46 केवल सर्वशक्तिमान परमेश्वर इंसान को बचा सकता है
सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कर्म हैं कितने अद्भुत, कितने महान!
सात तुरहियाँ बजती हैं, सात गर्जनें गूँजती हैं,
सर्वशक्तिमान परमेश्वर उंडेलता है सात कटोरे।
दिखाया जाएगा इसे सबके सामने, कोई शक नहीं है।
1
जो अब पूरी तरह खुद को अर्पित करते हैं,
पायेंगे परमेश्वर से आशीषें बड़ी;
खो देंगे वो अपना जीवन, जो उसे बचाना चाहते हैं।
सर्वशक्तिमान परमेश्वर के हाथों में सब कुछ।
न रोको तुम अब अपने क़दमों को।
स्वर्ग और धरती बड़े बदलाव से गुज़रते हैं।
नहीं छिपने की जगह, रोना ही है इंसान को;
उसके भाग्य में यही लिखा है।
हर दिन प्रेम करता हमसे परमेश्वर, वही बचा सकता है हमें।
दुर्भाग्य मिलेगा या मिलेंगी आशीषें,
ये है सर्वशक्तिमान परमेश्वर के हाथों में।
हम इंसानों का इस पर कोई वश नहीं है।
2
करो अनुसरण उसका, जो पवित्र आत्मा अब कर रहा,
रहो सब स्पष्ट अपने भीतर में,
किसी के याद दिलाने की न ज़रूरत पड़े
कि काम पहुंचा अब किस चरण में।
सर्वशक्तिमान परमेश्वर के सामने अक्सर आओ,
मन करे जो, मांगो उससे वो,
और निश्चय ही वो तुम्हें प्रबुद्ध करेगा,
ज़रूरत के समय तुम्हारी रक्षा करेगा।
हर दिन प्रेम करता हमसे परमेश्वर, वही बचा सकता है हमें।
दुर्भाग्य मिलेगा या मिलेंगी आशीषें,
ये है सर्वशक्तिमान परमेश्वर के हाथों में।
हम इंसानों का इस पर कोई वश नहीं है।
3
डरो नहीं, उसके पास है पूरा अस्तित्व तुम्हारा।
उसकी सुरक्षा में, परवाह में, तुम्हें डर कैसा?
पूरी होने वाली है परमेश्वर की इच्छा।
आध्यात्मिक आँखें खोलो अपनी, स्वर्ग बदल जायेगा।
डरते हो क्यों? परमेश्वर ने हाथ भी हिलाया तो,
क्षण में बर्बाद हो जायेंगे स्वर्ग और धरा।
तो इंसान की चिंता का काम है क्या?
सारी चीज़ें परमेश्वर के हाथों में हैं ना?
हर दिन प्रेम करता हमसे परमेश्वर, वही बचा सकता है हमें।
दुर्भाग्य मिलेगा या मिलेंगी आशीषें,
ये है सर्वशक्तिमान परमेश्वर के हाथों में।
हम इंसानों का इस पर कोई वश नहीं है।
4
उसकी आज्ञा हो तो स्वर्ग, धरा बदल सकते हैं।
उसकी आज्ञा हो तो हम पूर्ण किये जा सकते हैं।
घबराओ नहीं, शांत मन से आगे बढ़ो, ध्यान दो, सावधान रहो।
पूरी हो गयी है परमेश्वर की इच्छा,
सफल हुई उसकी योजना, पूरी हुई परियोजना।
उसके तख़्त के सामने, उसके सारे पुत्र आ पहुंचे,
सर्वशक्तिमान ईश्वर संग सभी राष्ट्रों, लोगों का वो न्याय करते।
हर दिन प्रेम करता हमसे परमेश्वर, वही बचा सकता है हमें।
दुर्भाग्य मिलेगा या मिलेंगी आशीषें,
ये है सर्वशक्तिमान परमेश्वर के हाथों में।
हम इंसानों का इस पर कोई वश नहीं है।
कलीसिया को सताते हैं जो, ईश-पुत्रों को चोट पहुँचाते हैं जो,
निश्चय ही गंभीर दंड पाएंगे वो!
परमेश्वर को दिल देते हैं जो, जो नेकी में बने रहते हैं,
सदा परमेश्वर प्रेम करेगा उनको।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आरंभ में मसीह के कथन, अध्याय 42 से रूपांतरित