319 मनुष्य के शब्द और कर्म परमेश्वर के दहन से नहीं बच सकते
1
ईश्वर को लगे तुम लोगों का जीवन
अशुद्ध आत्माओं का
रक्त पीना और मांस खाना है
क्योंकि तुम रोज़ उनका अनुकरण करते।
उसने तुम्हारा बुरा बर्ताव देखा है;
क्या वो तुम्हें घृणित न समझेगा?
तुम्हारे शब्द गंदे हैं:
तुम फुसलाते, चापलूसी करते, छिपाते हो
उन धोखेबाज़ों की तरह, जो जादू-टोना करते
और अधर्मियों का रक्त पीते हैं।
ईश्वर अपनी आँखों से देखे सभी के दिल,
क्योंकि सृष्टि के बहुत पहले से,
उनके दिल थे उसके हाथों में।
तो उनके विचार उसकी नज़रों से कैसे बच सकें?
क्या उसके आत्मा द्वारा दहन से
बचने में देर नहीं हो गई?
2
इंसान की सभी अभिव्यक्तियाँ अधार्मिक हैं,
तो वो धार्मिकों संग पवित्र भूमि में कैसे रह सके?
क्या अपने घिनौने बर्ताव से तुम
अधर्मियों की तुलना में पवित्र दिखोगे?
ईश्वर अपनी आँखों से देखे सभी के दिल,
क्योंकि सृष्टि के बहुत पहले से,
उनके दिल थे उसके हाथों में।
तो उनके विचार उसकी नज़रों से कैसे बच सकें?
क्या उसके आत्मा द्वारा दहन से
बचने में देर नहीं हो गई?
3
साँप जैसी तुम्हारी ज़ुबान,
बर्बाद करेगी तुम्हारी देह को
जो तबाही बरपाती, घिनौने काम करती है।
अशुद्ध आत्माओं के खून से सने तुम्हारे हाथ
तुम्हारी आत्मा को नरक में खींच लेंगे।
अपने गंदे हाथों को साफ करने का
मौका क्यों नहीं लपकते?
अधर्मी बातें करने वाली
अपनी ज़बान क्यों नहीं काटते?
क्या तुम अपने हाथों, ज़ुबान और होठों के लिए
नरक की लपटें झेलना चाहते?
ईश्वर अपनी आँखों से देखे सभी के दिल,
क्योंकि सृष्टि के बहुत पहले से,
उनके दिल थे उसके हाथों में।
तो उनके विचार उसकी नज़रों से कैसे बच सकें?
क्या उसके आत्मा द्वारा दहन से
बचने में देर नहीं हो गई?
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, तुम सभी कितने नीच चरित्र के हो! से रूपांतरित