प्रश्न 1: मैं यह नहीं समझ पाया कि अगर चमकती पूर्वी बिजली ही सच्चा मार्ग है, तो सीसीपी सरकार उसका इतना घोर विरोध क्यों करती? धार्मिक अगुआ भी क्यों इस कदर उसकी निंदा करते? ऐसा नहीं है कि सीसीपी की सरकार ने पादरियों और एल्डर्स पर अत्याचार न किये हों। लेकिन जब चमकती पूर्वी बिजली की बात आती है, तो परमेश्वर की सेवा करनेवाले पादरी और एल्डर, सीसीपी सरकार जैसा नज़रिया और रवैया कैसे अपना सकते हैं? भला इसकी वजह क्या है?

उत्तर: बाइबल में कहा गया है: "…सारा संसार उस दुष्‍ट के वश में पड़ा है" (1 यूहन्ना 5:19)। प्रभु यीशु ने कहा था, "इस युग के लोग बुरे हैं" (लूका 11:29)। तो फिर इस दुनिया में अंधकार और बुराई कहाँ तक फैली हुई है? अनुग्रह के युग में, मानवजाति के छुटकारे के लिए, देहधारी प्रभु यीशु को धार्मिक वर्गों और तब के शासकों ने सूली पर चढ़ा दिया था। अंत के दिनों में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा सत्य की अभिव्यक्ति और मानवजाति के न्याय कार्य की भी धार्मिक वर्गों और सीसीपी सरकार ने विरोध और निंदा की है, इस युग ने भी उन्हें ठुकरा दिया है। यह प्रभु यीशु के इन वचनों को सच करता है: "क्योंकि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से कौंध कर आकाश के दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा। परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ" (लूका 17:24-25)। प्रभु यीशु की यह भविष्यवाणी आखिरकार अब पूरी हो गयी है। परमेश्वर के प्रकटन के प्यासे सभी लोगों को साफ़ तौर पर यह समझ लेना चाहिए कि प्रभु पहले ही आ चुके हैं वे अंत के दिनों का अपना न्याय कार्य कर रहे हैं। प्रभु यीशु की भविष्यवाणी पहले ही पूरी हो चुकी है। क्या लोग अब भी ये सच्चाई साफ़ तौर पर नहीं समझ पायेंगे? नास्तिक शासन और ज़्यादातर धार्मिक अगुआ सभी शैतानी शक्तियां हैं, जो परमेश्वर और सत्य से नफ़रत करती हैं। प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाये जाने के मामले में क्या कुछ हुआ, उसी से इस बात की पुष्टि होती है। अगर वो सच्चा मार्ग है, तो नास्तिक शासनों और धार्मिक वर्गों द्वारा उसे ज़रूर ठुकराया जाएगा और उसकी निंदा होगी, जबकि सच्चे मार्ग का उपदेश देनेवालों और उसपर अमल करने वालों को झूठे मामलों में फंसाया जाएगा। जैसे कि प्रभु यीशु ने कहा: "यदि संसार तुम से बैर रखता है, तो तुम जानते हो कि उसने तुम से पहले मुझ से बैर रखा। यदि तुम संसार के होते, तो संसार अपनों से प्रेम रखता; परन्तु इस कारण कि तुम संसार के नहीं, वरन् मैं ने तुम्हें संसार में से चुन लिया है, इसी लिये संसार तुम से बैर रखता है" (यूहन्ना 15:18-19)। इसी वजह से, पूरे इतिहास में, मानवजाति के अंदर सच्चे मार्ग को स्वीकार करके एक सच्चे परमेश्वर का अनुसरण करनेवाले बस वही थोड़े-से लोग हैं, जो वाकई सत्य से प्रेम करते हैं और उसकी खोज करते हैं, जबकि ज़्यादातर लोग शैतानी शक्तियों के पीछे चलने या फिर अत्याचार के भय की वजह से सच्चे मार्ग पर गौर करने से डरते हैं, और परमेश्वर द्वारा बचाये जाने का मौका गँवा देते हैं! इसलिए, प्रभु यीशु ने एक बार मनुष्य को सचेत किया था: "सकेत फाटक से प्रवेश करो, क्योंकि चौड़ा है वह फाटक और सरल है वह मार्ग जो विनाश को पहुँचाता है; और बहुत से हैं जो उस से प्रवेश करते हैं। क्योंकि सकेत है वह फाटक और कठिन है वह मार्ग जो जीवन को पहुँचाता है; और थोड़े हैं जो उसे पाते हैं" (मत्ती 7:13-14)

"तोड़ डालो अफ़वाहों की ज़ंजीरें" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश

पिछला: प्रश्न 14: कई भाई-बहन पादरियों और एल्डर्स की दिल से आराधना करते हैं। वे यह नहीं समझते कि, भले ही पादरी और एल्डर्स अक्सर बाइबल की व्याख्या करते हैं और बाइबल को गौरवपूर्ण स्थान देते हैं, पर वे अभी भी क्यों सत्य से नफरत करते हैं और देहधारी सर्वशक्तिमान परमेश्वर का विरोध और निंदा करते हैं। बाइबल की व्याख्या करना और उसे गौरवपूर्ण स्थान देना, क्या प्रभु की गवाही देने और प्रभु की को गौरवपूर्ण स्थान देने के ही समान है?

अगला: प्रश्न 2: अगर चमकती पूर्वी बिजली सच्चा मार्ग है, तो आप किस आधार पर इसको पक्का कर रहे हैं? हम प्रभु यीशु में इसलिए विश्वास करते हैं क्योंकि वे हमें बचा सकते हैं, लेकिन आप किस चीज़ से ये जांच रहे हैं कि चमकती पूर्वी बिजली सच्चा मार्ग है?

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

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प्रश्न: प्रभु यीशु कहते हैं: "मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं" (यूहन्ना 10:27)। तब समझ आया कि प्रभु अपनी भेड़ों को बुलाने के लिए वचन बोलने को लौटते हैं। प्रभु के आगमन की प्रतीक्षा से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बात है, प्रभु की वाणी सुनने की कोशिश करना। लेकिन अब, सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि हमें नहीं पता कि प्रभु की वाणी कैसे सुनें। हम परमेश्वर की वाणी और मनुष्य की आवाज़ के बीच भी अंतर नहीं कर पाते हैं। कृपया हमें बताइये कि हम प्रभु की वाणी की पक्की पहचान कैसे करें।

उत्तर: हम परमेश्वर की वाणी कैसे सुनते हैं? हममें कितने भी गुण हों, हमें कितना भी अनुभव हो, उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। प्रभु यीशु में विश्वास...

प्रश्न 1: सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है," तो मुझे वह याद आया जो प्रभु यीशु ने एक बार कहा था, "परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूँगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा; वरन् जो जल मैं उसे दूँगा, वह उसमें एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा" (यूहन्ना 4:14)। हम पहले से ही जानते हैं कि प्रभु यीशु जीवन के सजीव जल का स्रोत हैं, और अनन्‍त जीवन का मार्ग हैं। क्या ऐसा हो सकता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर और प्रभु यीशु समान स्रोत हों? क्या उनके कार्य और वचन दोनों पवित्र आत्मा के कार्य और वचन हैं? क्या उनका कार्य एक ही परमेश्‍वर करते हैं?

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