2. CCP ने एक जानकारी को ऑनलाइन प्रसारित करते हुए कहा है कि सुसमाचार को फैलाने और परमेश्वर की गवाही देने के लिए, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया में लोग अपने परिवारों और अपनी नौकरियों को छोड़ देते हैं। कुछ लोग आजीवन अविवाहित रहते हैं। सीसीपी का कहना है कि आपकी मान्यताएँ परिवारों को नष्ट कर देती हैं। क्या CCP का कहना सही है?

उत्तर :

सीसीपी एक नास्तिक राजनीतिक दल है, जो मार्क्स और शैतानवाद में विश्वास करती है। अपने पूरे इतिहास में, इसने परमेश्वर से शत्रुता रखी है, सभी धार्मिक आस्थाओं को सताया है और अनगिनत ईसाइयों को प्रताड़ित किया है। उसके लिए परमेश्वर में विश्वास रखने वालों की आलोचना और बदनामी करना स्वाभाविक है; यह उसकी प्रकृति से निर्धारित होता है, जो सत्य से घृणा करती और परमेश्वर का विरोध करती है। लेकिन तुम प्रभु यीशु में विश्वास करने वाले लोग हो—तो तुम प्रभु यीशु के वचनों पर भरोसा करने के बजाय कम्युनिस्ट पार्टी की बातों पर भरोसा क्यों करते हो? क्या ऐसे लोग परमेश्वर को मानते हैं? जो लोग परमेश्वर में विश्वास करते हैं, उनके लिए प्रभु यीशु के वचन स्पष्ट हैं कि सांसारिक चीजों, परिवार और दैहिक-जीवन को किस प्रकार लेना है—तो तुम फिर भी सीसीपी की भ्राँतिपूर्ण और शैतानी बातों को सुनकर ईसाइयों की आलोचना और निंदा क्यों करते हो? आखिर मामला क्या है? प्रभु यीशु ने स्पष्ट रूप से कहा है, "मैं तुम से सच कहता हूँ कि ऐसा कोई नहीं जिसने परमेश्‍वर के राज्य के लिए घर,या पत्नी, या भाइयों, या माता-पिता, या बाल-बच्‍चों को छोड़ दिया हो; और इस समय कई गुणा अधिक न पाए और आने वाले युग में अनन्त जीवन" (लूका 18:29-30)। "यदि कोई मेरे पास आए, और अपने पिता और माता और पत्नी और बच्‍चों और भाइयों और बहिनों वरन् अपने प्राण को भी अप्रिय न जाने, तो वह मेरा चेला नहीं हो सकता" (लूका 14:26)। "तुम में से जो कोई अपना सब कुछ त्याग न दे, वह मेरा चेला नहीं हो सकता" (लूका 14:33)। जब लोग प्रभु का अनुसरण करने के लिए अपने परिवार और सांसारिक बंधनों को त्याग देते हैं, तो यह पूरी तरह से प्रभु की इच्छा के अनुरूप होता है और परमेश्वर इसकी प्रशंसा करता है। फिर भी धार्मिक जगत प्रभु यीशु के वचनों पर भरोसा करने के बजाय उस कम्युनिस्ट पार्टी की बातों पर भरोसा क्यों करता है जो कि दुष्ट शैतान है? वह पवित्र आत्मा के वचनों पर भरोसा क्यों नहीं करता? वह परमेश्वर में विश्वास करने वालों की आलोचना और उनकी निंदा करने में बड़े लाल अजगर का साथ क्यों देता है? इससे पता चलता है कि धार्मिक जगत परमेश्वर के साथ एक-मन नहीं है, शैतान के साथ उनकी मिली-भगत है, और यह बात यह प्रदर्शित करने के लिए पर्याप्त है कि वे गैर-विश्वासी हैं, बड़े लाल अजगर की संतान हैं!

सदियों पहले, प्रभु यीशु के शिष्यों और प्रेरितों ने प्रभु का अनुसरण करने के लिए अपने परिवारों और सभी सांसारिक बंधनों का त्याग कर दिया था, और उन्होंने पूरे देश में प्रभु यीशु के सुसमाचार की घोषणा की और उसकी गवाही दी। दो हजार वर्षों से, अनगिनत धर्मनिष्ठ ईसाइयों ने अपने परिवार, विवाह, कार्य और सांसारिक बंधनों का त्याग किया है, असंख्य लोगों ने प्रभु के लिए कार्य और प्रचार किया है और इस तरह प्रभु यीशु का सुसमाचार पूरी दुनिया में फैल गया है। प्रभु यीशु के कार्य और वचनों से, उन्होंने थोड़ा-बहुत सत्य समझ लिया है, यह जान लिया है कि प्रभु यीशु मानवजाति का मुक्तिदाता है, यह भी कि केवल प्रभु यीशु को स्वीकारने और प्रभु के सामने पाप-स्वीकार करने और प्रायश्चित करने से ही उनके पापों को क्षमा किया जा सकता है, और वे प्रभु से अनुग्रह और आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। मनुष्य प्रभु यीशु से उद्धार प्राप्त कर सके, इसके लिए उन्होंने प्रभु यीशु के वचनों का पालन किया है, प्रभु यीशु द्वारा उद्धार का प्रचार करने और उसकी गवाही देने के लिए सब-कुछ त्याग दिया है—परमेश्वर इसकी सराहना करता है और इसे याद रखता है, और यह मानवजाति का सबसे धार्मिक उद्यम है। ईसाई धर्म और कैथोलिक धर्म में यह एकदम आम बात है। ईसाई ऐसे व्यवहार की प्रशंसा और सराहना करते हैं; बहुत से लोगों के लिए, यह एक अनुकरणीय आदर्श भी बन गया है। फिर भी सीसीपी ईसाइयों की निंदा और तिरस्कार करती है, उसका कहना है कि परमेश्वर में विश्वास करने और सुसमाचार फैलाने के लिए इन लोगों द्वारा अपने परिवार और काम-धंधों का त्याग करने के कारण घर बर्बाद हो गए हैं। क्या यह प्रभु यीशु के वचनों का खंडन और निंदा नहीं है? क्या यह उन सभी का खंडन और निंदा नहीं है जिन्होंने पिछले दो हजार वर्षों में प्रभु के लिए कार्य करने और प्रचार करने के लिए अपना सब-कुछ त्याग दिया है? क्या यह उनके समर्पण और खुद को खपाने को गलत नहीं ठहराती है? क्या इस तरह के विचार ईसाई धर्म और कैथोलिक धर्म में मान्य हैं? क्या यह खुले तौर पर परमेश्वर का विरोध करना नहीं है? अंत के दिनों में, जब से सर्वशक्तिमान परमेश्वर का न्याय-कार्य शुरू हुआ, तभी से सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया में ईसाई सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़ रहे हैं, उन्होंने देखा है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर प्रभु यीशु की वापसी है, अंत के दिनों के मसीह का प्रकटन है, मनुष्य की पापी प्रकृति को दूर करने की खातिर, सर्वशक्तिमान परमेश्वर, न्याय-कार्य और इंसान के शुद्धिकरण के लिए सत्य व्यक्त करता है और इंसान को पाप से पूरी तरह बचाकर, उसे परमेश्वर के राज्य में लाता है। आज भयंकर आपदाएँ शुरू हो चुकी हैं। केवल सर्वशक्तिमान परमेश्वर के न्याय और ताड़ना को स्वीकार करके और अपने भ्रष्ट स्वभाव को दूर करके ही लोग परमेश्वर द्वारा संरक्षित किए जा सकते हैं और अंत के दिनों की इन भयंकर आपदाओं के बीच बचे रह सकते हैं, जबकि जिन लोगों ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के उद्धार को प्राप्त नहीं किया है, वे प्रलय में डूबकर नष्ट हो जाएँगे। और इसलिए, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के ईसाई मानवजाति को बचाने की परमेश्वर की उत्कट इच्छा को समझते हैं; जिस प्रकार प्रभु यीशु के शिष्यों और प्रेरितों ने प्रभु का अनुसरण करने के लिए सब-कुछ त्याग दिया था और प्रभु के सुसमाचार की घोषणा की थी और गवाही दी थी, उसी प्रकार ये लोग भी खुशी-खुशी देह के भोगों का त्याग करते हैं, परिवार और नौकरी का त्याग करते हैं, किसी भी समय सीसीपी द्वारा गिरफ्तार किए जाने और मार डाले जाने का ऐसा खतरा झेलते हैं जो हर पल बना रहता है और सर्वशक्तिमान परमेश्वर के राज्य के सुसमाचार का प्रचार करने और गवाही देने के लिए वे जो भी कर सकते हैं, सब-कुछ करते हैं। ये सत्कर्म ही परमेश्वर की इच्छा के सबसे अधिक अनुकूल होते हैं, परमेश्वर द्वारा उनकी प्रशंसा की जाती है, ऐसे सत्कर्म करने का अर्थ है परमेश्वर की इच्छा का पालन करना! जैसा कि प्रभु यीशु ने कहा है, "तुम सारे जगत में जाकर सारी सृष्‍टि के लोगों को सुसमाचार प्रचार करो" (मरकुस 16:15)। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "मानवजाति के एक सदस्य और एक सच्चे ईसाई होने के नाते अपने मन और शरीर परमेश्वर के आदेश की पूर्ति करने के लिए समर्पित करना हम सभी का उत्तरदायित्व और कर्तव्य है, क्योंकि हमारा संपूर्ण अस्तित्व परमेश्वर से आया है, और वह परमेश्वर की संप्रभुता के कारण अस्तित्व में है। यदि हमारे मन और शरीर परमेश्वर के आदेश और मानवजाति के धार्मिक कार्य के लिए नहीं हैं, तो हमारी आत्माएँ उन लोगों के योग्य महसूस नहीं करेंगी, जो परमेश्वर के आदेश के लिए शहीद हुए थे, और परमेश्वर के लिए तो और भी अधिक अयोग्य होंगी, जिसने हमें सब-कुछ प्रदान किया है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परिशिष्ट 2: परमेश्वर संपूर्ण मानवजाति के भाग्य का नियंता है)

आज, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया में कुछ ईसाइयों द्वारा परमेश्वर के अंत के दिनों के सुसमाचार का प्रचार करने और गवाही देने के लिए सर्वस्व का त्याग स्वर्ग की इच्छा और लोगों के दिलों के अनुरूप है। फिर भी सीसीपी की नास्तिक सरकार लोगों को परमेश्वर में विश्वास करने और सही मार्ग पर नहीं चलने देती। वह ईसाइयों के अच्छे कामों की निंदा और आलोचना करती है, उन्हें पागलों की तरह गिरफ्तार करके उनका उत्पीड़न करती है, जिसके कारण सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के अनेक ईसाइयों को अपने घरों और प्रियजनों को छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है, उन्हें दूर-दराज के इलाकों में जाना पड़ा और वे अपने घरों को लौटने में असमर्थ हैं। यह कहना उचित होगा कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के अधिकांश ईसाइयों के अपने घर से पलायन की वजह सीसीपी के हाथों उनका क्रूर दमन, गिरफ्तारी और उत्पीड़न है। मात्र 2011 से जून 2020 तक के अधूरे आंकड़ों के अनुसार, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के कम से कम 400,000 से अधिक ईसाइयों को गिरफ्तार किया गया था। इस बात के प्रमाण हैं कि उनके दुर्व्यवहार के कारण लगभग 169 लोग मारे जा चुके हैं। इन ईसाइयों के परिवार बिखर गए हैं—क्या यह सब सीसीपी के क्रूर उत्पीड़न के कारण नहीं हुआ है? सीसीपी द्वारा किए गए क्रूर दुर्व्यवहार ने असंख्य ईसाई परिवारों पर कहर बरपाया है, और अनगिनत ईसाइयों को अपने घरों से भागने के लिए मजबूर किया है—क्या यह सारी दुष्टता सीसीपी ने नहीं की है? कम्युनिस्ट पार्टी उन लोगों को गिरफ्तार करने और सताने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ती है जो परमेश्वर में विश्वास रखते हैं, उन्हें उनके जीने के अधिकार से वंचित करती है, यहाँ तक कि वह ईसाइयों के प्रियजनों को भी नहीं बख्शती, अंततः पीड़ितों को ही दोष देते हुए इस बात पर अड़ी रहती है कि खुद ईसाई ही परमेश्वर में विश्वास के कारण अपने परिवारों को छोड़ देते हैं, वे ही अपने परिवारों को बर्बाद कर रहे हैं। क्या यह तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर सच को बिलकुल ही पलट देना नहीं है? क्या यह बेशर्मी और सफेद झूठ नहीं है? लोकतांत्रिक देशों में बड़ी संख्या में लोग परमेश्वर में विश्वास करते हैं। उनमें से कितने लोगों को सरकार द्वारा महज इसलिए सताया गया, अपने घरों से भागने के लिए मजबूर किया गया और उन्हें अपने प्रियजनों को देखने से वंचित किया गया क्योंकि उनका परमेश्वर में विश्वास था? केवल सीसीपी जैसा शैतानी शासन ही उन ईसाइयों को इतना बदनाम और उनकी आलोचना कर सकता है जो खुद को परमेश्वर के लिए समर्पित करते और खपाते हैं। यह सिर्फ पाखंडपूर्ण भ्राँति है जो सच को झूठ और सही को गलत बना देती है। यह संपूर्ण प्रमाण है कि सीसीपी एक शैतानी शासन के अलावा और कुछ नहीं है; सार रूप से, सीसीपी दुष्ट शैतान का एक ऐसा समूह है जो परमेश्वर का विरोध करता है और उससे घृणा करता है। सीसीपी प्रमुख अपराधी है जिसने इन सभी ईसाई परिवारों को तोड़ कर रख दिया है, उन्हें तिनके-तिनके करके बिखेर दिया है और उन्हें घर लौटने में असमर्थ बना दिया है!

पिछला: 1. आप गवाही देते हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का आविर्भाव, अंतिम दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर, के प्रकटन और कार्य में निहित है, लेकिन नास्तिक सीसीपी सरकार और धार्मिक दुनिया के नेता आपकी शिक्षाओं को विधर्मी बताकर उनकी निंदा करते हैं। तो सीसीपी और धार्मिक दुनिया जो कहती है, उसमें हम कैसे विवेक का पालन कर सकते हैं?

अगला: 3. मैं देख रहा हूँ कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया ने सुसमाचार को फैलाने और अंतिम दिनों के परमेश्वर के कार्य की गवाही देने के अलावा, लोगों से यह कहने के अलावा कि वे ईमानदार रहें और मानव जीवन के सही मार्ग पर चलें, और कुछ नहीं किया है। लेकिन सीसीपी इस बात की सूचना प्रसारित कर रही है कि कलीसिया द्वारा सुसमाचार फैलाने का अंतिम उद्देश्य सीसीपी शासन को उखाड़ फेंकना है। मुझे कैसे पता चले कि CCP का कहना सही है या गलत?

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

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5. पुराने और नए दोनों नियमों के युगों में, परमेश्वर ने इस्राएल में काम किया। प्रभु यीशु ने भविष्यवाणी की कि वह अंतिम दिनों के दौरान लौटेगा, इसलिए जब भी वह लौटता है, तो उसे इस्राएल में आना चाहिए। फिर भी आप गवाही देते हैं कि प्रभु यीशु पहले ही लौट चुका है, कि वह देह में प्रकट हुआ है और चीन में अपना कार्य कर रहा है। चीन एक नास्तिक राजनीतिक दल द्वारा शासित राष्ट्र है। किसी भी (अन्य) देश में परमेश्वर के प्रति इससे अधिक विरोध और ईसाइयों का इससे अधिक उत्पीड़न नहीं है। परमेश्वर की वापसी चीन में कैसे हो सकती है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद :"क्योंकि उदयाचल से लेकर अस्ताचल तक जाति-जाति में मेरा नाम महान् है, और हर कहीं मेरे नाम पर धूप और शुद्ध भेंट...

प्रश्न: प्रभु यीशु कहते हैं: "मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं" (यूहन्ना 10:27)। तब समझ आया कि प्रभु अपनी भेड़ों को बुलाने के लिए वचन बोलने को लौटते हैं। प्रभु के आगमन की प्रतीक्षा से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बात है, प्रभु की वाणी सुनने की कोशिश करना। लेकिन अब, सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि हमें नहीं पता कि प्रभु की वाणी कैसे सुनें। हम परमेश्वर की वाणी और मनुष्य की आवाज़ के बीच भी अंतर नहीं कर पाते हैं। कृपया हमें बताइये कि हम प्रभु की वाणी की पक्की पहचान कैसे करें।

उत्तर: हम परमेश्वर की वाणी कैसे सुनते हैं? हममें कितने भी गुण हों, हमें कितना भी अनुभव हो, उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। प्रभु यीशु में विश्वास...

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