6. सुनो! यह कौन बोल रहा है?
कलीसिया की एक प्रचारक होने के नाते, आध्यात्मिक दरिद्रता की दशा से गुजरने और प्रचार के लिए कुछ भी न होने से ज़्यादा कष्टदायक और कुछ नहीं है। सभाओं में आने वाले भाई-बहनों की संख्या निरंतर कम होते देखकर मैं असहाय महसूस करती थी, और मैंने कई बार प्रभु के सामने आकर ईमानदारी से प्रार्थना करके उनसे भाई-बहनों के विश्वास को मज़बूत करने के लिए कहा। लेकिन कलीसिया की वीरानी में कोई कमी नहीं आई, यहाँ तक कि मैं दुर्बलता और निराशा से ग्रस्त हो गई ...
एक दिन मैं घर पर काम कर रही थी, कि भाई वांग और भाई लिन अचानक वहां आये और मैंने खुशी से उनका स्वागत किया। कुछ हल्की-फुल्की आमोद-प्रमोद की बातों के बाद भाई वांग ने कहा, "बहन झाऊ, आपका उत्साह अभी कैसा है?" मैंने आह भरते हुए कहा, "पूछिए मत। मेरा जोश अब कम हो गया है और उपदेशों में बताने के लिये मेरे पास कुछ नहीं बचा है! सभी भाई-बहन निराश हैं और कमज़ोर भी। कलीसिया में शायद ही कोई हो!" भाई लिन ने पूछा, "बहन झाऊ, क्या आपको पता है कि क्यों उपदेशों में बताने के लिये आपके पास कुछ नहीं है और क्यों कलीसिया में मुश्किल से ही कोई आता है?" उनके ऐसा कहते ही मैंने सोचा: यही तो मैं भी जानना चाहती हूँ। क्या उनको वाकई पता है कि ऐसा क्यों है? मैंने झटपट पूछा, "क्यों?" भाई वांग ने कहा, "क्योंकि प्रभु पहले ही वापस लौट आये हैं। उन्होंने दूसरी बार देहधारण किया है, वे अपने वचन बोल रहे हैं और नया कार्य कर रहे हैं। कई भाई-बहनों ने पहले ही राज्य के युग में परमेश्वर के कार्य को स्वीकार कर लिया है और वे पवित्र आत्मा के मौजूदा कार्य-क्षेत्र में रह रहे हैं। उनकी स्थिति निरंतर बेहतर होती जा रही है। जिन लोगों ने परमेश्वर के नये कार्य के साथ तालमेल नहीं बनाया है, उन्होंने पवित्र आत्मा के कार्य को गँवा दिया है। यही वजह है कि उनके पास प्रचार के लिए कोई वचन नहीं है और वे निराश और कमज़ोर हो गये हैं। हमें परमेश्वर के पदचिह्नों पर चलने के लिए जल्दी करनी होगी!" यह सुनकर मुझे अचानक मेरे वरिष्ठ सहकर्मी की बातें याद आ गईं: "अगर कोई कहता है कि परमेश्वर नया कार्य करने के लिए आया है और उसने नए वचन बोले हैं, तो यह बाइबल से भटकना है और बाइबल से भटकना प्रभु में विश्वास नहीं करना है; यह अपने धर्म का त्याग करना है।" यह सोचते हुए मैंने बहुत गंभीरता से कहा: "क्या वरिष्ठ सहकर्मी अक्सर हमसे यह नहीं कहते कि बाइबल से भटकना प्रभु में विश्वास नहीं करना है? आप सभी को यह जानना चाहिए कि बाइबल से भटकना प्रभु के मार्ग से भटकना है। मुझे इस तरह का उपदेश देने की आपकी हिम्मत कैसे हुई!" यह कहकर मैं गुस्से से उठकर खड़ी हो गई। भाई लिन ने कहा, "बहन झाऊ, उत्तेजित मत होइए। हम जानते हैं कि आप ईमानदारी से परमेश्वर में विश्वास करती हैं और उत्साही हैं। यही कारण है कि हम आपको परमेश्वर के नए कार्य के बारे में बता रहे हैं। हमने इतने सालों से प्रभु में विश्वास किया है। क्या हमने हमेशा से प्रभु की वापसी का इंतज़ार नहीं किया है? अब प्रभु लौट आये हैं और वे अंत के दिनों का न्याय का कार्य कर रहे हैं। यह बहुत अच्छी खबर है। हमें पूरी लगन से इसकी खोज और जांच करनी चाहिए और प्रभु के स्वागत का अवसर नहीं चूकना चाहिए!" भाई लिन की बात पूरी होने का इंतज़ार किये बिना मैंने अपने हाथ खड़े किये और तेज़ आवाज़ में उनको रोक दिया, "रुकिये, रुकिये, रुकिये! अब और कुछ मत कहिये। मैं उस बात पर विश्वास नहीं कर सकती, जो बाइबल से भटकाती हो। आप प्रभु के मार्ग का पालन नहीं करते, मगर मुझे करना चाहिए।" उन्होंने देखा कि मैं वाकई कुछ नहीं सुन रही थी, इसलिए उनके पास वहां से चले जाने के अलावा कोई चारा नहीं था। बाद में वे कई बार और वापस आये, लेकिन मैंने उन्हें अनदेखा कर दिया।
बाद में भाई वांग और भाई लिन दो बहनों के साथ मेरे घर मुझे सुसमाचार सुनाने आये। उस दिन मैं घर में फलियाँ बीन रही थी, जबकि मेरे पति बाहर काम कर रहे थे। उन्होंने उन्हें आते हुए देखा, तो उन्हें घर में ले आये। जैसे ही मेरी नज़र उन पर पड़ी, मेरा दिल तेज़ी से धड़कने लगा: वे फिर से वापस क्यों आये हैं और दो सहयोगियों को भी साथ लाये हैं? वे चारों घर के अंदर आये और मेरा हाल-चाल पूछा, उसके बाद वे मेरे पति के साथ सहभागिता करने लगे। मुझे और ज़्यादा चिंता होने लगी और मैंने मन ही मन सोचा: "ये लोग जो प्रचार कर रहे हैं, वह बाइबल से भटकाता है, इसलिए मुझे अपने पति पर नज़र रखनी होगी और उन्हें कुछ भी स्वीकार नहीं करने देना होगा!" मैं उन्हें दूर भगाना चाहती थी, लेकिन मुझे भय था कि कहीं मेरे पति मुझसे नाराज़ न हो जाएं। मैं सिवाय चुप रहने के और कुछ नहीं कर सकती थी, हालांकि मैंने उनकी एक भी बात ग्रहण नहीं की। लेकिन मेरे पति ने उनकी बात सुनी और सहमति में अपना सिर हिलाया और खुद को यह कहने से रोक नहीं पाए, "हाँ! यह सही है! हाँ! ऐसा ही है। आप इसे इतनी अच्छी तरह समझाते हैं!" अपने पति को इस तरह प्रभावित होते देख मैं अचानक आगबबूला हो गई और मैंने अपने पति की ओर देखकर कहा: "क्या सही है? आपने बाइबल को कितना पढ़ा है? आप कब से परमेश्वर में विश्वास कर रहे हैं? क्या आपने प्रभु से प्रार्थना की है? आप कहते हैं, 'सही, सही, सही,' लेकिन आप इसे कितना समझते हैं?" मुझे इस तरह हंगामा करते देखकर, कमरे में अचानक खामोशी छा गई और वे सब एक-दूसरे को देखने लगे। मेरे पति ने फ़ौरन मुझसे कहा, "चिल्लाओ मत। पहले बात सुनो। यही हमारे लिए अच्छा है। अगर तुम सुनोगी नहीं, तो यह कैसे जान पाओगी कि यह बात सही है या गलत?" यह देखकर कि मैं उन्हें उनकी बातें सुनने से नहीं रोक पाई, मैंने गुस्से में दोनों हाथों सेफलियाँ आगे-पीछे कीं और जान-बूझकर हंगामा जोर-जोर से आवाजें करते हुए सोचने लगी, "तुम्हें सुनने दूंगी? मैं तुम्हें कुछ भी नहीं सुनने दूंगी। मैं इस पर यहीं विराम लगा दूंगी!" लेकिन फलियों के साथ जोर से आवाजें करने से मैं अपने पति को उनकी सहभागिता सुनने से नहीं रोक पाई। इसके विपरीत, वे उन चारों लोगों के साथ बातें करते रहे और हँसते रहे, और उनकी सहभागिता बहुत ही सौहार्दपूर्ण रही। कुछ देर बाद मेरे पति ने खुशी-खुशी मुझसे कहा: "ओह, ली! प्रभु वाकई लौट आये हैं। इस पुस्तक के वचन परमेश्वर के निजी कथन हैं! यह कितनी बड़ी बात है! ली, जाओ और हमारे लिए कुछ बनाकर लाओ।" मैंने उनको एक नज़र देखा और कोई जवाब नहीं दिया। बाद में भाई लिन कुछ टेप, एक भजनों की किताब और 'वचन देह में प्रकट होता है' की एक प्रति मेरे पति को देकर चले गए। मैं अब और बर्दाश्त नहीं कर पाई और अपने पति से कहा, "वरिष्ठ सहकर्मियों ने कितनी बार हमसे कहा है कि परमेश्वर में विश्वास करने के लिए हम बाइबल से नहीं भटक सकते, और बाइबल से भटकना परमेश्वर में विश्वास नहीं करना है। क्या आप इस बात को भूल गए? आप इस मुद्दे पर स्थिर क्यों नहीं रह सकते?" मेरे पति ने बिना किसी झिझक के कहा: "वे जो कह रहे हैं, वह बाइबल से भटकना नहीं, बल्कि बाइबल से ऊंचा और गहरा है। इतना ही नहीं, परमेश्वर का नया कार्य, जिसका वे प्रचार कर रहे हैं, प्रभु के वचन और प्रकाशित-वाक्य की पुस्तक की भविष्यवाणियों को पूरा करता है। उनकी सहभागिता को सुनने के बाद मैं समझता हूँ कि मुझे बाइबल की बहुत-सी बातें स्पष्ट हो गई हैं, जिन्हें मैं पहले नहीं समझ पाया था। सर्वशक्तिमान परमेश्वर का सुसमाचार, जिसकी वे गवाही दे रहे हैं, सही मार्ग है। अपनी आँखें खोलो और देखो। हमारी कलीसिया में अब कुछ ही लोग बच गए हैं। कलीसिया वीरान हो गई है। फिर भी तुम अब भी वरिष्ठ सहकर्मियों की बातों का त्याग नहीं करती? क्या यह बहुत बड़ी मूर्खता नहीं है? बेहतर है, तुम जल्दी से इस पर ग़ौर करो।" उन्हें ऐसा कहते सुनकर मैंने गुस्से से कहा, "तुम जानते ही क्या हो? बाइबल से भटकना प्रभु को धोखा देना है। अगर तुम बाइबल का पालन नहीं करते, तो मैं करूँगी!"
इसके बाद, हर दिन जब भी मेरे पति के पास समय होता, वे उस किताब 'वचन देह में प्रकट होता है' को पढ़ते, जिसे भाई लिन छोड़ गये थे। एक दिन, मेरे पति भोर होने से पहले उस किताब को पढ़ने के लिये उठ गये। हैरानी के साथ मैंने अपने पति को ये वचन पढ़ते हुए सुना: "क्या तू भूल गया है? ... क्या तू सचमुच भूल गया है?" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, पतरस ने यीशु को कैसे जाना)। उन्हें जोर-जोर से ये वचन पढ़ते हुए सुनकर मुझे थोड़ा गुस्सा आ गया और मैंने सोचा: सबेरे-सबेरे इतनी जल्दी और लोगों को सोने न देना! कुछ देर के बाद मैंने नींद के झोंके में सुना: "क्योंकि यीशु को सलीब पर चढ़ाए जाने से पहले उसने पतरस से कहा था : 'मैं इस संसार का नहीं हूँ, और तू भी इस संसार का नहीं है'" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, पतरस ने यीशु को कैसे जाना)। आश्चर्य है! इस किताब में प्रभु यीशु का जिक्र क्यों है? क्या मैंने कुछ गलत सुना है? फिर मैंने साफ़-साफ़ सुना: "क्या तू भूल गया है? ... क्या तू सचमुच भूल गया है?" जब मैंने यह सुना, तो मेरे हृदय में उथल-पुथल मच गई और मैं अब सो नहीं पाई। मैंने अपने आपसे कहा: "ये वचन किसने कहे? परमेश्वर! क्या आप ही यह सवाल मुझ से पूछ रहे हैं? ऐसा लग रहा है आप ही ये वचन मुझसे कह रहे हैं। ये कितने सुंदर हैं! मुझे जल्दी से उठकर नाश्ता बनाना होगा। नाश्ते के बाद मैं देखूंगी कि आख़िर उस किताब में क्या कहा गया है, ताकि मैं जान सकूं कि यह वास्तव में बाइबल से भटकाता है या नहीं और क्या ये परमेश्वर के वचन हैं या नहीं।"
नाश्ते के बाद मेरे पति फिर से उस किताब को पढ़ने चले गये। मैंने मन ही मन सोचा: उन्होंने मुझे अपने साथ वह किताब पढ़ने के लिये क्यों नहीं कहा? मैं काफ़ी देर तक दरवाज़े पर खड़ी रही, लेकिन मेरे पति ने किताब में अपना सिर गड़ाये रखा और मेरी तरफ़ बिल्कुल भी नहीं देखा। इसलिये मैं रसोई के अंदर-बाहर आती-जाती रही। मुझे बहुत चिंता महसूस हुई। मैं वाकई उस किताब को पढ़कर जानना चाहती थी कि उसमें क्या लिखा है। इसलिए मैंने कमरे के अंदर झांका, तो देखा कि मेरे पति अभी तक किताब में अपना सिर गड़ाये हुए हैं। मैं भी वहां जाकर उस किताब को पढ़ना चाहती थी, लेकिन जब मैंने सोचा कि कितनी बार भाई-बहन मेरे पास उसका प्रचार करने आये थे और किस तरह मैंने हर बार उनको इनकार कर दिया था, मुझे लगा कि अगर मैं अंदर जाकर उस किताब को पढ़ने की पहल करती हूँ, तो कहीं मेरे पति मेरी आलोचना तो नहीं करेंगे। अगर उन्होंने मेरी आलोचना की, तो मुझे काफ़ी शर्मिंदगी महसूस होगी! यह सोचकर मैंने अपना इरादा बदल दिया। बार-बार अंदर-बाहर जाते हुए मझे वे वचन याद आए, जिन्हें मेरे पति सुबह जोर-जोर से पढ़ रहे थे, और तब मुझे और भी ज़्यादा चिंता महसूस हुई। मैंने सोचा: ऐसा नहीं चलेगा। मुझे अंदर जाकर देखना होगा कि आख़िर उस किताब में लिखा क्या है। लेकिन दरवाज़े के पास जाकर मैं फिर से वापस आ गई। अत्यधिक बेचैनी और घबराहट के कारण मेरी समझ में नहीं आया कि मैं क्या करूँ? आखिरकार मैंने अपना मन बनाया: ओह! परमेश्वर चाहते हैं कि मैं कुछ बोलूँ! किसने मुझसे इस तरह से बात करने और अपने पति की सलाह नहीं सुनने के लिए कहा था? इसलिये मैंने खुद को तैयार किया और कमरे के अंदर चली गई, और साहस जुटाते हुए मैंने अटपटे ढ़ंग से कहा, "क्या मैं आपके साथ इसे पढ़ सकती हूँ?" उन्होंने एक नज़र मुझ पर डाली, तो बड़े हैरान हुए, फिर खुश होकर बोले, "आओ, आओ! हम साथ मिलकर इसे पढ़ते हैं।" उस क्षण मेरा गला भर आया। मेरी कल्पना के विपरीत, मेरे पति ने मेरी आलोचना नहीं की थी! आख़िरकार मेरे दिल की बेचैनी कम हुई और मैंने खुशी से पति के साथ उस किताब को पढ़ा। हालांकि, किताब में मैंने जिन वचनों को पढ़ा, वे उन वचनों से अलग थे जो मैंने भोर के समय सुने थे। तभी, मेरे पति बाहर गए, तो मैंने जल्दी-जल्दी किताब के के पन्ने पलटे। एकाएक मुझे वे वचन दिखाई पड़े, जिन्हें मैं खोज रही थी और मैंने खुश होते हुए उन्हें जोर से पढ़ा: "पतरस यीशु के वचनों से बहुत प्रोत्साहित हुआ, क्योंकि यीशु को सलीब पर चढ़ाए जाने से पहले उसने पतरस से कहा था : 'मैं इस संसार का नहीं हूँ, और तू भी इस संसार का नहीं है।' बाद में, जब पतरस एक अत्यधिक पीड़ादायक स्थिति में पहुँचा, तो यीशु ने उसे स्मरण दिलाया : 'पतरस, क्या तू भूल गया है? मैं इस संसार का नहीं हूँ, और मैं सिर्फ अपने कार्य के लिए ही पहले चला गया। तू भी इस संसार का नहीं है, क्या तू सचमुच भूल गया है? मैंने तुझे दो बार बताया है, क्या तुझे याद नहीं है?' यह सुनकर पतरस ने कहा : 'मैं नहीं भूला हूँ!' तब यीशु ने कहा : 'तूने एक बार मेरे साथ स्वर्ग में एक खुशहाल समय और मेरी बगल में एक समयावधि बिताई थी। तू मुझे याद करता है और मैं तुझे याद करता हूँ। यद्यपि सृजित प्राणी मेरी दृष्टि में उल्लेखनीय नहीं हैं, फिर भी मैं किसी निर्दोष और प्यार करने योग्य प्राणी को कैसे प्रेम न करूँ? क्या तू मेरी प्रतिज्ञा भूल गया है? तुझे धरती पर मेरा आदेश स्वीकार करना चाहिए; तुझे वह कार्य पूरा करना चाहिए, जो मैंने तुझे सौंपा है। एक दिन मैं तुझे अपनी ओर आने के लिए निश्चित रूप से तेरी अगुआई करूँगा'" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, पतरस ने यीशु को कैसे जाना)। मैंने इसे कई बार पढ़ा, और जितनी बार मैं इसे पढ़ती, मुझे यही लगता कि ये वचन बाइबल से नहीं भटकाते। वे बाइबल की तुलना में अधिक स्पष्ट और अधिक पारदर्शी थे। लेकिन मेरे वरिष्ठ सहकर्मियों ने कहा था, "जो कोई भी परमेश्वर के नया कार्य करने के लिए आने और परमेश्वर द्वारा नए वचन बोले जाने के संदेश का प्रचार करता है, वह हमें बाइबल से भटकाता है, और बाइबल से भटकना प्रभु के मार्ग से भटकना है।" लेकिन उन्होंने जो कहा था, वह तथ्यों से मेल नहीं खाता, है ना? मैंने मन ही मन प्रार्थना की: "हे परमेश्वर! इन सारी बातों का क्या अर्थ है? आप मेरा प्रबोधन और मार्गदर्शन करें, ताकि मैं आपकी इच्छा को समझ सकूं। ..."
बाद में मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के इन वचनों को देखा: "बहुत सालों से, लोगों के विश्वास (दुनिया के तीन मुख्य धर्मों में से एक, मसीहियत) का परंपरागत साधन बाइबल पढ़ना ही रहा है; बाइबल से दूर जाना प्रभु में विश्वास करना नहीं है, बाइबल से दूर जाना एक पाखंड और विधर्म है, और यहाँ तक कि जब लोग अन्य पुस्तकें पढ़ते हैं, तो उन पुस्तकों की बुनियाद भी बाइबल की व्याख्या ही होनी चाहिए। कहने का अर्थ है कि, यदि तुम प्रभु में विश्वास करते हो तो तुम्हें बाइबल अवश्य पढ़नी चाहिए, और बाइबल के अलावा तुम्हें ऐसी किसी अन्य पुस्तक की आराधना नहीं करनी चाहिए, जिस में बाइबल शामिल न हो। यदि तुम करते हो, तो तुम परमेश्वर के साथ विश्वासघात कर रहे हो। बाइबल के समय से प्रभु में लोगों का विश्वास, बाइबल में विश्वास रहा है। यह कहने के बजाय कि लोग प्रभु में विश्वास करते हैं, यह कहना बेहतर है कि वे बाइबल में विश्वास करते हैं; यह कहने के बजाय कि उन्होंने बाइबल पढ़नी आरंभ कर दी है, यह कहना बेहतर है कि उन्होंने बाइबल पर विश्वास करना आरंभ कर दिया है; और यह कहने के बजाय कि वे प्रभु के सामने लौट आए हैं, यह कहना बेहतर होगा कि वे बाइबल के सामने लौट आए हैं। इस तरह से, लोग बाइबल की आराधना ऐसे करते हैं मानो वह परमेश्वर हो, मानो वह उनका जीवन-रक्त हो और उसे खोना अपने जीवन को खोने के समान हो। लोग बाइबल को परमेश्वर जितना ही ऊँचा समझते हैं, और यहाँ तक कि कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो उसे परमेश्वर से भी ऊँचा समझते हैं। यदि लोगों के पास पवित्र आत्मा का कार्य नहीं है, यदि वे परमेश्वर को महसूस नहीं कर सकते, तो वे जीते रह सकते हैं—परंतु जैसे ही वे बाइबल को खो देते हैं, या बाइबल के प्रसिद्ध अध्याय और उक्तियाँ खो देते हैं, तो यह ऐसा होता है, मानो उन्होंने अपना जीवन खो दिया हो" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, बाइबल के विषय में (1))। परमेश्वर के वचन वाकई मेरे दिल को छू गए थे। क्या यह वास्तव में मेरे ही बारे में नहीं कहा गया था? उस समय के बारे में सोचते हुए, जब मैंने प्रभु में विश्वास करना शुरू किया था, मैं इसी तरीके से अपने विश्वास पर कायम रही थी। मैं बाइबल को अपने जीवन का आधार मानती थी। इसे पढ़ने के बाद हर बार मैं इसे बच्चों के छूने के डर से हमेशा किसी ऊंची जगह पर रखती थी। मैंने बाइबल को दूसरी सभी चीज़ों से ऊंचा स्थान दिया था और मैं यहाँ तक सोचती थी कि बाइबल से भटकना प्रभु को धोखा देना है। क्या मैं ऐसा करके गलत करती थी? खोजपूर्ण हृदय के साथ मैं "बाइबल के विषय में (1)" से लेकर "बाइबल के विषय में (4)" तक पढ़ती रही। मैं जितना अधिक पढ़ती, उतना ही प्रबुद्ध महसूस करती। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों ने मुझे अच्छी तरह से समझा दिया था। इससे पता चला कि बाइबल सिर्फ़ परमेश्वर के कार्य का एक ऐतिहासिक अभिलेख और परमेश्वर के कार्य के पहले दो चरणों की गवाही है। जिस तरह पुराना नियम संसार की रचना से लेकर व्यवस्था के युग के अंत तक यहोवा परमेश्वर द्वारा किये गए कार्यों का अभिलेख है, उसी तरह नया नियम अनुग्रह के युग में किए गए प्रभु यीशु के कार्यों का अभिलेख है। परमेश्वर का कार्य हमेशा नया होता है, यह कभी पुराना नहीं होता, और हमेशा आगे बढ़ता रहता है। अब परमेश्वर ने बाइबल के बाहर नया कार्य किया है—राज्य के युग का कार्य। कार्य का यह चरण मनुष्य के लिए परमेश्वर के उद्धार के कार्य का अंतिम चरण है। व्यवस्था के युग से लेकर अनुग्रह के युग तक, और फिर अंत के दिनों में राज्य के युग तक, कार्य के तीनों चरण एक ही परमेश्वर द्वारा पूरे किये गए हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ना मेरे लिए पूरी तरह से आँखें खोलने वाला था, और इन वचनों को पढ़कर मेरी आँखों को काफ़ी सुकून मिला! हाँ, परमेश्वर कितने सर्वशक्तिमान और बुद्धिमान हैं, वे सिर्फ़ बाइबल में दर्ज़ सीमित कार्य ही कैसे कर सकते हैं? और सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों से मैंने वास्तव में देखा कि अंत के दिनों के परमेश्वर के वचन और कार्य बाइबल से अलग नहीं हैं। इसके बजाय, इन्होंने व्यवस्था के युग और अनुग्रह के युग के उन कार्यों को ऊंचा और गहरा बनाया है, जो बाइबल में दर्ज़ हैं। अब परमेश्वर जो भी कर रहे हैं, वह काफ़ी हद तक लोगों की मौजूदा ज़रूरतों के अनुरूप है। परमेश्वर के वचनों के एक अंश में कहा गया है: "तुम्हें यह समझना चाहिए कि आज तुमसे बाइबल न पढ़ने के लिए क्यों कहा जा रहा है, क्यों एक अन्य कार्य है जो बाइबल से अलग है, क्यों परमेश्वर बाइबल में कोई अधिक नवीन और अधिक विस्तृत अभ्यास नहीं देखता, इसके बजाय बाइबल के बाहर अधिक पराक्रमी कार्य क्यों है। यही सब है, जो तुम लोगों को समझना चाहिए। तुम्हें पुराने और नए कार्य के बीच का अंतर जानना चाहिए, और भले ही तुम बाइबल को न पढ़ते हो, फिर भी तुम्हें उसकी आलोचना करने में सक्षम होना चाहिए; यदि नहीं, तो तुम अभी भी बाइबल की आराधना करोगे, और तुम्हारे लिए नए कार्य में प्रवेश करना और नए परिवर्तनों से गुज़रना कठिन होगा। जब एक उच्चतर मार्ग मौजूद है, तो फिर निम्न, पुराने मार्ग का अध्ययन क्यों करते हो? जब यहाँ अधिक नवीन कथन और अधिक नया कार्य उपलब्ध है, तो पुराने ऐतिहासिक अभिलेखों के मध्य क्यों जीते हो? नए कथन तुम्हारा भरण-पोषण कर सकते हैं, जिससे साबित होता है कि यह नया कार्य है; पुराने अभिलेख तुम्हें तृप्त नहीं कर सकते, या तुम्हारी वर्तमान आवश्यकताएँ पूरी नहीं कर सकते, जिससे साबित होता है कि वे इतिहास हैं, और यहाँ का और अभी का कार्य नहीं हैं। उच्चतम मार्ग ही नवीनतम कार्य है, और नए कार्य के साथ, भले ही अतीत का मार्ग कितना भी ऊँचा हो, वह अभी भी लोगों के चिंतनों का इतिहास है, और भले ही संदर्भ के रूप में उसका कितना भी महत्व हो, वह फिर भी एक पुराना मार्ग है। भले ही वह 'पवित्र पुस्तक' में दर्ज किया गया हो, फिर भी पुराना मार्ग इतिहास है; भले ही 'पवित्र पुस्तक' में नए मार्ग का कोई अभिलेख न हो, फिर भी नया मार्ग यहाँ का और अभी का है। यह मार्ग तुम्हें बचा सकता है, और यह मार्ग तुम्हें बदल सकता है, क्योंकि यह पवित्र आत्मा का कार्य है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, बाइबल के विषय में (1))। इस क्षण मुझे अचानक रोशनी दिखी और मैंने महसूस किया कि हमेशा बाइबल में विश्वास करने पर भी मेरा उत्साह लगातार कमज़ोर क्यों पड़ता जा रहा था, इतना अधिक कमज़ोर कि मेरे पास प्रचार करने के लिए भी कुछ नहीं बचा था; मैंने महसूस किया कि भाई-बहन भी लगातार कमज़ोर पड़ते जा रहे थे, यहाँ तक कि वे सभाओं में भी हिस्सा नहीं लेते थे। दूसरी तरफ़, जिन भाई-बहनों ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के राज्य के सुसमाचार को स्वीकार किया था, वे विश्वास से भरे थे। मैंने उनके साथ चाहे जैसा भी व्यवहार किया, वे कभी निराश या हतोत्साहित नहीं हुए, बल्कि वे बार-बार मुझे सुसमाचार सुनाने आते रहे। इसका कारण यही था कि मैं परमेश्वर के पिछले कार्य से चिपकी हुई थी। यह पुराना मार्ग था, जिसने काफ़ी समय पहले पवित्र आत्मा के कार्य को खो दिया था। फिर भी सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के भाई-बहनों ने परमेश्वर के नए कार्य के नेतृत्व को स्वीकार किया था, परमेश्वर के वर्तमान वचनों का पोषण प्राप्त किया था और पवित्र आत्मा के कार्य को हासिल किया था। नए मार्ग और पुराने मार्ग के बीच यही अंतर था! यही वह मूल कारण था कि धार्मिक संसार नीचे गिरता जा रहा था और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया प्रगति के पथ पर अग्रसर थी! "प्रभु," मैंने प्रार्थना की, "अब मैं अंततः यह समझ चुकी हूँ कि आप वाकई वापस लौट आये हैं, और आपने हमें एक नया मार्ग दिया है, जीवन का एक नया पोषण दिया है। मैं आपका धन्यवाद करती हूँ!"
इस समय मेरी भावनाएं खुशी और बुरे एहसास के बीच फँसी हुई थीं। मुझे यह खुशी थी कि इस कदर विद्रोही और अवज्ञाकारी होने के बावजूद परमेश्वर ने मेरा परित्याग नहीं किया था, और उसने मुझे परमेश्वर की वाणी सुनाने के लिए ऐसा खास तरीका इस्तेमाल किया था जिसमें मेरे पति ने परमेश्वर के वचनों को जोर से पढ़कर सुनाया। यह वास्तव में मेरे लिये परमेश्वर का प्रेम और मेरे लिए उनका उद्धार था! मुझे बुरा इसलिये महसूस हुआ, क्योंकि मैंने कई सालों से प्रभु की वापसी का इंतज़ार किया था, लेकिन इस संभावना पर कभी भी विचार नहीं किया कि जब प्रभु लौट कर आयेंगे और मेरे दरवाज़े पर दस्तक देंगे, तो मैं उन्हें अस्वीकार कर दूंगी। वे भाई-बहन बार-बार सुसमाचार का प्रचार करने के लिए मेरे पास आये, लेकिन मैंने हर बार उन्हें अनदेखा कर दिया। उन्होंने मेरे पति के साथ सहभागिता की और फिर भी मैंने उनका उपहास उड़ाया और जान-बूझकर उन्हें परेशान किया...। इस बारे में सोचकर मेरे दिल में पीड़ा महसूस हुई और मैं अपनी आँखों आँसू बहने से नहीं रोक पाई। मैंने परमेश्वर के सामने घुटनों के बल बैठकर उनसे प्रार्थना की: "सर्वशक्तिमान परमेश्वर! मैं गलत थी। इतने सालों से मैंने हमेशा बाइबल पर विश्वास किया और सोचा कि बाइबल से भटकना परमेश्वर में विश्वास नहीं करना है। मैंने बाइबल को परमेश्वर की तरह समझा और आपके नए कार्य को बार-बार अस्वीकार किया, और आपके आगमन को नामंजूर किया। मैं कितनी अंधी थी! अब मैं बाइबल को अलग रखकर आपके नए कार्य का अनुसरण करना चाहती हूँ और नए युग के आपके वचनों को सुनना चाहती हूँ। मैं फिर कभी आपके प्रति शत्रुतापूर्ण व्यवहार नहीं रखूँगी। मैं अपनी धारणाओं और कल्पनाओं से अपने पूरे जीवन को बर्बाद नहीं होने देना चाहती। हे परमेश्वर! मैं एक संकल्प लेना चाहती हूँ, कि मैं आपके साथ सहयोग करूंगी और आपका ऋण चुकाने के लिए उन लोगों को कलीसिया में लाकर वापस आपके परिवार में शामिल करूँगी, जो वास्तव में आप पर विश्वास करते हैं!"