353 कहाँ है ईश्वर से तुम्हारी अनुकूलता का प्रमाण?
1
तुम बहुत घमंडी, लालची और लापरवाह हो;
शातिर चालों से ईश्वर को मूर्ख बनाते हो।
तुम्हारे इरादे और तरीके बहुत घिनौने हैं,
तुममें निष्ठा बहुत थोड़ी, ईमानदारी बहुत कम,
और अंतरात्मा बिलकुल नहीं है।
तुम्हारे दिलों में बहुत अधिक द्वेष है।
तुम्हारे द्वेष से कोई नहीं बचा, ईश्वर भी नहीं।
तुम उसे घर में नहीं आने देते,
अपने पति या बच्चों की खातिर, या अपनी रक्षा के लिए।
हाँ, तुम उसे अंदर नहीं आने देते।
ईश्वर के बजाय, तुम परवाह करते अपने परिवार की,
अपने बच्चों, अपनी हैसियत, अपने भविष्य, अपनी संतुष्टि की।
तुमने कब ईश्वर के बारे में सोचा है?
तुमने कब खुद को समर्पित किया है
हर हाल में, ईश्वर और उसके कार्य के लिए?
क्या तुम उसके अनुकूल हो? अगर हाँ, तो प्रमाण कहाँ है?
और कहाँ है उसके प्रति तुम्हारी निष्ठा? इसकी अभिव्यक्ति कहाँ है?
कहाँ है उसके प्रति तुम्हारी आज्ञाकारिता?
कब तुम्हारे इरादे उसके आशीष पाने के लिए नहीं रहे हैं?
2
कब तुमने बोलते समय ईश्वर के बारे में सोचा है?
कब तुमने कुछ करते समय ईश्वर के बारे में सोचा है?
ठिठुराते-झुलसाते दिनों में कब तुमने सोचा?
तुम अपने बच्चों की, पति पत्नी या माँ-बाप की सोचते;
तुम्हारे मन में ईश्वर के लिए जगह नहीं।
जब तुम अपना कर्तव्य निभाते, तुम अपना हित ही सोचते,
अपनी, अपने परिवार की सुरक्षा ही सोचते।
तुमने कभी ऐसा क्या किया है जो ईश्वर के लिए हो?
तुमने कब ईश्वर के बारे में सोचा है?
तुमने कब खुद को समर्पित किया है
हर हाल में, ईश्वर और उसके कार्य के लिए?
क्या तुम उसके अनुकूल हो? अगर हाँ, तो प्रमाण कहाँ है?
और कहाँ है उसके प्रति तुम्हारी निष्ठा? इसकी अभिव्यक्ति कहाँ है?
कहाँ है उसके प्रति तुम्हारी आज्ञाकारिता?
कब तुम्हारे इरादे उसके आशीष पाने के लिए नहीं रहे हैं?
3
तुम ईश्वर को मूर्ख बनाते, धोखा देते, सत्य से खेलते हो;
सत्य के अस्तित्व को छिपाते, सत्य के सार से विद्रोह भी करते हो।
ऐसे कामों से आखिर क्या पाओगे?
तुम एक अज्ञात ईश्वर से अनुकूलता खोजते
बस एक अज्ञात विश्वास खोजते, पर तुम मसीह के अनुकूल नहीं।
क्या तुम्हारी दुष्टता वही दंड नहीं पाएगी जो एक दुष्ट को मिलता है?
ये उनके लिए नहीं होगा जो मसीह के अनुकूल होंगे।
भले ही उन्होंने बहुत खोया है, बहुत कठिनाइयाँ झेली हैं,
वे वो विरासत पाएँगे जो ईश्वर इंसान को देता।
अंत में तुम देखोगे, केवल ईश्वर ही धार्मिक है,
और केवल ईश्वर ही इंसान को ले जा सकता है उसकी सुंदर मंज़िल तक।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, तुम्हें मसीह के साथ अनुकूलता का तरीका खोजना चाहिए से रूपांतरित