1. भूकंप, अकाल, महामारियों, बाढ़, और सूखे जैसी आपदाओं से आज पृथ्वी बेहाल है। ये आपदाएँ बढ़ते पैमाने पर हो रही हैं, और उनके कारण अधिकाधिक मौतें हो रही हैं। परमेश्वर इंसान से प्रेम करता है और इंसान को बचाता है, तो उसे इतनी बड़ी आपदाओं की वर्षा क्यों करनी चाहिए?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद :

"'जब कटनी के तीन महीने रह गए, तब मैं ने तुम्हारे लिये वर्षा न की; मैं ने एक नगर में जल बरसाकर दूसरे में न बरसाया; एक खेत में जल बरसा, और दूसरा खेत जिस में न बरसा, वह सूख गया। इसलिये दो तीन नगरों के लोग पानी पीने को मारे मारे फिरते हुए एक ही नगर में आए, परन्तु तृप्‍त न हुए; तौभी तुम मेरी ओर न फिरे,' यहोवा की यही वाणी है। 'मैं ने तुमको लूह और गेरुई से मारा है; और जब तुम्हारी वाटिकाएँ और दाख की बारियाँ, और अंजीर और जैतून के वृक्ष बहुत हो गए, तब टिड्डियाँ उन्हें खा गईं; तौभी तुम मेरी ओर फिरकर न आए,' यहोवा की यही वाणी है। 'मैं ने तुम्हारे बीच में मिस्र देश की सी मरी फैलाई; मैं ने तुम्हारे घोड़ों को छिनवा कर तुम्हारे जवानों को तलवार से घात करा दिया; और तुम्हारी छावनी की दुर्गन्ध तुम्हारे पास पहुँचाई; तौभी तुम मेरी ओर फिरकर न आए,' यहोवा की यही वाणी है। 'मैं ने तुम में से कई एक को ऐसा उलट दिया, जैसे परमेश्‍वर ने सदोम और अमोरा को उलट दिया था, और तुम आग से निकाली हुई लकड़ी के समान ठहरे; तौभी तुम मेरी ओर फिरकर न आए,' यहोवा की यही वाणी है। 'इस कारण, हे इस्राएल, मैं तुझ से ऐसा ही करूँगा, और इसलिये कि मैं तुझ में यह काम करने पर हूँ, हे इस्राएल, अपने परमेश्‍वर के सामने आने के लिये तैयार हो जा!'" (आमोस 4:7-12)

"परमेश्‍वर यहोवा की यह वाणी है, 'देखो, ऐसे दिन आते हैं, जब मैं इस देश में महँगी करूँगा; उस में न तो अन्न की भूख और न पानी की प्यास होगी, परन्तु यहोवा के वचनों के सुनने ही की भूख प्यास होगी'" (आमोस 8:11)

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन :

सब कुछ जो परमेश्वर करता है, उसकी योजना सटीकता के साथ बनाई जाती है। जब वह किसी चीज़ या परिस्थिति को घटित होते देखता है, तो उसकी दृष्टि में इसे नापने के लिए एक मापदंड होता है और यह मापदंड निर्धारित करता है कि इससे निपटने के लिए वह किसी योजना की शुरुआत करता है या नहीं या उसे इस चीज़ एवं परिस्थिति के साथ किस प्रकार निपटना है। वह उदासीन नहीं है या उसमें सभी चीज़ों के प्रति भावनाओं की कमी नहीं है। असल में इसका पूर्णत: विपरीत है। यहाँ एक पद है, जिसे परमेश्वर ने नूह से कहा था : "सब प्राणियों के अन्त करने का प्रश्न मेरे सामने आ गया है; क्योंकि उनके कारण पृथ्वी उपद्रव से भर गई है, इसलिये मैं उनको पृथ्वी समेत नष्‍ट कर डालूँगा।" जब परमेश्वर ने यह कहा तो क्या उसका मतलब था वह सिर्फ मनुष्यों का विनाश कर रहा था? नहीं! परमेश्वर ने कहा कि वह देह वाले सभी जीवित प्राणियों का विनाश करने जा रहा था। परमेश्वर ने विनाश क्यों चाहा? यहाँ परमेश्वर के स्वभाव का एक और प्रकाशन है; परमेश्वर की दृष्टि में, मनुष्य की भ्रष्टता के प्रति, सभी देहधारियों की अशुद्धता, उपद्रव एवं अवज्ञा के प्रति उसके धीरज की एक सीमा है। उसकी सीमा क्या है? यह ऐसा है जैसा परमेश्वर ने कहा था : "और परमेश्‍वर ने पृथ्वी पर जो दृष्‍टि की तो क्या देखा कि वह बिगड़ी हुई है; क्योंकि सब प्राणियों ने पृथ्वी पर अपना अपना चाल-चलन बिगाड़ लिया था।" इस वाक्यांश "क्योंकि सब प्राणियों ने पृथ्वी पर अपना अपना चाल-चलन बिगाड़ लिया था" का क्या अर्थ है? इसका अर्थ है कोई भी जीवित प्राणी, इनमें परमेश्वर का अनुसरण करने वाले, वे जो परमेश्वर का नाम पुकारते थे, ऐसे लोग जो किसी समय परमेश्वर को होमबलि चढ़ाते थे, ऐसे लोग जो मौखिक रूप से परमेश्वर को स्वीकार करते थे और यहाँ तक कि परमेश्वर की स्तुति भी करते थे—जब एक बार उनका व्यवहार भ्रष्टता से भर गया और परमेश्वर की दृष्टि में आ गया, तो उसे उनका नाश करना होगा। यह परमेश्वर की सीमा थी। अतः परमेश्वर किस हद तक मनुष्य एवं सभी देहधारियों की भ्रष्टता के प्रति सहनशील बना रहा? उस हद तक जब सभी लोग, चाहे वे परमेश्वर के अनुयायी हों या अविश्वासी, सही मार्ग पर नहीं चल रहे थे। उस हद तक जब मनुष्य केवल नैतिक रूप से भ्रष्ट और बुराई से भरा हुआ नहीं था, बल्कि जहाँ कोई व्यक्ति नहीं था, जो परमेश्वर के अस्तित्व में विश्वास करता था, किसी ऐसे व्यक्ति के होने की तो बात ही छोड़ दीजिए जो विश्वास करता हो कि परमेश्वर द्वारा इस संसार पर शासन किया जाता है और यह कि परमेश्वर लोगों के लिए प्रकाश का और सही मार्ग ला सकता है। उस हद तक जहाँ मनुष्य ने परमेश्वर के अस्तित्व से घृणा की और परमेश्वर को अस्तित्व में रहने की अनुमति नहीं दी। जब एक बार मनुष्य का भ्रष्टाचार इस बिंदु पर पहुँच गया, तो परमेश्वर इसे और अधिक नहीं सह सका। उसका स्थान कौन लेता? परमेश्वर के क्रोध और परमेश्वर के दंड का आगमन।

—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर का स्वभाव और स्वयं परमेश्वर I

सब कुछ मेरे वचनों के द्वारा पूरा हो जाएगा; कोई मनुष्य भागी न हो, और कोई मनुष्य वह काम नहीं कर सकता है जिसे मैं करूँगा। मैं सारी भूमि की हवा को स्वच्छ करूँगा और पृथ्वी पर से दुष्टात्माओं का पूर्ण रूप से नाश कर दूँगा। मैं पहले से ही शुरू कर चुका हूँ, और अपने ताड़ना कार्य के पहले कदम को उस बड़े लाल अजगर के निवास स्थान में आरम्भ करूँगा। इस प्रकार यह देखा जा सकता है कि मेरी ताड़ना पूरे ब्रह्माण्ड के ऊपर आ गई है, और बड़ा लाल अजगर और सभी प्रकार की अशुद्ध आत्माएँ मेरी ताड़ना से बच पाने में असमर्थ होंगी क्योंकि मैं समूची भूमि पर निगाह रखता हूँ। जब मेरा कार्य पृथ्वी पर पूरा हो जाएगा अर्थात्, जब न्याय का युग समाप्त होगा, तब मैं औपचारिक रूप से उस बड़े लाल अजगर को ताड़ना दूँगा। मेरे लोग उस बड़े लाल अजगर की धर्मी ताड़ना को अवश्य देखेंगे, मेरी धार्मिकता के कारण स्तुति बरसाएँगे, और मेरी धार्मिकता के कारण सदा सर्वदा मेरे पवित्र नाम की बड़ाई करते रहेंगे। अब से तुम लोग अपने कर्तव्यों को औपचारिक तौर पर निभा पाओगे, और सारी धरती पर औपचारिक तौर पर मेरी स्तुति करोगे, हमेशा-हमेशा के लिए!

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 28

जब सभी लोगों को संपूर्ण बना लिया गया होगा और पृथ्वी के सभी राष्ट्र मसीह का राज्य बन गए होंगे, तब वह समय होगा जब सात गर्जनाएँ गूँजेंगी। वर्तमान दिन उस चरण की दिशा में एक लंबा कदम है; आने वाले उस दिन की ओर बढ़ने के लिए धावा बोल दिया गया है। यह परमेश्वर की योजना है, और निकट भविष्य में ये साकार हो जाएगा। हालाँकि, परमेश्वर ने जो कुछ भी कहा है, वह सब पहले ही पूरा कर दिया है। इस प्रकार, यह स्पष्ट है कि धरती के देश केवल रेत के किले हैं जो ज्वार आने पर काँप जाते हैं : अंत का दिन सन्निकट है और बड़ा लाल अजगर परमेश्वर के वचन के नीचे गिर जाएगा। यह सुनिश्चित करने के लिए कि परमेश्वर की योजना का सफलतापूर्वक क्रियान्वन होता है, परमेश्वर को संतुष्ट करने का भरपूर प्रयास करते हुए, स्वर्गदूत पृथ्वी पर उतर आए हैं। स्वयं देहधारी परमेश्वर दुश्मन से लड़ाई करने के लिए युद्ध के मैदान में तैनात हुआ है। जहाँ कहीं भी देहधारण प्रकट होता है, उस जगह से दुश्मन पूर्णतया विनष्ट किया जाता है। सबसे पहले चीन का सर्वनाश होगा; यह परमेश्वर के हाथों बर्बाद कर दिया जाएगा। परमेश्वर वहाँ कोई भी दया बिलकुल नहीं दिखाएगा। बड़े लाल अजगर के उत्तरोत्तर ढहने का सबूत लोगों की निरंतर परिपक्वता में देखा जा सकता है; इसे कोई भी स्पष्ट रूप से देख सकता है। लोगों की परिपक्वता दुश्मन की मृत्यु का संकेत है। यह "इसके साथ प्रतिस्पर्धा करने" के अर्थ का थोड़ा स्पष्टीकरण है।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, “संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचनों” के रहस्यों की व्याख्या, अध्याय 10

आज, मैं न केवल बड़े लाल अजगर के राष्ट्र के ऊपर उतर रहा हूँ, बल्कि मैं अपना चेहरा समूचे ब्रह्माण्ड की ओर भी मोड़ रहा हूँ, जिसने समूचे सर्वोच्च आसमान में कंपकंपाहट उत्पन्न कर दी है। क्या कहीं कोई एक भी स्थान है जो मेरे न्याय के अधीन नहीं है? क्या कोई एक भी स्थान है जो उन विपत्तियों के अधीन नहीं है जो मैं उस पर बरसाता रहता हूँ। हर उस स्थान पर जहाँ मैं जाता हूँ, मैंने तरह-तरह के "विनाश के बीज" छितरा दिए हैं। यह मेरे कार्य करने के तरीक़ों में से एक है, और यह निस्संदेह मानवता के उद्धार का एक कार्य है, और जो मैं उन्हें देता हूँ वह अब भी एक प्रकार का प्रेम ही है। मैं चाहता हूँ कि और भी अधिक लोग मुझे जान पाएँ, और मुझे देख पाएँ, और इस तरह उस परमेश्वर का आदर करने लगें जिसे वे इतने सारे वर्षों से देख नहीं सके है किंतु जो, ठीक इस समय, वास्तविक है। मैंने संसार की सृष्टि किस कारण से की? मानव प्राणियों के भ्रष्ट हो जाने के बाद भी, मैंने उन्हें समूल नष्ट क्यों नहीं किया? समूची मानव जाति आपदाओं के बीच किस कारण से रहती है? देहधारण करने में मेरा क्या उद्देश्य था? जब मैं अपना कार्य कर रहा होता हूँ, तो मानवता न केवल कड़वे का, बल्कि मीठे का स्वाद भी सीखती है।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 10

कार्य के इस चरण में, क्योंकि परमेश्वर अपने सभी कर्मों को दुनिया भर में प्रकट करना चाहता है ताकि सभी मनुष्य जिन्होंने उसके साथ विश्वासघात किया है, पुनः उसके सिंहासन के समक्ष समर्पित होने के लिए आ जाएँ, परमेश्वर के न्याय में अभी भी उसकी करुणा और प्रेमपूर्ण दयालुता होगी। परमेश्वर दुनिया भर में वर्तमान घटनाओं का उपयोग ऐसे अवसरों के तौर पर करता है जिससे मनुष्य घबरा जाएँ, उन्हें परमेश्वर की तलाश करने के लिए प्रेरित करता है ताकि वे उसके समक्ष लौट सकें। इस प्रकार परमेश्वर कहता है, "यह मेरे कार्य करने के तरीक़ों में से एक है, और यह निस्संदेह मानवता के उद्धार का एक कार्य है, और जो मैं उन्हें देता हूँ वह अब भी एक प्रकार का प्रेम ही है।"

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, “संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचनों” के रहस्यों की व्याख्या, अध्याय 10

परमेश्वर के कार्य के चरणों में, उद्धार अब भी विभिन्न आपदाओं का रूप लेता है, और उनसे ऐसा कोई भी नहीं बच सकता जो अभिशप्त है। केवल अंत में ही पृथ्वी पर वह दृश्य प्राप्त कर पाना संभव होगा, जो "उतना ही शांत है जितना तीसरा स्वर्ग : यहाँ, जीती-जागती चीजें, बड़ी हों या छोटी, सामंजस्यपूर्ण सहअस्तित्व में हैं, कभी 'मुख और जिह्वा के संघर्ष' में लिप्त नहीं होती हैं।" परमेश्वर के कार्य का एक पहलू समस्त मानवजाति पर विजय प्राप्त करना और अपने वचनों के माध्यम से चुने हुए लोगों को प्राप्त करना है; दूसरा पहलू है विभिन्न आपदाओं के तरीक़े से विद्रोह के सभी पुत्रों को जीतना। यह परमेश्वर के बड़े पैमाने के कार्य का एक भाग है। पृथ्वी पर परमेश्वर जो राज्य चाहता है, वह केवल इसी तरीक़े से पूर्णतः प्राप्त किया जा सकता है, और यह उसके कार्य का वह भाग है जो शुद्ध सोना है।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, “संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचनों” के रहस्यों की व्याख्या, अध्याय 17

मेरी दया उन पर होती है जो मुझसे प्रेम करते हैं और स्वयं को नकारते हैं। दुष्टों को मिला दण्ड निश्चित रूप से मेरे धार्मिक स्वभाव का प्रमाण है, और उससे भी बढ़कर, मेरे क्रोध का प्रमाण है। जब आपदा आएगी, तो उन सभी पर अकाल और महामारी आ पड़ेगी जो मेरा विरोध करते हैं और वे विलाप करेंगे। जो लोग सभी तरह के दुष्टतापूर्ण कर्म कर चुके हैं, किन्तु कई वर्षों तक मेरा अनुसरण किया है, वे अपने पापों का फल भुगतने से नहीं बचेंगे; वे भी लाखों वर्षों में शायद ही देखी गयी आपदा में डुबा दिये जाएँगे, और वे लगातार आंतक और भय की स्थिति में जीते रहेंगे। और केवल मेरे ऐसे अनुयायी जिन्होंने मेरे प्रति निष्ठा दर्शायी है, मेरी शक्ति का आनंद लेंगे और गुणगान करेंगे। वे अवर्णनीय तृप्ति का अनुभव करेंगे और ऐसे आनंद में रहेंगे जो मैंने मानवजाति को पहले कभी प्रदान नहीं किया है। क्योंकि मैं मनुष्यों के अच्छे कर्मों को सँजोकर रखता हूँ और उनके बुरे कर्मों से घृणा करता हूँ। जबसे मैंने सबसे पहले मानवजाति की अगुवाई करनी आरंभ की, तबसे मैं उत्सुकतापूर्वक मनुष्यों के ऐसे समूह को पाने की आशा करता रहा हूँ जो मेरे साथ एक मन वाले हों। इस बीच मैं उन लोगों को कभी नहीं भूलता हूँ जो मेरे साथ एक मन वाले नहीं हैं; अपने हृदय में मैं हमेशा उनसे घृणा करता हूँ, उन्हें प्रतिफल देने के अवसर की प्रतीक्षा करता हूँ, जिसे देखना मुझे आनंद देगा। अंततः आज मेरा दिन आ गया है, और मुझे अब और प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं है!

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, अपनी मंजिल के लिए पर्याप्त अच्छे कर्म तैयार करो

पिछला: 3. कुछ लोगों ने स्वीकार किया है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर प्रभु यीशु की वापसी है, लेकिन चूँकि वे सीसीपी द्वारा गिरफ्तार किए जाने और सताए जाने से भयभीत हैं और धार्मिक समुदाय के पादरियों और एल्डर्स द्वारा डराए और धमकाए गए हैं, वे सच्चे मार्ग को स्वीकार करने का साहस नहीं कर पाते हैं। ऐसे लोगों का अंत कैसा होगा?

अगला: 2. पादरी हमसे अक्सर कहते हैं कि हालाँकि आपदा के बाद आपदा टूट पड़ती है, हमें डरना नहीं चाहिए, क्योंकि बाइबल हमें बताती है: "तेरे निकट हज़ार, और तेरी दाहिनी ओर दस हज़ार गिरेंगे; परन्तु वह तेरे पास न आएगा" (भजन संहिता 91:7)। अगर हमें प्रभु पर भरोसा है, और हम प्रार्थना करना, बाइबल पढ़ना और मिलकर सहभागिता करना जारी रखते हैं, तो आपदा हम पर नहीं आएगी। लेकिन कुछ धार्मिक याजक और ईसाई ऐसे भी हैं जो इन आपदाओं में मारे गए हैं। वे सभी बाइबल पढ़ते थे, प्रार्थना करते थे, और प्रभु की सेवा करते थे, तो परमेश्वर ने उनकी रक्षा क्यों नहीं की?

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

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5. पुराने और नए दोनों नियमों के युगों में, परमेश्वर ने इस्राएल में काम किया। प्रभु यीशु ने भविष्यवाणी की कि वह अंतिम दिनों के दौरान लौटेगा, इसलिए जब भी वह लौटता है, तो उसे इस्राएल में आना चाहिए। फिर भी आप गवाही देते हैं कि प्रभु यीशु पहले ही लौट चुका है, कि वह देह में प्रकट हुआ है और चीन में अपना कार्य कर रहा है। चीन एक नास्तिक राजनीतिक दल द्वारा शासित राष्ट्र है। किसी भी (अन्य) देश में परमेश्वर के प्रति इससे अधिक विरोध और ईसाइयों का इससे अधिक उत्पीड़न नहीं है। परमेश्वर की वापसी चीन में कैसे हो सकती है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद :"क्योंकि उदयाचल से लेकर अस्ताचल तक जाति-जाति में मेरा नाम महान् है, और हर कहीं मेरे नाम पर धूप और शुद्ध भेंट...

प्रश्न 1: सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है," तो मुझे वह याद आया जो प्रभु यीशु ने एक बार कहा था, "परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूँगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा; वरन् जो जल मैं उसे दूँगा, वह उसमें एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा" (यूहन्ना 4:14)। हम पहले से ही जानते हैं कि प्रभु यीशु जीवन के सजीव जल का स्रोत हैं, और अनन्‍त जीवन का मार्ग हैं। क्या ऐसा हो सकता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर और प्रभु यीशु समान स्रोत हों? क्या उनके कार्य और वचन दोनों पवित्र आत्मा के कार्य और वचन हैं? क्या उनका कार्य एक ही परमेश्‍वर करते हैं?

उत्तर: दोनों बार जब परमेश्‍वर ने देह धारण की तो अपने कार्य में, उन्होंने यह गवाही दी कि वे सत्‍य, मार्ग, जीवन और अनन्‍त जीवन के मार्ग हैं।...

प्रश्न: प्रभु यीशु कहते हैं: "मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं" (यूहन्ना 10:27)। तब समझ आया कि प्रभु अपनी भेड़ों को बुलाने के लिए वचन बोलने को लौटते हैं। प्रभु के आगमन की प्रतीक्षा से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बात है, प्रभु की वाणी सुनने की कोशिश करना। लेकिन अब, सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि हमें नहीं पता कि प्रभु की वाणी कैसे सुनें। हम परमेश्वर की वाणी और मनुष्य की आवाज़ के बीच भी अंतर नहीं कर पाते हैं। कृपया हमें बताइये कि हम प्रभु की वाणी की पक्की पहचान कैसे करें।

उत्तर: हम परमेश्वर की वाणी कैसे सुनते हैं? हममें कितने भी गुण हों, हमें कितना भी अनुभव हो, उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। प्रभु यीशु में विश्वास...

परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन मसीह-विरोधियों को उजागर करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ सत्य के अनुसरण के बारे में I सत्य के अनुसरण के बारे में न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सत्य वास्तविकताएं जिनमें परमेश्वर के विश्वासियों को जरूर प्रवेश करना चाहिए मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 1) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 2) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 3) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 4) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 5) मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

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