3. कुछ लोगों ने स्वीकार किया है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर प्रभु यीशु की वापसी है, लेकिन चूँकि वे सीसीपी द्वारा गिरफ्तार किए जाने और सताए जाने से भयभीत हैं और धार्मिक समुदाय के पादरियों और एल्डर्स द्वारा डराए और धमकाए गए हैं, वे सच्चे मार्ग को स्वीकार करने का साहस नहीं कर पाते हैं। ऐसे लोगों का अंत कैसा होगा?
संदर्भ के लिए बाइबल के पद :
"परन्तु डरपोकों, और अविश्वासियों, और घिनौनों, और हत्यारों और व्यभिचारियों, और टोन्हों, और मूर्तिपूजकों, और सब झूठों का भाग उस झील में मिलेगा जो आग और गन्धक से जलती रहती है : यह दूसरी मृत्यु है" (प्रकाशितवाक्य 21:8)।
"क्योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे, वह उसे खोएगा; और जो कोई मेरे लिये अपना प्राण खोएगा, वह उसे पाएगा" (मत्ती 16:25)।
"जो कोई मनुष्यों के सामने मुझे मान लेगा, उसे मैं भी अपने स्वर्गीय पिता के सामने मान लूँगा। पर जो कोई मनुष्यों के सामने मेरा इन्कार करेगा, उस से मैं भी अपने स्वर्गीय पिता के सामने इन्कार करूँगा" (मत्ती 10:32–33)।
"और जो कोई अपना क्रूस न उठाए, और मेरे पीछे न आए, वह भी मेरा चेला नहीं हो सकता" (लूका 14:27)।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन :
तुम लोग नहीं जानते कि परमेश्वर क्या है, तुम लोग नहीं जानते कि मसीह क्या है, तुम लोग नहीं जानते कि यहोवा का आदर कैसे करें, तुम लोग नहीं जानते कि कैसे पवित्र आत्मा के कार्य में प्रवेश करें और तुम लोग नहीं जानते कि परमेश्वर स्वयं के कार्य और मनुष्य के धोखों के बीच कैसे भेद करें। तुम परमेश्वर द्वारा व्यक्त सत्य के किसी भी ऐसे वचन की केवल निंदा करना ही जानते हो, जो तुम्हारे विचारों के अनुरूप नहीं होता। तुम्हारी विनम्रता कहाँ है? तुम्हारी आज्ञाकारिता कहाँ है? तुम्हारी सत्यनिष्ठा कहाँ है? सत्य खोजने की तुम्हारी इच्छा कहाँ है? परमेश्वर के लिए तुम्हारा आदर कहाँ है? मैं तुम लोगों को बता दूँ कि जो परमेश्वर में संकेतों की वजह से विश्वास करते हैं, वे निश्चित रूप से वह श्रेणी होगी, जो नष्ट की जाएगी। जो देह में लौटे यीशु के वचनों को स्वीकार करने में अक्षम हैं, वे निश्चित ही नरक के वंशज, महादूत के वंशज हैं, उस श्रेणी में हैं, जो अनंत विनाश झेलेगी। बहुत से लोगों को शायद इसकी परवाह न हो कि मैं क्या कहता हूँ, किंतु मैं ऐसे हर तथाकथित संत को, जो यीशु का अनुसरण करते हैं, बताना चाहता हूँ कि जब तुम लोग यीशु को एक श्वेत बादल पर स्वर्ग से उतरते अपनी आँखों से देखोगे, तो यह धार्मिकता के सूर्य का सार्वजनिक प्रकटन होगा। शायद वह तुम्हारे लिए एक बड़ी उत्तेजना का समय होगा, मगर तुम्हें पता होना चाहिए कि जिस समय तुम यीशु को स्वर्ग से उतरते देखोगे, यही वह समय भी होगा जब तुम दंडित किए जाने के लिए नीचे नरक में जाओगे। वह परमेश्वर की प्रबंधन योजना की समाप्ति का समय होगा, और वह समय होगा, जब परमेश्वर सज्जन को पुरस्कार और दुष्ट को दंड देगा। क्योंकि परमेश्वर का न्याय मनुष्य के देखने से पहले ही समाप्त हो चुका होगा, जब सिर्फ़ सत्य की अभिव्यक्ति होगी। वे जो सत्य को स्वीकार करते हैं और संकेतों की खोज नहीं करते और इस प्रकार शुद्ध कर दिए गए हैं, वे परमेश्वर के सिंहासन के सामने लौट चुके होंगे और सृष्टिकर्ता के आलिंगन में प्रवेश कर चुके होंगे। सिर्फ़ वे जो इस विश्वास में बने रहते हैं कि "ऐसा यीशु जो श्वेत बादल पर सवारी नहीं करता, एक झूठा मसीह है" अनंत दंड के अधीन कर दिए जाएँगे, क्योंकि वे सिर्फ़ उस यीशु में विश्वास करते हैं जो संकेत प्रदर्शित करता है, पर उस यीशु को स्वीकार नहीं करते, जो कड़े न्याय की घोषणा करता है और जीवन और सच्चा मार्ग प्रकट करता है। इसलिए केवल यही हो सकता है कि जब यीशु खुलेआम श्वेत बादल पर वापस लौटे, तो वह उनके साथ निपटे। वे बहुत हठधर्मी, अपने आप में बहुत आश्वस्त, बहुत अभिमानी हैं। ऐसे अधम लोग यीशु द्वारा कैसे पुरस्कृत किए जा सकते हैं?
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जब तक तुम यीशु के आध्यात्मिक शरीर को देखोगे, परमेश्वर स्वर्ग और पृथ्वी को नया बना चुका होगा
अंत के दिनों का मसीह जीवन लेकर आता है, और सत्य का स्थायी और शाश्वत मार्ग लेकर आता है। यह सत्य वह मार्ग है जिसके द्वारा मनुष्य जीवन प्राप्त करता है, और यह एकमात्र मार्ग है जिसके द्वारा मनुष्य परमेश्वर को जानेगा और परमेश्वर द्वारा स्वीकृत किया जाएगा। यदि तुम अंत के दिनों के मसीह द्वारा प्रदान किया गया जीवन का मार्ग नहीं खोजते हो, तो तुम यीशु की स्वीकृति कभी प्राप्त नहीं करोगे, और स्वर्ग के राज्य के फाटक में प्रवेश करने के योग्य कभी नहीं हो पाओगे, क्योंकि तुम इतिहास की कठपुतली और कैदी दोनों ही हो। वे लोग जो नियमों से, शब्दों से नियंत्रित होते हैं, और इतिहास की जंजीरों में जकड़े हुए हैं, न तो कभी जीवन प्राप्त कर पाएँगे और न ही जीवन का शाश्वत मार्ग प्राप्त कर पाएँगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनके पास, सिंहासन से प्रवाहित होने वाले जीवन के जल की बजाय, बस मैला पानी ही है जिससे वे हजारों सालों से चिपके हुए हैं। वे जिन्हें जीवन के जल की आपूर्ति नहीं की गई है, हमेशा के लिए मुर्दे, शैतान के खिलौने, और नरक की संतानें बने रहेंगे। फिर वे परमेश्वर को कैसे देख सकते हैं? यदि तुम केवल अतीत को पकड़े रखने की कोशिश करते हो, केवल जड़वत खड़े रहकर चीजों को जस का तस रखने की कोशिश करते हो, और यथास्थिति को बदलने और इतिहास को ख़ारिज़ करने की कोशिश नहीं करते हो, तो क्या तुम हमेशा परमेश्वर के विरुद्ध नहीं होगे? परमेश्वर के कार्य के चरण उमड़ती लहरों और गरजते तूफानों की तरह विशाल और शक्तिशाली हैं—फिर भी तुम निठल्ले बैठकर तबाही का इंतजार करते हो, अपनी नादानी से चिपके रहते हो और कुछ भी नहीं करते हो। इस तरह, तुम्हें मेमने के पदचिह्नों का अनुसरण करने वाला व्यक्ति कैसे माना जा सकता है? तुम जिस परमेश्वर को थामे हो उसे उस परमेश्वर के रूप में सही कैसे ठहरा सकते हो जो हमेशा नया है और कभी पुराना नहीं होता? और तुम्हारी पीली पड़ चुकी किताबों के शब्द तुम्हें नए युग में कैसे ले जा सकते हैं? वे परमेश्वर के कार्य के चरणों को ढूँढ़ने में तुम्हारी अगुआई कैसे कर सकते हैं? और वे तुम्हें ऊपर स्वर्ग में कैसे ले जा सकते हैं? तुम अपने हाथों में जो थामे हो वे शब्द हैं, जो तुम्हें केवल अस्थायी सांत्वना दे सकते हैं, जीवन देने में सक्षम सत्य नहीं दे सकते। तुम जो शास्त्र पढ़ते हो वे केवल तुम्हारी जिह्वा को समृद्ध कर सकते हैं और ये दर्शनशास्त्र के वचन नहीं हैं जो मानव जीवन को जानने में तुम्हारी मदद कर सकते हैं, तुम्हें पूर्णता की ओर ले जाने की बात तो दूर रही। क्या यह विसंगति तुम्हारे लिए गहन चिंतन का कारण नहीं है? क्या यह तुम्हें अपने भीतर समाहित रहस्यों का बोध नहीं करवाती है? क्या तुम परमेश्वर से अकेले में मिलने के लिए अपने आप को स्वर्ग को सौंप देने में समर्थ हो? परमेश्वर के आए बिना, क्या तुम परमेश्वर के साथ पारिवारिक आनंद मनाने के लिए अपने आप को स्वर्ग में ले जा सकते हो? क्या तुम अभी भी स्वप्न देख रहे हो? तो मेरा सुझाव यह है कि तुम स्वप्न देखना बंद कर दो और उसकी ओर देखो जो अभी कार्य कर रहा है—उसकी ओर देखो जो अब अंत के दिनों में मनुष्य को बचाने का कार्य कर रहा है। यदि तुम ऐसा नहीं करते हो, तो तुम कभी भी सत्य प्राप्त नहीं करोगे, और न ही कभी जीवन प्राप्त करोगे।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है
मसीह द्वारा बोले गए सत्य पर भरोसा किए बिना जो लोग जीवन प्राप्त करना चाहते हैं, वे पृथ्वी पर सबसे बेतुके लोग हैं, और जो मसीह द्वारा लाए गए जीवन के मार्ग को स्वीकार नहीं करते हैं, वे कोरी कल्पना में खोए हैं। और इसलिए मैं कहता हूँ कि वे लोग जो अंत के दिनों के मसीह को स्वीकार नहीं करते हैं सदा के लिए परमेश्वर उनसे घृणा करेगा। मसीह अंत के दिनों के दौरान राज्य में जाने के लिए मनुष्य का प्रवेशद्वार है, और ऐसा कोई नहीं जो उससे कन्नी काटकर जा सके। मसीह के माध्यम के अलावा किसी को भी परमेश्वर द्वारा पूर्ण नहीं बनाया जा सकता। तुम परमेश्वर में विश्वास करते हो, और इसलिए तुम्हें उसके वचनों को स्वीकार करना और उसके मार्ग का पालन करना चाहिए। सत्य को प्राप्त करने में या जीवन का पोषण स्वीकार करने में असमर्थ रहते हुए तुम केवल आशीष प्राप्त करने के बारे में नहीं सोच सकते हो। मसीह अंत के दिनों में आता है ताकि वह उसमें सच्चा विश्वास करने वाले सभी लोगों को जीवन प्रदान कर सके। उसका कार्य पुराने युग को समाप्त करने और नए युग में प्रवेश करने के लिए है, और उसका कार्य वह मार्ग है जिसे उन सभी लोगों को अपनाना चाहिए जो नए युग में प्रवेश करेंगे। यदि तुम उसे पहचानने में असमर्थ हो, और इसकी बजाय उसकी भर्त्सना, निंदा, या यहाँ तक कि उसे उत्पीड़ित करते हो, तो तुम्हें अनंतकाल तक जलाया जाना तय है और तुम परमेश्वर के राज्य में कभी प्रवेश नहीं करोगे। क्योंकि यह मसीह स्वयं पवित्र आत्मा की अभिव्यक्ति है, और परमेश्वर की अभिव्यक्ति है, वह जिसे परमेश्वर ने पृथ्वी पर करने के लिए अपना कार्य सौंपा है। और इसलिए मैं कहता हूँ कि यदि तुम वह सब स्वीकार नहीं करते हो जो अंत के दिनों के मसीह के द्वारा किया जाता है, तो तुम पवित्र आत्मा की निंदा करते हो। पवित्र आत्मा की निंदा करने वालों को जो प्रतिशोध सहना होगा वह सभी के लिए स्वत: स्पष्ट है। मैं तुम्हें यह भी बताता हूँ कि यदि तुम अंत के दिनों के मसीह का प्रतिरोध करोगे, यदि तुम अंत के दिनों के मसीह को ठुकराओगे, तो तुम्हारी ओर से परिणाम भुगतने वाला कोई अन्य नहीं होगा। इतना ही नहीं, इस दिन के बाद तुम्हें परमेश्वर की स्वीकृति प्राप्त करने का दूसरा अवसर नहीं मिलेगा; यदि तुम अपने प्रायश्चित का प्रयास भी करते हो, तब भी तुम दोबारा कभी परमेश्वर का चेहरा नहीं देखोगे। क्योंकि तुम जिसका प्रतिरोध करते हो वह मनुष्य नहीं है, तुम जिसे ठुकरा रहे हो वह कोई अदना प्राणी नहीं है, बल्कि मसीह है। क्या तुम जानते हो कि इसके क्या परिणाम होंगे? तुमने कोई छोटी-मोटी गलती नहीं, बल्कि एक जघन्य अपराध किया होगा। और इसलिए मैं सभी को सलाह देता हूँ कि सत्य के सामने अपने जहरीले दाँत मत दिखाओ, या छिछोरी आलोचना मत करो, क्योंकि केवल सत्य ही तुम्हें जीवन दिला सकता है, और सत्य के अलावा कुछ भी तुम्हें पुनः जन्म लेने नहीं दे सकता, और न ही तुम्हें दोबारा परमेश्वर का चेहरा देखने दे सकता है।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है
क्या अब तुम समझ गए हो कि न्याय क्या है और सत्य क्या है? अगर तुम समझ गए हो, तो मैं तुम्हें न्याय किए जाने के लिए आज्ञाकारी ढंग से समर्पित होने की नसीहत देता हूँ, वरना तुम्हें कभी भी परमेश्वर द्वारा सराहे जाने या उसके द्वारा अपने राज्य में ले जाए जाने का अवसर नहीं मिलेगा। जो केवल न्याय को स्वीकार करते हैं लेकिन कभी शुद्ध नहीं किए जा सकते, अर्थात् जो न्याय के कार्य के बीच से ही भाग जाते हैं, वे हमेशा के लिए परमेश्वर की घृणा के शिकार हो जाएँगे और नकार दिए जाएँगे। फरीसियों के पापों की तुलना में उनके पाप संख्या में बहुत अधिक और ज्यादा संगीन हैं, क्योंकि उन्होंने परमेश्वर के साथ विश्वासघात किया है और वे परमेश्वर के प्रति विद्रोही हैं। ऐसे लोग, जो सेवा करने के भी योग्य नहीं हैं, अधिक कठोर दंड प्राप्त करेंगे, जो चिरस्थायी भी होगा। परमेश्वर ऐसे किसी भी गद्दार को नहीं छोड़ेगा, जिसने एक बार तो वचनों से वफादारी दिखाई, मगर फिर परमेश्वर को धोखा दे दिया। ऐसे लोग आत्मा, प्राण और शरीर के दंड के माध्यम से प्रतिफल प्राप्त करेंगे। क्या यह हूबहू परमेश्वर के धार्मिक स्वभाव का प्रकटन नहीं है? क्या मनुष्य का न्याय करने और उसे उजागर करने में परमेश्वर का यह उद्देश्य नहीं है? परमेश्वर उन सभी को, जो न्याय के समय के दौरान सभी प्रकार के दुष्ट कर्म करते हैं, दुष्टात्माओं से आक्रांत स्थान पर भेजता है, और उन दुष्टात्माओं को इच्छानुसार उनके दैहिक शरीर नष्ट करने देता है, और उन लोगों के शरीरों से लाश की दुर्गंध निकलती है। ऐसा उनका उचित प्रतिशोध है। परमेश्वर उन निष्ठाहीन झूठे विश्वासियों, झूठे प्रेरितों और झूठे कार्यकर्ताओं का हर पाप उनकी अभिलेख-पुस्तकों में लिखता है; और फिर जब सही समय आता है, वह उन्हें गंदी आत्माओं के बीच में फेंक देता है, और उन अशुद्ध आत्माओं को इच्छानुसार उनके संपूर्ण शरीरों को दूषित करने देता है, ताकि वे कभी भी पुन: देहधारण न कर सकें और दोबारा कभी भी रोशनी न देख सकें। वे पाखंडी, जो किसी समय सेवा करते हैं, किंतु अंत तक वफ़ादार बने रहने में असमर्थ रहते हैं, परमेश्वर द्वारा दुष्टों में गिने जाते हैं, ताकि वे दुष्टों की संगति में पड़ जाएँ, और उनकी उपद्रवी भीड़ का हिस्सा बन जाएँ; अंत में परमेश्वर उन्हें जड़ से मिटा देगा। परमेश्वर उन लोगों को अलग फेंक देता है और उन पर कोई ध्यान नहीं देता, जो कभी भी मसीह के प्रति वफादार नहीं रहे या जिन्होंने अपने सामर्थ्य का कुछ भी योगदान नहीं किया, और युग बदलने पर वह उन सभी को जड़ से मिटा देगा। वे अब और पृथ्वी पर मौजूद नहीं रहेंगे, परमेश्वर के राज्य का मार्ग तो बिलकुल भी प्राप्त नहीं करेंगे। जो कभी भी परमेश्वर के प्रति ईमानदार नहीं रहे, किंतु उसके साथ बेमन से व्यवहार करने के लिए परिस्थिति द्वारा मजबूर किए जाते हैं, वे परमेश्वर के लोगों की सेवा करने वालों में गिने जाते हैं। ऐसे लोगों की एक छोटी-सी संख्या ही जीवित बचेगी, जबकि बड़ी संख्या उन लोगों के साथ नष्ट हो जाएगी, जिनके द्वारा प्रदान की गई सेवा मानक स्तर की नहीं होती। अंतत: परमेश्वर उन सभी को, जिनका मन परमेश्वर के समान है, अपने लोगों और पुत्रों को, और परमेश्वर द्वारा याजक बनाए जाने के लिए पूर्वनियत लोगों को अपने राज्य में ले आएगा। वे परमेश्वर के कार्य के परिणाम होंगे। जहाँ तक उन लोगों का प्रश्न है, जो परमेश्वर द्वारा निर्धारित किसी भी श्रेणी में नहीं आ सकते, वे अविश्वासियों में गिने जाएँगे—तुम लोग निश्चित रूप से कल्पना कर सकते हो कि उनका क्या परिणाम होगा। मैं तुम सभी लोगों से पहले ही वह कह चुका हूँ, जो मुझे कहना चाहिए; जो मार्ग तुम लोग चुनते हो, वह केवल तुम्हारी पसंद है। तुम लोगों को जो समझना चाहिए, वह यह है : परमेश्वर का कार्य ऐसे किसी शख्स का इंतज़ार नहीं करता, जो उसके साथ कदमताल नहीं कर सकता, और परमेश्वर का धार्मिक स्वभाव किसी भी मनुष्य के प्रति कोई दया नहीं दिखाता।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, मसीह न्याय का कार्य सत्य के साथ करता है