195 क्या परमेश्वर उतना ही सरल है जितना तुम कहते हो?
1
बीते कई सालों में, जो देखा लोगों ने,
नहीं है सिर्फ़ आत्मा, इंसान, एक पुरुष,
बल्कि और कई चीज़ें जो उनकी धारणाओं से हैं अलग,
इसलिए वे जान न पायें ईश्वर को पूरी तरह से।
थोड़ा करते विश्वास उस पर, थोड़ा करते शक,
मानो ईश्वर है लेकिन है सपना भी,
इसलिए तो आज तक लोग जान न पाये
कि ईश्वर क्या है वास्तव में।
ईश्वर क्या है, क्या बता सकते, तुम एक वाक्य में?
क्या ईश्वर है उतना सरल जितना तुम कहते?
2
क्या हिम्मत से कह सकते तुम कि ईश्वर और यीशु एक हैं,
ईश्वर और आत्मा एक हैं?
क्या कह सकते तुम कि ईश्वर है बस इंसान, देह को ओढ़े एक इंसान?
क्या हिम्मत है कि कह सको,
"यीशु की छवि है महान छवि ईश्वर की?"
अपनी बोलने की कला से क्या
समझा सकते तुम ईश-स्वभाव और छवि?
ईश्वर क्या है, क्या बता सकते, तुम एक वाक्य में?
क्या ईश्वर है उतना सरल जितना तुम कहते?
3
क्या अब जानते हो तुम सच में कि ईश्वर क्या है?
वो है इंसान, या आत्मा या पुरुष कोई?
क्या बस यीशु कर सके काम ईश्वर का?
अगर तुम चुनते हो इनमें से कोई एक
ईश्वर का सार बताने के लिए
तो तुम हो वफादार अज्ञानी विश्वासी।
ईश्वर क्या है, क्या बता सकते, तुम एक वाक्य में?
क्या ईश्वर है उतना सरल जितना तुम कहते?
4
अगर सिर्फ़ एक बार देह में काम करता ईश्वर,
तो क्या तुम उसे सीमित कर देते?
एक नज़र में क्या तुम उसे समझ सकते हो?
अपने जीवन के अनुभवों से उसका सार बता सकते हो?
अगर ईश्वर दो बार देहधारण कर,
समान काम करने दुनिया में आता, फिर कैसे देखते तुम उसे?
क्या हमेशा के लिए सूली पर टंगा छोड़ देते उसे?
ईश्वर क्या है, क्या बता सकते, तुम एक वाक्य में?
क्या ईश्वर है उतना सरल जितना तुम कहते?
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर के बारे में तुम्हारी समझ क्या है? से रूपांतरित