में निकल आए हैं, जो यह नहीं मानते कि यीशु मसीह शरीर में होकर आया; भरमानेवाला और मसीह-विरोधी यही है" (2 यूहन्ना 1:7)। "और जो आत्मा यीशु को नहीं मानती, वह परमेश्वर की ओर से नहीं; और वही तो मसीह के विरोधी की आत्मा है, जिसकी चर्चा तुम सुन चुके हो कि वह आनेवाला है, और अब भी जगत में है" (1 यूहन्ना 4:3)। धार्मिक पादरियों और एल्डर्स द्वारा परमेश्वर के देहधारण से इनकार और उसकी निंदा क्या बाइबल के अनुरूप हैं? वे दावा करते हैं कि प्रभु के देहधारी हो कर लौटने की सारी गवाहियां झूठी हैं। क्या ये बातें कपटपूर्ण नहीं हैं? अगर हम प्रेरित यूहन्ना के वचनों के अनुसार चलें, तो क्या देहधारण को नकारने वाले धार्मिक पादरी और एल्डर्स मसीह-विरोधी नहीं हैं? यदि आप सब पादरियों और एल्डर्स द्वारा फैलायी जा रही कपटपूर्ण बकवास को सुनेंगे, तो क्या आप प्रभु का अभिनंदन कर पायेंगे? क्या आप सब परमेश्वर का प्रकटन देख पायेंगे? क्या आप सब बुद्धिमान कुंवारियों की तरह परमेश्वर के सामने लाये जाएंगे?
परमेश्वर का प्रकटन और कार्य आखिर कैसे ढूंढ़ा जा सकेगा? सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "जो देहधारी परमेश्वर है, उसके पास परमेश्वर का सार होगा और जो देहधारी परमेश्वर है, उसके पास परमेश्वर की अभिव्यक्ति होगी। चूँकि परमेश्वर ने देह धारण किया है, इसलिए वह उस कार्य को सामने लाएगा, जो वह करना चाहता है, और चूँकि परमेश्वर ने देह धारण किया है, इसलिए वह उसे अभिव्यक्त करेगा जो वह है और वह मनुष्य के लिए सत्य को लाने, उसे जीवन प्रदान करने और उसे मार्ग दिखाने में सक्षम होगा। जिस देह में परमेश्वर का सार नहीं है, वह निश्चित रूप से देहधारी परमेश्वर नहीं है; इसमें कोई संदेह नहीं। अगर मनुष्य यह पता करना चाहता है कि क्या यह देहधारी परमेश्वर है, तो इसकी पुष्टि उसे उसके द्वारा अभिव्यक्त स्वभाव और उसके द्वारा बोले गए वचनों से करनी चाहिए। इसे ऐसे कहें, व्यक्ति को इस बात का निश्चय कि यह देहधारी परमेश्वर है या नहीं और कि यह सही मार्ग है या नहीं, उसके सार से करना चाहिए। और इसलिए, यह निर्धारित करने की कुंजी कि यह देहधारी परमेश्वर की देह है या नहीं, उसके बाहरी स्वरूप के बजाय उसके सार (उसका कार्य, उसके कथन, उसका स्वभाव और कई अन्य पहलू) में निहित है। यदि मनुष्य केवल उसके बाहरी स्वरूप की ही जाँच करता है, और परिणामस्वरूप उसके सार की अनदेखी करता है, तो इससे उसके अनाड़ी और अज्ञानी होने का पता चलता है" ("वचन देह में प्रकट होता है" की 'प्रस्तावना')।
"चूँकि हम परमेश्वर के पदचिह्नों की खोज कर रहे हैं, इसलिए हमारा कर्तव्य बनता है कि हम परमेश्वर की इच्छा, उसके वचन और कथनों की खोज करें—क्योंकि जहाँ कहीं भी परमेश्वर द्वारा बोले गए नए वचन हैं, वहाँ परमेश्वर की वाणी है, और जहाँ कहीं भी परमेश्वर के पदचिह्न हैं, वहाँ परमेश्वर के कर्म हैं। जहाँ कहीं भी परमेश्वर की अभिव्यक्ति है, वहाँ परमेश्वर प्रकट होता है, और जहाँ कहीं भी परमेश्वर प्रकट होता है, वहाँ सत्य, मार्ग और जीवन विद्यमान होता है। परमेश्वर के पदचिह्नों की तलाश में तुम लोगों ने इन वचनों की उपेक्षा कर दी है कि 'परमेश्वर सत्य, मार्ग और जीवन है।' और इसलिए, बहुत-से लोग सत्य को प्राप्त करके भी यह नहीं मानते कि उन्हें परमेश्वर के पदचिह्न मिल गए हैं, और वे परमेश्वर के प्रकटन को तो बिलकुल भी स्वीकार नहीं करते। कितनी गंभीर ग़लती है! परमेश्वर के प्रकटन का समाधान मनुष्य की धारणाओं से नहीं किया जा सकता, और परमेश्वर मनुष्य के आदेश पर तो बिलकुल भी प्रकट नहीं हो सकता। परमेश्वर जब अपना कार्य करता है, तो वह अपनी पसंद और अपनी योजनाएँ बनाता है; इसके अलावा, उसके अपने उद्देश्य और अपने तरीके हैं। वह जो भी कार्य करता है, उसके बारे में उसे मनुष्य से चर्चा करने या उसकी सलाह लेने की आवश्यकता नहीं है, और अपने कार्य के बारे में हर-एक व्यक्ति को सूचित करने की आवश्यकता तो उसे बिलकुल भी नहीं है। यह परमेश्वर का स्वभाव है, जिसे हर व्यक्ति को पहचानना चाहिए। यदि तुम लोग परमेश्वर के प्रकटन को देखने और उसके पदचिह्नों का अनुसरण करने की इच्छा रखते हो, तो तुम लोगों को पहले अपनी धारणाओं को त्याग देना चाहिए। तुम लोगों को यह माँग नहीं करनी चाहिए कि परमेश्वर ऐसा करे या वैसा करे, तुम्हें उसे अपनी सीमाओं और अपनी धारणाओं तक सीमित तो बिलकुल भी नहीं करना चाहिए। इसके बजाय, तुम लोगों को यह पूछना चाहिए कि तुम्हें परमेश्वर के पदचिह्नों की तलाश कैसे करनी है, तुम्हें परमेश्वर के प्रकटन को कैसे स्वीकार करना है, और तुम्हें परमेश्वर के नए कार्य के प्रति कैसे समर्पण करना है। मनुष्य को ऐसा ही करना चाहिए। चूँकि मनुष्य सत्य नहीं है, और उसके पास भी सत्य नहीं है, इसलिए उसे खोजना, स्वीकार करना और आज्ञापालन करना चाहिए" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परिशिष्ट 1: परमेश्वर के प्रकटन ने एक नए युग का सूत्रपात किया है)।
"जोखिम भरा है मार्ग स्वर्ग के राज्य का" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश
परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?