प्रश्न 2: अगर चमकती पूर्वी बिजली सच्चा मार्ग है, तो आप किस आधार पर इसको पक्का कर रहे हैं? हम प्रभु यीशु में इसलिए विश्वास करते हैं क्योंकि वे हमें बचा सकते हैं, लेकिन आप किस चीज़ से ये जांच रहे हैं कि चमकती पूर्वी बिजली सच्चा मार्ग है?

उत्तर: इस बात पर, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के विचार जानने के लिए, उनके वचनों के दो अंश पढ़ते हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "सच्चे मार्ग की खोज करने में सबसे बुनियादी सिद्धांत क्या है? तुम्हें देखना होगा कि इस मार्ग में पवित्र आत्मा का कार्य है या नहीं, ये वचन सत्य की अभिव्यक्ति हैं या नहीं, किसके लिए गवाही देनी है, और यह तुम्हारे लिए क्या ला सकता है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जो परमेश्वर को और उसके कार्य को जानते हैं, केवल वे ही परमेश्वर को संतुष्ट कर सकते हैं)

"ऐसी चीज़ की जाँच-पड़ताल करना कठिन नहीं है, परंतु इसके लिए हममें से प्रत्येक को इस सत्य को जानने की ज़रूरत है: जो देहधारी परमेश्वर है, उसके पास परमेश्वर का सार होगा और जो देहधारी परमेश्वर है, उसके पास परमेश्वर की अभिव्यक्ति होगी। चूँकि परमेश्वर ने देह धारण किया है, इसलिए वह उस कार्य को सामने लाएगा, जो वह करना चाहता है, और चूँकि परमेश्वर ने देह धारण किया है, इसलिए वह उसे अभिव्यक्त करेगा जो वह है और वह मनुष्य के लिए सत्य को लाने, उसे जीवन प्रदान करने और उसे मार्ग दिखाने में सक्षम होगा। जिस देह में परमेश्वर का सार नहीं है, वह निश्चित रूप से देहधारी परमेश्वर नहीं है; इसमें कोई संदेह नहीं। अगर मनुष्य यह पता करना चाहता है कि क्या यह देहधारी परमेश्वर है, तो इसकी पुष्टि उसे उसके द्वारा अभिव्यक्त स्वभाव और उसके द्वारा बोले गए वचनों से करनी चाहिए। इसे ऐसे कहें, व्यक्ति को इस बात का निश्चय कि यह देहधारी परमेश्वर है या नहीं और कि यह सही मार्ग है या नहीं, उसके सार से करना चाहिए। और इसलिए, यह निर्धारित करने की कुंजी कि यह देहधारी परमेश्वर की देह है या नहीं, उसके बाहरी स्वरूप के बजाय उसके सार (उसका कार्य, उसके कथन, उसका स्वभाव और कई अन्य पहलू) में निहित है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, प्रस्तावना)

भाइयो और बहनो, अगर ये सच्चा मार्ग है, तो यह ज़रूर परमेश्वर के अपने कार्य से उपजी है। चूंकि यह परमेश्वर का अपना कार्य है, इसलिए निश्चित तौर पर यह सत्य की अभिव्यक्ति और पवित्र आत्मा का कार्य होगा। हमने चमकती पूर्वी बिजली के सच्चा मार्ग होने और सर्वशक्तिमान परमेश्वर के देहधारी परमेश्वर होने की गवाही इसलिए दी है, क्योंकि सर्वशक्तिमान परमेश्वर आये और उन्होंने सत्य के कई पहलू व्यक्त किये, मानवजाति के साथ न्याय करने और उसका शुद्धिकरण करने का कार्य किया, और अंत के दिनों में मानवजाति के शुद्धिकरण और बचाव की परमेश्वर की कार्य योजना को पूरा किया।

सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "वर्तमान देहधारण में परमेश्वर का कार्य मुख्य रूप से ताड़ना और न्याय के द्वारा अपने स्वभाव को व्यक्त करना है। इस नींव पर निर्माण करते हुए वह मनुष्य तक अधिक सत्य पहुँचाता है और उसे अभ्यास करने के और अधिक तरीके बताता है और ऐसा करके मनुष्य को जीतने और उसे उसके भ्रष्ट स्वभाव से बचाने का अपना उद्देश्य हासिल करता है। यही वह चीज़ है, जो राज्य के युग में परमेश्वर के कार्य के पीछे निहित है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, प्रस्तावना)

"न्याय और ताड़ना के इस कार्य के माध्यम से मनुष्य अपने भीतर के गंदे और भ्रष्ट सार को पूरी तरह से जान जाएगा, और वह पूरी तरह से बदलने और स्वच्छ होने में समर्थ हो जाएगा। केवल इसी तरीके से मनुष्य परमेश्वर के सिंहासन के सामने वापस लौटने के योग्य हो सकता है। आज किया जाने वाला समस्त कार्य इसलिए है, ताकि मनुष्य को स्वच्छ और परिवर्तित किया जा सके; वचन के द्वारा न्याय और ताड़ना के माध्यम से, और साथ ही शुद्धिकरण के माध्यम से भी, मनुष्य अपनी भ्रष्टता दूर कर सकता है और शुद्ध बनाया जा सकता है। इस चरण के कार्य को उद्धार का कार्य मानने के बजाय यह कहना कहीं अधिक उचित होगा कि यह शुद्धिकरण का कार्य है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, देहधारण का रहस्य (4))

अंत के दिनों के सर्वशक्तिमान परमेश्वर सत्य व्यक्त करते हैं, वे मानवजाति के शुद्धिकरण और न्याय का कार्य पूरा करते हैं। वे परमेश्वर का ज्ञान और उद्धार प्राप्त करने की खातिर मनुष्य के लिए ज़रूरी सभी सत्य व्यक्त करते हैं, और मानवजाति के लिए परमेश्वर की प्रबंधन योजना के सारे रहस्य उजागर करते हैं। मिसाल के तौर पर, परमेश्वर की 6,000-साल की प्रबंधन योजना का लक्ष्य, परमेश्वर की कार्यनीतियाँ, उनके तीन चरणों के कार्य की अंदरूनी कहानी, परमेश्वर के देहधारी होने का रहस्य और उसका अर्थ, मानवजाति ने आज तक विकास कैसे किया और उसके भविष्य की मंजिल क्या है, बाइबल का सत्य, परमेश्वर के नामों का अर्थ, वगैरह-वगैरह, ऐसे सारे रहस्य जो मानवजाति के लिए अथाह हैं! सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन मानवजाति के भ्रष्ट सार और उसके भ्रष्ट आचरण के मूल को पूरी तरह से उजागर करते हैं। इस तरह से मनुष्य को परमेश्वर के वचनों के सख्त न्याय के बीच, अपने घमंड, स्वार्थ और घिनौने स्वभाव जैसी खुद की भ्रष्ट कुरूपता का सच्चा ज्ञान होता है। तभी मनुष्य सत्य को समझ पाता है, वह परमेश्वर के धार्मिक स्वभाव को समझ पाता है और उसके मन में परमेश्वर के प्रति सम्मान पैदा होता है। उन सबका जीवन स्वभाव अलग-अलग तरह से बदल जाता है, और वे धीरे-धीरे दिन में पाप करने और रात में उसे स्वीकार करने की गुमराह स्थिति से बाहर निकलने लगते हैं। इससे साबित होता है कि सर्वशक्तिमान परेश्वर का कार्य ही सच्चा मार्ग है, और यह कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन ही सत्य, मार्ग और जीवन हैं, अधिकार और सामर्थ्य से भरपूर, और मनुष्य को पूरी तरह से शुद्ध करके उसे बचा सकते हैं। वरना, परमेश्वर के सिवाय और कौन मनुष्य को पाप के बंधनों से छूटने में मदद कर सकता है? परमेश्वर के अलावा, और कौन हज़ारों साल से दबे हुए रहस्यों को उजागर कर सकता है?

सिर्फ़ परमेश्वर ही सत्य, मार्ग और जीवन हैं। सिर्फ परमेश्वर ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दिखा सकते हैं। सिर्फ अंत के दिनों के मसीह द्वारा व्यक्त सत्य को स्वीकार करके ही हम अनंत उद्धार प्राप्त कर सकते हैं! आइए, एक बार फिर से सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पर नज़र डालें।

सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "परमेश्वर स्वयं ही जीवन है, और सत्य है, और उसका जीवन और सत्य साथ-साथ विद्यमान हैं। वे लोग जो सत्य प्राप्त करने में असमर्थ हैं कभी भी जीवन प्राप्त नहीं करेंगे। मार्गदर्शन, समर्थन, और पोषण के बिना, तुम केवल अक्षर, सिद्धांत, और सबसे बढ़कर, मृत्यु ही प्राप्त करोगे। परमेश्वर का जीवन सतत विद्यमान है, और उसका सत्य और जीवन साथ-साथ विद्यमान हैं। यदि तुम सत्य का स्रोत नहीं खोज पाते हो, तो तुम जीवन की पौष्टिकता प्राप्त नहीं करोगे; यदि तुम जीवन का पोषण प्राप्त नहीं कर सकते हो, तो तुममें निश्चित ही सत्य नहीं होगा, और इसलिए कल्पनाओं और धारणाओं के अलावा, संपूर्णता में तुम्हारा शरीर तुम्हारी देह—दुर्गंध से भरी तुम्हारी देह—के सिवा कुछ न होगा। यह जान लो कि किताबों की बातें जीवन नहीं मानी जाती हैं, इतिहास के अभिलेख सत्य की तरह पूजे नहीं जा सकते हैं, और अतीत के नियम वर्तमान में परमेश्वर द्वारा कहे गए वचनों के वृतांत का काम नहीं कर सकते हैं। परमेश्वर पृथ्वी पर आकर और मनुष्य के बीच रहकर जो अभिव्यक्त करता है, केवल वही सत्य, जीवन, परमेश्वर की इच्छा, और उसका कार्य करने का वर्तमान तरीक़ा है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है)

"अंत के दिनों का मसीह जीवन लेकर आता है, और सत्य का स्थायी और शाश्वत मार्ग लेकर आता है। यह सत्य वह मार्ग है जिसके द्वारा मनुष्य जीवन प्राप्त करता है, और यह एकमात्र मार्ग है जिसके द्वारा मनुष्य परमेश्वर को जानेगा और परमेश्वर द्वारा स्वीकृत किया जाएगा। यदि तुम अंत के दिनों के मसीह द्वारा प्रदान किया गया जीवन का मार्ग नहीं खोजते हो, तो तुम यीशु की स्वीकृति कभी प्राप्त नहीं करोगे, और स्वर्ग के राज्य के फाटक में प्रवेश करने के योग्य कभी नहीं हो पाओगे, क्योंकि तुम इतिहास की कठपुतली और कैदी दोनों ही हो। वे लोग जो नियमों से, शब्दों से नियंत्रित होते हैं, और इतिहास की जंजीरों में जकड़े हुए हैं, न तो कभी जीवन प्राप्त कर पाएँगे और न ही जीवन का शाश्वत मार्ग प्राप्त कर पाएँगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनके पास, सिंहासन से प्रवाहित होने वाले जीवन के जल की बजाय, बस मैला पानी ही है जिससे वे हजारों सालों से चिपके हुए हैं। वे जिन्हें जीवन के जल की आपूर्ति नहीं की गई है, हमेशा के लिए मुर्दे, शैतान के खिलौने, और नरक की संतानें बने रहेंगे। ..." (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है)

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन और कार्य वह उद्धार है, जो परमेश्वर अंत के दिनों में मानवजाति को देते हैं। अंत के दिनों में मानवजाति के लिए परमेश्वर से उद्धार पाने का यही एक रास्ता है। धर्मग्रंथों में कहा गया है, जो परमेश्वर से आयेगा वो बढ़ेगा, जो मनुष्य से आयेगा वो घटेगा। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने करीब 20 साल पहले ही अपना कार्य शुरू किया था। दुष्ट सीसीपी और पूरी धार्मिक दुनिया के घोर विरोध और उत्पीड़न के बावजूद, परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार एक अविरल उफनती हुई लहर की तरह है। यह अब न सिर्फ पूरे मुख्यभूमि चीन में फ़ैल चुका है, बल्कि दुनिया भर के कई देशों तक पहुँच चुका है। यह अब तमाम देशों और क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर फ़ैल रहा है। परमेश्वर के प्रकटन के प्यासे ज्यादा-से-ज़्यादा लोग एक-एक करके सर्वशक्तिमान परमेश्वर के घर आ गये हैं। यह तथ्य कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार लगातार दमन के बावजूद पूरी मानवजाति में फ़ैल चुका है, पवित्र आत्मा के कार्य का अकाट्य प्रमाण है, जो ये सिद्ध करता है कि "जो परमेश्वर से आयेगा, वो बढ़ेगा," और मानवजाति को यह गवाही भी देता है कि: सर्वशक्तिमान परमेश्वर, प्रभु यीशु का दूसरा आगमन हैं। चमकती पूर्वी बिजली सच्चा मार्ग है।

"तोड़ डालो अफ़वाहों की ज़ंजीरें" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश

पिछला: प्रश्न 1: मैं यह नहीं समझ पाया कि अगर चमकती पूर्वी बिजली ही सच्चा मार्ग है, तो सीसीपी सरकार उसका इतना घोर विरोध क्यों करती? धार्मिक अगुआ भी क्यों इस कदर उसकी निंदा करते? ऐसा नहीं है कि सीसीपी की सरकार ने पादरियों और एल्डर्स पर अत्याचार न किये हों। लेकिन जब चमकती पूर्वी बिजली की बात आती है, तो परमेश्वर की सेवा करनेवाले पादरी और एल्डर, सीसीपी सरकार जैसा नज़रिया और रवैया कैसे अपना सकते हैं? भला इसकी वजह क्या है?

अगला: प्रश्न 4: सीसीपी सरकार के शासन में, लोग गिरफ़्तार हो सकते हैं, उन पर अत्याचार हो सकते हैं और सच्चे मार्ग को स्वीकार करने के लिए उन्हें मार भी दिया जा सकता है। मुझे समझ नहीं आता कि सीसीपी सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर के कार्य से इतनी भयभीत क्यों है?

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

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प्रश्न: प्रभु यीशु कहते हैं: "मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं" (यूहन्ना 10:27)। तब समझ आया कि प्रभु अपनी भेड़ों को बुलाने के लिए वचन बोलने को लौटते हैं। प्रभु के आगमन की प्रतीक्षा से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बात है, प्रभु की वाणी सुनने की कोशिश करना। लेकिन अब, सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि हमें नहीं पता कि प्रभु की वाणी कैसे सुनें। हम परमेश्वर की वाणी और मनुष्य की आवाज़ के बीच भी अंतर नहीं कर पाते हैं। कृपया हमें बताइये कि हम प्रभु की वाणी की पक्की पहचान कैसे करें।

उत्तर: हम परमेश्वर की वाणी कैसे सुनते हैं? हममें कितने भी गुण हों, हमें कितना भी अनुभव हो, उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। प्रभु यीशु में विश्वास...

प्रश्न 1: सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है," तो मुझे वह याद आया जो प्रभु यीशु ने एक बार कहा था, "परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूँगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा; वरन् जो जल मैं उसे दूँगा, वह उसमें एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा" (यूहन्ना 4:14)। हम पहले से ही जानते हैं कि प्रभु यीशु जीवन के सजीव जल का स्रोत हैं, और अनन्‍त जीवन का मार्ग हैं। क्या ऐसा हो सकता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर और प्रभु यीशु समान स्रोत हों? क्या उनके कार्य और वचन दोनों पवित्र आत्मा के कार्य और वचन हैं? क्या उनका कार्य एक ही परमेश्‍वर करते हैं?

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