196 दो देहधारण देह में ईश्वर के कार्य को पूरा करते हैं
अपने पहले देहधारण में ईश्वर ने काम पूरा न किया;
उसने सिर्फ एक ही चरण किया, जो देह में करना जरूरी था।
1
देहधारण का काम पूरा करने, ईश्वर फिर देह में लौटा है,
वो देह की सामान्यता और वास्तविकता को जीता है,
आम देह में ईश-वचनों को प्रकट करते हुए,
देहधारण का काम पूरा करता है।
दूसरा देहधारण सार में पहले जैसा है,
बस ज्यादा वास्तविक और ज्यादा सामान्य है।
विजय के कार्य में देह में पूरा ईश-कार्य पूर्ण हो जाएगा।
छुटकारे का काम तो बस शुरुआत थी देहधारण के काम की;
विजय-कार्य करने वाला देह देहधारण का काम पूरा करेगा।
2
यीशु का देह पाप-बलि बनाया गया
जब सूली पर चढ़ाकर उसका बलिदान किया गया।
आम इंसानी देह से, उसने हराया शैतान को,
और इंसान को सूली से बचाया।
नए देहधारण में पूरे देह से
वो विजय-कार्य करता है, और शैतान पर विजय पाता है।
सिर्फ सामान्य, वास्तविक देह पूरा कर सके ये काम,
मजबूत गवाही के साथ।
विजय के कार्य में देह में पूरा ईश-कार्य पूर्ण हो जाएगा।
छुटकारे का काम तो बस शुरुआत थी देहधारण के काम की;
विजय-कार्य करने वाला देह देहधारण का काम पूरा करेगा।
3
इस देहधारी ईश्वर की सेवकाई में
आत्मा का कार्य साकार होता है देह में।
देह का कर्तव्य है बोलकर
इंसान को जीतना, प्रकट और पूर्ण करना,
और उसे पूरी तरह अलग कर देना।
विजय के कार्य में देह में पूरा ईश-कार्य पूर्ण हो जाएगा।
छुटकारे का काम तो बस शुरुआत थी देहधारण के काम की;
विजय-कार्य करने वाला देह देहधारण का काम पूरा करेगा।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर द्वारा धारण किये गए देह का सार से रूपांतरित