110 जीवन में सही राह पर चलना

1

परमेश्वर के सभी वचन सत्य हैं; जितना अधिक मैं उन्हें पढ़ता हूँ, उतना ही अधिक मैं प्रबुद्ध हो जाता हूँ।

मैं स्पष्ट रूप से देखता हूँ कि दुनिया की बुराई और अँधेरे का स्रोत शैतान के पास शक्ति होना है।

शैतान के अधिकार-क्षेत्र में रहना और पाप के सुख भोगना दुख के अलावा और कुछ नहीं लाता।

मैं प्रसिद्धि और किस्मत के पीछे भागा, मैंने नियति के खिलाफ संघर्ष किया, और मैं भ्रष्टता के कड़वे स्वाद से भर गया।

शैतान के दर्शनों के अनुसार देह के लिए जीना पशुवत् था।

यह परमेश्वर का खुलासा और न्याय ही था, जिसने मुझे यह देखने के लिए प्रेरित किया कि इंसान कितने भ्रष्ट होते हैं।

उसके द्वारा मेरे न्याय और ताड़ना को धन्यवाद हो कि मैं एक इंसानी सदृशता जी रहा हूँ।

मसीह का अनुसरण करके मैंने कई सत्य समझे हैं; वे सभी परमेश्वर के आशीष हैं।


2

परीक्षणों और क्लेशों के माध्यम से मैंने यह देखा कि मेरे अंदर कितने ज्यादा भ्रष्ट स्वभाव प्रकट हुए।

मैं सब-कुछ अपनी कल्पना और धारणाओं के आधार पर देखता था, और हमेशा सोचता था कि मैं बहुत अच्छा हूँ।

मैं घमंडी और दंभी था, मनमानी किया करता था और किसी की भी बात मानने से इनकार कर देता था।

इस बात से पूरी तरह से अनभिज्ञ रहने के कारण कि मैं किस तरह परमेश्वर की अवज्ञा और विरोध कर रहा था,

मेरे द्वारा उसके सामने समर्पण करने और खुद को जान लेने से पहले मुझे कई बार काट-छाँट और निपटारे से गुज़रना पड़ा।

परीक्षणों और शोधन के बीच मैंने अकसर खुद को नकारात्मक और कमजोर महसूस किया, किंतु परमेश्वर के वचनों की दिलासा और मार्गदर्शन के साथ,

मैंने सत्य की तलाश करने का दृढ़ संकल्प किया। चाहे मुझे और कितने भी परीक्षणों का सामना करना पड़े, मैं अब नकारात्मक नहीं हूँगा या पीछे नहीं हटूँगा।

परमेश्वर के न्याय और ताड़ना ने ही मुझे बचाया है, और गहराई से मैं हमेशा उसकी प्रशंसा करूँगा।

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