537 मृत्यु-शैय्या पर सत्य के प्रति जागना बड़ी देर से जागना है
1
कई लोग ज्ञान की बड़ी बातें हैं करते
पर मृत्यु की सेज पर हैं रोते।
अपना जीवन बर्बाद करने,
लंबा जीवन व्यर्थ में जीने
के लिए खुद से नफरत करते हैं।
वे सिर्फ समझते सिर्फ सिद्धांत को,
पर सत्य पर अमल नहीं कर पाते।
ईश्वर की गवाही देने के बजाय,
वे बस भाग-दौड़ में लगे रहें।
आखिर मौत के समय पर ही
वे ये सत्य देखते:
कि वे ईश्वर को बिल्कुल नहीं जानते,
उनमें सच्ची गवाही नहीं।
क्यों नहीं आज का लाभ उठाएँ?
क्यों न खोजें उसे जिस सत्य से प्रेम है?
कल का इंतज़ार क्यों करना?
क्या तब तक देर न हो जाएगी?
अपने जीते-जी क्यों नहीं सत्य खोजते,
सत्य के लिए कष्ट सहते?
क्या पछतावे के साथ मरना चाहते?
तो ईश्वर में विश्वास ही क्यों करते?
2
बहुत-सी बातों में लोग बस
थोड़ा-सा प्रयास करके
सत्य पर अमल कर सकते हैं,
ईश्वर को संतुष्ट कर सकते हैं।
पर उनके दिल राक्षसों के कब्ज़े में हैं,
इसलिए वे ईश्वर के लिए काम नहीं कर सकते।
बल्कि वे अपने देह के लिए काम करते,
और अंत में खाली हाथ रहते।
इसीलिए लोग मुश्किलों से
परेशान और पीड़ित रहते।
क्या ये शैतान की यातनाएँ नहीं?
क्या यह देह की भ्रष्टता नहीं?
3
ईश्वर को खोखली बातों से मूर्ख बनाने की
न कोशिश करो,
बल्कि ठोस काम करो।
खुद को धोखा देने का क्या मतलब है?
क्या फायदा जीने से देह और शोहरत के लिए?
क्यों नहीं आज का लाभ उठाएँ?
क्यों न खोजें उसे जिस सत्य से प्रेम है?
कल का इंतज़ार क्यों करना?
क्या तब तक देर न हो जाएगी?
अपने जीते-जी क्यों नहीं सत्य खोजते,
सत्य के लिए कष्ट सहते?
क्या पछतावे के साथ मरना चाहते?
तो ईश्वर में विश्वास ही क्यों करते?
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, तुम्हें सत्य के लिए जीना चाहिए क्योंकि तुम्हें परमेश्वर में विश्वास है से रूपांतरित