बाइबल के सत्य पहले ही पूर्ण हैं। परमेश्वर में हमारी आस्था के लिए हमारे पास बाइबल का होना काफी है।हमें और कोई नये वचन नहीं चाहिए!

13 मार्च, 2021

उत्तर: बाइबल में दर्ज सामग्री सीमित मात्रा में है। पुराने नियम में सिर्फ यहोवा परमेश्वर के कार्य को दर्ज किया गया, जबकि नये नियम में प्रभु यीशु के कार्य को दर्ज किया गया। लेकिन परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य के बारे में, बाइबल में सिर्फ भविष्यवाणियाँ है बाइबल में सटीक विवरण दर्ज नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि परमेश्वर का अंत के दिनों का कार्य न्याय का कार्य है, यह बाइबल से बाहर का नया कार्य है। परमेश्वर सत्य व्यक्त करते हैं, और ब्रह्मांड की तमाम चीज़ों के शासक हैं। उनकी समृद्धि कभी ख़त्म नहीं हो सकती और हमेशा पोषित करती रहती है। इस सृष्टि का कोई भी जीव उनकी थाह नहीं पा सकता। इसलिए, बाइबल की विषयवस्तु परमेश्वर के सभी कार्यों को पूरी तरह से नहीं समझा सकती। आइए, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन के एक अंश को पढ़ें! सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "बाइबिल में दर्ज की गई चीज़ें सीमित हैं; वे परमेश्वर के संपूर्ण कार्य का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकतीं। सुसमाचार की चारों पुस्तकों में कुल मिलाकर एक सौ से भी कम अध्याय हैं, जिनमें एक सीमित संख्या में घटनाएँ लिखी हैं, जैसे यीशु का अंजीर के वृक्ष को शाप देना, पतरस का तीन बार प्रभु को नकारना, सलीब पर चढ़ाए जाने और पुनरुत्थान के बाद यीशु का चेलों को दर्शन देना, उपवास के बारे में शिक्षा, प्रार्थना के बारे में शिक्षा, तलाक के बारे में शिक्षा, यीशु का जन्म और वंशावली, यीशु द्वारा चेलों की नियुक्ति, इत्यादि। फिर भी मनुष्य इन्हें ख़ज़ाने जैसा महत्व देता है, यहाँ तक कि उनसे आज के काम की जाँच तक करता है। यहाँ तक कि वे यह भी विश्वास करते हैं कि यीशु ने अपने जीवनकाल में सिर्फ इतना ही कार्य किया, मानो परमेश्वर केवल इतना ही कर सकता है, इससे अधिक नहीं। क्या यह बेतुका नहीं है?" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, देहधारण का रहस्य (1))। "बाइबल की इस वास्तविकता को कोई नहीं जानता कि यह परमेश्वर के कार्य के ऐतिहासिक अभिलेख और उसके कार्य के पिछले दो चरणों की गवाही से बढ़कर और कुछ नहीं है, और इससे तुम्हें परमेश्वर के कार्य के लक्ष्यों की कोई समझ हासिल नहीं होती। बाइबल पढ़ने वाला हर व्यक्ति जानता है कि यह व्यवस्था के युग और अनुग्रह के युग के दौरान परमेश्वर के कार्य के दो चरणों को लिखित रूप में प्रस्तुत करता है। पुराने नियम सृष्टि के समय से लेकर व्यवस्था के युग के अंत तक इस्राएल के इतिहास और यहोवा के कार्य को लिपिबद्ध करता है। पृथ्वी पर यीशु के कार्य को, जो चार सुसमाचारों में है, और पौलुस के कार्य नए नियम में दर्ज किए गए हैं; क्या ये ऐतिहासिक अभिलेख नहीं हैं? अतीत की चीज़ों को आज सामने लाना उन्हें इतिहास बना देता है, और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे कितनी सच्ची और यथार्थ हैं, वे हैं तो इतिहास ही—और इतिहास वर्तमान को संबोधित नहीं कर सकता, क्योंकि परमेश्वर पीछे मुड़कर इतिहास नहीं देखता! तो यदि तुम केवल बाइबल को समझते हो और परमेश्वर आज जो कार्य करना चाहता है, उसके बारे में कुछ नहीं समझते और यदि तुम परमेश्वर में विश्वास करते हो, किन्तु पवित्र आत्मा के कार्य की खोज नहीं करते, तो तुम्हें पता ही नहीं कि परमेश्वर को खोजने का क्या अर्थ है। यदि तुम इस्राएल के इतिहास का अध्ययन करने के लिए, परमेश्वर द्वारा समस्त लोकों और पृथ्वी की सृष्टि के इतिहास की खोज करने के लिए बाइबल पढ़ते हो, तो तुम परमेश्वर पर विश्वास नहीं करते। किन्तु आज, चूँकि तुम परमेश्वर में विश्वास करते हो और जीवन का अनुसरण करते हो, चूँकि तुम परमेश्वर के ज्ञान का अनुसरण करते हो और मृत पत्रों और सिद्धांतों या इतिहास की समझ का अनुसरण नहीं करते हो, इसलिए तुम्हें परमेश्वर की आज की इच्छा को खोजना चाहिए और पवित्र आत्मा के कार्य की दिशा की तलाश करनी चाहिए। यदि तुम पुरातत्ववेत्ता होते तो तुम बाइबल पढ़ सकते थे—लेकिन तुम नहीं हो, तुम उनमें से एक हो जो परमेश्वर में विश्वास करते हैं। अच्छा होगा तुम परमेश्वर की आज की इच्छा की खोज करो" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, बाइबल के विषय में (4))

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन से हम यह समझ सकते हैं कि बाइबल परमेश्वर के पुराने कार्य का ऐतहासिक दस्तावेज़ है और मनुष्य को नहीं बचा सकती। बाइबल की परमेश्वर से बिल्कुल भी बराबरी नहीं की जा सकती। परमेश्वर सजीव जीवन जल का स्रोत हैं; उनके वचनों और कथनों का कोई अंत नहीं होता, उनका बहाव बंद नहीं होता, जबकि बाइबल में जो दर्ज है, वह बहुत सीमित मात्रा में है। यह एक ऐसा तथ्य है जिसको कोई नकार नहीं सकता। भाइयो और बहनो, परमेश्वर हमेशा नये होते हैं और कभी पुराने नहीं पड़ते। वे हर युग में नया कार्य करते हैं और नये वचन व्यक्त करते हैं। अनुग्रह के युग में, प्रभु यीशु ने नया कार्य किया और नये वचन व्यक्त किये, लेकिन उस वक्त के यहूदी पादरियों और फरीसियों ने पुराने नियम को पकड़े रखा और न सिर्फ प्रभु यीशु के कार्य को ठुकराया और उसकी निंदा की बल्कि उन्होंने उन्हें सूली पर भी चढ़ा दिया और एक भयंकर हैवानी पाप किया। अब, अंत के दिनों के मसीह—सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने सभी सत्य व्यक्त किये हैं, जो मानवजाति को बचाते और उसको शुद्ध करते हैं, जो बाइबल में बिल्कुल भी दर्ज नहीं हैं। चूंकि वे दर्ज नहीं हैं, इसलिए बाइबल परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य और उनके वचनों की नुमाइंदगी नहीं कर सकती। हम बाइबल से जुड़े नहीं रह सकते। हमें परमेश्वर की मौजूदा इच्छा और पवित्र आत्मा के कार्य को खोजना होगा। सिर्फ वही परमेश्वर की इच्छा के मुताबिक़ होगा। परमेश्वर ने एक बार ये वचन कहे थे, मुझे सबके लिए पढ़ने की इजाज़त दें! "यदि तुमने अनुग्रह के युग के दौरान पुराने विधान को खाया और पीया होता—यदि तुम अनुग्रह के युग के दौरान पुराने विधान के समय में जो अपेक्षित था, उसे व्यवहार में लाए होते—तो यीशु ने तुम्हें अस्वीकार कर दिया होता, और तुम्हारी निंदा की होती; यदि तुमने पुराने विधान को यीशु के कार्य में लागू किया होता, तो तुम एक फरीसी होते। यदि आज तुम पुराने और नए विधान को खाने और पीने के लिए एक-साथ रखोगे और अभ्यास करोगे, तो आज का परमेश्वर तुम्हारी निंदा करेगा; तुम पवित्र आत्मा के आज के कार्य में पिछड़ गए होगे! यदि तुम पुराने विधान और नए विधान को खाते और पीते हो, तो तुम पवित्र आत्मा की धारा के बाहर हो!" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, बाइबल के विषय में (1))। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन हमें बताते हैं कि अगर हम अनुग्रह के युग में पुराने नियम से चिपके रहते, तो प्रभु यीशु ने हमारी तारीफ़ न की होती, हमें परमेश्वर का अनुग्रह न मिला होता और मनुष्य का छुटकारा न हुआ होता, और यही नहीं, परमेश्वर के हमें छुटकारा दिलाने के बाद हम शांति और आनंद का अनुभव नहीं कर पाये होते। आज, सर्वशक्तिमान परमेश्वर आ चुके हैं। अगर हम अभी भी बाइबल के पुराने और नये नियमों के साथ जुड़े रहेंगे, तब हमें परमेश्वर की सराहना नहीं मिल पायेगी और यही नहीं, हमें परमेश्वर का अंत के दिनों का उद्धार भी नहीं मिल पायेगा!

"बाइबल के बारे में रहस्य का खुलासा" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश

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बाइबल में, पौलुस ने कहा था "सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्‍वर की प्रेरणा से रचा गया है" (2 तीमुथियुस 3:16), पौलुस के वचन बाइबल में हैं। इसीलिए, वे परमेश्‍वर द्वारा प्रेरित थे; वे परमेश्‍वर के वचन हैं। प्रभु में विश्वास करना बाइबल में विश्वास करना है। चाहे कोई भी विचारधारा क्‍यों न हो, यदि वह बाइबल से भटकती है, तो वह विधर्म है! हम प्रभु में विश्वास करते हैं, इसीलिए हमें सदा बाइबल के अनुसार कार्य करना चाहिए, अर्थात्, हमें बाइबल के वचनों का पालन करना चाहिए। बाइबल ईसाई धर्म का मूलभूत सिद्धांत है, हमारे विश्वास की नींव है। बाइबल को त्‍यागना प्रभु में अविश्‍वास करने के समान है; यदि हम बाइबल को त्‍याग देते हैं, तो हम प्रभु में कैसे विश्वास कर सकते हैं? बाइबल में प्रभु के वचन लिखे हैं। क्या कहीं और भी ऐसी जगह है जहां हम उनके वचनों को पा सकते हैं? यदि प्रभु में हमारा विश्वास बाइबल पर आधारित नहीं है, तो इसका आधार क्या है?

उत्तर: आप कहती हैं कि चूंकि पौलुस के वचन बाइबल में हैं, वे प्रभु द्वारा प्रेरित हैं; इसीलिए वे प्रभु के वचन हैं। यह वास्तव में उचित नहीं...

मैंने सुना कि आप लोगों ने इस बात का प्रमाण दिया है कि देहधारी सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने लाखों वचन कहे हैं और परमेश्वर के घर से शुरू करते हुए अपना न्याय का कार्य पूरा किया है। लेकिन यह साफ़ तौर पर बाइबल से आगे निकल जाता है। इसका कारण यह है कि पादरी और नेतागण अक्सर हमसे कहा करते थे कि परमेश्वर के सभी वचन और कार्य बाइबल में दर्ज हैं। परमेश्वर का कोई भी वचन और कार्य बाइबल से बाहर नहीं है। प्रभु यीशु का उद्धार कार्य पहले ही पूरा हो चुका है। अंत में दिनों में प्रभु की वापसी विश्वासियों को सीधे स्वर्ग के राज्य में ले जाने के लिए होगी। इस प्रकार, हमेशा से हमारा यह मानना रहा है प्रभु में विश्वास बाइबल के आधार पर होना चाहिए। जब तक हम बाइबल की बातों पर कायम रहते हैं, हम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने और शाश्‍वत जीवन पाने में सफल होंगे। बाइबल से दूर जाना प्रभु के रास्ते को छोड़ देना है। यह उनका विरोध करना और उनको धोखा देना है। सभी धार्मिक पादरी और एल्डर्स ऐसा ही सोचते हैं। इसमें गलत क्या हो सकता है?

उत्तर: धर्म में, वे सभी लोग जो प्रभु पर विश्वास करते हैं, उनका मानना है कि परमेश्वर के सभी वचन और कार्य बाइबल में निहित हैं। बाइबल में...

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