279 परमेश्वर ने नीनवे के राजा के पश्चाताप की प्रशंसा की
1
जब नीनवे के राजा ने सुना कि यहोवा उन्हें तबाह करेगा,
गद्दी से उतर, उसने अपने कपड़े उतारे, टाट पहनकर बैठा राख़ में,
कहा उसने, हर इंसान, जानवर भी इसे पहने,
कोई इंसान कुछ न चखे, बस ईश्वर से विनती करे दिल से।
राजा ने की घोषणा सभी फिरेंगे अपने बुरे कर्मों से, अपनी हिंसा को त्यागेंगे।
नीनवे के राजा ने किया बहुत पश्चाताप,
किया वो जो एक राजा को करना चाहिए।
उसके किए काम किसी भी राजा के लिए मुश्किल थे,
अनसुने थे इंसानी इतिहास में।
वे योग्य हैं कीर्तिगान के, इंसान के अनुकरण के।
2
जबसे इंसान जग में आया,
सभी राजाओं ने अपनी प्रजा से ईश्वर का विरोध करवाया।
किसी ने उन्हें न सिखाया ईश्वर से
याचना करना कि बचाए वो उन्हें बुराई से, माफ़ करे उन्हें, दंड से दूर रखे।
लेकिन नीनवे का राजा प्रजा को ले गया ईश्वर तक,
छुड़वाये उनसे हिंसा और बुरे तौर-तरीक़े।
उसने त्याग दिया अपना तख़्त, इसलिए ईश्वर ने अपना क्रोध छोड़ दिया,
और सभी तबाही से बच गए।
नीनवे के राजा ने किया बहुत पश्चाताप,
किया वो जो एक राजा को करना चाहिए।
उसके किए काम किसी भी राजा के लिए मुश्किल थे,
अनसुने थे इंसानी इतिहास में।
वे योग्य हैं कीर्तिगान के, इंसान के अनुकरण के।
3
इतिहास में ये कैसा चमत्कार!
राजा ने जैसे किया, वही है तरीका जिससे ईश्वर के सामने इंसान को
करना चाहिए पाप-स्वीकार और पछतावा।
नीनवे के राजा ने किया बहुत पश्चाताप,
किया वो जो एक राजा को करना चाहिए।
उसके किए काम किसी भी राजा के लिए मुश्किल थे,
अनसुने थे इंसानी इतिहास में।
वे योग्य हैं कीर्तिगान के, इंसान के अनुकरण के।
—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है II से रूपांतरित