318 जो कुछ भी लोग कहते और करते हैं, वह बच नहीं सकता परमेश्वर की नज़र से

1

आस्था बहुत सुंदर है तुम लोगों की, तुम कहते हो,

अपना जीवन समर्पित करना कामना है तुम्हारी परमेश्वर के कार्य के लिये,

और जो कुछ तुम कर सकते हो करना चाहोगे उसके लिये।

लेकिन बदला नहीं है ज़्यादा स्वभाव तुम्हारा।

अहंकार के शब्द हैं जो बोले हैं तुमने,

मगर असलियत में जो करते हो तुम वो दयनीय है।

जैसे ज़बान और होंठ स्वर्ग में हों तुम्हारे,

लेकिन पाँव बहुत दूर धरती पर हैं तुम्हारे।

इस तरह शब्द, शोहरत और कर्म भयावह स्थिति में हैं तुम्हारे।

क्या लगता है तुम्हें, पा सकते हो अधिकार

प्रवेश करने का परमेश्वर के कार्य और वचनों की पावन धरती पर

उसके द्वारा बिना तुम्हारे तमाम शब्दों और कर्मों की परीक्षा के?

क्या दे सकता है धोखा कोई उसकी आँखों को?

कैसे बच सकते हैं नीच कर्म और तुच्छ बातें तुम्हारी उसकी नज़रों से?


2

खंडित हो चुकी है ख्याति तुम्हारी,

गिरता जा रहा है व्यवहार तुम्हारा, तुच्छ हैं शब्द तुम्हारे,

घिनौना है जीवन तुम्हारा, अधम है मानवता तुम्हारी।

बहुत तंग-ख़्याल हो इंसानों के प्रति तुम,

मोल-भाव करते हो हर छोटी बात तुम।

तकरार करते हो हैसियत और प्रतिष्ठा जैसी बातों पर तुम,

इस हद तक कि नरक के रास्ते पर जाने को तैयार हो तुम,

आग के दरिया में भी कूद जाओगे तुम।

मौजूदा शब्द और कर्म तुम्हारे काफ़ी हैं

परमेश्वर के लिये ये बताने को कि पापी हो तुम।


3

परमेश्वर के काम के प्रति रवैया तुम्हारा पर्याप्त है

उसे यह तय करने देने के लिये कि अधार्मिक हो तुम लोग।

तमाम स्वभाव तुम्हारे काफ़ी हैं ये बताने के लिये,

घृणित चीज़ों से भरे, मलिन आत्मा हो तुम लोग।

जो कुछ तुम लोग करते हो, प्रकट करते हो, एक मायने हो सकते हैं उसके:

पिया है भरपूर रक्त मैली आत्माओं का तुम लोगों ने।

ज़िक्र आता है जब स्वर्ग-राज्य में प्रवेश का,

तो प्रयास करते हो तुम लोग अपने जज़्बात को अपने तक ही रखने का।

क्या काफ़ी हैं परमेश्वर के राज्य तक जाने के लिये तरीके तुम्हारे?

क्या लगता है तुम्हें, पा सकते हो अधिकार

प्रवेश करने का परमेश्वर के कार्य और वचनों की पावन धरती पर

उसके द्वारा बिना तुम्हारे तमाम शब्दों और कर्मों की परीक्षा के?

क्या दे सकता है धोखा कोई उसकी आँखों को?

कैसे बच सकते हैं नीच कर्म और तुच्छ बातें तुम्हारी उसकी नज़रों से?


4

नज़र रखता है परमेश्वर तमाम लोगों के दिलों पर

क्योंकि इंसान को बनाने से बहुत पहले,

थाम लिया था लोगों के दिलों को अपने हाथों में उसने।

देख लिया था लोगों के दिलों में बहुत पहले उसने,

इसलिये कैसे बच सकते हैं ख़्याल इंसान के दिल में उसकी नज़रों से?

कैसे मिल सकता है उन्हें पर्याप्त समय बचने का उसके आत्मा की तपन से,

उसके आत्मा की तपन से?


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, तुम सभी कितने नीच चरित्र के हो! से रूपांतरित

पिछला: 317 परमेश्वर चुपचाप मनुष्य के शब्दों और कर्मों को देखता है

अगला: 319 मनुष्य के शब्द और कर्म परमेश्वर के दहन से नहीं बच सकते

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

संबंधित सामग्री

610 प्रभु यीशु का अनुकरण करो

1पूरा किया परमेश्वर के आदेश को यीशु ने, हर इंसान के छुटकारे के काम को,क्योंकि उसने परमेश्वर की इच्छा की परवाह की,इसमें न उसका स्वार्थ था, न...

सेटिंग

  • इबारत
  • कथ्य

ठोस रंग

कथ्य

फ़ॉन्ट

फ़ॉन्ट आकार

लाइन स्पेस

लाइन स्पेस

पृष्ठ की चौड़ाई

विषय-वस्तु

खोज

  • यह पाठ चुनें
  • यह किताब चुनें

WhatsApp पर हमसे संपर्क करें