2 तीमुथियुस 3:16 में पौलुस ने कहा था: "सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्‍वर की प्रेरणा से रचा गया है …" यह दर्शाता है कि बाइबल की हर चीज़ परमेश्वर का वचन है। लेकिन ऐसे लोग भी हैं जो कहते हैं कि बाइबल की हर चीज़ परमेश्वर का वचन नहीं है। क्या यह बाइबल को नकारना और लोगों को धोखा देना नहीं है?

13 मार्च, 2021

उत्तर: "सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है" वाले नज़रिये के लिए, हमें उस संदर्भ को समझना होगा जिसमें पौलुस ने ये वचन कहे थे। उस समय जब पौलुस ने तीमुथियुस की कलीसिया को पत्र लिखे थे तब सिर्फ पुराना नियम ही था। तब तक नया नियम तैयार नहीं हुआ था, और दर्जनों धर्मपत्र फैले हुए थे जिन्हें अलग-अलग कलीसियाओं ने संभाल रखा था। इससे पता चलता है कि पौलुस के ये वचन पुराने नियम को लेकर कहे गये थे। इसराइली सिर्फ पुराने नियम को ही बाइबल मानते हैं। नया नियम 300 ईसवी तक तैयार नहीं हुआ था। उस समय के कलीसिया अगुवाओं ने एक सभा की क्योंकि उन्हें लगा कि अंत के दिन करीब हैं, और यह कि प्रभु यीशु के वचनों और प्रेरितों के धर्मपत्रों को एक साथ एक किताब के रूप में लाना चाहिए, और पुराने नियम की तरह तमाम कलीसियाओं में बांटना चाहिए। इसलिए, उन्होंने यीशु के प्रेरितों और अनुयायियों द्वारा लिखे गये धर्मपत्रों का संकलन किया, और शोध और पुष्टि करने के बाद, 27 पुस्तकों को चुना जिनसे नया नियम बना, जिसे बाद में पुराने नियम के साथ जोड़ कर पूरी बाइबल तैयार की गयी। पुराने और नये नियम इस तरह तैयार हुए थे। इससे आगे, बाइबल की संरचना को लेकर हमें यह भी समझना होगा कि इसे किसने लिखा और किसने दर्ज किया। बाइबल के कई दर्जन लेखक हैं, लेकिन किसी ने भी नहीं कहा कि उनके द्वारा लिखे गये धर्मपत्र परमेश्वर से प्रेरित हैं। अगर परमेश्वर ने कहा होता कि सभी धर्मग्रंथ परमेश्वर की प्रेरणा से रचे गए हैं, तो परमेश्वर ने यह नबियों की मार्फ़त कहा होता, लेकिन नबियों की किताबों में ऐसे वचन नहीं हैं। प्रभु यीशु ने भी ऐसे वचन कभी नहीं कहे। प्रेरितों ने भी कभी यह नहीं कहा कि उनके द्वारा लिखे गये सभी धर्मपत्र और उनकी गवाहियां परमेश्वर से प्रेरित थीं, और यही नहीं, उन्होंने ये कहने की भी हिम्मत नहीं की कि ये परमेश्वर के वचन हैं। यह तथ्य है! लेकिन बाद में, परमेश्वर के सभी विश्वासी सोचते हैं कि परमेश्वर ने जो सब कहा वह बाइबल में है, और भले ही नये और पुराने नियम मनुष्य द्वारा लिखे गये हों, वे दोनों ही परमेश्वर की प्रेरणा से रचे गये थे। लेकिन क्या हमने कभी यह सोचा है कि यह तथ्यों के मुताबिक है या नहीं?

बाइबल परमेश्वर की प्रेरणा से रची गयी थी, और बाइबल की हर चीज़ परमेश्वर का वचन है। यह एक ऐसा तथ्य है, जिसे खुले तौर पर ईसाई धर्म में मान लिया गया है। यह सिर्फ मनुष्यों का विचार है। मनुष्य के विचार परमेश्वर की नुमाइंदगी नहीं कर सकते! बाइबल की अंदरूनी कहानी के बारे में सिर्फ परमेश्वर ही सबसे ज़्यादा स्पष्ट हैं। आइए देखें कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर क्या कहते हैं! सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "वास्तव में, भविष्यवाणियों की पुस्तकों को छोड़कर, पुराने नियम का अधिकांश भाग ऐतिहासिक अभिलेख है। नए नियम के कुछ धर्मपत्र लोगों के व्यक्तिगत अनुभवों से आए हैं, और कुछ पवित्र आत्मा की प्रबुद्धता से आए हैं; उदाहरण के लिए, पौलुस के धर्मपत्र एक मनुष्य के कार्य से उत्पन्न हुए थे, वे सभी पवित्र आत्मा की प्रबुद्धता के परिणाम थे, और वे कलीसियाओं के लिए लिखे गए थे, और वे कलीसियाओं के भाइयों एवं बहनों के लिए प्रेरणा और प्रोत्साहन के वचन थे। वे पवित्र आत्मा द्वारा बोले गए वचन नहीं थे—पौलुस पवित्र आत्मा की ओर से नहीं बोल सकता था, और न ही वह कोई नबी था, और उसने उन दर्शनों को तो बिलकुल नहीं देखा था जिन्हें यूहन्ना ने देखा था। उसके धर्मपत्र इफिसुस, फिलेदिलफिया और गलातिया की कलीसियाओं, और अन्य कलीसियाओं के लिए लिखे गए थे" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, बाइबल के विषय में (3))। "बाइबल में हर चीज़ परमेश्वर के द्वारा व्यक्तिगत रूप से बोले गए वचनों का अभिलेख नहीं है। बाइबल बस परमेश्वर के कार्य के पिछले दो चरण दर्ज करती है, जिनमें से एक भाग नबियों की भविष्यवाणियों का अभिलेख है, और दूसरा भाग युगों-युगों में परमेश्वर द्वारा इस्तेमाल किए गए लोगों द्वारा लिखे गए अनुभवों और ज्ञान का अभिलेख है। मनुष्य के अनुभव उसके मतों और ज्ञान से दूषित होते हैं, और यह एक अपरिहार्य चीज़ है। बाइबल की कई पुस्तकों में मनुष्य की धारणाएँ, पूर्वाग्रह और बेतुकी समझ शामिल हैं। बेशक, अधिकतर वचन पवित्र आत्मा की प्रबुद्धता और रोशनी का परिणाम हैं और वे सही समझ हैं—फिर भी अभी यह नहीं कहा जा सकता कि वे पूरी तरह से सत्य की सटीक अभिव्यक्ति हैं। कुछ चीज़ों पर उनके विचार व्यक्तिगत अनुभव से प्राप्त ज्ञान या पवित्र आत्मा की प्रबुद्धता से बढ़कर कुछ नहीं हैं। नबियों के पूर्वकथन परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से निर्देशित किए गए थे : यशायाह, दानिय्येल, एज्रा, यिर्मयाह और यहेजकेल जैसों की भविष्यवाणियाँ पवित्र आत्मा के सीधे निर्देशन से आई थीं; ये लोग द्रष्टा थे, उन्होंने भविष्यवाणी के आत्मा को प्राप्त किया था, और वे सभी पुराने नियम के नबी थे। व्यवस्था के युग के दौरान यहोवा की अभिप्रेरणाओं को प्राप्त करने वाले लोगों ने अनेक भविष्यवाणियाँ की थीं, जिन्हें सीधे यहोवा के द्वारा निर्देशित किया गया था" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, बाइबल के विषय में (3))। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन ने इसे साफ़ तौर पर समझाया है। बाइबल परमेश्वर द्वारा खुद बोले गये सभी वचनों का दस्तावेज़ नहीं है बल्कि इसमें सिर्फ परमेश्वर के कार्य को दर्ज किया गया है। बाइबल में, सिर्फ यहोवा परमेश्वर और प्रभु यीशु के वचन और परमेश्वर द्वारा प्रेरित नबियों के बोले हुए वचन ही वास्तव में परमेश्वर के वचन हैं। बाकी सब-कुछ ऐतिहासिक आलेख और मनुष्य के अनुभव और ज्ञान हैं। इसलिए, यह कहना, कि "सम्पूर्ण पवित्र शास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है" ऐतिहासिक तथ्य के मुताबिक़ नहीं है!

"बाइबल के बारे में रहस्य का खुलासा" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश

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मैंने सुना कि आप लोगों ने इस बात का प्रमाण दिया है कि देहधारी सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने लाखों वचन कहे हैं और परमेश्वर के घर से शुरू करते हुए अपना न्याय का कार्य पूरा किया है। लेकिन यह साफ़ तौर पर बाइबल से आगे निकल जाता है। इसका कारण यह है कि पादरी और नेतागण अक्सर हमसे कहा करते थे कि परमेश्वर के सभी वचन और कार्य बाइबल में दर्ज हैं। परमेश्वर का कोई भी वचन और कार्य बाइबल से बाहर नहीं है। प्रभु यीशु का उद्धार कार्य पहले ही पूरा हो चुका है। अंत में दिनों में प्रभु की वापसी विश्वासियों को सीधे स्वर्ग के राज्य में ले जाने के लिए होगी। इस प्रकार, हमेशा से हमारा यह मानना रहा है प्रभु में विश्वास बाइबल के आधार पर होना चाहिए। जब तक हम बाइबल की बातों पर कायम रहते हैं, हम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने और शाश्‍वत जीवन पाने में सफल होंगे। बाइबल से दूर जाना प्रभु के रास्ते को छोड़ देना है। यह उनका विरोध करना और उनको धोखा देना है। सभी धार्मिक पादरी और एल्डर्स ऐसा ही सोचते हैं। इसमें गलत क्या हो सकता है?

उत्तर: धर्म में, वे सभी लोग जो प्रभु पर विश्वास करते हैं, उनका मानना है कि परमेश्वर के सभी वचन और कार्य बाइबल में निहित हैं। बाइबल में...

आप गवाही देते हैं कि प्रभु यीशु लौट आया है, कि वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर हैं, और यह कि परमेश्वर के घर से शुरू होने वाले न्याय के कार्य को करने के लिए वह सत्य को व्यक्त कर रहा है। फिर भी पादरियों और एल्डर्स का कहना है कि परमेश्वर के सभी वचन और कार्य बाइबल में दर्ज हैं, और यह कि ऐसा कुछ भी नहीं है जो बाइबल की सच्चाईयों में शामिल न किया गया हो। वे कहते हैं कि बाइबल के बाहर परमेश्वर का कोई भी वचन और कार्य नहीं हो सकता, और बाइबल के बाहर जो कुछ है, वह विधर्म है। हमें इस मुद्दे के साथ कैसे पेश आना चाहिए चाहिए?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद: "और भी बहुत से काम हैं, जो यीशु ने किए; यदि वे एक एक करके लिखे जाते, तो मैं समझता हूँ कि पुस्तकें जो लिखी जातीं...

बाइबल प्रभु के प्रति गवाही है, और यह हमारी आस्था का आधार भी है। दो हज़ार वर्षों से, जिन लोगों ने भी प्रभु में विश्वास किया है, उन्होंने बाइबल के अनुसार ऐसा किया है। इसलिए हम मानते हैं कि बाइबल प्रभु का प्रतिनिधित्व करती है, कि प्रभु पर विश्वास करना बाइबल में विश्वास करना है, और बाइबल में विश्वास करना प्रभु में विश्वास करना है। हम कभी भी बाइबल से हट नहीं सकते। अगर हम बाइबल से हट जाते तो हम प्रभु पर विश्वास कैसे कर सकते थे? क्या आप कह रहे हैं कि हमारे समझने में कोई भूल है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद: "तुम पवित्रशास्त्र में ढूँढ़ते हो, क्योंकि समझते हो कि उसमें अनन्त जीवन तुम्हें मिलता है; और यह वही है जो मेरी...

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