306 भ्रष्ट मानवजाति मसीह को देखने के अयोग्य है
1 तुम सब हमेशा मसीह को देखने की कामना करते हो, लेकिन मैं तुम सबसे विनती करता हूँ कि तुम अपने आपको इतना ऊँचा न समझो; हर कोई मसीह को देख सकता है, परन्तु मैं कहता हूँ कि कोई भी मसीह को देखने के लायक नहीं है। क्योंकि मनुष्य का स्वभाव बुराई, अहंकार और विद्रोह से भरा हुआ है, इस समय तुम मसीह को देखोगे तो तुम्हारा स्वभाव तुम्हें बर्बाद कर देगा और बेहद तिरस्कृत करेगा। किसी भी समय, तुम्हारी धारणा जड़ पकड़ सकती है, तुम्हारा अहंकार फूटना शुरू कर सकता है, और तुम्हारा विद्रोह फलना-फूलना शुरू कर सकता है। ऐसी मानवता के साथ तुम लोग कैसे मसीह की संगति के काबिल हो सकते हो?
2 क्या तुम उसके साथ प्रत्येक दिन के प्रत्येक पल में परमेश्वर जैसा बर्ताव कर सकते हो? क्या तुममें सचमुच परमेश्वर के प्रति समर्पण की वास्तविकता होगी? तुम सब अपने हृदय में यहोवा के रूप में एक ऊँचे परमेश्वर की आराधना करते हो, लेकिन दृश्यमान मसीह को मनुष्य समझते हो। तुम लोगों की समझ बहुत ही हीन है और तुम्हारी मानवता अत्यंत नीची है! तुम सब सदैव के लिए मसीह को परमेश्वर के रूप में मानने में असमर्थ हो; कभी-कभार ही, जब तुम्हारा मन होता है, तुम उसकी ओर लपकते हो और परमेश्वर के रूप में उसकी आराधना करने लगते हो। इसीलिए मैं कहता हूँ कि तुम लोग परमेश्वर के विश्वासी नहीं हो, बल्कि उन लोगों का सहभागी जत्था हो जो मसीह के विरूद्ध लड़ते हैं।
3 यदि तुम काट-छांट या न्याय से गुज़रे बिना परमेश्वर को देखने जाते हो, तो तुम निश्चित तौर पर परमेश्वर के विरोधी बन जाओगे और विनाश तुम्हारी नियति बन जाएगा। मनुष्य के स्वभाव में परमेश्वर के प्रति बैर-भाव अंतर्निहित है, क्योंकि सभी मनुष्यों को शैतान के द्वारा पूरी तरह से भ्रष्ट कर दिया गया है। यदि कोई मनुष्य भ्रष्ट होते हुए परमेश्वर से संगति करने का प्रयास करे, तो यह निश्चित है कि इसका कोई अच्छा परिणाम नहीं हो सकता; मनुष्य के सारे कर्म और शब्द निश्चित तौर पर हर मोड़ पर उसकी भ्रष्टता को उजागर करेंगे; और जब वह परमेश्वर के साथ जुड़ेगा, तो उसका विद्रोह अपने सभी पहलुओं के साथ प्रकट हो जाएगा। मनुष्य अनजाने में मसीह का विरोध करता है, मसीह को धोखा देता है, और मसीह को अस्वीकार करता है; जब यह होता है तो मनुष्य और भी ज़्यादा संकट की स्थिति में आ जाता है, और यदि यह जारी रहता है, तो वह दंड का भागी बनता है।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जो मसीह के साथ असंगत हैं वे निश्चित ही परमेश्वर के विरोधी हैं से रूपांतरित