प्रभु यीशु ने खुद कहा था कि बाइबल उनकी गवाही है। इसीलिए प्रभु में हमारी आस्था की बुनियाद बाइबल ही होनी चाहिए। प्रभु को जानने का हमारा एकमात्र मार्ग बाइबल ही है।

13 मार्च, 2021

उत्तर: तो फिर आइए देखें कि बाइबल की बुनियाद पर क्या कोई प्रभु को सही ढंग से जान सकता है। इस सवाल का जवाब सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन में पाया जा सकता है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "सभी यहूदी पुराने नियम पढ़ते थे और यशायाह की भविष्यवाणी को जानते थे कि चरणी में एक नर शिशु जन्म लेगा। तो फिर इस भविष्यवाणी को भलीभाँति जानते हुए भी उन्होंने यीशु को क्यों सताया? क्या ऐसा उनकी विद्रोही प्रकृति और पवित्र आत्मा के कार्य के प्रति अज्ञानता के कारण नहीं हुआ? उस समय, फरीसियों को विश्वास था कि यीशु का कार्य उस भविष्यवाणी से भिन्न था जो वे नर शिशु के बारे में जानते थे; और आज लोग परमेश्वर को इसलिए अस्वीकार करते हैं क्योंकि देहधारी परमेश्वर का कार्य बाइबल के अनुरूप नहीं है। क्या परमेश्वर के विरुद्ध उनके विद्रोहीपन का सार समान नहीं है? ... तुम्हें बाइबल में और अधिक प्रमाण की तलाश नहीं करनी चाहिए; अगर यह पवित्र आत्मा का कार्य है, तो तुम्हें उसे स्वीकार कर लेना चाहिये, क्योंकि तुम परमेश्वर का अनुसरण करने के लिए परमेश्वर पर विश्वास करते हो, तुम्हें उसकी जाँच-पड़ताल नहीं करनी चाहिए। यह दिखाने के लिए कि मैं तुम्हारा परमेश्वर हूँ, तुम्हें मुझसे और सबूत नहीं माँगने चाहिए, बल्कि तुम्हें यह विचार करने में सक्षम होना चाहिए कि क्या मैं तुम्हारे लिए लाभदायक हूँ, यही सबसे महत्वपूर्ण बात है। भले ही तुम्हें बाइबल में बहुत सारे अखंडनीय सबूत प्राप्त हो जाएँ, फिर भी ये तुम्हें पूरी तरह से मेरे सामने नहीं ला सकते। तुम केवल बाइबल के दायरे में ही रहते हो, न कि मेरे सामने; बाइबल मुझे जानने में तुम्हारी सहायता नहीं कर सकती है, न ही यह मेरे लिए तुम्हारे प्रेम को गहरा कर सकती है। यद्यपि बाइबल में भविष्यवाणी की गई थी कि एक नर शिशु जन्म लेगा, मगर कोई इसकी थाह नहीं पा सका कि किस पर यह भविष्यवाणी खरी उतरेगी, क्योंकि मनुष्य को परमेश्वर का कार्य नहीं पता था, और यही कारण था कि फरीसी यीशु के विरोध में खड़े हो गए" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, वो मनुष्य, जिसने परमेश्वर को अपनी ही धारणाओं में सीमित कर दिया है, किस प्रकार उसके प्रकटनों को प्राप्त कर सकता है?)। व्यवस्था के युग में लोग धर्मग्रंथों को पकड़े हुए थे, और उन्होंने परमेश्वर के नये कार्य की न तो खोज की और न ही उसकी जांच-पड़ताल की। आखिर में, उन लोगों ने प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ा दिया। इस सच्चाई से हम समझ सकते हैं कि सिर्फ बाइबल की बुनियाद पर हम परमेश्वर को या उनके कार्य को नहीं जान सकते। हम सभी जानते हैं कि उन दिनों, प्रभु यीशु का अनुसरण करनेवाले लोग प्रभु यीशु के वास्तविक कार्य और वचनों और पवित्र आत्मा की प्रबुद्धता और मार्गदर्शन की बुनियाद पर परमेश्वर को जानना चाहते थे। एक भी इंसान बाइबल की बुनियाद पर परमेश्वर को नहीं जान पाया। यह सच है। भाइयो और बहनो, हम भी सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को मापने के पैमाने के रूप में, सिर्फ बाइबल का उपयोग नहीं कर सकते। बाइबल को सिर्फ एक संदर्भ के रूप में लिया जा सकता है। अहम बात यह पक्का करना है कि यह सत्य और पवित्र आत्मा के कार्य पर आधारित है या नहीं। सिर्फ तभी सही फैसला लिया जा सकता है।

सर्वशक्तिमान परमेश्वर अपने वचन के जरिये हमसे पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं। "आज, हर कोई बाइबल में अंत के दिनों के कार्य की भविष्यवाणियाँ ढूँढ़ना चाहता है, वह यह खोजना चाहता है कि अंत के दिनों के दौरान परमेश्वर क्या कार्य करता है, और अंत के दिनों के क्या लक्षण हैं। इस तरह से, बाइबल की उनकी आराधना और अधिक उत्कट हो जाती है, और जितनी ज़्यादा वह अंत के दिनों के नज़दीक आती है, उतना ही ज़्यादा अंधविश्वास वे बाइबल की भविष्यवाणियों पर करने लगते हैं, विशेषकर उन पर, जो अंत के दिनों के बारे में हैं। बाइबल पर ऐसे अंधे विश्वास के साथ, बाइबल पर ऐसे भरोसे के साथ, उनमें पवित्र आत्मा के कार्य को खोजने की कोई इच्छा नहीं होती। अपनी धारणाओं के अनुसार, लोग सोचते हैं कि केवल बाइबल ही पवित्र आत्मा के कार्य को ला सकती है; केवल बाइबल में ही वे परमेश्वर के पदचिह्न खोज सकते हैं; केवल बाइबल में ही परमेश्वर के कार्य के रहस्य छिपे हुए हैं; केवल बाइबल—न कि अन्य पुस्तकें या लोग—परमेश्वर की हर चीज़ और उसके कार्य की संपूर्णता को स्पष्ट कर सकती है; बाइबल स्वर्ग के कार्य को पृथ्वी पर ला सकती है; और बाइबल युगों का आरंभ और अंत दोनों कर सकती है। इन धारणाओं के कारण लोगों का पवित्र आत्मा के कार्य को खोजने की ओर कोई झुकाव नहीं होता। अतः अतीत में बाइबल लोगों के लिए चाहे जितनी मददगार रही हो, वह परमेश्वर के नवीनतम कार्य के लिए एक बाधा बन गई है। बाइबल के बिना ही लोग अन्यत्र परमेश्वर के पदचिह्न खोज सकते हैं, किंतु आज उसके कदम बाइबल द्वारा रोक लिए गए हैं, और उसके नवीनतम कार्य को बढ़ाना दोगुना कठिन और एक दु:साध्य संघर्ष बन गया है। यह सब बाइबल के प्रसिद्ध अध्यायों एवं उक्तियों, और साथ ही बाइबल की विभिन्न भविष्यवाणियों की वजह से है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, बाइबल के विषय में (1))। "चूँकि हम परमेश्वर के पदचिह्नों की खोज कर रहे हैं, इसलिए हमारा कर्तव्य बनता है कि हम परमेश्वर की इच्छा, उसके वचन और कथनों की खोज करें—क्योंकि जहाँ कहीं भी परमेश्वर द्वारा बोले गए नए वचन हैं, वहाँ परमेश्वर की वाणी है, और जहाँ कहीं भी परमेश्वर के पदचिह्न हैं, वहाँ परमेश्वर के कर्म हैं। जहाँ कहीं भी परमेश्वर की अभिव्यक्ति है, वहाँ परमेश्वर प्रकट होता है, और जहाँ कहीं भी परमेश्वर प्रकट होता है, वहाँ सत्य, मार्ग और जीवन विद्यमान होता है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परिशिष्ट 1: परमेश्वर के प्रकटन ने एक नए युग का सूत्रपात किया है)। सर्वशक्तिमान परमेश्वर अपने वचन के जरिये हमसे पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि हमें परमेश्वर में विश्वास करते वक्त जिद्दी होकर बाइबल को नहीं पकड़े रखना चाहिए और पवित्र आत्मा के कार्य की निशानियों के साथ कदम मिलाकर चलना चाहिए और उनके नये कार्य और वचनों में परमेश्वर के कदमों की निशानियाँ खोजनी चाहिए। यह पक्का करने के लिए कि यह परमेश्वर का कार्य और सच्चा मार्ग है या नहीं, हमें देखना होगा कि इसमें पवित्र आत्मा का कार्य है या नहीं, इसमें सत्य व्यक्त हुआ है या नहीं, और क्या यह लोगों को जीवन का पोषण दे सकता है। अगर जो व्यक्त हुआ है वह सत्य और जीवन है, तो यह बेशक परमेश्वर का कार्य है, और पवित्र आत्मा ने उसकी पुष्टि की होगी। अगर हम परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को जानना चाहते हैं, तो हमें परमेश्वर के वचनों और कथनों के भीतर खोज और जांच-पड़ताल करनी होगी, कि क्या ये परमेश्वर की अभिव्यक्ति हैं, क्या ये नये युग में लोगों को आगे की दिशा दिखा सकते हैं, क्या उनमें सत्य है, क्या वे लोगों को जीवन का पोषण दे सकते हैं, और क्या वे लोगों के भ्रष्ट स्वभाव को उनके शुद्धिकरण पाने के लिए बदल सकते हैं। सिर्फ यही वह मानक है, जिससे सच्चे मार्ग को जांचा जा सकता है! भाइयो और बहनो, हमें परमेश्वर के नये युग के कथनों और वचनों पर गौर करना चाहिए!

"बाइबल के बारे में रहस्य का खुलासा" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

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मैंने सुना कि आप लोगों ने इस बात का प्रमाण दिया है कि देहधारी सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने लाखों वचन कहे हैं और परमेश्वर के घर से शुरू करते हुए अपना न्याय का कार्य पूरा किया है। लेकिन यह साफ़ तौर पर बाइबल से आगे निकल जाता है। इसका कारण यह है कि पादरी और नेतागण अक्सर हमसे कहा करते थे कि परमेश्वर के सभी वचन और कार्य बाइबल में दर्ज हैं। परमेश्वर का कोई भी वचन और कार्य बाइबल से बाहर नहीं है। प्रभु यीशु का उद्धार कार्य पहले ही पूरा हो चुका है। अंत में दिनों में प्रभु की वापसी विश्वासियों को सीधे स्वर्ग के राज्य में ले जाने के लिए होगी। इस प्रकार, हमेशा से हमारा यह मानना रहा है प्रभु में विश्वास बाइबल के आधार पर होना चाहिए। जब तक हम बाइबल की बातों पर कायम रहते हैं, हम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने और शाश्‍वत जीवन पाने में सफल होंगे। बाइबल से दूर जाना प्रभु के रास्ते को छोड़ देना है। यह उनका विरोध करना और उनको धोखा देना है। सभी धार्मिक पादरी और एल्डर्स ऐसा ही सोचते हैं। इसमें गलत क्या हो सकता है?

उत्तर: धर्म में, वे सभी लोग जो प्रभु पर विश्वास करते हैं, उनका मानना है कि परमेश्वर के सभी वचन और कार्य बाइबल में निहित हैं। बाइबल में...

हम सोचते हैं परमेश्वर के सभी वचन और कार्य बाइबल में दर्ज हैं। बाइबल से अलग परमेश्वर के कोई वचन और कार्य नहीं हैं। इसलिए, परमेश्वर पर हमारा विश्वास बाइबल पर आधारित होना चाहिए। क्या ये गलत है?

उत्तर: धार्मिक समूह में कई विश्वासियों का मानना है कि: "परमेश्वर के सभी वचन और कार्य बाइबल में दर्ज हैं। बाइबल से अलग परमेश्वर के कोई वचन...

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