प्रश्न 4: भले आप जिन पर विश्वास करते हैं वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर हैं, आप जो पढ़ती हैं वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन हैं, और आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के नाम से प्रार्थना करती हैं, लेकिन हमारी जानकारी के मुताबिक तो सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की स्‍थापना एक इंसान ने की थी, जिनकी हर आज्ञा का आप पालन करती हैं। आपकी गवाहियों के मुताबिक यह मनुष्य एक पादरी है, एक ऐसा मनुष्य जिसे सभी प्रशासकीय मामलों के प्रभारी के रूप में, परमेश्वर द्वारा इस्तेमाल किया जाता है। इस बात ने मुझे उलझन में डाल दिया है। वो कौन था जिसने सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की स्‍थापना की थी? उसका जन्‍म कैसे हुआ था? क्या आप इस बात को समझा सकती हैं?

उत्तर: जैसा कि आप जानते हैं, हम जिन पर विश्वास करते हैं, वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर हैं, जो कुछ हम पढ़ते हैं वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन हैं, और हम जो प्रार्थना करते हैं वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर के नाम से होती है, तो फिर आप ऐसा क्‍यों कहते हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की रचना एक इंसान ने की थी? मुझे नहीं पता कि आपने अपनी राय किस आधार पर बनायी है। हम जिन पर विश्वास करते हैं वे देहधारी सर्वशक्तिमान परमेश्वर हैं, कोई इंसान नहीं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कहे अधिकांश वचन, वचन देह में प्रकट होता है पुस्‍तक में दर्ज़ हैं। चूंकि आपने वचन देह में प्रकट होता है पुस्‍तक नहीं पढ़ी है, यह बात पक्‍के तौर पर नहीं कही जा सकती कि आपको सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की सही समझ है। चीनी कम्युनिस्‍ट सरकार की ओर से लगातार किए जाने वाले ये प्रचार और अफवाहें, कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की रचना एक इंसान ने की थी, यह साबित करने के लिये काफी हैं कि सीसीपी को सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की कोई भी समझ नहीं है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का जन्‍म कैसे हुआ, इस बात को जाने बिना, सीसीपी इस बात पर अड़ी रहती है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की रचना एक इंसान ने की थी। क्या यह बेतुका नहीं है? क्या आपको यह असंगत नहीं लगता? तो फिर मैं आपसे पूछती हूँ, ईसाई धर्म की रचना किसने की थी? कैथलिक धर्म की रचना किसने की थी? असल में, ईसाई धर्म, कैथलिक धर्म, और पूर्व की परंपरागत कलीसियाओं, इन सभी का जन्म प्रभु यीशु के छुटकारा देनेवाले कार्य से हुआ था। हालांकि, प्रेरितों ने हर जगह कलीसियाओं की स्थापना की थी, इसका मतलब यह नहीं है कि ईसाई धर्म की स्थापना प्रेरितों द्वारा की गई थी। चाहे कोई भी युग हो, कलीसियाओं का जन्‍म परमेश्वर के प्रकटन और कार्य के कारण ही हुआ था। अनुग्रह के युग में कलीसियाओं का जन्‍म प्रभु यीशु के प्रकटन और कार्य के कारण हुआ था। राज्य के युग में कलीसियाओं का जन्‍म सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकटन और कार्य के कारण हुआ था। अगर परमेश्वर का प्रकटन और कार्य नहीं हुआ होता तो क्या प्रेरित खुद कलीसियाओं की स्थापना कर सकते थे? जो लोग कलीसियाओं में शामिल हुए, वे परमेश्वर पर विश्वास करने वाले लोग थे। वे प्रेरितों पर विश्वास करने वाले लोग नहीं थे। इसलिए, ऐसा नहीं कहा जा सकता कि किसी भी युग में कलीसियाओं की स्‍थापना मनुष्य द्वारा की गई थी। यहाँ तक कि अगर प्रेरितों द्वारा भी कलीसियाओं की स्‍थापना हुई है तो भी उनका निर्माण प्रभु यीशु के नाम पर होना ज़रूरी था। प्रेरित यह नहीं कह सकते कि कलीसियाओं की स्‍थापना उनके द्वारा की गई थी। यह सार्वजानिक रूप से मान्य तथ्य है! सीसीपी के लोग तथ्यों के अनुसार बात क्यों नहीं कर सकते? क्यों तथ्यों को इस बुरी तरह से तोड़-मरोड़ रहे हैं? क्या यह बेतुका नहीं है? अंत के दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर कार्य करने के लिए प्रकट हुए ताकि सत्य को व्यक्त किया जा सके। जब सत्य से प्रेम करनेवाले हर वर्ग के ईसाइयों ने परमेश्वर की वाणी सुनी और कार्य करते हुए परमेश्वर के प्रकटन को देखा, वे सब सर्वशक्तिमान परमेश्वर की ओर वापस लौट गए और उन्हें परमेश्वर के सिंहासन के सामने लाया गया, इस प्रकार सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की रचना हुई। ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने हर जगह कलीसियाओं की स्थापना की है, लेकिन क्या आप ऐसा कह सकते हैं कि कलीसियाओं के संस्थापक उनके रचनाकार हैं? सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की रचना सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकटन और कार्य से हुई है। यह ऐसा तथ्य है जिससे कोई इन्कार नहीं कर सकता।

"वार्तालाप" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश

पिछला: प्रश्न 3: मैंने धार्मिक समुदाय के कई पादरी और एल्डर को यह कहते सुना है कि आप जिस पर विश्वास कर रही हैं, वह एक मनुष्य है, न कि यीशु मसीह। फिर भी आप यह गवाही देती हैं कि वह मनुष्य वापस आये प्रभु यीशु हैं, यानी, सर्वशक्तिमान परमेश्वर कार्य करने के लिए प्रकट हुए हैं। क्या आपको पता है कि कम्युनिस्ट पार्टी काफ़ी समय से एक पंथ के रूप में ईसाई धर्म और कैथलिक धर्म की निंदा करती रही है? और आप यह गवाही देने की हिम्मत कर रही हैं कि प्रभु यीशु लौट आये हैं, जो कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर हैं; क्या आप मुसीबत मोल नहीं ले रही हैं? कम्युनिस्ट पार्टी आपको कैसे माफ कर सकती है? कम्युनिस्ट पार्टी तो ईसाई और कैथोलिक धर्म को कुपंथ और और बाइबल को कुपंथी किताब घोषित करने की भी हिम्मत रखती है। यह एक खुला तथ्‍य है। क्या आप यह नहीं जानती? अगर सीसीपी दुनिया के कट्टर धर्मों की निंदा करके उन्‍हें नकार सकती है, तो वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकटन और कार्य की निंदा क्यों नहीं कर सकती? अगर सीसीपी बाइबल को कुपंथी पुस्‍तक घोषित कर सकती है, तो वह वचन देह में प्रकट होता है को क्‍यों छोड़ेगी? सार्वजनिक सुरक्षा संस्‍थाओं ने इस किताब की कई प्रतियों को ज़ब्‍त कर लिया है। कई लोग इसका अध्ययन कर रहे हैं। मुझे बस यही समझ नहीं आ रहा है। आप लोगों को सर्वशक्तिमान परमेश्वर पर विश्वास करने की ज़रूरत क्या है? सर्वशक्तिमान परमेश्वर को अंत के दिनों के मसीह साबित करने पर क्यों ज़ोर दिया जा रहा हैं? हम उनके परिवार की पृष्‍ठभूमि के बारे में सब जानते हैं। ठीक यीशु की तरह, जिन पर ईसाई धर्म विश्वास करता है, वे भी एक साधारण इंसान हैं यीशु, एक बढ़ई की संतान थे, उनके माता-पिता और भाई-बहन भी थे। वे बस एक साधारण इंसान थे। फिर भी पूरा ईसाई धर्म यीशु की परमेश्वर की तरह आराधना करता है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर, जिन पर आप लोग विश्वास करते हैं, वे भी यीशु की तरह ही एक मनुष्य हैं। आपका इस बात पर ज़ोर देना कि वे परमेश्वर हैं, बहुत ही अस्वाभाविक है। एक साधारण इंसान पर विश्वास करने की वजह से आपको इतना अत्याचार और पीड़ा सहनी पड़ी है। क्‍या इसमें कोई फायदा है? मैंने सुना है कि कई लोग ऐसे हैं जिन्होंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अनुसरण करने के लिए अपने परिवार और पेशे को छोड़ दिया है। मुझे समझ नहीं आता कि आपको इस तरह से परमेश्वर पर विश्वास करने से अंत में क्या हासिल होगा? आपका उनके परमेश्वर होने पर विश्‍वास करने का आधार क्‍या है?

अगला: प्रश्न 5: बाइबल कहती है, "हर एक व्यक्‍ति शासकीय अधिकारियों के अधीन रहे, क्योंकि कोई अधिकार ऐसा नहीं जो परमेश्‍वर की ओर से न हो; और जो अधिकार हैं, वे परमेश्‍वर के ठहराए हुए हैं। इसलिये जो कोई अधिकार का विरोध करता है, वह परमेश्‍वर की विधि का सामना करता है, और सामना करनेवाले दण्ड पाएँगे" (रोमियों 13:1-2)। कई सालों तक प्रभु में विश्वास करने के बाद, आपको इस कथन का अर्थ समझना चाहिए। आखिरकार बाइबल परमेश्‍वर से प्रेरित थी। मेरा मानना है कि हम प्रभु के विश्वासियों को शासकीय अधिकारियों और सत्‍ताधारियों का आज्ञा-पालन करना चाहिए। मुझे नहीं पता कि आप इससे क्‍या समझती हैं। चीन में अधिकारियों की अवहेलना करने से काम नहीं बनता। आपको यह जानना होगा कि कम्युनिस्ट पार्टी एक क्रांतिकारी पार्टी है। यदि आप अवज्ञा करती हैं, तो यह आपके जीवन को मिटा देगी। चीन में प्रभु में विश्वास करने के लिए, किसी के लिए भी कम्युनिस्ट पार्टी के संयुक्त मोर्चे को स्वीकार कर थ्री-सेल्‍फ-चर्च में शामिल होना आवश्‍यक है। और कोई दूसरा रास्ता नहीं है! प्रभु में हमारा विश्वास क्‍या, पूरी तरह से एक अच्‍छे तालमेल वाले परिवार और शांतिपूर्ण जीवन की हमारी चाह के बारे में नहीं है? देखें कि थ्री-सेल्‍फ-चर्च के लोग कैसे समझदार हैं। हम एक देशभक्‍त और कलीसिया-प्रेमी संगठन हैं जो परमेश्‍वर का गुणगान करते और लोगों को लाभ देते हैं। हम न तो सत्तारूढ़ अधिकारियों का अपमान करते हैं और न ही बाइबल को धोखा देते हैं। हम डर के मारे छुपने के बजाय कलीसिया में खुलकर प्रभु की आराधना कर सकते हैं। क्‍या यह दोनों हाथों में लड्डू रखने जैसा नहीं है?

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

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प्रश्न: प्रभु यीशु कहते हैं: "मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं" (यूहन्ना 10:27)। तब समझ आया कि प्रभु अपनी भेड़ों को बुलाने के लिए वचन बोलने को लौटते हैं। प्रभु के आगमन की प्रतीक्षा से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बात है, प्रभु की वाणी सुनने की कोशिश करना। लेकिन अब, सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि हमें नहीं पता कि प्रभु की वाणी कैसे सुनें। हम परमेश्वर की वाणी और मनुष्य की आवाज़ के बीच भी अंतर नहीं कर पाते हैं। कृपया हमें बताइये कि हम प्रभु की वाणी की पक्की पहचान कैसे करें।

उत्तर: हम परमेश्वर की वाणी कैसे सुनते हैं? हममें कितने भी गुण हों, हमें कितना भी अनुभव हो, उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। प्रभु यीशु में विश्वास...

प्रश्न 1: सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है," तो मुझे वह याद आया जो प्रभु यीशु ने एक बार कहा था, "परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूँगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा; वरन् जो जल मैं उसे दूँगा, वह उसमें एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा" (यूहन्ना 4:14)। हम पहले से ही जानते हैं कि प्रभु यीशु जीवन के सजीव जल का स्रोत हैं, और अनन्‍त जीवन का मार्ग हैं। क्या ऐसा हो सकता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर और प्रभु यीशु समान स्रोत हों? क्या उनके कार्य और वचन दोनों पवित्र आत्मा के कार्य और वचन हैं? क्या उनका कार्य एक ही परमेश्‍वर करते हैं?

उत्तर: दोनों बार जब परमेश्‍वर ने देह धारण की तो अपने कार्य में, उन्होंने यह गवाही दी कि वे सत्‍य, मार्ग, जीवन और अनन्‍त जीवन के मार्ग हैं।...

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