4. यद्यपि आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करते हैं, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, और सर्वशक्तिमान परमेश्वर के नाम से प्रार्थना करते हैं, सीसीपी इस बात की सूचना प्रसारित कर रही है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया एक इंसान द्वारा बनाई गई थी, और वह इंसान जो भी कहे, आप लोग वैसा ही करते हैं। आप गवाही देते हैं कि यह इंसान एक याजक, परमेश्वर द्वारा इस्तेमाल किया गया एक इंसान है, और वही सभी प्रशासनिक मामलों के लिए जिम्मेदार है। मैं यह समझ नहीं सकता हूँ—आखिर किसने सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की स्थापना की है? इसके मूल क्या हैं? क्या आप इसे समझा सकते हैं?

संदर्भ के लिए धर्मोपदेश और संगति के उद्धरण :

प्रभु को मानने वाला हर व्यक्ति जानता है कि यहूदी धर्म और ईसाई धर्म की उत्पत्ति परमेश्वर के रूप और कार्य से हुई है; वे परमेश्वर के कार्य से उत्पन्न हुए थे। यहूदी धर्म अस्तित्व में आया क्योंकि यहोवा परमेश्वर प्रकट हुआ, उसने अपना कार्य किया, और व्यवस्था का आदेश दिया, और ईसाई धर्म अस्तित्व में आया क्योंकि प्रभु यीशु प्रकट हुआ और उसने छुटकारे का कार्य किया। कोई इंसान ऐसे धर्मों को स्थापित नहीं कर सकता था। इसी तरह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया अस्तित्व में आई क्योंकि सर्वशक्तिमान परमेश्वर प्रकट हुआ है, अपना कार्य कर रहा है, कई सच्चाइयों को व्यक्त कर रहा है, और अंतिम दिनों के न्याय का कार्य कर रहा है। भ्रष्ट मानव जाति सत्य से रहित है, और सत्य को व्यक्त करने में हमेशा असमर्थ होगी—तो एक इंसान ने इतनी बड़ी कलीसिया की स्थापना कैसे की होगी? क्या आप इस पर विश्वास करेंगे यदि कोई कहे कि यहूदी धर्म मूसा द्वारा स्थापित किया गया था, और ईसाई धर्म पौलुस द्वारा? निश्चित रूप से, आप नहीं करेंगे। और इसलिए, सीसीपी का यह दावा कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की स्थापना एक इंसान के द्वारा की गई थी, एक और भी अधिक सरासर झूठ है, यह पूरी तरह से निराधार है। अंतिम दिनों के दौरान, सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने कई वचन व्यक्त किए हैं, और वो सभी जो सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, वे स्वीकार करते हैं कि वे सत्य ही हैं। ये लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों से जीते गए हैं, वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर को स्वीकार करते हैं, और इसमें कोई संदेह नहीं है कि जिस पर वे विश्वास करते हैं वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर है। इस प्रकार, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया केवल सर्वशक्तिमान परमेश्वर की उपस्थिति और कार्य से उत्पन्न हो सकती थी और वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा स्थापित की गई थी—इसमें कोई संदेह नहीं है। अपने कार्य-काल के दौरान, सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा इस्तेमाल और स्थापित किया गया व्यक्ति वह है जो कलीसिया के काम को करने में चुने हुए लोगों का नेतृत्व करता है। इस बीच, कलीसिया का दमन करने, उस पर हमला करने उसे निर्मूल करने के लिए, सीसीपी का कहना है कि कलीसिया की स्थापना किसी एक इंसान के द्वारा की गई थी। क्या यह हास्यास्पद नहीं है? यह स्वतः ही स्पष्ट है कि सीसीपी के यह कहने का उद्देश्य झूठी खबरें फैलाना, बदनामी करना और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को निर्मूल करना है। लेकिन क्या सीसीपी को वह मिल गया है जो वह चाहती थी? नहीं, आज, सर्वशक्तिमान परमेश्वर का कार्य दुनिया भर के कई देशों में पहले ही पहुँच चुका है, जो निम्नलिखित बात को सिद्ध करता है: वे समस्त दावे कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की स्थापना किसी एक व्यक्ति द्वारा की गई थी, शैतान की धोखेबाज योजनाएँ हैं, ऐसी योजनाएँ जो कि केवल उन्हीं लोगों को धोखा देने में सक्षम हैं जो मूर्ख और अज्ञानी हों।

अनुग्रह के युग में, प्रभु यीशु ने अपने अनुयायियों से वादा किया, "और यदि मैं जाकर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूँ, तो फिर आकर तुम्हें अपने यहाँ ले जाऊँगा कि जहाँ मैं रहूँ वहाँ तुम भी रहो" (यूहन्ना 14:3)। उन्होंने यह भविष्यवाणी भी की, "क्योंकि जैसे बिजली पूर्व से निकलकर पश्‍चिम तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य के पुत्र का भी आना होगा" (मत्ती 24:27)। अंत के दिनों में, जैसे कि उसने स्वयं प्रतिज्ञा की और पहले से ही कह दिया, परमेश्वर ने वचन का उपयोग कर के, प्रभु यीशु के छुटकारे के कार्य की नींव पर न्याय, ताड़ना, शुद्धिकरण और उद्धार का कार्य करने के लिए पुनः देह धारण किया है और दुनिया के पूर्व में—चीन—में अवतीर्ण हुआ है। इसमें बाइबिल की ये भविष्यवाणियाँ कि "पहले परमेश्‍वर के लोगों का न्याय किया जाए" (1 पतरस 4:17)। "जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है" (प्रकाशितवाक्य 2:7)। भी पूरी हो गयी हैं। अंत के दिनों के परमेश्वर के कार्य ने अनुग्रह का युग समाप्त कर दिया और राज्य का युग आरंभ किया। जैसे—जैसे ही सर्वशक्तिमान परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार मुख्यभूमि चीन में तेजी से फैला, तो सभी धर्मों और संप्रदायों के लोग जिन्हें सत्य से प्रेम है और जो परमेश्वर के अवतरण के लिए तरस रहे हैं, उन्होंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़कर उन्हें सत्य के रूप में, परमेश्वर की वाणी के रूप में पहचाना। उन्हें यकीन हो गया कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही लौटकर आया प्रभु यीशु है और उन सभी ने एक-एक करके सर्वशक्तिमान परमेश्वर को स्वीकार कर लिया। इस तरह सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का जन्म हुआ। जैसा कि तथ्यों से सिद्ध हुआ है, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया पूरी तरह से परमेश्वर के अवतरण और कार्य के परिणामस्वरूप अस्तित्व में आयी। इसे किसी व्यक्ति द्वारा स्थापित नहीं किया गया था। क्योंकि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के चुने हुए लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर के नाम से प्रार्थना करते हैं, उसके कार्य के अनुसार चलते हैं, और उसके द्वारा व्यक्त सभी सत्यों को स्वीकार करते हैं। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि ये चुने हुए लोग किसी मनुष्य में विश्वास करने के बजाय, मसीह में विश्वास करते हैं जो अंत के दिनों में देहधारी हुआ व्यावहारिक परमेश्वर है जो देह में साकार हुआ आत्मा है। बाह्य रूप से, सर्वशक्तिमान परमेश्वर मनुष्य के एक साधारण पुत्र से अधिक कुछ नहीं है, किंतु सार रूप में वह परमेश्वर के आत्मा का मूर्तरूप है और सत्य, मार्ग और जीवन है। उसका कार्य और वचन परमेश्वर के आत्मा की प्रत्यक्ष अभिव्यक्ति हैं और परमेश्वर की व्यक्तिगत रूप से उपस्थिति हैं। इसलिए वह व्यावहारिक परमेश्वर है जो देहधारी हुआ है।

1991 में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर, अंत के दिनों के मसीह ने, चीन में आधिकारिक रूप से अपनी सेवकाई आरंभ की। फिर उसने लाखों वचन व्यक्त किए और अंत के दिनों में महान श्वेत सिंहासन के न्याय का कार्य आरंभ किया। जैसे कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन कहते हैं, "न्याय का कार्य परमेश्वर का अपना कार्य है, इसलिए स्वाभाविक रूप से इसे परमेश्वर द्वारा ही किया जाना चाहिए; उसकी जगह इसे मनुष्य द्वारा नहीं किया जा सकता। चूँकि न्याय सत्य के माध्यम से मानवजाति को जीतना है, इसलिए परमेश्वर निःसंदेह अभी भी मनुष्यों के बीच इस कार्य को करने के लिए देहधारी छवि के रूप में प्रकट होगा। अर्थात्, अंत के दिनों का मसीह दुनिया भर के लोगों को सिखाने के लिए और उन्हें सभी सच्चाइयों का ज्ञान कराने के लिए सत्य का उपयोग करेगा। यह परमेश्वर के न्याय का कार्य है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, मसीह न्याय का कार्य सत्य के साथ करता है)। "अंत के दिनों में परमेश्वर वचनों का कार्य करता है, और ऐसे वचन पवित्र आत्मा के वचन हैं, क्योंकि परमेश्वर पवित्र आत्मा है और वह देहधारी भी हो सकता है; इसलिए, पवित्र आत्मा के वचन, जैसे अतीत में बोले गए थे, आज देहधारी परमेश्वर के वचन हैं। ... कार्य करने और वचन बोलने की खातिर परमेश्वर के लिए देहधारण करना ज़रूरी है; अन्यथा उसका कार्य अपने उद्देश्य को पूरा नहीं कर सकता" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, वो मनुष्य, जिसने परमेश्वर को अपनी ही धारणाओं में सीमित कर दिया है, किस प्रकार उसके प्रकटनों को प्राप्त कर सकता है?)। अंत के दिनों के मसीह की उपस्थिति और कथनों के कारण, बहुत अधिक लोग जो सत्य के प्यासे और सत्य की खोज करते हैं, जीत लिए गए हैं और सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन से शुद्ध हो चुके हैं। वे परमेश्वर के न्याय और ताड़ना में परमेश्वर के अवतरण और उद्धारक की वापसी को देख चुके हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया सर्वशक्तिमान परमेश्वर—लौटकर आया प्रभु यीशु– अंत के दिनों के मसीह के अवतरण और काम की वजह से और उसके धार्मिक न्याय और ताड़ना के अधीन अस्तित्व में आयी। कलीसिया में उन सभी लोगों का समावेश है जो वास्तव में अंत के दिनों के सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और परमेश्वर के वचन द्वारा जीते और बचाये जाते हैं। इसे पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और व्यक्तिगत रूप से उसके द्वारा मार्गदर्शन और चरवाही की जाती है। इसे किसी व्यक्ति द्वारा स्थापित नहीं किया गया था। यह एक ऐसा तथ्य है जिसे सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के सभी चुने हुए लोगों द्वारा स्वीकार किया गया है। देहधारी परमेश्वर द्वारा उपयोग किया जाने वाला कोई भी व्यक्ति परमेश्वर द्वारा पूर्वनियत होता है, और उसे परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से नियुक्त और सत्यापित किया जाता है, ठीक वैसे ही जैसे यीशु ने व्यक्तिगत रूप से बारह शिष्यों को चुना और नियुक्त किया था। जो लोग परमेश्वर द्वारा उपयोग किए जाते हैं, वे केवल उसके काम में ही सहयोग करते हैं, वे कभी परमेश्वर के बदले में उसका कार्य नहीं कर सकते। क्योंकि भ्रष्ट इंसान सत्य से रहित है, वह कभी सत्य व्यक्त नहीं कर सकता, कलीसिया की स्थापना करने की तो बात ही दूर है, कलीसिया उन लोगों द्वारा स्थापित नहीं की गई थी जो परमेश्वर द्वारा उपयोग किए जाते हैं, न ही परमेश्वर के चुने हुए लोग उन पर विश्वास करते हैं या उनका अनुसरण करते हैं। अनुग्रह के युग की कलिसीयाओं की स्थापना पौलुस और अन्य प्रेरितों द्वारा नहीं की गई थी, बल्कि ये प्रभु यीशु के काम के परिणाम थे और इन्हें स्वयं प्रभु यीशु द्वारा स्थापित किया गया था। इसी तरह, अंत के दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया उन लोगों द्वारा स्थापित नहीं की गई है जिन्हें परमेश्वर द्वारा उपयोग किया गया था बल्कि यह सर्वशक्तिमान परमेश्वर के काम का परिणाम है। परमेश्वर द्वारा उपयोग किया जाने वाला इंसान, मनुष्य का कर्तव्य करते हुए, केवल कलीसियाओं का सिंचन, पोषण, और उनका मार्गदर्शन करता है। यद्यपि परमेश्वर के द्वारा उपयोग किए जाने वाले इंसान द्वारा परमेश्वर के चुने हुए लोगों का मार्गदर्शन, सिंचन और पोषण किया जाता है, तब भी वे लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अलावा किसी अन्य को नहीं मानते या किसी अन्य का अनुसरण नहीं करते हैं और परमेश्वर के वचनों और काम को स्वीकार करते और उनका पालन करते हैं। यह एक तथ्य है जिसे कोई नकार नहीं सकता। अंत के दिनों में देहधारी परमेश्वर के अवतरण और काम की वजह से, सभी धार्मिक संप्रदायों में प्रभु के कई सच्चे विश्वासियों ने अंततः परमेश्वर की वाणी सुनी है, देखा है कि प्रभु यीशु पहले ही आ और चुका है, परमेश्वर के घर से शुरू करके न्याय का कार्य कर चुका है और उन सभी ने पुष्टि की है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही लौटकर आया प्रभु यीशु है- और परिणामस्वरूप, उन्होंने उसके अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार कर लिया है। जो लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन द्वारा जीते जाते हैं, वे उसके नाम के अधीन हो जाते हैं और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के सभी चुने हुए लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं, उसका अनुसरण, आज्ञा-पालन और उसकी आराधना करते हैं। चीन के चुने हुए लोग ऐसे पहले लोग थे जिन्होंने परमेश्वर के न्याय और ताड़ना के कार्य का अनुभव किया जिन्होंने उसके धार्मिक स्वभाव को समझा, उसका प्रताप और क्रोध देखा। इसलिए वे पूरी तरह से परमेश्वर वचन द्वारा जीते जा चुके हैं और वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के सामने दंडवत हो गए हैं। वे परमेश्वर के वचन के न्याय और ताड़ना को मानने और स्वीकार करने के इच्छुक हैं। उन्होंने सचमुच प्रायश्चित किया है और वे बदल चुके हैं। इस प्रकार, उन्होंने परमेश्वर का उद्धार प्राप्त कर लिया है।

—ऊपर से संगति

पिछला: 3. मैं देख रहा हूँ कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया ने सुसमाचार को फैलाने और अंतिम दिनों के परमेश्वर के कार्य की गवाही देने के अलावा, लोगों से यह कहने के अलावा कि वे ईमानदार रहें और मानव जीवन के सही मार्ग पर चलें, और कुछ नहीं किया है। लेकिन सीसीपी इस बात की सूचना प्रसारित कर रही है कि कलीसिया द्वारा सुसमाचार फैलाने का अंतिम उद्देश्य सीसीपी शासन को उखाड़ फेंकना है। मुझे कैसे पता चले कि CCP का कहना सही है या गलत?

अगला: 5. 28 मई को शेडोंग के झाओयुआन में हुई घटना के बाद, सीसीपी ने गृह कलीसियाओं पर हमला करने के अपने प्रयासों को तीव्रतर कर दिया, और यहाँ तक कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का दमन करने और उस पर टूट पड़ने के लिए उसने सशस्त्र पुलिस भी जुटाई थी। कई लोगों ने झाओयुआन घटना के बारे में संदेह व्यक्त किया है, उनका विश्वास है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के खिलाफ जनता की राय बनाने के लिए एक झूठे मामले को गढ़कर, इस पर हमला करने और इसका दमन करने का यह एक प्रयास था। इसके बावजूद, मामले को सार्वजनिक रूप से सीसीपी की अदालत में पेश किया गया और प्रमुख चीनी मीडिया आउटलेट्स द्वारा इसे रिपोर्ट किया गया, और सीसीपी ने जो कहा, वह कुछ लोगों ने मान लिया है। हम यह सुनना चाहेंगे कि आप झाओयुआन में हुई घटना के बारे में क्या सोचते हैं।

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

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5. पुराने और नए दोनों नियमों के युगों में, परमेश्वर ने इस्राएल में काम किया। प्रभु यीशु ने भविष्यवाणी की कि वह अंतिम दिनों के दौरान लौटेगा, इसलिए जब भी वह लौटता है, तो उसे इस्राएल में आना चाहिए। फिर भी आप गवाही देते हैं कि प्रभु यीशु पहले ही लौट चुका है, कि वह देह में प्रकट हुआ है और चीन में अपना कार्य कर रहा है। चीन एक नास्तिक राजनीतिक दल द्वारा शासित राष्ट्र है। किसी भी (अन्य) देश में परमेश्वर के प्रति इससे अधिक विरोध और ईसाइयों का इससे अधिक उत्पीड़न नहीं है। परमेश्वर की वापसी चीन में कैसे हो सकती है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद :"क्योंकि उदयाचल से लेकर अस्ताचल तक जाति-जाति में मेरा नाम महान् है, और हर कहीं मेरे नाम पर धूप और शुद्ध भेंट...

प्रश्न: प्रभु यीशु कहते हैं: "मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं" (यूहन्ना 10:27)। तब समझ आया कि प्रभु अपनी भेड़ों को बुलाने के लिए वचन बोलने को लौटते हैं। प्रभु के आगमन की प्रतीक्षा से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बात है, प्रभु की वाणी सुनने की कोशिश करना। लेकिन अब, सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि हमें नहीं पता कि प्रभु की वाणी कैसे सुनें। हम परमेश्वर की वाणी और मनुष्य की आवाज़ के बीच भी अंतर नहीं कर पाते हैं। कृपया हमें बताइये कि हम प्रभु की वाणी की पक्की पहचान कैसे करें।

उत्तर: हम परमेश्वर की वाणी कैसे सुनते हैं? हममें कितने भी गुण हों, हमें कितना भी अनुभव हो, उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। प्रभु यीशु में विश्वास...

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