585 अधिक बोझ उठाओ ताकि परमेश्वर द्वारा अधिक आसानी से पूर्ण किये जा सको

1

जितना अधिक परमेश्वर की इच्छा के प्रति विचारशील तू रहेगा,

उतना ही बोझ तेरा बड़ा होगा।

जितना अधिक बोझ होगा, उतना ही अधिक तेरा अनुभव भी होगा।

जब तू परमेश्वर की इच्छा के प्रति विचारशील रहेगा,

परमेश्वर तुझे ये दायित्व देगा।

वो तुझे उन बातों पर प्रबुद्ध करेगा जिन्हें उसने तुझे सौंपा है।

परमेश्वर द्वारा ये दायित्व पाने के बाद,

इनसे जुड़े सत्य पर तू ध्यान देगा, परमेश्वर के वचनों को खाते पीते हुए।

इनसे जुड़े सत्य पर तू ध्यान देगा।

अगर तेरा दायित्व जुड़ा है भाई बहनों की आध्यात्मिक ज़िंदगियों से,

तो ये परमेश्वर ने तुझे है सौंपा।

प्रतिदिन इसके साथ तू प्रार्थना करेगा।


2

परमेश्वर जो करता है तुझे वो सौंपा गया है,

उसकी इच्छानुसार तू काम करना चाहता है।

इस तरह परमेश्वर का बोझ तेरा अपना बनता है,

यही तो परमेश्वर के बोझ को उठाना है।

परमेश्वर के वचनों को खाते पीते समय

जब तू बोझ ढोता है उस समय,

तू परमेश्वर के वचनों का सार समझ पाता है,

उसकी इच्छा का ध्यान रखता और अपना मार्ग पाता है।

इसलिए परमेश्वर से तुझे प्रार्थना करनी चाहिए

ताकि तेरा बोझ और बढ़ जाए, और बड़ी चीज़ें वो तुझे सौंपे,

ताकि तेरा अभ्यास का पथ बड़ा बन जाए,

परमेश्वर के वचनों को खाने से पायेगा तू ज़्यादा,

उसके वचनों के सार को समझेगा,

पवित्र आत्मा से प्रेरित होकर, तू ज़्यादा स्वीकार कर पायेगा।

परमेश्वर के वचनों को खाना पीना, उसके बोझ को स्वीकारना,

प्रार्थना का अभ्यास करना, उसने जो सौंपा उसे स्वीकारना,

ये सब वो पथ पाने के लिए हैं, जो है तेरे सामने।

परमेश्वर के लिए जितना अधिक बोझ तू उठाएगा,

उतनी आसानी से पूर्णता पायेगा, पूर्णता पायेगा, पूर्णता पायेगा।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, पूर्णता प्राप्त करने के लिए परमेश्वर की इच्छा को ध्यान में रखो से रूपांतरित

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