587 धन्य हैं वे जो ईश्वर के लिए स्वयं को सचमुच खपाते हैं
1
उन्हें चाहूँ जो करें मेरी इच्छा पूरी जो कर पाएँ परवाह मेरे बोझ की,
और दें सब कुछ अपना मुझको ही, पूरे हृदय और ईमानदारी से ही।
मैं सदा उनको प्रबुद्ध करूँगा, मैं उन्हें अपने से दूर जाने ना दूंगा।
"जो खुद को मेरे लिए खपाता, इस बात को निष्ठा से करता,
मैं तुम्हें दूँगा आशीष निश्चय ही,"
यही वो वचन हैं, जो कहूँ मैं सदा ही।
2
क्या तुम्हें मालूम है "आशीष" क्या है?
पवित्र आत्मा के काम से, उसके अभी के काम के लिहाज से,
मैं ये बोझ तुम्हें देता हूँ।
"जो खुद को मेरे लिए खपाता, इस बात को निष्ठा से करता,
मैं तुम्हें दूँगा आशीष निश्चय ही,"
यही वो वचन हैं, जो कहूँ मैं सदा ही।
3
वो सब जो कलीसिया का बोझ उठाते हैं,
निष्ठा से खुद को मुझपे खपाते हैं।
उनके बोझ और सच्चे दिल मेरे दिए आशीष हैं
और मेरा प्रकाशन भी उनके लिए मेरा आशीष है।
"जो खुद को मेरे लिए खपाता, इस बात को निष्ठा से करता,
मैं तुम्हें दूँगा आशीष निश्चय ही,"
यही वो वचन हैं, जो कहूँ मैं सदा ही।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आरंभ में मसीह के कथन, अध्याय 82 से रूपांतरित