प्रश्न 1: तुम यह प्रमाणित करते हो कि परमेश्वर ने देहधारण किया है और अंतिम दिनों में न्याय का कार्य करने के लिए मनुष्य का पुत्र बन चुका है, और फिर भी अधिकांश धार्मिक पादरी और प्राचीन लोग इस बात की पुष्टि करते हैं कि परमेश्वर बादलों के साथ लौटेगा, और वे इसका आधार मुख्यतः बाइबल की इन पंक्तियों पर रखते हैं: "यही यीशु ... जो तुम्हारे पास से स्वर्ग पर उठा लिया गया है, जिस रीति से तुम ने उसे स्वर्ग को जाते देखा है उसी रीति से वह फिर आएगा" (प्रेरितों 1:11)। "देखो, वह बादलों के साथ आनेवाला है, और हर एक आँख उसे देखेगी" (प्रकाशितवाक्य 1:7)। और इसके अलावा, धार्मिक पादरियों और प्राचीन लोगों ने हमें यह भी निर्देश दिया है कि कोई भी प्रभु यीशु जो बादलों के साथ नहीं आता है, वह झूठा है और उसे छोड़ दिया जाना चाहिए। इसलिए हम निश्चित नहीं हो पा रहे हैं कि यह नज़रिया बाइबल के अनुरूप है या नहीं; इसे सच मान लेना उचित है या नहीं?
उत्तर:
बाइबल में साफ तौर पर यह भविष्यवाणी की गयी है कि अंत के दिनों में प्रभु मानव-पुत्र के रूप में देहधारण करेंगे। और इस बारे में बाइबल में और भी कई भविष्यवाणियाँ हैं। उदाहरण के लिए: "तुम भी तैयार रहो; क्योंकि जिस घड़ी तुम सोचते भी नहीं, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा" (लूका 12:40)। "क्योंकि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से कौंध कर आकाश के दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा। परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ" (लूका 17:24-25)। इन सारी भविष्यवाणियों में "मनुष्य के पुत्र" या "मनुष्य के पुत्र के आगमन" की बात कही गयी है। "मनुष्य का पुत्र" का मतलब वह है जो कि एक मनुष्य से पैदा हुआ है और जिसमें सामान्य मानवता के गुण हैं। आत्मा को मनुष्य का पुत्र नहीं कहा जा सकता है। उदाहरण के लिए, क्योंकि यहोवा परमेश्वर एक आत्मा हैं, उन्हें "मनुष्य का पुत्र" नहीं कहा जा सकता। कुछ लोगों ने दूतों को देखा है, दूत भी आत्मिक स्वरूप हैं, इसलिए उन्हें मनुष्य का पुत्र नहीं कहा जा सकता है। वह सब कुछ जो मनुष्य की तरह दिखता है मगर आत्मिक स्वरूपों से मिलकर बना है, उसे "मनुष्य का पुत्र" नहीं कहा जा सकता है। देहधारी प्रभु यीशु को "मनुष्य का पुत्र" और "मसीह" कहा गया क्योंकि वे परमेश्वर की आत्मा के देहधारी रूप थे और इसलिए एक साधारण और आम आदमी बने जो अन्य लोगों के साथ मिलकर रहते थे। इसलिए जब प्रभु यीशु ने "मनुष्य का पुत्र" और "मनुष्य के पुत्र के आगमन” की बात कही, वे अंत के दिनों में देहधारी रूप में परमेश्वर के आगमन की बात कह रहे थे।
—राज्य के सुसमाचार पर विशिष्ट प्रश्नोत्तर
प्रभु यीशु ने बार-बार यह भविष्यवाणी की कि मनुष्य के पुत्र के रूप में, वे दोबारा आयेंगे। मनुष्य के पुत्र का संदर्भ देहधारी परमेश्वर से है, जैसे कि देहधारी प्रभु यीशु, जो बाहर से एक साधारण, सामान्य व्यक्ति जैसे दिखाई देते हैं, जो एक सामान्य मनुष्य की तरह खाते-पीते हैं, सोते हैं, और चलते हैं। लेकिन प्रभु यीशु का आध्यात्मिक शरीर उनके जी उठने के बाद भिन्न था, जो दीवारों को भेद सकता था, प्रकट हो सकता था और गायब हो सकता था। वह विशेष रूप से अलौकिक था। इसलिए उनको मनुष्य का पुत्र नहीं कहा जा सकता था। मनुष्य के पुत्र के लौटने के बारे में भविष्यवाणी करते समय, प्रभु यीशु ने कहा था, "परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ" (लूका 17:25)। परंतु आप लोगों के कहे अनुसार, प्रभु एक आध्यात्मिक शरीर के रूप में बादल पर नीचे आयेंगे और सार्वजनिक तौर पर अत्यंत भव्य रूप में प्रकट होंगे, जब सभी लोगों को साष्टांग दंडवत हो कर उनकी आराधना करनी होगी, तो फिर कौन उनका विरोध कर उनकी निंदा करेगा? प्रभु यीशु ने कहा था, "परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ।" इन वचनों को कैसे साकार किया जाएगा? सिर्फ तभी जब देहधारी परमेश्वर मनुष्य पुत्र के रूप में कार्य करने के लिए प्रकट होंगे, जब लोग यह नहीं पहचान पायेंगे कि वे देहधारी मसीह हैं। तभी वे अपनी धारणाओं और कल्पनाओं के अनुसार मसीह की निंदा करने और उनको ठुकराने का साहस करेंगे। क्या आप लोगों को ऐसा नहीं लगता? इसके अलावा, प्रभु यीशु ने यह भविष्यवाणी भी की, "उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता , न स्वर्ग के दूत और न पुत्र, परन्तु केवल पिता" (मत्ती 24:36)। "यदि तू जागृत न रहेगा तो मैं चोर के समान आ जाऊँगा, और तू कदापि न जान सकेगा कि मैं किस घड़ी तुझ पर आ पड़ूँगा" (प्रकाशितवाक्य 3:3)। अगर प्रभु एक आध्यात्मिक शरीर में एक बादल पर उतर कर आते, तो इस बारे में सबको पता चल जाता और सब उनको देख पाते। फिर भी प्रभु यीशु ने भविष्यवाणी की कि वे कब लौटेंगे, यह है "कोई नहीं जानता," "और न पुत्र" और "चोर के समान" ये वचन कैसे साकार हो पायेंगे? अगर प्रभु यीशु आध्यात्मिक शरीर में प्रकट होने वाले होते, तो इस बारे में वे खुद कैसे अनजान होते? सिर्फ तभी जब परमेश्वर अंत के दिनों में मनुष्य पुत्र के रूप में देहधारी हों, एक साधारण, सामान्य व्यक्ति बनें, तभी ये वचन साकार होंगे कि पुत्र को पता नहीं चल पायेगा। उसी तरह जैसे प्रभु यीशु, अपना सेवाकार्य करने से पहले, स्वयं भी मसीह के रूप में अपनी पहचान के बारे में नहीं जानते थे जो पापमुक्ति का कार्य पूरा करने आये थे। इसलिए, प्रभु यीशु अक्सर परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना करते। जब प्रभु यीशु ने अपना सेवाकार्य करना शुरू किया, तभी वे स्वयं को पहचान पाये।
—राज्य के सुसमाचार पर विशिष्ट प्रश्नोत्तर
प्रभु यीशु ने भविष्यवाणी की थी कि वे वापस आएंगे और इसके बारे में कई वचन कहे थे, लेकिन आप केवल उस भविष्यवाणी को पकड़े हैं कि प्रभु बादलों के साथ अवतरित होंगे और प्रभु द्वारा कही गयी अन्य महत्वपूर्ण भविष्यवाणियों की खोज या जांच नहीं करते हैं। इससे गलत रास्ते पर चलना और प्रभु द्वारा त्याग दिया जाना आसान हो जाता है! वास्तव में बाइबल में सिर्फ "बादलों के साथ अवतरित होने" की भविष्यवाणी ही नहीं है। ऐसी कई भविष्यवाणियां भी हैं जैसे प्रभु चोर के रूप में आएंगे और गुप्त रूप से अवतरित होंगे। उदाहरण के लिए, प्रकाशितवाक्य 16:15, "देख, मैं चोर के समान आता हूँ।" मत्ती 25:6, "आधी रात को धूम मची: 'देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो।'" और प्रकाशितवाक्य 3:20, "देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा और वह मेरे साथ।" ये सभी भविष्यवाणियां परमेश्वर के मनुष्य के पुत्र के रूप में देहधारण करने और उनके गुप्त रूप से अवतरित होने को दर्शाती हैं। "चोर के समान" में का मतलब है चुपके से गुप्त रूप से आना। हमें पता नहीं होगा कि वे परमेश्वर हैं, भले ही हम उन्हें देखते या सुनते हैं, ठीक उसी तरह जैसे पहले था जब प्रभु यीशु प्रकट हुए थे और मनुष्य के पुत्र के रूप में अपने देहधारण के दौरान उन्होंने अपना कार्य किया था। बाहर से, प्रभु यीशु सिर्फ एक साधारण मनुष्य के पुत्र थे और कोई नहीं जानता था कि वे परमेश्वर हैं, यही कारण है कि प्रभु यीशु ने मनुष्य के पुत्र के स्वरूप और कार्य के लिए "चोर के समान" की उपमा का प्रयोग किया। यह बहुत उपयुक्त है! जो लोग सत्य से प्यार नहीं करते, वे कभी स्वीकार नहीं करते चाहे देहधारी परमेश्वर कैसे भी बोले, कार्य करे अथवा कितने भी सत्य क्यों न व्यक्त करे। बल्कि, वे देहधारी परमेश्वर को एक सामान्य व्यक्ति के रूप में देखते हैं और उनकी निंदा करते हैं और उन्हें त्याग देते हैं। यही कारण है कि प्रभु यीशु ने भविष्यवाणी की थी कि जब वे वापस लौटेंगे: "क्योंकि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से कौंध कर आकाश के दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा। परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ" (लूका 17:24-25)। प्रभु की भविष्यवाणी के आधार पर, उनकी वापसी "मनुष्य के पुत्र का आगमन" होगी। "मनुष्य के पुत्र" का संदर्भ देहधारी परमेश्वर से है, न कि पुनर्जीवित प्रभु यीशु के आध्यात्मिक शरीर के बादलों के साथ सभी लोगों के सामने प्रत्यक्ष अवतरण से। ऐसा क्यों है? यदि पुनर्जीवित प्रभु यीशु का आध्यात्मिक शरीर सार्वजनिक रूप से अवतरित होता, तो यह अत्यधिक शक्तिशाली होता और विश्व को अचंभित कर देता। हर कोई जमीन पर गिर जाता और कोई भी विरोध करने की हिम्मत नहीं करता। उस स्थिति में, क्या वापस लौटे प्रभु यीशु को तब भी बहुत अधिक पीड़ा सहन करनी होगी और वे इस पीढ़ी द्वारा अस्वीकार कर दिए जाएंगे? बिल्कुल नहीं। यही कारण है कि प्रभु यीशु ने भविष्यवाणी की थी कि उनकी वापसी "मनुष्य के पुत्र का आगमन" और "चोर के रूप में" होगी। वास्तविकता में, यह परमेश्वर का मनुष्य के पुत्र के रूप में गुप्त रूप से देहधारण करने को संदर्भित करता है।
—राज्य के सुसमाचार पर विशिष्ट प्रश्नोत्तर
अब, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार 20 वर्षों से भी अधिक समय से पूरे मुख्यभूमि चीन में फ़ैल रहा है। यह काफी समय से विभिन्न धर्मों और संप्रदायों में फ़ैल रहा है। इस अवधि के दौरान, सीसीपी सरकार के भारी दबाव और शोषण के साथ-साथ, सीसीपी मीडिया के दुष्प्रचार अभियान के कारण, सर्वशक्तिमान परमेश्वर पहले ही एक ऐसा जाना-पहचाना नाम बन चुके हैं जिनके बारे में हर कोई जानता है। बाद में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा बोले गए सभी सत्य वचनों, और सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कलीसिया द्वारा प्रस्तुत विभिन्न वीडियो और फिल्मों को लगातार इंटरनेट पर जारी किया जा रहा है, जो दुनिया भर में फ़ैल रहा है। धार्मिक मंडली के सभी लोगों ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कलीसिया की गवाही के विभिन्न तरीकों के बारे में सुना है। बहुत सारे लोगों ने गवाही दी है कि परमेश्वर आए हैं। यह प्रभु यीशु की इस भविष्यवाणी को अच्छी तरह से पूरा करता है: "आधी रात को धूम मची: 'देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो'" (मत्ती 25:6)। तो फिर क्यों धार्मिक पादरी और एल्डर्स अभी भी प्रचंड रूप से अंत के दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य की निंदा और विरोध करते हैं। बाइबल में प्रभु की वापसी के बारे में अनेक भविष्यवाणियां हैं, तो फिर वे प्रभु के बादलों के साथ अवतरित होने की भविष्यवाणी पर इस तरह से क्यों अड़े हुए हैं? वे बिलकुल भी खोज क्यों नहीं करते हैं, जब वे यह सुनते हैं कि प्रभु के आने के प्रमाण मौजूद हैं? जब उन्हें यह पता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने कई सत्य वचन कहे हैं और उन्होंने परमेश्वर के कार्य की वास्तविकता को देखा है, तो क्यों वे अभी भी जिद्दी बनकर अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य की निंदा और विरोध करने की अपनी धारणाओं और कल्पनाओं को सही मानते हैं? क्या ये लोग सत्य को पसंद करते हैं और वास्तव में प्रभु के आने का इंतजार करते हैं या नहीं? क्या वे बुद्धिमान कुंवारियां हैं या मूर्ख कुंवारियां? अगर वे बुद्धिमान कुंवारियां है और वास्तव में प्रभु की वापसी का इंतजार करते हैं, तो फिर, जब वे परमेश्वर की वाणी को सुनते हैं और राज्य के सुसमाचार को फैलते देखते हैं, तब भी क्योंजिद्दी बनकर निंदा और विरोध करते हैं? क्या यह प्रभु के प्रकट होने की चाह और उम्मीद में उनकी ईमानदारी होगी? क्या यह प्रभु की वापसी का आनंद लेने में उनकी सही अभिव्यक्ति होगी? अंत में, साफ़ तौर पर कहें तो, प्रभु में उनका विश्वास और प्रभु यीशु की वापसी के लिए उनकी चाह नकली है, लेकिन उनकी आशीर्वाद पाने की और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने की चाह असली है! वे प्रभु में विश्वास करते हैं इसलिए नहीं कि वे सत्य की खोज कर जीवन पाएं, इसलिए भी नहीं कि उन्हें सत्य का लाभ मिले और पापों को दूर किया जाए। वे किस बात की सबसे अधिक परवाह करते हैं? यह इसलिए है कि जब प्रभु उनको सीधे स्वर्ग के राज्य में ले जाने के लिए अवतरित होंगे और उन्हें शरीर की पीड़ा से बचाकर निकालेंगे और वे स्वर्ग के राज्य की कृपा का आनंद उठाएंगे। यह परमेश्वर में विश्वास करने का उनका सही मकसद है! इस कारण के अलावा, उन सर्वशक्तिमान परमेश्वर को अस्वीकार करने के लिए उनकी क्या वजह है जो मनुष्य को बचाने के लिए सत्य वचन बोलते हैं? हम इस पर विचार कर सकते हैं। जो कोई भी सत्य से प्रेम करते हैं और वास्तव में परमेश्वर के प्रकट होने की चाह रखते हैं, तो जब उन्हें यह सुनाई पड़ेगा कि प्रभु आ गए हैं, उनकी क्या प्रतिक्रिया होगी? क्या वे इसे नहीं सुनेंगे, नहीं देखेंगे, इसके संपर्क में नहीं आएंगे? क्या वे आँखें मूंदकर इनकार, निंदा और विरोध करेंगे? बिलकुल नहीं! क्योंकि ऐसा व्यक्ति जो ईमानदारी से परमेश्वर के प्रकट होने की चाह रखता है और परमेश्वर के आगमन का स्वागत करता है, अपने हृदय में सत्य और धार्मिकता की प्रधानता के साथ सही रोशनी के प्रकट होने का इंतजार करता है। वे मनुष्य जाति को बचाने के लिए और पापों से पूरी तरह बचाकर शुद्ध करने के लिए और परमेश्वर द़वारा प्राप्त कर लिए जाने के लिए परमेश्वर के आगमन का इंतजार करते हैं। लेकिन ऐसे लोग जो सिर्फ प्रभु के बादलों संग अवतरित होने का इंतज़ार करते हैं, फिर भी सर्वशक्तिमान परमेश्वर से इनकार और अस्वीकार कर देते हैं, ख़ास तौर पर ऐसे धार्मिक नेता जो अपने रुतबे और आजीविका की रक्षा करने के लिए क्रोधावेश में सर्वशक्तिमान परमेश्वर की निंदा और विरोध करते हैं—ये सब ऐसे लोग हैं जो सत्य से दूर भागते हैं और सत्य से नफ़रत करते हैं। ये सब ऐसे अविश्वासी और यीशु विरोधी हैं जिन्हें अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य के द्वारा उजागर किया जाता है। जब देहधारी परमेश्वर अपना उद्धार का कार्य पूरा कर लेते हैं, ये लोग लाखों वर्षों में एक बार आने वाली आपदा में घिर जाते हैं, रोते हैं और अपने दांत पीसते रह जाते हैं। तब सार्वजनिक रूप से बादलों के साथ प्रभु के अवतरित होने की भविष्यवाणी बिलकुल पूरी हो जाएगी: "देखो, वह बादलों के साथ आनेवाला है, और हर एक आँख उसे देखेगी, वरन् जिन्होंने उसे बेधा था वे भी उसे देखेंगे, और पृथ्वी के सारे कुल उसके कारण छाती पीटेंगे" (प्रकाशितवाक्य 1:7)।
—राज्य के सुसमाचार पर विशिष्ट प्रश्नोत्तर