धुंध को हटाकर, प्रकाश का अवलोकन करना

27 दिसम्बर, 2019

शिनशिन, चीन

मैं एक साधारण कर्मचारी हूँ। नवंबर 2013 के आखिर में, एक सहकर्मी ने देखा कि मेरी पत्नी व मैं छोटी—छोटी बातों पर बहुत झगड़ा करते थे। हर समय हम चिंतित व व्यथित रहा करते थे, तो उसने हमें सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य के बारे में बताया। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों से, हमने जाना कि स्वर्ग, पृथ्वी और सभी चीजों का निर्माण परमेश्वर ने ही किया है, और मनुष्य का जीवन भी उसे परमेश्वर द्वारा ही प्रदान किया गया है। हमने छ: हजार वर्ष की प्रबंधन योजना के रहस्य, देहधारण के रहस्य, मानवता को बचाने के लिए परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों, अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य के महत्व, और अन्य पहलुओं के सत्य को भी समझा है। मेरी पत्नी व मैंने सोचा कि हमारे जीवनकाल के दौरान मानवता को बचाने के लिए परमेश्वर का आना एक बड़ा आशीर्वाद है। हमने खुशी-खुशी अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य को स्वीकार किया, और कलीसिया की जिंदगी जीने लगे। परमेश्वर के वचन के मार्गदर्शन में, हम दोनों ने सत्य को अपनाया और खुद में बदलाव लाए, और जब भी कुछ हो जाता था और हम बहस करना शुरू करते, तो हम पहले के जैसे एक दूसरे में गलतियाँ नहीं ढूंढते थे, बल्कि अब हम अपने दोष पर ध्यान दिया करते थे और खुद को जानने की कोशिश करते थे। परमेश्वर की मांग के अनुसार जीने के लिए हमने देह-सुख को त्याग दिया। इससे हमारा वैवाहिक संबंध बेहतर होता गया एवं हमारे दिल शांत व स्थिर हो गए। हमने महसूस किया कि परमेश्वर पर भरोसा करना वाकई बहुत ही अच्छा है। हालांकि, जब हम आनंदित व खुश होकर परमेश्वर का अनुसरण कर रहे थे, जब हम इस धन्य जीवन का आनंद ले रहे थे, तभी हमने अपने ही परिवार से एक हिंसक आक्रमण का सामना किया...। लेकिन जब मैं अपनी राह खोने वाला था, तब परमेश्वर के वचनों ने ही शैतान की कपटी योजना को समझने, और धुंध से बाहर निकलने व सदाचारी जिंदगी के उज्ज्वल व सही मार्ग में आगे बढ़ने के लिए मेरा मार्गदर्शन दिया।

फरवरी 2014 में मैं सेवानिवृत्त हुआ ही था, तो मेरी बहु ने हम दोनों बुजुर्ग लोगों को हमारे पोते का ख्याल रखने के लिए सिचुआन चलने के लिए कहा। मैंने परमेश्वर से प्रार्थना की: "हे सर्वशक्तिमान परमेश्वर! मेरी बहु ने मुझसे हमारे पोते का ख्याल रखने के लिए कहा है, लेकिन मैं उस स्थान में जीवन का अभ्यस्त नहीं हूँ, और उस स्थान पर तुझ पर विश्वास रखना या तेरे वचनों को पढ़ने में मुश्किल होगी। कृपा कर हमें रास्ता दिखाओ...।" इसके कुछ ही समय के बाद, मेरी बहु ने फिर से मुझे कॉल किया और कहा कि वह हमारे पोते को हमारे पास ही ले आएगी। जब मैंने यह खबर सुनी तो मेरी खशी का ठिकाना नहीं रहा, और मैंने महसूस किया कि परमेश्वर कितना सर्वशक्तिमान है। परमेश्वर ने मेरी प्रार्थना सुनी और मेरे लिए रास्ता बना दिया। कुछ ही दिनों के बाद, मेरी बहु और उसके माता-पिता मेरे पोते को ले आए। यह सब जिस दिन हुआ, उसके बाद वाले दिन मैं कलीसिया की एक सभा में जा रहा था। मैंने उन्हें बताया कि मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर पर विश्वास करता हूँ। यह बात सुनने के बाद, मेरी बहु ने नाखुश होकर कहा, "पिताजी, आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर पर कैसे विश्वास कर सकते हैं? आपको तो ज़रूर यह पता होगा कि सरकार लोगों को सर्वशक्तिमान परमेश्वर पर विश्वास करने की अनुमति नहीं देती है, और हाल ही के सालों में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर पर विश्वास करने वालों को लगातार गिरफ्तार भी किया गया है। आप उन पर विश्वास करना जारी नहीं रख सकते।" मैंने यह कहकर उसका खंडन किया, "जब हम परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, तो हम राजनीति में भाग नहीं लेते हैं। हम बस सभाओं में शामिल होते हैं, परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, सत्य को खोजते हैं, और सही मार्ग का अनुसरण करते हैं। वे कैसे हमें विश्वास नहीं करने दे सकते?" मेरी बहु ने कहा, "आप चाहे जो भी कहें और भले ही परमेश्वर पर विश्वास करना ही सही मार्ग हो, लेकिन जब तक सरकार इसके विरोध में है, आप उन पर विश्वास नहीं कर सकते हैं!" मैंने मन में खुद से कहा, "तुम चाहे कुछ भी कहो, मैं जिस पर विश्वास करता हूँ वह सच्चा परमेश्वर है। भले ही सीसीपी की सरकार इसकी अनुमति न दे, लेकिन मैं तब भी विश्वास करूंगा।" बाद में, मेरी बहु मेरी पत्नी के पास गई और उससे भी निवेदन किया कि हम परमेश्वर पर विश्वास न करें...। इसके बाद, बहुत दूर सिचुआन में रह रहे मेरे बेटे ने मुझे कॉल किया और कहा, "पिताजी, मैंने सुना कि आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर पर विश्वास करते हैं। सीसीपी सरकार तो इसका विरोध करती है, तो अब आप उन पर विश्वास करना बंद कर दीजिये।" जब मैंने अपने बेटे को ऐसा कहते हुए सुना, तो मेरा दिल व्याकुल हो उठा और मैंने सोचा : "परमेश्वर पर विश्वास करना स्वर्ग और पृथ्वी का अटल नियम है, तो क्यों तुम सब बार-बार मुझे परमेश्वर में विश्वास करने से रोक रहे हो? परमेश्वर पर विश्वास करना और सही मार्ग का अनुसरण करना बहुत कठिन है!" फिर मैंने चुपचाप परमेश्वर से प्रार्थना की कि वह मेरी रक्षा करे ताकि मैं अपने बेटे व बहु द्वारा खड़ी की गयी बाधा का विरोध कर सकूं। प्रार्थना करने के बाद, मेरा दिल धीरे—धीरे शांत हो गया। भले ही, मेरा बेटा और बहु नहीं समझते थे, लेकिन मुझे यह बहुत स्पष्ट था कि परमेश्वर पर मेरा विश्वास और सही मार्ग का अनुसरण करना कोई गलती नहीं थी, और मैं जानता था कि मुझे उनसे प्रभावित नहीं होना है। तीन दिनों के बाद, मेरी बहू बड़ी तेजी से मेरे पास दौड़ती हुई आई, और उसके हाथों में कुछ छ्पे पर्चों के दो गट्ठर थे। उसने मुझसे उन्हें तुरंत देखने का निवेदन किया। मैंने देखा कि वे सीसीपी सरकार द्वारा फैलायी गयी अफवाहों और गलत बातों से भरे थे, जिनमें सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को गालियां दी गयी थी, आरोप लगाए थे और बदनामी की गयी थी। एक पल के लिए, मुझे कुछ समझ नहीं आया और मैंने सोचा: "ऐसा नहीं हो सकता, मैं कई महीनों से सभाओं में शामिल हो रहा हूँ और मैंने कभी भी किसी भी भाई या बहन को हाथ या पैर खोते नहीं देखा! सीसीपी सरकार क्यों सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के बारे में ऐसी अफवाहें व बदनामी फैला कर उसे कलंकित करना चाहती है? यहां असल में हो क्या रहा है?" उस रात को, मैं सो नहीं पाया क्योंकि यही बातें मेरे दिमाग में घूम रही थीं। "आह! सीसीपी सरकार परमेश्वर वे विश्वासियों को इतनी बुरी तरह यातना देती है और मेरा बेटा व बहु इतना जोर देकर मुझे परमेश्वर में विश्वास करने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं। अब मैं क्या करूँ?"

अगले दिन, मैं सैर के लिए पड़ोस में गया। मैंने देखा कि बुलेटिन बोर्ड पर सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की बदनामी व निंदा करने वाली अफवाहें लगी हुईं थीं। मैंने सोचा : "मेरा जिस पर विश्वास है वह सच्चा परमेश्वर है, तो क्यों सीसीपी सरकार इस प्रकार से मेरे विश्वास के विरोध में है? ऐसा लगता है कि नास्तिक सीसीपी द्वारा नियंत्रित इस राज्य में, परमेश्वर पर विश्वास करना आसान काम नहीं है!" जब मैंने इस बारे में सोचा, तो मुझे आध्यात्मिक रूप से कमजोरी महसूस होने लगी, और मैं खिन्न व उदास घर वापस आ गया। जैसे ही मैं घर पहुंचा, तो मेरी बहु ने एक बार फिर मुझसे कहा, "पिताजी, मैं आपसे विनती कर रही हूँ कि अपने विश्वास को त्याग दीजिए। अगर सरकार को यह पता चल गया कि आप परमेश्वर में विश्वास रखते हैं, तो मैं अपनी नौकरी नहीं कर पाऊँगी। आपका बेटा जो जल्द ही अपनी डॉक्टरेट पूरी कर लेगा, मुझे डर है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर में आपके विश्वास के कारण वह नौकरी नहीं ढूंढ पाएगा। यहां तक आपका छोटा सा पोता भी इन सबमें फंस सकता है, और हो सकता है कि भविष्य में वह स्कूल भी न जा पाए।" यह सब सुनने में बड़ा की भयानक था। परमेश्वर पर विश्वास करना एक व्यक्ति के बच्चों के भविष्य को भी लपेटे में ले सकता है! मैं और भी ज्यादा डर गया। मैं जानता था कि लोगों को दंड देने के सीसीपी सरकार के तरीके बहुत ही क्रूर हैं, इतने क्रूर कि आप यह कह सकते हैं कि वे बेहिचक लोगों को जान से मार देते हैं। मैंने यह भी सोचा कि मेरे बेटे के डॉक्टरेट के दौरान उसका गुज़ारा चलाना बहुत मुश्किल था, और अगर परमेश्वर पर विश्वास करने से मेरे बेटे को कोई नुकसान हुआ तो मैं क्या करूंगा? परमेश्वर पर विश्वास करने और सही मार्ग पर चलने के लिए जो कीमत मुझे चुकानी थी वह बहुत ज्यादा थी, इसलिए मैंने सोचा कि इसे भुला देना ही बेहतर होगा।उसी पल, मेरी बहु ने मुझे धमकाया, और कहा, "मेरे पिताजी ने कहा है कि अगर आप विश्वास रखना जारी रखेंगे, तो वे पुलिस में आपकी शिकायत कर देंगे। आप जानते हैं कि मेरे पिता पार्टी के सचिव हैं, और उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी के लिए अपनी जिंदगी के तीस साल से ज्यादा का समय दिया है। सीसीपी जो भी चाहती है, वह उसे सुनते व उसका पालन करते हैं। वह अपनी बात के पक्के हैं, तो यह आपको डराने की कोशिश भर नहीं है।" मेरे दिल में प्रतिवाद तब पूरी तरह से खत्म होकर गिर गया। मुझे महसूस हुआ कि परमेश्वर पर विश्वास करना बहुत कठिन है, और दबाव बहुत ज्यादा था। मेरे बेटे व बहु मुझपर बारी-बारी करके हमला कर रहे हैं, अगर उन्होंने वाकई सीसीपी पुलिस से मेरी शिकायत कर दी और मुझे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया, तो मेरे जैसा बुजुर्ग आदमी ऐसी चीज कैसे सह सकेगा। मैंने सोचा, "छोड़ो अब, अपने विश्वास को त्याग देना ही बेहतर है।" इसके बाद, मैंने सभाओं में शामिल होना बंद कर दिया, और बहनें भी कई बार मेरे घर मुझसे मिलने आई लेकिन मैं हमेशा ही बचकर छिप जाता था।

लेकिन उन दिनों जब मैं सभाओं में शामिल नहीं हो पा रहा था, तब मैं पूरा समय उन्हीं सब चीजों के बारे में सोचता रहता था कि कैसे परमेश्वर के विशाल प्यार ने मेरी पीड़ाओं से मेरी रक्षा की थी और भाई व बहनों के साथ भजन गाने और परमेश्वर का यशगान करने का वह माधुर्य व खुशियां, मैं कलीसियाई जीवन को बहुत याद करता था उसके लिए तड़पता रहता था लेकिन अभी भी मुझे डर था कि मेरी बहु पुलिस में शिकायत कर देगी । मैं अपने दिल में बहुत दर्द व यातना महसूस करता था। मैं नहीं जानता था कि अब सब कुछ कैसे ठीक होगा। उस समय, एक सहकर्मी (एक भाई जो परमेश्वर पर विश्वास करता था) यह जानने के लिए मेरे घर मुझसे मिलने आया कि मैं हाल ही में किसी भी सभा में शामिल क्यों नहीं हो रहा हूँ। मैंने उसे बताया कि कैसे मेरी बहु परमेश्वर पर विश्वास करने की वजह से मुझे परेशान कर रही थी। जब उसने मेरी बातें सुनी, तो उसने मेरे साथ संगति की, "जब हम इन बातों से घिर जाते हैं, तो ये असल में आध्यात्मिक जगत में लड़ा जा रहा युद्ध होता है। यह उस विपत्ति की तरह ही है जिनका सामना अय्यूब ने किया था, जिसमें सतही तौर पर यह लगा था कि चोरों के उसे लूटने के कारण ऐसा हुआ था, लेकिन असल में इसके पीछे शैतान का लोगों को यातना देना और परमेश्वर के साथ मानवता को लेकर लड़ाई करना था। चूंकि अय्यूब की परमेश्वर पर श्रद्धा थी और वह बुराई से दूर रह सकता था, इसलिए अंत में वह परमेश्वर का गवाह बन सका, जबकि शैतान पराजित और अपमानित हुआ। तो जब भी हम इन बातों से घिर जाते हैं, तो इसके पीछे परमेश्वर का इरादा हमें शैतान की बुराई के सार से परिचित करवाना होता है। जब हम परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, तो हमें बस सभी बातों के लिए परमेश्वर पर भरोसा करते हुए, सत्य को खोजने की जरूरत होती है। केवल तब ही हम शैतान की योजना को समझने और गवाह बनने में सक्षम हो पाएंगे! तब हम शैतान के चंगुल से बच सकते हैं। अगर हम यह नहीं करते तो हम पूर्ण उद्धार पाने के मौके को खो देंगे।"

इसके बाद, मेरे सहकर्मी ने मेरे लिए सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़े: "परमेश्वर कार्य करता है और किसी व्‍यक्ति की देखभाल करता है, उस पर नज़र रखता है, और शैतान उसके हर एक कदम का पीछा करता है। परमेश्वर जिस किसी पर भी अनुग्रह करता है, तो शैतान भी पीछे-पीछे चलते हुए उस पर नज़र रखता है। यदि परमेश्वर को यह व्यक्ति चाहिए, तो शैतान परमेश्वर को रोकने के लिए अपने सामर्थ्य में सब कुछ करता है, वह कार्य जिसे परमेश्वर ने किया है उसे लुभाने, परेशान करने और तबाह करने के लिए वह विभिन्न बुरे तरीकों का इस्तेमाल करता है ताकि वह अपने छिपे हुए उद्देश्य हासिल कर सके। उसका उद्देश्य क्या है? वह नहीं चाहता है कि परमेश्वर के पास कोई हो; उसे वे सभी लोग चाहिए जिन्हें परमेश्वर चाहता है, ताकि वह उन पर कब्‍ज़ा करे, उन पर नियन्त्रण करे, उनको अपने अधिकार में ले जिससे वे उसकी आराधना करें, जिससे वे उसके साथ रहते हुए बुरे कार्य करें। क्या यह शैतान का भयानक इरादा नहीं है? सामान्यतः, तुम लोग अक्सर कहते हो कि शैतान कितना बुरा, कितना खराब है, परन्तु क्या तुम लोगों ने उसे देखा है? तुम लोग सिर्फ यह देख सकते हो कि मनुष्य कितना बुरा है और मनुष्य ने असल में नहीं देखा है कि शैतान वास्तव में कितना बुरा है। किन्तु क्या तुम लोगों ने इसे अय्यूब से सम्बन्धित विषय में देखा है? (हाँ।) इस विषय ने शैतान के भयंकर चेहरे और उसके सार को बिलकुल स्पष्ट कर दिया है। शैतान परमेश्वर के साथ युद्ध में है, उसके पीछे-पीछे चलता रहता है। उसका उद्देश्य परमेश्वर के समस्त कार्य को नष्ट करना है जिसे परमेश्वर करना चाहता है, उन लोगों पर कब्‍ज़ा एवं नियन्त्रण करना है जिन्हें परमेश्वर चाहता है, उन लोगों को पूरी तरह से मिटा देना है जिन्हें परमेश्वर चाहता है। यदि उन्हें मिटाया नहीं जाता है, तो वे शैतान के द्वारा उपयोग होने के लिए उसके कब्ज़े में आ जाते हैं—यह उसका उद्देश्य है" (वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है IV)। "तुम लोगों को जागते रहना चाहिए और हर पल प्रतीक्षा करनी चाहिए, और तुम्हें मेरे सामने अधिक प्रार्थना करनी चाहिए। तुम लोगों को शैतान की विभिन्न साजिशों और चालाक योजनाओं को पहचानना चाहिए, आत्मा को जानना चाहिए, लोगों को जानना चाहिए और सभी प्रकार के लोगों, मामलों और चीजों को समझने में सक्षम होना चाहिए; तुम लोगों को मेरे वचनों को और अधिक खाना और पीना चाहिए, और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि तुम लोगों को उन्हें अपने आप खाने और पीने में सक्षम होना चाहिए। पूरी सच्चाई से अपने आप को समर्थ बनाओ, मेरे सामने आओ, ताकि मैं तुम लोगों की आध्यात्मिक आँखें खोल सकूँ और तुम्हें आत्मा के भीतर निहित सभी रहस्यों को देखने का मौका दे सकूँ" ("वचन देह में प्रकट होता है" में आरम्भ में मसीह के कथन के "अध्याय 17")

परमेश्वर के वचन को पढ़ने के बाद, मेरे सहकर्मी ने मेरे साथ इसके बारे में संगति करते हुए कहा:" जब हम इन चीजों से घिर जाते हैं, तो यह असल में काफी गंभीर आध्यात्मिक युद्ध होता है। वर्तमान में, पूरी दुनिया उस बुरे शैतान के अधिकार क्षेत्र में है, और शैतान लगातार मानवता को भ्रष्ट करने का कार्य कर रहा है। वह परमेश्वर द्वारा बनाई गई मानवता पर पूरी तरह कब्जा करने और इसे बर्बाद करने की व्यर्थ आशा करते हुए परमेश्वर के कार्य में बाधा डालना और उसमें परेशानी खड़ी करना जारी रखता है, और यही शैतान का दुष्टतापूर्ण लक्ष्य है। परमेश्वर की छ: हजार साल की प्रबंधन योजना मानवता को शैतान के बुरे प्रभाव से बचाने की खातिर है ताकि वे परमेश्वर द्वारा प्राप्त की जा सके। खासतौर पर, अंत के दिनों में, जब परमेश्वर अपने वचनों को व्यक्त कर रहा है और मानवता को निर्मल बनाने और बचाने के कार्य के आखिरी चरण पर काम कर रहा है, तब शैतान को डर है कि हम परमेश्वर के कार्य को स्वीकार कर लेंगे, हम सत्य को समझ जाएंगे और पूर्ण उद्धार पा लेंगे। वह भयभीत है कि हम उसके बुरे व प्रतिक्रियावादी सार को समझकर उसे त्याग देंगे और छोड़ देंगे। इस वजह से, परमेश्वर के चुने हुए लोगों के साथ संघर्ष करते, लड़ते हुए और परमेश्वर की उपस्थिति के समक्ष आने से हमें रोकने के लिए हर घिनौनी नीति का प्रयोग करते हुए वह अपने अंतिम संघर्ष की क्रूर वेदना में है। कपटपूर्ण योजनाएँ जैसे कि सीसीपी सरकार द्वारा फैलाये गए तमाम झूठ और अफवाहें, विश्वासियों का पागलपन से किया गया दमन, गिरफ्तारी, परिवार के सदस्यों द्वारा विश्वासियों को परेशान करना व उनका उत्पीड़न, साथ ही धार्मिक क्षेत्र द्वारा फैलाई गई सभी अफवाहें व बदनामी, असल में हमें परमेश्वर की ओर मुड़ने से रोकने के लिए कार्यान्वित की गई हैं। लेकिन परमेश्वर की बुद्धि का प्रयोग शैतान की योजना के अनुसार किया जाता है। परमेश्वर शैतान के व्यवधानों का प्रयोग, परमेश्वर के कार्य के लिए सेवा करने हेतु कर रहा है। इस प्रकार से वह हमारे विश्वास व निष्ठा को मजबूत कर रहा है। बाहर से, यह सीसीपी सरकार और तुम्हारा परिवार हैं जो हमें परमेश्वर पर विश्वास करने से रोकने व बाधित करने के लिए हर प्रकार की चाल व साधन का प्रयोग कर रहे हैं, लेकिन असल में इस पूरे मामले के पीछे शैतान द्वारा चली गई चाल है। हम जब तक सत्य को जानने और परमेश्वर की इच्छा को समझने की कोशिश करते रहते हैं, परमेश्वर के कार्य का कुछ ज्ञान रखते हैं, तब तक हम शैतान के सभी छलों व चालों को पहचानने में सक्षम हैं, परमेश्वर के लिए गवाह के रूप में खड़े होने में सक्षम हैं। शैतान अपनी हार पर अपमानित होगा। अगर हम सत्य को समझने की कोशिश नहीं करते हैं तो हम आध्यात्मिक जगत के इस युद्ध को नहीं समझ पायेंगे, तो जब शैतान हमारे लिए बाधाएं पैदा करेगा, तो संभव है कि हम गुमराह हो जाएंगे और परमेश्वर के बारे में संदेह करने लगेंगे। बात परमेश्वर को नकारने, परमेश्वर को धोखा देने, और परमेश्वर में अपने विश्वास को छोड़ देने की हद तक भी पहुँच जाएगी। ठीक इसी तरह एक व्यक्ति शैतान की चाल के शिकार होता है और उद्धार पाने का मौका गंवा देता है और अंत में शैतान द्वारा निगल लिया जाता है। इसलिए हमें प्रार्थना करनी चाहिए और परमेश्वर के नजदीक आना चाहिए, परमेश्वर के वचन को पढ़ना चाहिए और अधिक आवश्यकता के साथ खुद को सत्य से लैस करना चाहिए। केवल इसी प्रकार से हम परमेश्वर की इच्छा को समझ सकते हैं, शैतान की चालों को जान सकते हैं और परमेश्वर के गवाह बन सकते हैं।"

परमेश्वर के वचन और अपने सहकर्मी की संगति सुनकर अचानक ही मुझे समझ आया : "यह असल में एक आध्यात्मिक जगत का संघर्ष है। परमेश्वर हमें बचाने के लिए अंत के दिनों में सत्य को व्यक्त करता है, लेकिन परमेश्वर पर विश्वास करने और परमेश्वर का अनुसरण करने से मुझे रोकने के लिए शैतान सीसीपी सरकार द्वारा दबाव व उत्पीड़न का प्रयोग करने का हरसंभव तरीके के बारे में सोचता है। वह भयभीत है कि मैं परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार कर लूंगा और सत्य को समझ जाऊंगा। इस प्रकार मैं उसके बुरे, घृणित, शैतानी, दानवी सार को पहचान लूंगा और उसे अस्वीकार कए दूंगा, त्याग दूंगा, और परमेश्वर का उद्धार हासिल कर लूंगा। आज, मैंने आखिरकार शैतान का घिनौना द्वेष देख लिया है और परमेश्वर के द्वारा मेहनत से की गयी देखभाल व परवाह को समझ लिया है जो परमेश्वर मानवता को बचाने में लगाता है।" तभी, जिन भावनाओं को मैंने इतने लंबे समय से दबाकर रखा था, वे आखिरकार मुक्त हो गईं, और मैंने इतनी खुशी महसूस की कि जैसे मैंने एक बार फिर दिन का प्रकाश देख लिया हो। मैंने सोचा, "परमेश्वर का धन्यवाद! अब से मैं परमेश्वर के वचनों को और अधिक पढ़ूँगा और खुद को सत्य से लैस करूंगा ताकि फिर कभी शैतान मुझे बेवकूफ न बना सके।"

भले ही मैं यह समझ गया था कि परमेश्वर पर विश्वास करने के कारण मेरे अविश्वासी परिवार द्वारा किया गया मेरा उत्पीड़न शैतान की चालों में से ही एक थी, और मुझे शैतान के हाथों मूर्ख नहीं बनना चाहिए, पर मैं तब भी इस बात को लेकर चिंतित था कि अगर सीसीपी सरकार को मेरे विश्वास के बारे में पता चल गया तो इसका प्रभाव मेरे पुत्र व बहु के करियर पर पड़ेगा। मैं इस बात को लेकर और भी ज्यादा डरा हुआ था कि इसका असर मेरे पोते के स्कूल जाने पर भी पड़ेगा। तो मैंने अपने सहकर्मी को अपनी चिंताओं के बारे में बताया और उसने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों एक अन्य अवतरण पढ़कर सुनाया: "परिस्थितियाँ चाहे जो भी हों परमेश्वर का अधिकार अस्तित्व में रहता है; सभी परिस्थितियों में परमेश्वर अपने विचारों, और अपनी इच्छाओं के अनुरूप हर मनुष्य के भाग्य और सभी चीज़ों पर हुक्म चलाता है और उनकी व्यवस्था करता है। मनुष्यों के बदलने की वजह से यह नहीं बदलेगा, और यह मनुष्य की इच्छा से स्वतन्त्र है, और समय, अंतरिक्ष, और भूगोल में किन्ही भी परिवर्तनों के द्वारा इसे नहीं बदला जा सकता है, क्योंकि परमेश्वर का अधिकार उसका वास्तविक सार है ... परमेश्वर हमेशा अपने अधिकार को काम में लाता है, अपनी ताक़त दिखाता है, हमेशा की तरह अपने प्रबंधन के कार्य को करता रहता है; वह हमेशा सभी चीज़ों के ऊपर शासन करता है, सभी चीज़ों का भरण-पोषण करता है, और सभी चीज़ों का आयोजन करता है, ठीक वैसे ही जैसे उसने हमेशा से किया था। इसे कोई नहीं बदल सकता है। यह एक तथ्य है; यह आदि काल से अपरिवर्तनीय सत्य है" (वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है III)। मेरे सहकर्मी ने मुझे संगति देते हुए कहा : "परमेश्वर रचयिता है, और स्वर्ग, पृथ्वी, और इसमें मौजूद सब चीजों पर उसका राज है। हर व्यक्ति के भाग्य पर भी उसका नियंत्रण है, और हमारा कार्य या भविष्य जिस भी प्रकार का है, काफी समय पहले परमेश्वर ने ही उसका निर्धारण कर दिया था। इसे कोई भी व्यक्ति खुद ही निर्धारित या परिवर्तित नहीं कर सकता है। तुम्हारे बेटे व बहु का करियर व भविष्य सबकुछ परमेश्वर द्वारा नियंत्रित है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे परमेश्वर पर विश्वास करते हैं या नहीं; उनके भाग्य पर परमेश्वर का शासन है और वह ही इसे व्यवस्थित करता है। इन सब बातों की चिंता करना हमारे लिए व्यर्थ है। अय्यूब ने कभी भी इसकी चिंता नहीं की, क्योंकि उसे यह स्पष्ट था कि उसके पास जो भी है वह परमेश्वर का दिया हुआ है, उसे पता था कि जो भी उसे प्रदान किया गया है या उससे लिया गया है, सब परमेश्वर के हाथों में है। तो तुम्हें बस परमेश्वर से प्रार्थना करने पर ध्यान लगाना चाहिए, अपने बेटे-बहू के भविष्य को परमेश्वर के हाथों में छोड़ देना चाहिए और यह विश्वास करना चाहिए कि परमेश्वर ने एक उपयुक्त योजना बनाई है।" परमेश्वर के अधिकार को बताने वाले इन वचनों पर की गयी संगति से, मुझे परमेश्वर पर अपना विश्वास प्राप्त हो गया, और मेरा दिल स्थिर व शांत हो गया। अब मैं अपने बेटे या बहु के भविष्य के बारे में चिंता नहीं करूंगा।

इसके बाद, परमेश्वर के वचनों को पढ़कर, मैं सीसीपी सरकार के परमेश्वर के विरोध करने वाले बुरे सार को और जानने लगा। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "सभी मनुष्यों के शरीर को शैतान कसकर बांध देता है, उसकी दोनों आँखें निकाल देता है, और उसके होंठों को मज़बूती से बंद कर देता है। शैतानों के राजा ने हज़ारों वर्षों तक तबाही मचाई है, और आज भी वह तबाही मचा रहा है और इस भूतिया शहर पर करीब से नज़र रखे हुए है, मानो यह राक्षसों का एक अभेद्य महल हो; नज़र रखने वाले प्रहरी इस दौरान चमकती हुई आँखों से घूरते हैं, इस बात से अत्यंत भयभीत कि परमेश्वर उन्हें अचानक पकड़ लेगा और उन सभी को मिटा कर रख देगा, और उन्हें शांति और ख़ुशी के स्थान से वंचित कर देगा। ऐसे भूतिया शहर के लोग कैसे कभी परमेश्वर को देख सकते हैं?" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, कार्य और प्रवेश (8))। जीवन में प्रवेश पर धर्मोपदेश और संगति में यह भी कहा गया है : "बड़ा लाल अजगर दिल में यह सोचता है कि परमेश्वर उन सभी लोगों को उससे लेने के आया है जो उसके हैं, और वह उससे शत्रुता कर रहा है। यह बड़ा लाल अजगर एक आदेशपूर्ण व अनुचित चीज है! मानवता का निर्माण परमेश्वर ने किया है, और मानवता को बचाने का अधिकार परमेश्वर के पास है। मूलत:, मानवता परमेश्वर की है, और यह वह बड़ा लाल अजगर ही है, जिसने परमेश्वर के चुने हुए लोगों को छीन लिया है, अपनी इच्छा से उन्हें भ्रष्ट कर रहा व रौंद रहा है, और अंत में उन सबको नष्ट कर दे रहा है। हालांकि, जब परमेश्वर मानवता को बचाने आता है, तो यह उसका विरोध करता है। हम इससे देख सकते हैं कि बड़े लाल अजगर का मूल व्यवहार स्वर्ग का विरोध करना, प्रतिक्रियावादी, अनुचित, और काफी हद तक बेतुका है।यह एक जंगली पशु व एक दानव है" (जीवन में प्रवेश पर धर्मोपदेश और संगति)। अब, मैं समझ गया कि इस नास्तिक देश में सीसीपी का शासन, शैतान का शासन है। चीनी सरकार परमेश्वर को इस भूमि पर आने और लोगों को बचाने का कार्य करने की अनुमति नहीं देती है, न ही लोगों को अपने बुरे प्रभाव से निकलने और परमेश्वर द्वारा स्वीकार किए जाने, परमेश्वर द्वारा सुंदर मंजिल पर ले जाये जाने की अनुमति देती है। इसलिए यह सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य का विरोध व उनकी निंदा करने, पागलपन के साथ हमें सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अनुसरण करने से रोकने और परेशान करने के लिए जो कुछ भी कर सकती है, करती है। अगर हमारे पास सत्य नहीं है, हम सीसीपी की कपटी योजनाओं को नहीं जान पाते हैं, और इसके दुष्ट और प्रतिक्रियावादी सार को नहीं पहचान पाते हैं, तो हम उन सभी प्रकारों के झूठों से गुमराह हो जाएंगे जो यह फैलाता है, हम उसके दमन व उत्पीड़न से डरकर समर्पण कर देंगे। हम परमेश्वर की उपस्थिति के समक्ष आने की हिम्मत नहीं कर पाएंगे, और इसका अर्थ है कि इसने लोगों को खत्म करने व लोगों को बचाने के परमेश्वर के कार्य को नष्ट करने के अपने नीच लक्ष्य को हासिल कर लिया है। लेकिन ऐसा कोई नहीं है जो परमेश्वर की बुद्धि को जान सकता हो। परमेश्वर सीसीपी सरकार के उत्पीड़न का प्रयोग परमेश्वर के चुने हुए लोगों को मजबूत करने के लिए सेवा प्रदान करने, हमें सत्य को समझने में सक्षम करने, और पूरी तरह से यह समझाने हेतु करता है कि सीसीपी सरकार एक शैतानी दानव है जो सत्य के लिए बैर से भरी हई है और परमेश्वर को अपना शत्रु समझती है, ताकि हम पूरी तरह से उसे त्याग दें और परमेश्वर की ओर पूर्णत: मुड़ जाएँ। मैं परमेश्वर को धन्यवाद देता हूँ कि उसने अपने वचनों से मुझे राह दिखाई, मुझे प्रबुद्ध किया, रोशन किया जिससे मैं सीसीपी सरकार के परमेश्वर का विरोध करने वाले दानवीय सार को पहचान सका और इसकी धमकियों के बंधन से मुक्त हो सका। मैं आभारी हूँ परमेश्वर का कि जब मैं नकारात्मक व कमजोर महसूस कर रहा था, जब मैं ढह चुका था, रास्ता खो चुका था, तब परमेश्वर ने मेरे सहकर्मी को मेरे घर भेजने, मुझे सहारा देने और सत्य के बारे में संगति करने की व्यवस्था की। परमेश्वर ने शैतान के प्रलोभनों से मुझे बचा लिया, और मैं शैतान के जाल को तोड़कर निकल गया एवं परमेश्वर की उपस्थिति में वापस लौट आया। अब मेरे पास पूर्ण उद्धार हासिल करने का मौका है। मैं संकल्प लेता हूँ कि इस रास्ते में आगे चाहे मुझे जितनी भी कठिनाइयों का सामना करना पड़े, लेकिन मैं इस रास्ते के अंत तक सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अनुसरण करूंगा।

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

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