268 परमेश्वर के कार्य को समर्पित होने को मैं हूँ तैयार
1
हे परमेश्वर! करूँ प्रार्थना, तू मुझमें अपना कार्य कर,
मेरा न्याय कर, मुझे शुद्ध कर, मुझे बदल,
ताकि पालन करूँ और हर चीज़ में तेरी इच्छा जानूँ।
तेरे द्वारा मेरे उद्धार में है, तेरा महान प्रेम और इच्छा तेरी।
भले मैं विद्रोही हूँ और मुझमें भ्रष्टता है,
मेरी प्रकृति है हालाँकि विश्वासघाती,
आज समझता हूँ मैं इंसान को बचाने की इच्छा तेरी।
करूँगा सहयोग, मैं सहयोग तुझे।
2
हे परमेश्वर! दे और ऐसे हालात,
परीक्षण और दुख-दर्द मुझे,
ताकि होऊँ जब पीड़ा में तो हाथ तेरा मैं थाम सकूँ,
विपत्तियों में घिरा होऊँ तो, तेरे कर्मों को देख सकूँ।
करूँ प्रार्थना तुझसे, दे मुझे वो जिसकी कमी मुझमें,
ताकि समझूँ मैं इच्छा तेरी, चाहे कितने भी कष्ट सहूँ।
न विद्रोह करूँ न करूँ शिकायत, करूँगा मैं संतुष्ट तुझे।
मानूँगा मैं आज्ञा तेरी पूरी तरह, पूरी तरह।
3
हालाँकि तू लेता है इम्तहान बहुत, मैं जानूँ यह है तेरा प्रेम मेरे लिए।
हालाँकि तू करे मेरी शुद्धि बहुत, मैं जानूँ यह है तेरा प्रेम मेरे लिए।
करूँ प्रार्थना तुझसे, दे मुझे वो जिसकी कमी मुझमें,
ताकि समझूँ मैं इच्छा तेरी, चाहे कितने भी कष्ट सहूँ।
न विद्रोह करूँ न करूँ शिकायत, करूँगा मैं संतुष्ट तुझे।
मानूँगा मैं आज्ञा तेरी पूरी तरह, पूरी तरह।