2. जब से CCP सत्ता में आई है, यह धार्मिक विश्वास के उत्पीड़न में अनवरत रही है। इसके द्वारा सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का दमन, विशेष रूप से गंभीर हो गया है। CCP ने न केवल टेलीविज़न, रेडियो, समाचार पत्रों, इंटरनेट और अन्य माध्यमों का उपयोग बदनामी करने, झूठे आरोप लगाने और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की अपकीर्ति करने के लिए किया है, बल्कि इसके सदस्यों की व्यापक गिरफ़्तारी की है, जिसके परिणामस्वरूप कई ईसाइयों को जेल में डाला गया है और उन्हें क्रूर यातना दी गई है, और यहाँ तक कि उन्हें मृत्यु पर्यंत उत्पीड़ित किया गया है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया पर CCP का अत्याचार इतना गंभीर क्यों है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद :

"सारा संसार उस दुष्ट के वश में पड़ा है" (1 यूहन्ना 5:19)

"इस युग के लोग बुरे हैं" (लूका 11:29)

"तब वह बड़ा अजगर, अर्थात् वही पुराना साँप जो इब्लीस और शैतान कहलाता है और सारे संसार का भरमानेवाला है" (प्रकाशितवाक्य 12:9)

"और दण्ड की आज्ञा का कारण यह है कि ज्योति जगत में आई है, और मनुष्यों ने अन्धकार को ज्योति से अधिक प्रिय जाना क्योंकि उनके काम बुरे थे। क्योंकि जो कोई बुराई करता है, वह ज्योति से बैर रखता है, और ज्योति के निकट नहीं आता, ऐसा न हो कि उसके कामों पर दोष लगाया जाए" (यूहन्ना 3:19-20)

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन :

ऊपर से नीचे तक और शुरू से अंत तक शैतान परमेश्वर के कार्य को बाधित करता रहा है और उसके विरोध में काम करता रहा है। "प्राचीन सांस्कृतिक विरासत", मूल्यवान "प्राचीन संस्कृति के ज्ञान", "ताओवाद और कन्फ्यूशीवाद की शिक्षाओं" और "कन्फ्यूशियन क्लासिक्स और सामंती संस्कारों" की इस सारी चर्चा ने मनुष्य को नरक में पहुँचा दिया है। उन्नत आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ-साथ अत्यधिक विकसित उद्योग, कृषि और व्यवसाय कहीं नज़र नहीं आते। इसके बजाय, यह सिर्फ़ प्राचीन काल के "वानरों" द्वारा प्रचारित सामंती संस्कारों पर जोर देता है, ताकि परमेश्वर के कार्य को जानबूझकर बाधित कर सके, उसका विरोध कर सके और उसे नष्ट कर सके। न केवल इसने आज तक मनुष्य को सताना जारी रखा है, बल्कि वह उसे पूरे का पूरा निगल[1] भी जाना चाहता है। सामंतवाद की नैतिक और आचार-विचार विषयक शिक्षाओं के प्रसारण और प्राचीन संस्कृति के ज्ञान की विरासत ने लंबे समय से मनुष्य को संक्रमित किया है और उन्हें छोटे-बड़े शैतानों में बदल दिया है। कुछ ही लोग हैं, जो ख़ुशी से परमेश्वर को स्वीकार करते हैं, और कुछ ही लोग हैं, जो उसके आगमन का उल्लासपूर्वक स्वागत करते हैं। समस्त मानवजाति का चेहरा हत्या के इरादे से भर गया है, और हर जगह हत्यारी साँस हवा में व्याप्त है। वे परमेश्वर को इस भूमि से निष्कासित करना चाहते हैं; हाथों में चाकू और तलवारें लिए वे परमेश्वर का "विनाश" करने के लिए खुद को युद्ध के विन्यास में व्यवस्थित करते हैं। शैतान की इस सारी भूमि पर, जहाँ मनुष्य को लगातार सिखाया जाता है कि कहीं कोई परमेश्वर नहीं है, मूर्तियाँ फैली हुई हैं, और ऊपर हवा जलते हुए कागज और धूप की वमनकारी गंध से तर है, इतनी घनी कि दम घुटता है। यह उस कीचड़ की बदबू की तरह है, जो जहरीले सर्प के कुलबुलाते समय ऊपर उठती है, जिससे व्यक्ति उलटी किए बिना नहीं रह सकता। इसके अलावा, वहाँ अस्पष्ट रूप से दुष्ट दानवों के मंत्रोच्चार की ध्वनि सुनी जा सकती है, जो दूर नरक से आती हुई प्रतीत होती है, जिसे सुनकर आदमी काँपे बिना नहीं रह सकता। इस देश में हर जगह इंद्रधनुष के सभी रंगों वाली मूर्तियाँ रखी हैं, जिन्होंने इस देश को कामुक आनंद की दुनिया में बदल दिया है, और शैतानों का राजा दुष्टतापूर्वक हँसता रहता है, मानो उसका नीचतापूर्ण षड्यंत्र सफल हो गया हो। इस बीच, मनुष्य पूरी तरह से बेखबर रहता है, और उसे यह भी पता नहीं कि शैतान ने उसे पहले ही इस हद तक भ्रष्ट कर दिया है कि वह बेसुध हो गया है और उसने हार में अपना सिर लटका दिया है। शैतान चाहता है कि एक ही झपट्टे में परमेश्वर से संबंधित सब-कुछ साफ़ कर दे, और एक बार फिर उसे अपवित्र कर उसका हनन कर दे; वह उसके कार्य को टुकड़े-टुकड़े करने और उसे बाधित करने का इरादा रखता है। वह कैसे परमेश्वर को समान दर्जा दे सकता है? कैसे वह पृथ्वी पर मनुष्यों के बीच अपने काम में परमेश्वर का "हस्तक्षेप" बरदाश्त कर सकता है? कैसे वह परमेश्वर को उसके घिनौने चेहरे को उजागर करने दे सकता है? शैतान कैसे परमेश्वर को अपने काम को अव्यवस्थित करने की अनुमति दे सकता है? क्रोध के साथ भभकता यह शैतान कैसे परमेश्वर को पृथ्वी पर अपने शाही दरबार पर नियंत्रण करने दे सकता है? कैसे वह स्वेच्छा से परमेश्वर के श्रेष्ठतर सामर्थ्य के आगे झुक सकता है? इसके कुत्सित चेहरे की असलियत उजागर की जा चुकी है, इसलिए किसी को पता नहीं है कि वह हँसे या रोए, और यह बताना वास्तव में कठिन है। क्या यही इसका सार नहीं है? अपनी कुरूप आत्मा के बावजूद वह यह मानता है कि वह अविश्वसनीय रूप से सुंदर है। यह सहअपराधियों का गिरोह![2] वे भोग में लिप्त होने के लिए मनुष्यों के देश में उतरते हैं और हंगामा करते हैं, और चीज़ों में इतनी हलचल पैदा कर देते हैं कि दुनिया एक चंचल और अस्थिर जगह बन जाती है और मनुष्य का दिल घबराहट और बेचैनी से भर जाता है, और उन्होंने मनुष्य के साथ इतना खिलवाड़ किया है कि उसका रूप उस क्षेत्र के एक अमानवीय जानवर जैसा अत्यंत कुरूप हो गया है, जिससे मूल पवित्र मनुष्य का आखिरी निशान भी खो गया है। इतना ही नहीं, वे धरती पर संप्रभु सत्ता ग्रहण करना चाहते हैं। वे परमेश्वर के कार्य को इतना बाधित करते हैं कि वह मुश्किल से बहुत धीरे आगे बढ़ पाता है, और वे मनुष्य को इतना कसकर बंद कर देते हैं, जैसे कि तांबे और इस्पात की दीवारें हों। इतने सारे गंभीर पाप करने और इतनी आपदाओं का कारण बनने के बाद भी क्या वे ताड़ना के अलावा किसी अन्य चीज़ की उम्मीद कर रहे हैं? राक्षस और बुरी आत्माएँ काफी समय से पृथ्वी पर अंधाधुंध विचरण कर रही हैं, और उन्होंने परमेश्वर की इच्छा और कष्टसाध्य प्रयास दोनों को इतना कसकर बंद कर दिया है कि वे अभेद्य बन गए हैं। सचमुच, यह एक घातक पाप है! ऐसा कैसे हो सकता है कि परमेश्वर चिंतित महसूस न करे? परमेश्वर कैसे क्रोधित महसूस न करे? उन्होंने परमेश्वर के कार्य में गंभीर बाधा पहुँचाई है और उसका घोर विरोध किया है : कितने विद्रोही हैं वे!

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, कार्य और प्रवेश (7)

हज़ारों सालों से यह भूमि मलिन रही है। यह गंदी और दुःखों से भरी हुई है, चालें चलते और धोखा देते हुए, निराधार आरोप लगाते हुए,[3] क्रूर और दुष्ट बनकर इस भुतहा शहर को कुचलते हुए और लाशों से पाटते हुए प्रेत यहाँ हर जगह बेकाबू दौड़ते हैं; सड़ांध ज़मीन पर छाकर हवा में व्याप्त हो गई है, और इस पर ज़बर्दस्त पहरेदारी[4] है। आसमान से परे की दुनिया कौन देख सकता है? शैतान मनुष्य के पूरे शरीर को कसकर बांध देता है, उसकी दोनों आंखें बाहर निकालकर उसके होंठ मज़बूती से बंद कर देता है। शैतानों के राजा ने हज़ारों वर्षों तक उपद्रव किया है, और आज भी वह उपद्रव कर रहा है और इस भुतहा शहर पर बारीक नज़र रखे हुए है, मानो यह राक्षसों का एक अभेद्य महल हो; इस बीच रक्षक कुत्ते चमकती हुई आंखों से घूरते हैं, वे इस बात से अत्यंत भयभीत रहते हैं कि कहीं परमेश्वर अचानक उन्हें पकड़कर समाप्त न कर दे, उन्हें सुख-शांति के स्थान से वंचित न कर दे। ऐसे भुतहा शहर के लोग परमेश्वर को कैसे देख सके होंगे? क्या उन्होंने कभी परमेश्वर की प्रियता और मनोहरता का आनंद लिया है? उन्हें मानव-जगत के मामलों की क्या कद्र है? उनमें से कौन परमेश्वर की उत्कट इच्छा को समझ सकता है? फिर, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं कि देहधारी परमेश्वर पूरी तरह से छिपा रहता है : इस तरह के अंधकारपूर्ण समाज में, जहां राक्षस बेरहम और अमानवीय हैं, पलक झपकते ही लोगों को मार डालने वाला शैतानों का सरदार, ऐसे मनोहर, दयालु और पवित्र परमेश्वर के अस्तित्व को कैसे सहन कर सकता है? वह परमेश्वर के आगमन की सराहना और जयजयकार कैसे कर सकता है? ये अनुचर! ये दया के बदले घृणा देते हैं, ये लंबे समय से परमेश्वर का तिरस्कार करते रहे हैं, ये परमेश्वर को अपशब्द बोलते हैं, ये बेहद बर्बर हैं, इनमें परमेश्वर के प्रति थोड़ा-सा भी सम्मान नहीं है, ये लूटते और डाका डालते हैं, इनका विवेक मर चुका है, ये विवेक के विरुद्ध कार्य करते हैं, और ये लालच देकर निर्दोषों को अचेत देते हैं। प्राचीन पूर्वज? प्रिय अगुवा? वे सभी परमेश्वर का विरोध करते हैं! उनके हस्तक्षेप ने स्वर्ग के नीचे की हर चीज़ को अंधेरे और अराजकता की स्थिति में छोड़ दिया है! धार्मिक स्वतंत्रता? नागरिकों के वैध अधिकार और हित? ये सब पाप को छिपाने की चालें हैं! किसने परमेश्वर के कार्य को स्वीकार कियाहै? किसने परमेश्वर के कार्य के लिए अपना जीवन अर्पित किया है या रक्त बहाया है? पीढ़ी-दर-पीढ़ी, माता-पिता से लेकर बच्चों तक, गुलाम बनाए गए मनुष्य ने परमेश्वर को बड़ी बेरुखी से गुलाम बना लिया है—ऐसा कैसे हो सकता है कि यह रोष न भड़काए? दिल में हज़ारों वर्ष की घृणा भरी हुई है, हज़ारों साल का पाप दिल पर अंकित है—इससे कैसे न घृणा पैदा होगी? परमेश्वर का बदला लो, उसके शत्रु को पूरी तरह से समाप्त कर दो, उसे अब और बेकाबू न दौड़ने दो, और अब उसे मनचाहे तरीके से परेशानी मत बढ़ाने दो! यही समय है : मनुष्य अपनी सभी शक्तियाँ लंबे समय से इकट्ठा करता आ रहा है, उसने इसके लिए सभी प्रयास किए हैं, हर कीमत चुकाई है, ताकि वह इस दानव के घृणित चेहरे से नकाब उतार सके और जो लोग अंधे हो गए हैं, जिन्होंने हर प्रकार की पीड़ा और कठिनाई सही है, उन्हें अपने दर्द से उबरने और इस दुष्ट प्राचीन शैतान से मुँह मोड़ने दे। परमेश्वर के कार्य में ऐसी अभेद्य बाधा क्यों खड़ी की जाए? परमेश्वर के लोगों को धोखा देने के लिए विभिन्न चालें क्यों चली जाएँ? वास्तविक स्वतंत्रता और वैध अधिकार एवं हित कहां हैं? निष्पक्षता कहां है? आराम कहां है? गर्मजोशी कहां है? परमेश्वर के लोगों को छलने के लिए धोखेभरी योजनाओं का उपयोग क्यों किया जाए? परमेश्वर के आगमन को दबाने के लिए बल का उपयोग क्यों किया जाए? क्यों नहीं परमेश्वर को उस धरती पर स्वतंत्रता से घूमने दिया जाए, जिसे उसने बनाया? क्यों परमेश्वर को इस हद तक खदेड़ा जाए कि उसके पास आराम से सिर रखने के लिए जगह भी न रहे? मनुष्यों की गर्मजोशी कहां है? लोगों की स्वागत की भावना कहां है? परमेश्वर में ऐसी तड़प क्यों पैदा की जाए? परमेवर को बार-बार पुकारने पर मजबूर क्यों किया जाए? परमेश्वर को अपने प्रिय पुत्र के लिए चिंता करने पर मजबूर क्यों किया जाए? इस अंधकारपूर्ण समाज में इसके घटिया रक्षक कुत्ते परमेश्वर को उसकी बनायी दुनिया में स्वतंत्रता से आने-जाने क्यों नहीं देते?

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, कार्य और प्रवेश (8)

शैतान लोगों को धोखा देकर अपनी प्रतिष्ठा बनाता है और अकसर खुद को धार्मिकता के अगुआ और आदर्श के रूप में स्थापित करता है। धार्मिकता की रक्षा की आड़ में वह लोगों को हानि पहुँचाता है, उनकी आत्माओं को निगल जाता है, और मनुष्य को स्तब्ध करने, धोखा देने और भड़काने के लिए हर प्रकार के साधनों का उपयोग करता है। उसका लक्ष्य मनुष्य से अपने बुरे आचरण का अनुमोदन और अनुसरण करवाना और उसे परमेश्वर के अधिकार और संप्रभुता का विरोध करने में अपने साथ मिलाना है। किंतु जब कोई उसकी चालों, षड्यंत्रों और नीच हरकतों को समझ जाता है और नहीं चाहता कि शैतान द्वारा उसे लगातार कुचला और मूर्ख बनाया जाए या वह निरंतर शैतान की गुलामी करे या उसके साथ दंडित और नष्ट किया जाए, तो शैतान अपने पिछले संतनुमा लक्षण बदल लेता है और अपना झूठा नकाब फाड़कर अपना असली चेहरा प्रकट कर देता है, जो दुष्ट, शातिर, भद्दा और वहशी है। वह उन सभी का विनाश करने से ज्यादा कुछ पसंद नहीं करता, जो उसका अनुसरण करने से इनकार करते हैं और उसकी बुरी शक्तियों का विरोध करते हैं। इस बिंदु पर शैतान अब और भरोसेमंद और सज्जन व्यक्ति का रूप धारण किए नहीं रह सकता; इसके बजाय, भेड़ की खाल में भेड़िए की तरह के उसके असली बुरे और शैतानी लक्षण प्रकट हो जाते हैं। एक बार जब शैतान के षड्यंत्र प्रकट हो जाते हैं और उसके असली लक्षणों का खुलासा हो जाता है, तो वह क्रोध से आगबबूला हो जाता है और अपनी बर्बरता जाहिर कर देता है। इसके बाद तो लोगों को नुकसान पहुँचाने और निगल जाने की उसकी इच्छा और भी तीव्र हो जाती है। क्योंकि वह मनुष्य के वस्तुस्थिति के प्रति जाग्रत हो जाने से क्रोधित हो जाता है, और उसकी स्वतंत्रता और प्रकाश की लालसा और अपनी कैद तोड़कर आज़ाद होने की आकांक्षा के कारण उसके अंदर मनुष्य के प्रति बदले की एक प्रबल भावना पैदा हो जाती है। उसके क्रोध का प्रयोजन अपनी बुराई का बचाव करना और उसे बनाए रखना है, और यह उसकी जंगली प्रकृति का असली प्रकाशन भी है।

हर मामले में शैतान का व्यवहार उसकी बुरी प्रकृति को उजागर करता है। शैतान द्वारा मनुष्य पर किए गए सभी बुरे कार्यों—अपना अनुसरण करने के लिए मनुष्य को बहकाने के उसके आरंभिक प्रयासों से लेकर उसके द्वारा मनुष्य के शोषण तक, जिसके अंतर्गत वह मनुष्य को अपने बुरे कार्यों में खींचता है, और उसके असली लक्षणों का खुलासा हो जाने और मनुष्य द्वारा उसे पहचानने और छोड़ देने के बाद मनुष्य के प्रति उसकी बदले की भावना तक—इनमें से कोई भी कार्य शैतान के बुरे सार को उजागर करने से नहीं चूकता, न ही इस तथ्य को प्रमाणित करने से कि शैतान का सकारात्मक चीज़ों से कोई नाता नहीं है और शैतान समस्त बुरी चीज़ों का स्रोत है। उसका हर एक कार्य उसकी बुराई का बचाव करता है, उसके बुरे कार्यों की निरंतरता बनाए रखता है, न्यायोचित और सकारात्मक चीज़ों के विरुद्ध जाता है, और मनुष्य के सामान्य अस्तित्व के नियमों और विधियों को बरबाद कर देता है। शैतान के ये कार्य परमेश्वर के विरोधी हैं, और वे परमेश्वर के कोप द्वारा नष्ट कर दिए जाएँगे। हालाँकि शैतान के पास उसका अपना कोप है, किंतु उसका कोप उसकी बुरी प्रकृति को प्रकट करने का एक माध्यम भर है। शैतान के भड़कने और उग्र होने का कारण यह है : उसके अकथनीय षड्यंत्र उजागर कर दिए गए हैं; उसके कुचक्र आसानी से छिपाए नहीं छिपते; परमेश्वर का स्थान लेने और परमेश्वर के समान कार्य करने की उसकी वहशी महत्वाकांक्षा और इच्छा नष्ट और अवरुद्ध कर दी गई है; और समूची मानवजाति को नियंत्रित करने का उसका उद्देश्य अब शून्य हो गया है और उसे कभी हासिल नहीं किया जा सकता।

—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है II

मनुष्य की संगति :

सीसीपी द्वारा सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के प्रचण्ड दमन और उत्पीड़न ने वैश्विक समुदाय में हलचल मचा दी है। बहुत-से लोग यह नहीं समझ पा रहे हैं कि सीसीपी परमेश्वर के प्रति अपने बैर और विरोध में इतनी उन्मादी कैसे हो सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि सीसीपी एक नास्तिक राजनीतिक पार्टी—एक शैतानी शासन दल है जिसका सत्य और परमेश्वर से घृणा करने में कोई सानी नहीं है। सच्चे परमेश्वर के प्रकटन और काम को देखकर, सीसीपी कैसे नहीं डर सकती थी, वह अवज्ञा और निंदा के साथ प्रतिक्रिया कैसे नहीं दे सकती थी? अंत के दिनों के दौरान, सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने कई सत्य व्यक्त किए हैं, जिनमें से अधिकांश को वचन देह में प्रकट होता है में संकलित किया गया है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों ने सभी धर्मों और सभी संप्रदायों को हिलाकर रख दिया है। प्रभु में विश्वास रखने वाले बहुत-से लोगों ने देखा है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्त किए गए वचन सत्य हैं, उन्होंने पहचान लिया है कि यह परमेश्वर की वाणी है, कि यह परमेश्वर का काम है, और वे सभी सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास लौट आए हैं। बहुत अधिक संख्या में लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर का प्रचार कर रहे हैं और उसकी गवाही दे रहे हैं। परमेश्वर और सत्य के प्रति अपनी कट्टर घृणा से ओत-प्रोत शैतानी सीसीपी शासन, परमेश्वर के अस्तित्व को कैसे सहन कर सकता है, या दुनिया में सत्य का प्रचार किए जाने और गवाही दिए जाने की अनुमति कैसे दे सकता है? इसलिए सीसीपी ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का प्रचण्ड दमन और उत्पीड़न करने के लिए अभियान पर अभियान चला दिए हैं। इसने सुसमाचार को फैलाने और परमेश्वर की गवाही देने के कारण अनगिनत लोगों को गिरफ्तार किया है, और वचन देह में प्रकट होता है की कई प्रतियाँ जब्त कर ली हैं। सीसीपी हर दिन इसे ध्यान से पढ़ती है, और उत्तरोत्तर महसूस करती है कि यह पुस्तक कितनी शक्तिशाली है, इसके वचन सत्य हैं, और सभी लोगों को जीत सकते हैं। इसलिए सीसीपी चाहे कितना भी सर्वशक्तिमान परमेश्वर को तिरस्कृत करे, उसकी आलोचना करे, और उसे बदनाम करे, लेकिन वह कभी भी वचन देह में प्रकट होता है के बारे में जनता को बताने का साहस नहीं करती है, न ही यह कभी भी सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा जो व्यक्त किया गया है, उसका कोई उल्लेख करती है। सीसीपी ने वचन देह में प्रकट होता है को इतना गोपनीय क्यों रखा है? वह लोगों के इस किताब को पढ़ने से क्यों डरती है? ऐसा इसलिए है क्योंकि वचन देह में प्रकट होता है परमेश्वर के कथन हैं, यह सत्य की अभिव्यक्ति, और पूर्व में सच्चे प्रकाश का प्रकटन है! सीसीपी भयभीत है कि पूरी दुनिया सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्त किए गए सत्य देखेगी, देखेगी कि परमेश्वर प्रकट हुआ है और उसने पूर्व में काम करना शुरू कर दिया है, कि मनुष्य का उद्धारकर्ता पूर्व में प्रकट हुआ है, और मनुष्य की आशा पूर्व में है। सीसीपी सबसे दुष्ट और सत्य से सबसे ज्यादा नफरत करने वाला शैतानी शासन है। मनुष्य के बीच सत्य के आगमन से सबसे अधिक भयभीत सीसीपी ही है। इस बात से सीसीपी ही सबसे अधिक भयभीत है कि मनुष्य सत्य स्वीकार कर लेगा, और परमेश्वर मनुष्य के बीच राजा के रूप में राज्य करेगा, और मसीह का राज्य पृथ्वी पर प्रकट होगा, इस प्रकार मानवजाति को नियंत्रित करने और दुनिया पर हावी होने के उसके घृणित उद्देश्य को निष्फल करेगा। यही कारण है कि सीसीपी मसीह को गिरफ्तार करने और उसकी हत्या करने का प्रचण्ड प्रयास करती है। यह सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के विरुद्ध गलत प्रचार करने, उसे निर्दयतापूर्वक फँसाने, झूठा आरोप लगाने और बदनाम करने के लिए मीडिया और इंटरनेट का उपयोग करती है। यहाँ तक कि यह बिना किसी हिचकिचाहट के सशस्त्र पुलिस को भी लामबंद करती है, परमेश्वर के चुने हुए लोगों का दमन करने, उन्हें गिरफ्तार और प्रताड़ित करने के अपने प्रयासों में कोई कसर नहीं छोड़ती है। सीसीपी के उत्पीड़न से छिपने के लिए कोई जगह न बचने पर, परमेश्वर के चुने हुए लोग विदेश भागने के लिए मजबूर हो गए हैं—इस पर भी सीसीपी ने कुछ देशों पर दबाव डालने के लिए राजनीतिक, आर्थिक और राजनयिक साधनों का उपयोग करते हुए विदेशों में अपने काले हाथ बढ़ाए हैं, ऐसा करके वह अपनी सीमाओं से बाहर भागे ईसाइयों को क्रूरता और उत्पीड़न का सामना करने के लिए चीन लौटने पर मजबूर करने का प्रयास कर रही है। इससे भी अधिक घृणित बात यह है कि सीसीपी इन ईसाइयों के परिवार के सदस्यों को भी गिरफ्तार करती है और उन्हें सताती है, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को धमकाने के लिए बंधकों के तौर पर उनका इस्तेमाल करती है और उन्हें मजबूर करती है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को विभिन्न देशों में सताने के लिए वे पासपोर्ट के लिए आवेदन करें और विदेश जाएँ। वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के ईसाइयों को झूठे शरणार्थियों के रूप में फँसाने और झूठा आरोप लगाने के लिए राजनयिक माध्यमों का उपयोग करने का प्रयास करती है, इस तरह वह झूठ फैलाती है और अफवाहें गढ़ती है जो जनता की राय कलीसिया के खिलाफ करती है, इसकी प्रतिष्ठा को धूमिल करती है, और विदेशों में सरकारों और लोगों को कलीसिया का विरोध करने और उसे अस्वीकृत और ईसाइयों को निर्वासित करने के लिए उकसाती है, इस प्रकार विदेशों में सुसमाचार फैलाने के कलीसिया के काम में बाधा डालने, उसका दमन और उन्मूलन करने का सीसीपी का बुरा उद्देश्य पूरा करती है। तथ्य साबित करते हैं कि सीसीपी शैतान और राक्षसों से बनी है जो सत्य से नफरत करते हैं और परमेश्वर से घृणा करते हैं—वे ऐसे शैतान हैं जो लोगों को यातना देते हैं और उनकी आत्मा निगल जाते हैं। सीसीपी का सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के दमन, उत्पीड़न, और उस पर हमलों में इतना क्रूर हो पाना पूरी तरह से इसके शैतानी सार के कारण है जो सत्य से नफरत और मसीह से घृणा करता है।

फुटनोट :

1. "निगल" जाना शैतानों के राजा के शातिर व्यवहार के बारे में बताता है, जो लोगों को पूरी तरह से मोह लेता है।

2. "सहअपराधियों का गिरोह" का वही अर्थ है, जो "गुंडों के गिरोह" का है।

3. "निराधार आरोप लगाते हुए" उन तरीकों को संदर्भित करता है, जिनके द्वारा शैतान लोगों को नुकसान पहुँचाता है।

4. "ज़बर्दस्त पहरेदारी" दर्शाता है कि वे तरीके, जिनके द्वारा शैतान लोगों को यातना पहुँचाता है, बहुत ही शातिर होते हैं, और लोगों को इतना नियंत्रित करते हैं कि उन्हें हिलने-डुलने की भी जगह नहीं मिलती।

पिछला: 1. चीनी संविधान स्पष्ट रूप से धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता देता है। परमेश्वर में विश्वास एक अचल सिद्धांत है, यह विवेक का पालन करता है और कानून के अनुसार है। तो क्यों सीसीपी, चीनी लोगों को विश्वास की स्वतंत्रता से वंचित करते हुए, धार्मिक विश्वास पर हमले करती है, उसका दमन करती है, और इसे निर्मूल करने का प्रयास करती है? यह ईसाइयों को कट्टर अपराधियों के रूप में क्यों मानती है, दमन, उत्पीड़न और यहाँ तक कि उन्हें मौत के घाट उतारने के लिए क्रांतिकारी तरीकों का इस्तेमाल क्यों करती है?

अगला: 3. बाइबल में, पौलुस ने कहा था, "हर एक व्यक्‍ति शासकीय अधिकारियों के अधीन रहे, क्योंकि कोई अधिकार ऐसा नहीं जो परमेश्‍वर की ओर से न हो; और जो अधिकार हैं, वे परमेश्‍वर के ठहराए हुए हैं। इसलिये जो कोई अधिकार का विरोध करता है, वह परमेश्‍वर की विधि का सामना करता है, और सामना करनेवाले दण्ड पाएँगे" (रोमियों 13:1-2)। पौलुस के शब्दों के अनुसार अभ्यास करते हुए, हमें सभी चीजों में शासक शक्तियों के अधीन रहना चाहिए। और फिर भी, नास्तिक CCP सरकार ने अपने पूरे इतिहास में धार्मिक विश्वास को सताया है। यह परमेश्वर के प्रति शत्रुतापूर्ण है, और यह न केवल हमें प्रभु में विश्वास करने से रोकती है, बल्कि यह उन लोगों को भी कैद करती और सताती है, जो सुसमाचार फैलाते हैं और परमेश्वर की गवाही देते हैं। अगर हम चीनी कम्युनिस्ट सरकार के सामने झुक जाते हैं, प्रभु पर विश्वास करना बंद कर देते हैं, और सुसमाचार का प्रसार करना और परमेश्वर की गवाही देना बंद कर देते हैं, तो क्या हम प्रभु का विरोध करके तथा उसकी ओर पीठ करके शैतान के साथ खड़े नहीं होंगे? मैं वास्तव में यह समझ नहीं पा रहा हूँ: सत्ताधारी शक्तियों के मामलों में, प्रभु की इच्छा के अनुरूप होने के लिए आखिर मुझे क्या करना चाहिए?

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

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5. पुराने और नए दोनों नियमों के युगों में, परमेश्वर ने इस्राएल में काम किया। प्रभु यीशु ने भविष्यवाणी की कि वह अंतिम दिनों के दौरान लौटेगा, इसलिए जब भी वह लौटता है, तो उसे इस्राएल में आना चाहिए। फिर भी आप गवाही देते हैं कि प्रभु यीशु पहले ही लौट चुका है, कि वह देह में प्रकट हुआ है और चीन में अपना कार्य कर रहा है। चीन एक नास्तिक राजनीतिक दल द्वारा शासित राष्ट्र है। किसी भी (अन्य) देश में परमेश्वर के प्रति इससे अधिक विरोध और ईसाइयों का इससे अधिक उत्पीड़न नहीं है। परमेश्वर की वापसी चीन में कैसे हो सकती है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद :"क्योंकि उदयाचल से लेकर अस्ताचल तक जाति-जाति में मेरा नाम महान् है, और हर कहीं मेरे नाम पर धूप और शुद्ध भेंट...

प्रश्न 1: सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है," तो मुझे वह याद आया जो प्रभु यीशु ने एक बार कहा था, "परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूँगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा; वरन् जो जल मैं उसे दूँगा, वह उसमें एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा" (यूहन्ना 4:14)। हम पहले से ही जानते हैं कि प्रभु यीशु जीवन के सजीव जल का स्रोत हैं, और अनन्‍त जीवन का मार्ग हैं। क्या ऐसा हो सकता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर और प्रभु यीशु समान स्रोत हों? क्या उनके कार्य और वचन दोनों पवित्र आत्मा के कार्य और वचन हैं? क्या उनका कार्य एक ही परमेश्‍वर करते हैं?

उत्तर: दोनों बार जब परमेश्‍वर ने देह धारण की तो अपने कार्य में, उन्होंने यह गवाही दी कि वे सत्‍य, मार्ग, जीवन और अनन्‍त जीवन के मार्ग हैं।...

प्रश्न: प्रभु यीशु कहते हैं: "मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं" (यूहन्ना 10:27)। तब समझ आया कि प्रभु अपनी भेड़ों को बुलाने के लिए वचन बोलने को लौटते हैं। प्रभु के आगमन की प्रतीक्षा से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बात है, प्रभु की वाणी सुनने की कोशिश करना। लेकिन अब, सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि हमें नहीं पता कि प्रभु की वाणी कैसे सुनें। हम परमेश्वर की वाणी और मनुष्य की आवाज़ के बीच भी अंतर नहीं कर पाते हैं। कृपया हमें बताइये कि हम प्रभु की वाणी की पक्की पहचान कैसे करें।

उत्तर: हम परमेश्वर की वाणी कैसे सुनते हैं? हममें कितने भी गुण हों, हमें कितना भी अनुभव हो, उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। प्रभु यीशु में विश्वास...

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