इन्होंने कहा कि किताब परमेश्वर का नया वचन है! प्रकाशित वाक्य में स्पष्ट कहा गया है: "मैं हर एक को, जो इस पुस्तक की भविष्यद्वाणी की बातें सुनता है, गवाही देता हूँ: यदि कोई मनुष्य इन बातों में कुछ बढ़ाए तो परमेश्‍वर उन विपत्तियों को, जो इस पुस्तक में लिखी हैं, उस पर बढ़ाएगा" (प्रकाशितवाक्य 22:18)। इनकी बातें बाइबल के अलावा हैं।

10 मार्च, 2021

उत्तर: "आज्ञा में न तो कुछ बढ़ाना, और न कुछ घटाना" जैसे कि धर्मग्रंथों में कहा गया है। आपको लगता है कि हम बाइबल में जोड़ रहे हैं। तो फिर आइए, समस्या की खोजबीन करें। भाइयो और बहनो, यूहन्ना ने कहा था "यदि कोई मनुष्य इन बातों में कुछ बढ़ाए," लेकिन यह नहीं कहा, "यदि कोई मनुष्य बाइबल में कुछ बढ़ाए," इसके अलावा, जब यूहन्ना ने ये वचन कहे थे, तब नया नियम था ही नहीं। नया नियम 300 ईसवी के आसपास तैयार हुआ। प्रकाशित वाक्य 90 ईसवी के बाद तैयार हुआ; यह पतामोस के द्वीप पर यूहन्ना की दृष्टि का दस्तावेज था। साफ़ तौर पर, यूहन्ना के कहे अनुसार यह किताब प्रकाशित वाक्य की किताब से भविष्यवाणियों की इबारत के बारे में है, पूरी बाइबल के बारे में नहीं। इसलिए, "आज्ञा में न तो कुछ बढ़ाना" का मतलब यह नहीं है कि भविष्य में परमेश्वर का नया कार्य और वचन नहीं होंगे। यूहन्ना ने जो देखा वह सिर्फ एक दृष्टि थी और परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की वास्तविकता नहीं थी। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य और वचन प्रकाशित वाक्य की किताब की भविष्यवाणियों के अलावा नहीं हैं, बल्कि प्रकाशित वाक्य की किताब की भविष्यवाणियों का साकार होना हैं। आइए, बाइबल के दो अंशों पर गौर करें। प्रकाशित वाक्य 2:17 में कहा गया है: "जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है। जो जय पाए, उस को मैं गुप्‍त मन्ना में से दूँगा …" धर्मग्रंथों के इस भाग में कहा गया है: "आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है" और "गुप्‍त मन्ना।" ये दरअसल सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों में व्यक्त वचनों के बारे में हैं! साथ ही प्रकाशित वाक्य 5:1-5 भी है। "जो सिंहासन पर बैठा था, मैं ने उसके दाहिने हाथ में एक पुस्तक देखी जो भीतर और बाहर लिखी हुई थी, और वह सात मुहर लगाकर बन्द की गई थी। फिर मैं ने एक बलवन्त स्वर्गदूत को देखा जो ऊँचे शब्द से यह प्रचार करता था, 'इस पुस्तक के खोलने और उसकी मुहरें तोड़ने के योग्य कौन है?' परन्तु न स्वर्ग में, न पृथ्वी पर, न पृथ्वी के नीचे कोई उस पुस्तक को खोलने या उस पर दृष्‍टि डालने के योग्य निकला। तब मैं फूट फूटकर रोने लगा, क्योंकि उस पुस्तक के खोलने या उस पर दृष्‍टि डालने के योग्य कोई न मिला। इस पर उन प्राचीनों में से एक ने मुझ से कहा, 'मत रो; देख, यहूदा के गोत्र का वह सिंह जो दाऊद का मूल है, उस पुस्तक को खोलने और उसकी सातों मुहरें तोड़ने के लिये जयवन्त हुआ है।'" हम सबने सोचा था कि किताब बाइबल का संदर्भ दे रही है, लेकिन धर्मग्रंथ के इस भाग में कहा गया है कि इस किताब पर किसी ने गौर नहीं किया। यह दर्शाता है कि यह किताब बाइबल को लेकर नहीं है। धर्मग्रंथों में कहा गया है: "जो सिंहासन पर बैठा था, मैं ने उसके दाहिने हाथ में एक पुस्तक देखी जो भीतर और बाहर लिखी हुई थी, और वह सात मुहर लगाकर बन्द की गई थी" (प्रकाशितवाक्य 5:1)। इससे पता चलता है कि इस किताब की विषयवस्तु प्रकाशित वाक्य की किताब में दर्ज नहीं की गयी थी। यह आयत हमें बताती है कि सिर्फ अंत के दिनों के मसीह ही इस किताब को खोलने और सात मुहरों को ढीला करने के काबिल हैं।

यूहन्ना ने सातों गर्जन के कथनों के बारे में भी नहीं लिखा था, जिसके बारे में प्रकाशित वाक्य की किताब में लिखा गया है। इससे पता चलता है कि हमें परमेश्वर के अंत के दिनों में आने का इंतजार करना होगा कि वे हमारे सामने इन रहस्यों का खुलासा करें। अगर हम "आज्ञा में न तो कुछ बढ़ाना" का उपयोग परमेश्वर के कार्य और वचन को सीमित करने के लिए करेंगे, तो फिर वह किताब कैसे खुल पायेगी? प्रकाशित वाक्य की किताब की भविष्यवाणियाँ कैसे साकार हो पायेंगी? सर्वशक्तिमान परमेश्वर अब आ चुके हैं, और सात मुहरों और किताब को खोल कर, उन सभी रहस्यों को प्रकट कर दिया है जो लोग युग-युग से समझ नहीं पाये थे। बिल्कुल यही सातों गर्जनाओं के कथनों और पवित्र आत्मा द्वारा कलीसियाओं के लिए बोले गये वचन हैं। यह सच्चा है! तो आइए, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन के एक और अंश को पढ़ें! "जब तुम इस पुस्तक को पूरा पढ़ लोगे, जब तुम राज्य के युग में देहधारी परमेश्वर के कार्य के प्रत्येक चरण का अनुभव कर लोगे, तब तुम महसूस करोगे कि अनेक वर्षों की तुम्हारी आशाएँ अंततः साकार हो गई हैं। तुम महसूस करोगे कि केवल अब तुमने परमेश्वर को वास्तव में आमने-सामने देखा है; केवल अब तुमने परमेश्वर के चेहरे को निहारा है, उसके व्यक्तिगत कथन सुने हैं, उसके कार्य की बुद्धिमत्ता को सराहा है, और वास्तव में महसूस किया है कितना वास्तविक और सर्वशक्तिमान है वह। तुम महसूस करोगे कि तुमने ऐसी बहुत-सी चीजें पाई हैं, जिन्हें अतीत में लोगों ने न कभी देखा था, न ही प्राप्त किया था। इस समय, तुम स्पष्ट रूप से जान लोगे कि परमेश्वर पर विश्वास करना क्या होता है, और परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप होना क्या होता है। निस्संदेह, यदि तुम अतीत के विचारों से चिपके रहते हो, और परमेश्वर के दूसरे देहधारण के तथ्य को अस्वीकार या उससे इनकार करते हो, तो तुम खाली हाथ रहोगे और कुछ नहीं पाओगे, और अंततः परमेश्वर का विरोध करने के दोषी ठहराए जाओगे। वे जो सत्य का पालन करते हैं और परमेश्वर के कार्य के प्रति समर्पण करते हैं, उनका दूसरे देहधारी परमेश्वर—सर्वशक्तिमान—के नाम पर दावा किया जाएगा। वे परमेश्वर का व्यक्तिगत मार्गदर्शन स्वीकार करने में सक्षम होंगे, वे अधिक और उच्चतर सत्य तथा वास्तविक जीवन प्राप्त करेंगे। वे उस दृश्य को निहारेंगे, जिसे अतीत के लोगों द्वारा पहले कभी नहीं देखा गया था : 'तब मैं ने उसे, जो मुझ से बोल रहा था, देखने के लिये अपना मुँह फेरा; और पीछे घूमकर मैं ने सोने की सात दीवटें देखीं, और उन दीवटों के बीच में मनुष्य के पुत्र सदृश एक पुरुष को देखा, जो पाँवों तक का वस्त्र पहिने, और छाती पर सोने का पटुका बाँधे हुए था। उसके सिर और बाल श्‍वेत ऊन वरन् पाले के समान उज्ज्वल थे, और उसकी आँखें आग की ज्वाला के समान थीं। उसके पाँव उत्तम पीतल के समान थे जो मानो भट्ठी में तपाया गया हो, और उसका शब्द बहुत जल के शब्द के समान था। वह अपने दाहिने हाथ में सात तारे लिये हुए था, और उसके मुख से तेज दोधारी तलवार निकलती थी। उसका मुँह ऐसा प्रज्‍वलित था, जैसा सूर्य कड़ी धूप के समय चमकता है' (प्रकाशितवाक्य 1:12-16)। यह दृश्य परमेश्वर के संपूर्ण स्वभाव की अभिव्यक्ति है, और उसके संपूर्ण स्वभाव की यह अभिव्यक्ति वर्तमान देहधारण में परमेश्वर के कार्य की अभिव्यक्ति भी है। ताड़ना और न्याय की बौछारों में मनुष्य का पुत्र कथनों के माध्यम से अपने अंर्तनिहित स्वभाव को अभिव्यक्त करता है, और उन सबको जो उसकी ताड़ना और न्याय स्वीकार करते हैं, मनुष्य के पुत्र के वास्तविक चेहरे को निहारने की अनुमति देता है, जो यूहन्ना द्वारा देखे गए मनुष्य के पुत्र के चेहरे का ईमानदार चित्रण है" ("वचन देह में प्रकट होता है" की 'प्रस्तावना')

"बाइबल के बारे में रहस्य का खुलासा" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश

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पौलुस ने 2 तिमुथियस में यह बात बिलकुल साफ़ कर दी है कि "सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्‍वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश" (तीमुथियुस 3:16)। इसका मतलब है कि बाइबल का प्रत्येक वचन परमेश्वर का वचन है, और यह कि बाइबल प्रभु का प्रतिनिधित्व करती है। प्रभु में विश्वास करना बाइबल में विश्वास करना है। बाइबल में विश्वास करना प्रभु में विश्वास करना है। बाइबल से दूर जाने का मतलब है प्रभु में विश्वास नहीं करना! प्रभु में हमारा विश्वास केवल हमसे बाइबल पर अवलंबित रहने की मांग करता है। भले ही हम अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य को स्वीकार नहीं करते हैं, हमें तब भी मुक्ति मिलेगी और हम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करेंगे! क्या इस समझ में कुछ गलत है?

उत्तर: धार्मिक जगत का ज्यादातर हिस्सा पौलुस के इन शब्दों पर भरोसा करता है कि "सारा धर्मशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से दिया गया है" जिससे यह...

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