3. मैं देख रहा हूँ कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया ने सुसमाचार को फैलाने और अंतिम दिनों के परमेश्वर के कार्य की गवाही देने के अलावा, लोगों से यह कहने के अलावा कि वे ईमानदार रहें और मानव जीवन के सही मार्ग पर चलें, और कुछ नहीं किया है। लेकिन सीसीपी इस बात की सूचना प्रसारित कर रही है कि कलीसिया द्वारा सुसमाचार फैलाने का अंतिम उद्देश्य सीसीपी शासन को उखाड़ फेंकना है। मुझे कैसे पता चले कि CCP का कहना सही है या गलत?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन :

परमेश्वर मनुष्य की राजनीति में भाग नहीं लेता, फिर भी देश या राष्ट्र का भाग्य परमेश्वर द्वारा नियंत्रित होता है। परमेश्वर इस संसार को और संपूर्ण ब्रह्मांड को नियंत्रित करता है। मनुष्य का भाग्य और परमेश्वर की योजना घनिष्ठता से जुड़े हैं, और कोई भी मनुष्य, देश या राष्ट्र परमेश्वर की संप्रभुता से मुक्त नहीं है। यदि मनुष्य अपने भाग्य को जानना चाहता है, तो उसे परमेश्वर के सामने आना होगा। परमेश्वर उन लोगों को समृद्ध करेगा, जो उसका अनुसरण और उसकी आराधना करते हैं, और वह उनका पतन और विनाश करेगा, जो उसका विरोध करते हैं और उसे अस्वीकार करते हैं।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परिशिष्ट 2: परमेश्वर संपूर्ण मानवजाति के भाग्य का नियंता है

सुसमाचार के विस्तृत प्रसार का क्या उद्देश्य है? जैसा कि काम के इस चरण के शुरू होने के बाद से ही लगातार कहा जा गया है, परमेश्वर इस बार एक नए युग का शुभारंभ करने का अपना कार्य करने के लिए आया है, एक नए युग को लाने और पुराने को समाप्त करने के लिए आया है, यह एक ऐसा तथ्य जिसे इस समय यहाँ पर मौजूद हम सभी लोगों में देखा जा सकता है और जिसे पहले ही पूरा किया जा चुका है। यानी, परमेश्वर नया कार्य कर रहा है, और यहाँ मौजूद लोगों ने इसे पहले ही स्वीकार कर लिया है और पहले ही व्यवस्था के युग और अनुग्रह के युग से बाहर निकल आए हैं, अब बाइबल नहीं पढ़ रहे हैं, अब क्रूस के अधीन नहीं रह रहे है, अब उद्धार करने वाले प्रभु यीशु का नाम नहीं पुकार रहे हैं, बल्कि इसके साथ ही आज के परमेश्वर का नाम लेकर प्रार्थना कर रहे हैं और उन वचनों को स्वीकार कर रहे हैं जो परमेश्वर अब व्यक्त करता है और उन्हें जीवित रहने के सिद्धांतों, मानव जीवन के उद्देश्यों और तरीकों के तौर पर लेते हैं। इस मायने में, क्या यहाँ मौजूद लोग पहले ही एक नए युग में प्रवेश नहीं कर चुके हैं? तब, अधिसंख्य लोग जिन्होंने इस सुसमाचार और इन वचनों को स्वीकार नहीं किया है, वे किस युग में जी रहे हैं? वे अभी भी अनुग्रह के युग में जी रहे हैं। अब इन लोगों को अनुग्रह के युग से निकालने और उन्हें इस नए युग में प्रवेश कराने का काम तुम लोगों का है। क्या तुम इस आदेश को केवल प्रार्थना के द्वारा और परमेश्वर का नाम पुकार कर पूरा कर सकते हो? क्या केवल थोड़े-से परमेश्वर के वचन का प्रवचन दे लेना पर्याप्त है? ऐसा बिल्कुल भी नहीं है; इसके लिए तुम सभी लोगों को सुसमाचार के प्रसार का कर्तव्य निभाने, परमेश्वर के वचन को प्रचारित करने, उन्हें आगे प्रसारित करने और उनकी पहुँच को बढ़ाने की ज़िम्मेदारी लेने की ज़रूरत है। "उनकी पहुँच को बढ़ाने" का क्या मतलब है? इसका मतलब है परमेश्वर के सुसमाचार को यहाँ पर मौजूद लोगों से भी आगे प्रसारित करना; इसका मतलब है और अधिक लोगों को परमेश्वर के नए कार्य से अवगत कराना, और तब उन्हें परमेश्वर के वचन का उपदेश देना। इसका मतलब है परमेश्वर के कार्य की गवाही देने के लिए अपने अनुभव का इस्तेमाल करना और उन लोगों को भी नए युग में ले आना। फिर, वे वैसे ही हो जाएंगे जैसे कि तुम लोग हो। परमेश्वर की मंशा बिल्कुल स्पष्ट है—उसके पास केवल तुम लोग ही नहीं होगे जिन्होंने उसके वचन को सुना और स्वीकार किया है और नए युग में प्रवेश करने के लिए उसका अनुसरण करना शुरू किया है; वह संपूर्ण मानव जाति को नए युग में ले जाना चाहता है। यही परमेश्वर की मंशा है, और यह एक सत्य है जिसे प्रत्येक व्यक्ति को, जो इस समय परमेश्वर का अनुसरण कर रहा है, समझना चाहिए। परमेश्वर नए युग में ले जाने के लिए किसी एक टुकड़ी या लोगों के किसी छोटे समूह की अगुवाई नहीं कर रहा है, बल्कि पूरी मानवता को नए युग में ले जा रहा है। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए सुसमाचार का प्रचार करना ज़रूरी है, और ऐसा करने के लिए बहुत सी विधियों और माध्यमों का उपयोग करना ज़रूरी है।

—वचन, खंड 4, मसीह-विरोधियों को उजागर करना, मद एक : वे लोगों का दिल जीतना चाहते हैं

सभी लोगों को पृथ्वी पर मेरे कार्य के उद्देश्यों को समझने की आवश्यकता है, अर्थात् मैं अंतत: क्या प्राप्त करना कहता हूँ, और इस कार्य को पूरा करने से पहले मुझे इसमें कौन-सा स्तर प्राप्त कर लेना चाहिए। यदि आज तक मेरे साथ चलते रहने के बाद भी लोग यह नहीं समझते कि मेरा कार्य क्या है, तो क्या वे मेरे साथ व्यर्थ में नहीं चले? यदि लोग मेरा अनुसरण करते हैं, तो उन्हें मेरी इच्छा जाननी चाहिए। मैं पृथ्वी पर हज़ारों सालों से कार्य कर रहा हूँ और आज भी मैं अपना कार्य इसी तरह से जारी रखे हुए हूँ। यद्यपि मेरे कार्य में कई परियोजनाएँ शामिल हैं, किंतु इसका उद्देश्य अपरिवर्तित है; यद्यपि, उदाहरण के लिए, मैं मनुष्य के प्रति न्याय और ताड़ना से भरा हुआ हूँ, फिर भी मैं जो करता हूँ, वह उसे बचाने के वास्ते, और अपने सुसमाचार को बेहतर ढंग से फैलाने और मुनष्य को पूर्ण बना दिए जाने पर अन्यजाति देशों के बीच अपने कार्य को आगे बढ़ाने के वास्ते है। इसलिए आज, एक ऐसे वक्त, जब कई लोग लंबे समय से निराशा में गहरे डूब चुके हैं, मैं अभी भी अपना कार्य जारी रखे हुए हूँ, मैं वह कार्य जारी रखे हुए हूँ जो मनुष्य को न्याय और ताड़ना देने के लिए मुझे करना चाहिए। इस तथ्य के बावजूद कि जो कुछ मैं कहता हूँ, मनुष्य उससे उकता गया है और मेरे कार्य से जुड़ने की उसकी कोई इच्छा नहीं है, मैं फिर भी अपना कर्तव्य कर रहा हूँ, क्योंकि मेरे कार्य का उद्देश्य अपरिवर्तित है और मेरी मूल योजना भंग नहीं होगी। मेरे न्याय का कार्य मनुष्य को मेरी आज्ञाओं का बेहतर ढंग से पालन करने में सक्षम बनाना है, और मेरी ताड़ना का कार्य मनुष्य को अधिक प्रभावी ढंग से बदलने देना है। यद्यपि मैं जो करता हूँ, वह मेरे प्रबंधन के वास्ते है, फिर भी मैंने कभी ऐसा कुछ नहीं किया है, जो मनुष्य के लाभ के लिए न हो, क्योंकि मैं इस्राएल से बाहर के सभी देशों को इस्राएलियों के समान ही आज्ञाकारी बनाना चाहता हूँ, उन्हें वास्तविक मनुष्य बनाना चाहता हूँ, ताकि इस्राएल के बाहर के देशों में मेरे लिए पैर रखने की जगह हो सके। यही मेरा प्रबंधन है; यही वह कार्य है जिसे मैं अन्यजाति देशों के बीच पूरा कर रहा हूँ। अभी भी, बहुत-से लोग मेरे प्रबंधन को नहीं समझते, क्योंकि उन्हें ऐसी चीज़ों में कोई रुचि नहीं है, और वे केवल अपने स्वयं के भविष्य और मंज़िल की परवाह करते हैं। मैं चाहे कुछ भी कहता रहूँ, लोग उस कार्य के प्रति उदासीन हैं जो मैं करता हूँ, इसके बजाय वे अनन्य रूप से अपनी कल की मंज़िलों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। अगर चीज़ें इसी तरह से चलती रहीं, तो मेरा कार्य कैसे फैल सकता है? मेरा सुसमाचार पूरे संसार में कैसे फैल सकता है? जान लो, कि जब मेरा कार्य फैलेगा, तो मैं तुम्हें तितर-बितर कर दूँगा और उसी तरह मारूँगा, जैसे यहोवा ने इस्राएल के प्रत्येक कबीले को मारा था। यह सब इसलिए किया जाएगा, ताकि मेरा सुसमाचार समस्त पृथ्वी पर फैल सके और अन्यजाति देशों तक पहुँच सके, ताकि मेरा नाम वयस्कों और बच्चों द्वारा समान रूप से बढ़ाया जा सके, और मेरा पवित्र नाम सभी कबीलों और देशों के लोगों के मुँह से गूँजता रहे। ऐसा इसलिए है, ताकि इस अंतिम युग में, मेरा नाम अन्यजाति देशों के बीच गौरवान्वित हो सके, मेरे कर्म अन्यजातियों द्वारा देखे जा सकें और वे मुझे मेरे कर्मों के आधार पर सर्वशक्तिमान कह सकें, और मेरे वचन शीघ्र ही साकार हो सकें। मैं सभी लोगों को ज्ञात करवाऊँगा कि मैं केवल इस्राएलियों का ही परमेश्वर नहीं हूँ, बल्कि अन्यजातियों के समस्त देशों का भी परमेश्वर हूँ, यहाँ तक कि उनका भी परमेश्वर हूँ जिन्हें मैंने शाप दिया है। मैं सभी लोगों को यह देखने दूँगा कि मैं समस्त सृष्टि का परमेश्वर हूँ। यह मेरा सबसे बड़ा कार्य है, अंत के दिनों के लिए मेरी कार्य-योजना का उद्देश्य है, और अंत के दिनों में पूरा किया जाने वाला एकमात्र कार्य है।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, सुसमाचार को फैलाने का कार्य मनुष्य को बचाने का कार्य भी है

संदर्भ के लिए धर्मोपदेश और संगति के उद्धरण :

परमेश्वर में अपनी आस्था में, हम परमेश्वर के वचनों, सत्य और परमेश्वर की अपेक्षाओं के अनुसार कार्य करते हैं। हम न तो राजनीति में शामिल होते हैं और न ही किसी राजनीतिक गतिविधि में भाग लेते हैं। परमेश्वर उन लोगों से जो उस पर विश्वास करते हैं, कम से कम यह अपेक्षा करता है कि सबसे पहले, हम सत्य का अनुसरण करें और उसका अभ्यास करें, हम बाहरी दुनिया की दुष्ट प्रवृत्तियों का अनुसरण न करें और भ्रष्ट मानवजाति द्वारा किए गए बुरे कार्य न करें; हमारे कर्म दूसरों के हित में होने चाहिए, हमें प्रकाश और नमक बनना चाहिए। इसके अलावा, सृजित प्राणियों के रूप में हमें परमेश्वर की इच्छा का पालन करना चाहिए, खुद को परमेश्वर के लिए खपाना चाहिए और अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए। चूँकि परमेश्वर ने हमें उद्धार से अनुग्रहित किया है, तो यह हमारी जिम्मेदारी और दायित्व है कि हम सुसमाचार का प्रसार करें और परमेश्वर की गवाही दें, ताकि जो लोग परमेश्वर में विश्वास नहीं करते, अभी तक परमेश्वर को नहीं जानते और शैतान के अधीन हैं, वे परमेश्वर के सामने आकर सच्चे मार्ग की खोज कर सकें, सत्य स्वीकार कर सकें, सत्य प्राप्त कर सकें, अपनी भ्रष्टता त्याग सकें और परमेश्वर द्वारा बचाए जा सकें। यह परमेश्वर का आदेश है, और यह उस सुसमाचार को फैलाने के कार्य के असली मायने हैं जो हम करते हैं। हमारे सुसमाचार के प्रचार और परमेश्वर की गवाही देने का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है—इसमें कोई राजनीतिक इरादे या मकसद नहीं हैं, और न ही यह किसी सरकार-विशेष या किसी राजनीतिक दल-विशेष को उखाड़ फेंकने के लिए किया जाता है। यह पूरी तरह से भ्रष्ट मानवजाति को परमेश्वर के सामने लाने के लिए किया जाता है, ताकि लोग परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार कर सकें और उन्हें शुद्ध किया और बचाया जा सके, ताकि वे अंततः अंधेरे और बुरे प्रभावों से बच सकें और प्रकाश में रह सकें, परमेश्वर द्वारा उनकी देखभाल हो सके, वे संरक्षित हो सकें और परमेश्वर का आशीष पा सकें। जब हम लोगों को परमेश्वर के सामने लाते हैं जिससे कि वे परमेश्वर के कार्य और उद्धार को स्वीकार कर सकें, तो हम कोई राजनीतिक अनुरोध नहीं कर रहे होते हैं; परमेश्वर के वचन अपने चुने हुए लोगों से यह नहीं कहते कि उठो और सीसीपी को उखाड़ फेंको। परमेश्वर केवल सत्य व्यक्त करता है, उसके वचन लोगों के भ्रष्ट सार को उजागर करते हैं, लोगों को बचाते हैं, उन्हें बदलते हैं, पूर्ण बनाते हैं, उनके जरिए लोग परमेश्वर को जानने लगते हैं और उसकी आज्ञा मानने लगते हैं। हम जो कुछ भी करते हैं वह परमेश्वर के वचनों और अपेक्षाओं पर आधारित होता है। हमारी कलीसिया ने न तो कभी किसी राजनीतिक गतिविधि में हिस्सा लिया है और न ही उसका कोई राजनीतिक नारा है। कलीसियाई जीवन जीने का अर्थ केवल सत्य पर संगति करना और स्वयं को जानना है, इनका उद्देश्य है सत्य को प्राप्त करना, परमेश्वर का आज्ञापालन करना, एक सच्चे इंसान की तरह जीना और परमेश्वर द्वारा बचाना जाना। यही नहीं, हमें राजनीति में जरा-भी दिलचस्पी नहीं है। राजनीति कोई सकारात्मक चीज नहीं है, सत्य तो यह बिल्कुल नहीं है। राजनीति लोगों को सत्य या परमेश्वर का आशीष नहीं दे सकती, राजनीति लोगों को बचाने का कार्य तो बिल्कुल नहीं कर सकती; जाहिर है कि नौकरशाही लोगों को ज्यादा दुष्ट और ज्यादा भ्रष्ट बनाती है। और इसलिए, परमेश्वर में अपनी आस्था में हम लोग कभी भी राजनीति में शामिल नहीं हुए हैं, क्योंकि हम साफ तौर पर जानते हैं कि केवल परमेश्वर में आस्था ही लोगों को बेहतरी के लिए बदल सकती है और उन्हें अधिक मानवता, विवेक और समझ प्रदान कर सकती है। यदि लोग वास्तव में परमेश्वर में विश्वास करके सत्य का अनुसरण करें, तो इसमें कोई संदेह नहीं है कि वे अपनी भ्रष्टता को दूर करके एक सच्चे इंसान की तरह जीने योग्य बन जाएँगे—और यही परमेश्वर में इंसान आस्था में उद्धार प्राप्त करने का मानक है।

परमेश्वर ही सृष्टिकर्ता है और केवल परमेश्वर ही भ्रष्ट मानवजाति को बचा सकता है। हम सुसमाचार फैलाते हैं और परमेश्वर की गवाही देते हैं ताकि सारी मानवजाति सृष्टिकर्ता को जान सके, सृष्टिकर्ता के सामने आ सके और एक सच्चे परमेश्वर की आराधना कर सके; यह मनुष्य के आशीष का मार्ग है, इसके अलावा, मनुष्य के उद्धार का मार्ग है। आज संसार और अधिक कलुषित और बुरा होता जा रहा है, मानवजाति और अधिक भ्रष्ट होती जा रही है। दुनिया और नैतिकता का पतन हो रहा है। यदि मानवजाति को इन मुद्दों का समाधान करना है, तो लोगों को परमेश्वर में विश्वास करना चाहिए, उन्हें परमेश्वर के वचनों, परमेश्वर के कार्य, परमेश्वर के न्याय और ताड़ना को स्वीकार करना चाहिए, और परमेश्वर के वचनों से सत्य प्राप्त करना चाहिए। तभी दुनिया के अंधेरे, बुराई और मानवजाति की भ्रष्टता की समस्याओं को जड़ से मिटाया जा सकता है। इसलिए समाज की स्थिरता और मानवजाति की खुशी के लिए सुसमाचार का प्रसार आवश्यक है। मानवजाति के लिए सच्ची खुशी प्राप्त करने और समाज के लिए स्थायी शांति प्राप्त करने का एक ही तरीका है, और वह है परमेश्वर के कार्य और उद्धार को स्वीकार करना। इसके सिवा और कोई रास्ता नहीं है। तुम्हें किसी देश या राजनीतिक दल से मानवजाति को बचाने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए, किसी राजनेता, लेखक या विचारक से तो इसकी बिल्कुल ही कोई आशा नहीं रखनी चाहिए; यह भ्रष्ट मानवजाति की क्षमताओं से परे है। एकमात्र सृष्टिकर्ता, एक सच्चा परमेश्वर ही मानवता को बचाने में पूरी तरह सक्षम है। इसलिए हमारा सुसमाचार का प्रचार और परमेश्वर की गवाही देना मानवजाति के लिए अत्यंत लाभकारी है, मानवजाति और समाज को इसी की आवश्यकता है और यह पूरी तरह से न्यायसंगत है। इससे अधिक सार्थक और कुछ नहीं है। हमें विश्वास है कि जो लोग विवेकपूर्ण, तर्कशील और न्याय की भावना रखते हैं, वे हमारे सुसमाचार के प्रचार का समर्थन करेंगे और हमारे दृष्टिकोण से सहमत होंगे।

चूँकि हम सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को स्वीकार करते हैं, इसलिए हम मानवजाति को बचाने की परमेश्वर की इच्छा को समझते हैं, हमें यकीन है कि मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है और इसी वजह से हमने सुसमाचार का प्रसार करना शुरू किया और अंत के दिनों के परमेश्वर के कार्य की गवाही दी। सुसमाचार फैलाने में, हम लोगों के साथ उद्धार का सच्चा मार्ग साझा कर रहे हैं, ताकि वे सच्चे मार्ग को स्वीकार कर सकें और अंत के दिनों में परमेश्वर द्वारा बचाए जा सकें। परमेश्वर के विश्वासी के नाते यह हमारा कर्तव्य है और हमारा सबसे सच्चा प्रेम है। हम अंत के दिनों के जिस राज्य-सुसमाचार का प्रचार करते हैं, वह मनुष्य के लिए अत्यंत लाभकारी है। एक सत्तारूढ़ दल के रूप में, सीसीपी न केवल कुछ भी सार्थक कर पाने या लोगों की असली समस्याओं को सुलझाने और उन्हें शांति व खुशी दे पाने में असमर्थ है, बल्कि वह अपने दायित्वों को निभाने में भी लापरवाह है, वह हम लोगों सता रही है, गिरफ्तार कर रही है, अपमानित कर रही है और पूरी तरह से विवेकशून्य हो चुकी है। क्या वह स्वर्ग के विरुद्ध नहीं है, विकृत और घृणित नहीं है? सीसीपी स्वर्ग की इच्छा और लोगों के दिल की आवाज को सुनने के बजाय, बुराई की पूजा और धार्मिकता का विरोध क्यों करती है? क्या सीसीपी मानवीयता से विहीन नहीं है? सुसमाचार के प्रचार और अपने कर्तव्य का पालन करने के क्रम में, परमेश्वर के चुने हुए लोगों में से अनेक ने सुविधाओं और देह-सुख का त्याग किया है। वे लोग तेज आँधी-तूफान में, हड्डियाँ कँपा देने वाली ठंड में और भीषण गर्मी में भी, परमेश्वर के राज्य-सुसमाचार को फैलाना जारी रखते हैं; लोग उनका घोर अपमान करते हैं, उन्हें नकारते करते हैं, मारते-पीटते, धिक्कारते हैं, सीसीपी उन्हें गिरफ्तार करके सताती है, लेकिन इस सबके बावजूद, वे लोग पूरी तत्परता से सुसमाचार फैलाने और अपना कर्तव्य निभाने में लगे रहते हैं। उनसे जो कुछ भी करने को कहा जाता है, वे करते हैं, लोग उसे स्वीकार करें या नहीं, लेकिन वे उनके साथ पूरी जिम्मेदारी और करुणा का व्यवहार करते हैं। यदि हम सच्चे मार्ग के बारे में जानकर भी उसका प्रचार न करें या उसकी गवाही न दें, तो हमारे अंतःकरण को शांति नहीं मिलेगी; न ही यह लोगों के साथ उचित होगा। इसलिए हम सुसमाचार का प्रचार करते हैं और परमेश्वर की गवाही देते हैं, लोगों को सच्चे मार्ग और अंत के दिनों के उद्धार के मार्ग से अवगत कराते हैं। हमारे सुसमाचार के प्रचार का राजनीति से बिल्कुल कोई लेना-देना नहीं है, यह सार्वजनिक व्यवस्था में बाधा डालना तो बिल्कुल भी नहीं है; बल्कि यह तो नेक कर्मों की तैयारी है, ताकि इंसान परमेश्वर के सामने आकर उसके शुद्धिकरण और उद्धार को स्वीकार कर सके, बड़ी आपदाओं से बच सके और इंसान के लिए परमेश्वर द्वारा बनाए गए सुंदर गंतव्य में प्रवेश कर सके—यह एक तथ्य है।

— ऊपर से संगति से उद्धृत

पिछला: 2. CCP ने एक जानकारी को ऑनलाइन प्रसारित करते हुए कहा है कि सुसमाचार को फैलाने और परमेश्वर की गवाही देने के लिए, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया में लोग अपने परिवारों और अपनी नौकरियों को छोड़ देते हैं। कुछ लोग आजीवन अविवाहित रहते हैं। सीसीपी का कहना है कि आपकी मान्यताएँ परिवारों को नष्ट कर देती हैं। क्या CCP का कहना सही है?

अगला: 4. यद्यपि आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करते हैं, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, और सर्वशक्तिमान परमेश्वर के नाम से प्रार्थना करते हैं, सीसीपी इस बात की सूचना प्रसारित कर रही है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया एक इंसान द्वारा बनाई गई थी, और वह इंसान जो भी कहे, आप लोग वैसा ही करते हैं। आप गवाही देते हैं कि यह इंसान एक याजक, परमेश्वर द्वारा इस्तेमाल किया गया एक इंसान है, और वही सभी प्रशासनिक मामलों के लिए जिम्मेदार है। मैं यह समझ नहीं सकता हूँ—आखिर किसने सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की स्थापना की है? इसके मूल क्या हैं? क्या आप इसे समझा सकते हैं?

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

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5. पुराने और नए दोनों नियमों के युगों में, परमेश्वर ने इस्राएल में काम किया। प्रभु यीशु ने भविष्यवाणी की कि वह अंतिम दिनों के दौरान लौटेगा, इसलिए जब भी वह लौटता है, तो उसे इस्राएल में आना चाहिए। फिर भी आप गवाही देते हैं कि प्रभु यीशु पहले ही लौट चुका है, कि वह देह में प्रकट हुआ है और चीन में अपना कार्य कर रहा है। चीन एक नास्तिक राजनीतिक दल द्वारा शासित राष्ट्र है। किसी भी (अन्य) देश में परमेश्वर के प्रति इससे अधिक विरोध और ईसाइयों का इससे अधिक उत्पीड़न नहीं है। परमेश्वर की वापसी चीन में कैसे हो सकती है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद :"क्योंकि उदयाचल से लेकर अस्ताचल तक जाति-जाति में मेरा नाम महान् है, और हर कहीं मेरे नाम पर धूप और शुद्ध भेंट...

प्रश्न 1: सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है," तो मुझे वह याद आया जो प्रभु यीशु ने एक बार कहा था, "परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूँगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा; वरन् जो जल मैं उसे दूँगा, वह उसमें एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा" (यूहन्ना 4:14)। हम पहले से ही जानते हैं कि प्रभु यीशु जीवन के सजीव जल का स्रोत हैं, और अनन्‍त जीवन का मार्ग हैं। क्या ऐसा हो सकता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर और प्रभु यीशु समान स्रोत हों? क्या उनके कार्य और वचन दोनों पवित्र आत्मा के कार्य और वचन हैं? क्या उनका कार्य एक ही परमेश्‍वर करते हैं?

उत्तर: दोनों बार जब परमेश्‍वर ने देह धारण की तो अपने कार्य में, उन्होंने यह गवाही दी कि वे सत्‍य, मार्ग, जीवन और अनन्‍त जीवन के मार्ग हैं।...

परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन मसीह-विरोधियों को उजागर करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ सत्य के अनुसरण के बारे में I सत्य के अनुसरण के बारे में न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सत्य वास्तविकताएं जिनमें परमेश्वर के विश्वासियों को जरूर प्रवेश करना चाहिए मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 1) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 2) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 3) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 4) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 5) मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

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