प्रश्न 5: मुझे यकीन है कि पूरी बाइबल परमेश्वर की प्रेरणा से रची गयी है! पौलुस के वचन गलत नहीं हो सकते! चूंकि आप बाइबल में परमेश्वर के वचनों और मनुष्य के कथनों में फर्क कर पाते हैं, तो फिर बताइए कोई कैसे समझे कि कौन-से वचन परमेश्वर के हैं और कौन-से मनुष्य के?

उत्तर: साधारण समझ वाला कोई भी व्यक्ति जिसने बाइबल पढ़ी हो, वह साफ़ तौर पर समझ सकता है कि बाइबल में कौन-से वचन परमेश्वर के हैं और कौन-से मनुष्य के। बात बस इतनी है कि ज़्यादातर लोग पौलुस के इस कथन से गुमराह हो गये हैं कि "सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्‍वर की प्रेरणा से रचा गया है।" दरअसल, पूरी बाइबल में, सिर्फ यहोवा परमेश्वर के वचन ही, नबियों द्वारा पहुंचाये गए परमेश्वर के वचन हैं, प्रभु यीशु के वचन हैं, पवित्र आत्मा के वचन हैं, और प्रकाशित वाक्य में यूहन्ना को बताए गए परमेश्वर के वचन सीधे परमेश्वर से आये हैं और परमेश्वर के वचन हैं। इनके अलावा, मनुष्यों की जीवनियाँ और प्रेरितों के पत्र, सभी मनुष्य के कथन हैं। वे सिर्फ उनके निजी अनुभवों और समझ को दर्शाते हैं, परमेश्वर के वचनों को नहीं, और इससे बढ़कर उन्हें परमेश्वर के वचन नहीं कहा जा सकता! पौलुस के कथन "सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्‍वर की प्रेरणा से रचा गया है।" की वजह से, धार्मिक पादरियों और एल्डर्स ने तय कर दिया है कि बाइबल के सभी वचन परमेश्वर के वचन हैं और बाइबल में मनुष्य के कथनों को परमेश्वर के वचन मान लिया है। अपने कार्य और धर्मोपदेशों में, वे सिर्फ मनुष्य के कथनों का उपदेश देने और उनका गुणगान करने पर ध्यान देते हैं, मगर परमेश्वर के वचनों का न तो संवाद करते हैं न उनकी गवाही देते हैं। वे परमेश्वर के वचनों की जगह मनुष्य के कथनों का इस्तेमाल करते हैं, जो कि परमेश्वर के आदेशों का पूरी तरह से त्याग करना है। इसका सार बहुत गंभीर है! इस वजह से पूरी धार्मिक दुनिया, बाइबल में मौजूद मनुष्य के कथनों पर ध्यान देकर और परमेश्वर के वचनों को त्याग कर, सिर्फ मनुष्य के वचनों का पालन करने लगी है और परमेश्वर के वचनों से दूर हो गयी है। क्या यह शैतान का धोखा नहीं है? नतीजा यह है कि जब सर्वशक्तिमान परमेश्वर मनुष्य को बचाने के लिए अंत के दिनों में अपना न्याय का कार्य करने और सत्य को व्यक्त करने आये, तो लोग इन भ्रांतियों के धोखे में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को ठुकराते हुए, (उसकी निंदा और विरोध करते हुए) जिद पर अड़कर बाइबल से बंधे रहे, यह धार्मिक फरीसियों के परमेश्वर-विरोध का एक ठोस प्रमाण है और उनके पाखंड का साफ़ संकेत भी है।

"तोड़ डालो अफ़वाहों की ज़ंजीरें" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश

पिछला: प्रश्न 4: धार्मिक पादरी और एल्डर्स प्रभु के वचनों को फैलाने या उनके इरादों की चर्चा करने के बजाय, अक्सर बाइबल में मनुष्य के कथनों और ख़ासकर पौलुस के कथनों को समझाते हैं। यही सच है। मैं एक बात नहीं समझ पायी, क्या पूरा बाइबल परमेश्वर से प्रेरित नहीं है? क्या बाइबल की हर बात परमेश्वर का वचन नहीं है? आप बाइबल में मनुष्य के वचनों और परमेश्वर के वचनों में इतना फ़र्क क्यों करते हैं? क्या बाइबल में मनुष्य का हर कथन परमेश्वर से प्रेरित नहीं है?

अगला: प्रश्न 6: मैं आपकी बातों से सहमत नहीं हूँ! परमेश्वर में विश्वास, बाइबल में विश्वास है। बाइबल से दूर जाना परमेश्वर में विश्वास करना नहीं है!

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

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प्रश्न 1: सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है," तो मुझे वह याद आया जो प्रभु यीशु ने एक बार कहा था, "परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूँगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा; वरन् जो जल मैं उसे दूँगा, वह उसमें एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा" (यूहन्ना 4:14)। हम पहले से ही जानते हैं कि प्रभु यीशु जीवन के सजीव जल का स्रोत हैं, और अनन्‍त जीवन का मार्ग हैं। क्या ऐसा हो सकता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर और प्रभु यीशु समान स्रोत हों? क्या उनके कार्य और वचन दोनों पवित्र आत्मा के कार्य और वचन हैं? क्या उनका कार्य एक ही परमेश्‍वर करते हैं?

उत्तर: दोनों बार जब परमेश्‍वर ने देह धारण की तो अपने कार्य में, उन्होंने यह गवाही दी कि वे सत्‍य, मार्ग, जीवन और अनन्‍त जीवन के मार्ग हैं।...

प्रश्न: प्रभु यीशु कहते हैं: "मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं" (यूहन्ना 10:27)। तब समझ आया कि प्रभु अपनी भेड़ों को बुलाने के लिए वचन बोलने को लौटते हैं। प्रभु के आगमन की प्रतीक्षा से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बात है, प्रभु की वाणी सुनने की कोशिश करना। लेकिन अब, सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि हमें नहीं पता कि प्रभु की वाणी कैसे सुनें। हम परमेश्वर की वाणी और मनुष्य की आवाज़ के बीच भी अंतर नहीं कर पाते हैं। कृपया हमें बताइये कि हम प्रभु की वाणी की पक्की पहचान कैसे करें।

उत्तर: हम परमेश्वर की वाणी कैसे सुनते हैं? हममें कितने भी गुण हों, हमें कितना भी अनुभव हो, उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। प्रभु यीशु में विश्वास...

परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन मसीह-विरोधियों को उजागर करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ सत्य के अनुसरण के बारे में I सत्य के अनुसरण के बारे में न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सत्य वास्तविकताएं जिनमें परमेश्वर के विश्वासियों को जरूर प्रवेश करना चाहिए मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 1) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 2) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 3) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 4) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 5) मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

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