197 इंसान के उद्धार के लिये हैं परमेश्वर के दो देहधारण
परमेश्वर देहधारी हुआ दो बार इंसान को बचाने के लिये
वो देहधारी हुआ शैतान को हराने के लिये।
आत्मा में हो या देह में हो परमेश्वर,
शैतान के साथ युद्ध कर सकता है सिर्फ़ परमेश्वर।
आत्मा में हो या देह में हो परमेश्वर,
शैतान के साथ युद्ध कर सकता है सिर्फ़ परमेश्वर।
1
युद्ध कर नहीं सकते स्वर्गदूत शैतान के साथ,
इंसान तो बिल्कुल कर ही नहीं सकता युद्ध शैतान के साथ,
क्योंकि शक्तिहीन हैं स्वर्गदूत और भ्रष्ट है इंसान;
दख़ल देने के बिल्कुल काबिल ही नहीं इंसान।
अगर चाहता है परमेश्वर इंसान के जीवन पर कार्य करना,
अगर चाहता है वो धरती पर इंसान पर कार्य करना,
तो इंसान को बचाने के लिये, उसे देह बनना होगा,
अपने कार्य और पहचान के साथ देहधारण करना होगा।
2
लड़ सकता है सिर्फ़ परमेश्वर शैतान के साथ;
नामुमकिन है, लड़े इंसान शैतान के साथ।
इंसान का फ़र्ज़ है आज्ञा वो माने, इंसान का फ़र्ज़ है अनुसरण करे।
क्योंकि नया युग आरंभ करने के कार्य के नाकाबिल है इंसान।
स्वयं परमेश्वर की अगुवाई में
सिर्फ़ सृष्टिकर्ता को संतुष्ट कर सकता है इंसान,
जिसके ज़रिये यकीनन हारेगा शैतान।
बस यही कर सकता है इंसान।
3
अगर कार्य परमेश्वर के आत्मा ने किया होता,
अगर कार्य इंसान के हाथों ने किया होता,
तो कभी इस युद्ध का असली परिणाम हासिल न होता
या अंत न हुआ होता।
जब भी नया युद्ध शुरू होता है,
जब भी नये युग का कार्य शुरू होता है,
स्वयं परमेश्वर द्वारा कार्य किया जाता है,
जिसके ज़रिये पूरे युग की वो ख़ुद अगुवाई करता है।
पूरी इंसानियत के लिये वो नया मार्ग खोलता है।
हर नये युग के आरंभ में शैतान के साथ नया युद्ध होता है,
जिसके ज़रिये इंसान नये
और ख़ूबसूरत संसार में प्रवेश करता है।
इस नये युग की अगुवाई स्वयं परमेश्वर करता है।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, मनुष्य के सामान्य जीवन को बहाल करना और उसे एक अद्भुत मंज़िल पर ले जाना से रूपांतरित