एक विद्रोही का पश्चाताप
गु वेंकिंग : मैं 1990 में ईसाई बना। एक कलीसिया का अगुवा हमेशा कहता था कि बाइबल हमारे विश्वास की नींव है और विश्वासी होने के नाते, हमें बाइबल का अनुसरण करना चाहिए। वे शब्द मेरे दिल में गहरे बैठ गए और मैं मन ही मन सोचा कि मुझे नियमित रूप से बाइबल पढ़नी चाहिए, मैं इसे समझ जाऊँ तो मुझे अपनी आस्था का मार्ग मिल जाएगा। तो मैं नियमित रूप से बाइबल पढ़ता और जो मुझसे अधिक समय से आस्थावान थे, उनसे सलाह लेता। मुझे याद है एक वरिष्ठ-जन ने मुझे प्रोत्साहन के ये शब्द कहे थे : "बाइबल के प्रति तुम्हारी लगन के कारण प्रभु अवश्य तुम्हें कोई महत्वपूर्ण स्थान देगा।" एक नए विश्वासी के नाते, इन शब्दों ने मेरे अंदर जोश भर दिया। इससे मुझे बाइबल की आराधना करने की और भी अधिक प्रेरणा मिली। मैं रोज सुबह 4 बजे उठकर बाइबल पढ़ने लगा, मैंने पूरे घर में बाइबल के चुनिंदा पद चिपका दिए। जब भी समय मिलता, मैं या तो बाइबल के अंश पढ़ता या उन्हें याद करता। सोते समय भी मैं तकिये के पास बाइबल रखता था, सोचता अगर प्रभु रात में वापस आ गया, तो मैं बाइबल लिए उसका स्वागत कर पाऊँगा। मैं बाइबल से अलग नहीं रह पाता था।
होस्ट : यह तो कुछ ज़्यादा ही है।
गु वेंकिंग : बिल्कुल। कुछ सालों बाद, मैं अपने शहर में कैरिज़्मैटिक्स का एक मुख्य सहकर्मी बन गया, मुझ पर करीब 300 सभा स्थलों का दायित्व था। मुझे बाइबल से इतना प्रेम था कि मैं हमेशा भाई-बहनों से कहता था : प्रभु यीशु ने कहा था, "मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं, परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है, जीवित रहेगा" (मत्ती 4:4)। मैं उनसे संगति करता कि परमेश्वर के सभी वचन बाइबल में हैं, तो बाइबल पढ़ना हर रोज खाना खाने जितना ही महत्वपूर्ण है, बाइबल हमारे विश्वास की नींव है, इसलिए हमें हर स्थिति में इसका अनुसरण करना चाहिए, यही सच्चा विश्वासी होना है।
होस्ट : आपने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य के बारे में कब सुना?
गु वेंकिंग : 1997 में। पूर्वोत्तर चीन की बहुत सारी कलीसियाओं के सदस्यों ने, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकारा था। हमारे एक अगुआ ने तुरंत सहकर्मियों की एक बैठक बुलाई जहाँ उसने हमें चमकती पूर्वी बिजली को कलंकित करने वाली प्रचार सामग्री दिखायी और बताया, "चमकती पूर्वी बिजली नाम की एक कलीसिया है। वे कहते हैं कि प्रभु यीशु सर्वशक्तिमान परमेश्वर के रूप में देह में लौट आया है, उसने नए वचन बोले हैं और सूचीपत्र खोला है। उनका कहना है कि बाइबल पुरानी हो चुकी है, अब सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन से ही जीवन-पोषण मिल सकता है। वे ऐसा कैसे कह सकते हैं? हजारों साल से, प्रभु के विश्वासी बाइबल पढ़ते आ रहे हैं। परमेश्वर के सभी वचन बाइबल में हैं, और इसके बाहर परमेश्वर का कोई वचन नहीं है। हमें बाइबल के प्रति ही निष्ठावान बने रहना चाहिए। उससे दूर जाना प्रभु के साथ विश्वासघात है, वापस आने पर वह तुम्हें नहीं बचाएगा।" उस समय मैं उनसे पूरी तरह सहमत था, मैंने सोचा, "सही है। हमारी पूरी आस्था बाइबल पर आधारित है। चमकती पूर्वी बिजली के लोग इसे पढ़ते ही नहीं, तो क्या वे प्रभु के मार्ग से भटक नहीं रहे हैं? मुझे बाइबल को कायम रखने और उससे न भटकने में भाई-बहनों की अगुवाई करनी है।" उन अगुआ ने तीन दिन इस तरह की बैठकें बुलायीं, बताया कि चमकती पूर्वी बिजली से बचकर कैसे उसका विरोध करना है। उन सभाओं के बाद मुझे लगा कि मेरी जिम्मेदारी पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है। कलीसिया की रक्षा के लिए, मैंने उसे हर ओर से मुहरबंद कर चमकती पूर्वी बिजली का विरोध करने के लिए दूसरों के साथ अथक प्रयास किए। हर सेवा में, हमने इस बारे में बात की कि इससे कैसे बचा जाए, मैंने तो भाई-बहनों से यह भी कहा कि वे उपवास रखें और प्रार्थना करें, और परमेश्वर से विनती करें कि वो चमकती पूर्वी बिजली को हमारी कलीसिया की भेड़ें चुराने से रोके।
होस्ट : इस सबके बावजूद, क्या किसी ने अंत के दिनों के परमेश्वर के कार्य की जांच की?
गु वेंकिंग : हाँ। जल्दी ही एक दिन एक बहन ने मुझसे कहा कि एक सहकर्मी अब चमकती पूर्वी बिजली में विश्वास करने लगा है, और उसकी सभा-स्थल के सबसे उत्साही सदस्य उसके साथ चले गए हैं। इसने मुझे इतना चिंतित कर दिया कि मैं बिना खाए-पिए ही उस स्थान पर पहुँच गया और देखा कि 40 लोगों में से 19 गायब हैं।
होस्ट : उन्नीस ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर को स्वीकार कर लिया था?
गु वेंकिंग : हाँ। बात यह थी कि उस सभा स्थल में वे 19 लोग परम धर्मनिष्ठ सदस्य थे, तो उन अच्छी भेड़ों के चोरी हो जाने से मैं बहुत परेशान हो गया था। मुझे लगा चमकती पूर्वी बिजली बहुत ताकतवर है, जिसकी वजह से उन्होंने कुछ ही दिनों में अच्छी भेड़ें चुरा लीं। मैं उन भाई-बहनों को मनाने के लिए उनके पास गया, और कहा, "चमकती पूर्वी बिजली का दावा है कि प्रभु लौट आया है और उसने नए वचन बोले हैं, लेकिन ये सच नहीं है। परमेश्वर के सभी वचन बाइबल में हैं, इसके अलावा बाकी सब प्रभु के मार्ग से भटकना है, ऐसे लोग प्रभु के आने पर राज्य में प्रवेश नहीं कर पाएँगे। तो क्या इतने बरसों की आस्था व्यर्थ नहीं हो जाएगी?" मैंने उनसे तुरंत प्रभु के आगे प्रायश्चित करने का आग्रह किया।
होस्ट : उन्होंने क्या जवाब दिया?
गु वेंकिंग : मुझे लगा था वो लोग मेरी बात मान लेंगे, लेकिन झांग नाम की एक बहन ने कहा, "भाई गु, आपका ये दावा कि परमेश्वर के सभी वचन बाइबल में हैं, तथ्य अनुसार नहीं है। यूहन्ना 21:25 में लिखा है, 'और भी बहुत से काम हैं, जो यीशु ने किए; यदि वे एक एक करके लिखे जाते, तो मैं समझता हूँ कि पुस्तकें जो लिखी जातीं वे संसार में भी न समातीं।' इस पद से पता चलता है कि प्रभु यीशु का हर काम और हर बात बाइबल में दर्ज नहीं है। प्रकाशितवाक्य में भविष्यवाणी है कि प्रभु लौटने पर सूचीपत्र खोलकर सात मोहरें तोड़ेगा और कलीसियाओं से बात करेगा। जाहिर है, अंत के दिनों के लिए परमेश्वर के नए वचन पहले से बाइबल में नहीं लिखे हो सकते, इसलिए आपके इस दावे में कि परमेश्वर के सभी वचन बाइबल में हैं, दम नहीं है।" उस समय, मुझे समझ में नहीं आया कि उसकी बात का खंडन कैसे करूँ। मैंने सोचा, "सही है। बाइबल का वह पद तो स्पष्ट है, तो मैंने पहले कभी इस बारे में क्यों नहीं सोचा?" तब बहन झांग ने आगे कहा, "सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही लौटकर आया प्रभु यीशु है। उसके द्वारा व्यक्त सत्य लोगों का न्याय करके, उन्हें शुद्ध करते और बचाते हैं। ये सत्य कलीसियाओं के लिए पवित्र आत्मा के वचन हैं। ये उस सूचीपत्र को खोलना है जिसकी भविष्यवाणी प्रकाशितवाक्य में है।" उसने ये भी कहा कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास रखने का अर्थ प्रभु को धोखा देना नहीं, बल्कि परमेश्वर की वाणी सुनकर मेमने के पदचिह्नों पर चलना है। जैसा कि प्रकाशितवाक्य में कहा गया है, "ये वे ही हैं कि जहाँ कहीं मेम्ना जाता है, वे उसके पीछे हो लेते हैं" (प्रकाशितवाक्य 14:4)। उसने ये कहते हुए मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़ने के लिए भी कहा, बताया कि विनम्रता से खोजना ही परमेश्वर की वाणी सुनने और प्रभु की वापसी का स्वागत करने का तरीका है।
होस्ट : बात में दम है।
गु वेंकिंग : बिल्कुल।
होस्ट : आपने उस समय क्या सोचा?
गु वेंकिंग : उस समय तो मेरा पूरा ध्यान उसे वापस लाने में था, इसलिए उसकी संगति का मुझ पर असर नहीं हुआ। मैंने बाइबल उठाई और उसे दिखाते हुए कहा, "मैं बाइबल जानता हूँ—मुझे खोजने की जरूरत नहीं है! बाइबल के बाहर सब-कुछ विधर्म है, तुम्हें बचाया नहीं जाएगा!" मैं हर हफ्ते जाकर उनके विचार बदलने की कोशिश करता रहा। लेकिन मैं चाहे जो कहूँ, वो लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अनुसरण करने की ठान चुके थे। मैं उनमें से एक को भी वापस नहीं ला पाया।
होस्ट : ये तो हैरानी की बात थी न?
गु वेंकिंग : वाकई थी। मैंने घर आकर उन सदस्यों के बारे में सोचा जो चमकती पूर्वी बिजली में चले गए थे, मैं बेचैन हो गया। चमकती पूर्वी बिजली की किताब पढ़ने के बाद, किसी भी तरह उनका मन क्यों नहीं बदला जा सकता? कहीं वाकई उनकी किताब में किसी तरह का नशा तो नहीं, जैसा एक अगुआ ने कहा था? लेकिन वो तो बिल्कुल सामान्य लग रहे थे, नशे में नहीं थे, वो बहुत ही ऊर्जा और आत्मविश्वास से भरे थे। उनकी संगति गहरी थी, उसका खंडन नहीं किया जा सकता था। मैं उलझन में पड़ गया। मैं देखना चाहता था कि चमकती पूर्वी बिजली की किताब में आखिर लिखा क्या है। लेकिन फिर सोचा बाइबल के बाहर की सारी बातें प्रभु के साथ धोखा हैं, और मुझे बचाया नहीं जाएगा, तो मेरी हिम्मत नहीं हुई। मैंने उन 19 लोगों को कलीसिया से प्रतिबंधित कर दिया और सभी से उनके साथ संबंध न रखने को कहा। मैंने सहकर्मियों से कहा कि वे अपने झुंड पर कड़ी नज़र रखेँ, और चमकती पूर्वी बिजली को स्वीकारने वालों को तुरंत निकाल दें।
होस्ट : ये तो कलीसिया को मुहरबंद करने के कठोर उपाय थे। इनका नतीजा क्या रहा?
गु वेंकिंग : कोई खास लाभ नहीं हुआ। मैंने कलीसिया को अलग रखने के लिए बहुत मेहनत की, लेकिन चमकती पूर्वी बिजली में जाने वाले भाई-बहनों की संख्या बढ़ती ही गयी। हर दिन कोई न कोई जा रहा था और मैं रोक नहीं पा रहा था। उस समय मेरा दिमाग पूरी तरह उसी में उलझा हुआ था। मैं उन्हें वापस लाने को घंटों मेहनत कर रहा था, लेकिन एक को भी मना नहीं पाया। मुझे हैरानी तब हुई जब मेरे साथ काम कर चुके भाई वांग भी चमकती पूर्वी बिजली में शामिल हो गए। मुझे ये वाकई अजीब लगा। भाई वांग ने मेरी तरह ही शुरुआत की थी, वो हमेशा चमकती पूर्वी बिजली से बचने की बात किया करते थे। मैंने कभी सोचा नहीं था कि वो भी चले जाएँगे। मैं उनसे सवाल-जवाब करने के लिए गुस्से में उनके घर गया। मैंने कहा, "आप अच्छी तरह जानते हैं कि चमकती पूर्वी बिजली बाइबल से अलग है। आप उसमें कैसे विश्वास कर सकते हैं?" उन्होंने कहा, "भाई गु, मैंने भी अगुआ की बात मानकर, चमकती पूर्वी बिजली की बिल्कुल जाँच नहीं की। आँख मूँदकर उसका विरोध और निंदा करता था। लेकिन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़कर, मैंने जाना कि ये बाइबल के बहुत से रहस्यों का खुलासा करती है, और पापों से शुद्ध होने का मार्ग दिखाती है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन सत्य हैं और परमेश्वर की वाणी हैं। वह लौटकर आया प्रभु यीशु है। आपको भी उसके वचन पढ़ने चाहिए," मैंने तुरंत उनकी बात काटकर कहा, "बस बहुत हो गया! आप तो झांसे में आ गए—मुझे मत घसीटिए। आप कुछ भी कहें, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं वो किताब नहीं पढ़ने वाला!" मैंने धड़ाक से दरवाजा बंद किया और गुस्से में निकल गया। फिर मुझे सहकर्मी लियू से पता चला कि किसी दूसरी कलीसिया के 100 से अधिक सदस्य चमकती पूर्वी बिजली में शामिल हो गए, और भी बहुत से सहकर्मियों ने कहा कि उनके क्षेत्रों से भी, चमकती पूर्वी बिजली हर दिन अच्छी भेड़ें चुरा रही है, और वो उन्हें वापस नहीं ला पा रहे। ये खबर सुनकर मुझे गहरा सदमा लगा। मुझे हैरानी हुई कि वह इतनी प्रभावशाली कैसे हो सकती है, क्या प्रभु सच में लौट आया है। वरना, इतने सारे लोग उसे स्वीकारकर, उसमें इतनी आस्था क्यों रखेंगे?
होस्ट : तो क्या तब आपने उसकी जाँच करने का सोचा?
गु वेंकिंग : नहीं, मैं अपनी धारणाओं में ज़्यादा ही फंसा हुआ था। मैं सोच रहा था कि वो लोग बाइबल नहीं पढ़ते, जबकि हमारा विश्वास बाइबल पर आधारित होना चाहिए, इसलिए वो परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर पाएँगे। मुझे ख्याल ही नहीं आया कि उसकी जाँच करूँ।
होस्ट : क्या उस समय आपको हैरानी नहीं हुई कि ये सब भाई-बहन वापस आने के लिए मान क्यों नहीं रहे हैं?
गु वेंकिंग : हुई थी, लेकिन मैं बात समझ ही नहीं आई। उस समय मुझे लगा कि चमकती पूर्वी बिजली में आस्था रखने के बाद से लगता था जैसे वे बाइबल मुझसे बेहतर समझते हैं, मुझे समझ में नहीं आया कि उनसे क्या कहूँ। मुझे याद है उसी साल सितंबर में, कलीसिया के एक मुख्य सहकर्मी, भाई ली, चमकती पूर्वी बिजली में अपनी पत्नी के साथ शामिल हो गए। जब मैंने ये खबर सुनी तो मैंने बाइबल उठाई और चार सहकर्मियों के साथ उनसे मिलने चल पड़ा। वहाँ पहुँचते ही मैं सीधा उन पर चिल्लाया, "आपके अंदर जमीर है या नहीं? प्रभु यीशु ने आप पर इतना अनुग्रह किया है—क्या सब भूल गए? आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास कैसे कर सकते हैं? उन्होंने आपको क्या दिया है? कितना पैसा दिया है?" हैरानी हुई जब भाई ली ने मुस्कुराते हुए कहा, "उन्होंने हमें सत्य और जीवन दिया है, पैसा नहीं।" ये सुनकर मुझे और भी गुस्सा आया, और मैंने कहा, "वो आपको जीवन कैसे दे सकते हैं? बाइबल के बाहर जाना प्रभु को धोखा देना है। सत्य और जीवन की क्या बात करते हैं?" उन्होंने उल्टा मुझसे ही एक सवाल पूछ लिया : "आप ही बताइए कि सत्य और जीवन परमेश्वर से आता है या बाइबल से? जब प्रभु यीशु ने फरीसियों को डांटा तो उसने क्या कहा? 'तुम पवित्रशास्त्र में ढूँढ़ते हो, क्योंकि समझते हो कि उसमें अनन्त जीवन तुम्हें मिलता है; और यह वही है जो मेरी गवाही देता है; फिर भी तुम जीवन पाने के लिये मेरे पास आना नहीं चाहते' (यूहन्ना 5:39-40)। उसके वचन एकदम साफ हैं। बाइबल परमेश्वर की गवाही तो देती है, लेकिन इसमें अनंत जीवन नहीं है। बाइबल में अनंत जीवन की खोज करना भूल है। केवल मसीह ही मार्ग, सत्य और जीवन है, मसीह का अनुसरण करने, उसके कार्य और वचनों का पालन करने से ही हम सत्य और अनंत जीवन पा सकते हैं।" उनकी बात सुनकर समझ में नहीं आया कि क्या कहूँ। मुझे थोड़ी शर्मिंदगी हुई। मैं सोचने लगा कि ये तो मुझे उपदेश देते सुना करते थे, अब मुझे ही समझाने और मेरी बात काटने में क्यों लगे हैं? मैंने इतने बरस बाइबल पढ़ी है, ये प्रभु में विश्वास के बारे में मुझसे अधिक कैसे जान सकते हैं?
होस्ट : जब कोई अपने बाइबल ज्ञान का इस्तेमाल फायदे के लिए करता है, तो अहंकार छोड़कर विनम्रता से खोज नहीं कर पाता।
गु वेंकिंग : ये तो सच है। तो मैंने बहुत ही बेतुका जवाब दिया, मैं बोला, "आप कुछ भी कहिए। बाइबल न पढ़ने वाला तो नरक में ही जाएगा।" फिर बाकी के चार सहकर्मियों ने भी नर्म-गर्म अंदाज में उन्हें समझाने की कोशिश की, पर हमारी तमाम दलीलों के बावजूद, भाई ली और उनकी पत्नी सर्वशक्तिमान परमेश्वर में अपने विश्वास में डटे रहे। घर पहुंचकर, मैंने उनकी और चमकती पूर्वी बिजली में शामिल होने वाले अन्य लोगों की बातों पर विचार किया। मैं बाइबल के बारे में उनसे ज्यादा जानता था, वो लोग मेरे उपदेश सुना करते थे, लेकिन चमकती पूर्वी बिजली में शामिल होने के कुछ ही दिन बाद, उन्होंने मुझे चंद शब्दों से निरुत्तर कर दिया। ये हो क्या रहा है? क्या चमकती पूर्वी बिजली सच में सही मार्ग है? लेकिन मैंने जल्दी ही उस विचार को झटक दिया। मुझे लगा ये असंभव है, बाइबल के बाहर की हर बात प्रभु के साथ विश्वासघात है। मैंने बाइबल से चिपके रहने और प्रभु के वापस आकर मुझे स्वर्ग ले जाने की प्रतीक्षा करने का निर्णय लिया।
होस्ट : उन दिनों, निष्ठावान लोगों के सर्वशक्तिमान परमेश्वर को स्वीकारने और फिर पलटकर ना आने, पर आपने विचार किया?
गु वेंकिंग : देखो, अगर मेरे मन में परमेश्वर को खोजने या उसके प्रति श्रद्धा का भाव होता, तो मैं उसका इतना विरोध न करता। मैंने लगातार लोगों को चमकती पूर्वी बिजली को स्वीकारते देखा, और अब तो मैं उपदेश भी नहीं दे रहा था। मैं चमकती पूर्वी बिजली विरोधी सामग्री तलाश रहा था, सहकर्मियों की बैठकों और रविवार की सेवाओं में भी उन चीजों के बारे में बता रहा था। मैं लोगों को धमकाता भी था ताकि वे चमकती पूर्वी बिजली को जाँचने की हिम्मत न करें, मैं तो अन्य कलीसियाओं के अगुआओं और सहकर्मियों के साथ मिलकर इससे लड़ रहा था। अगर मुझे पता चलता कि कोई किसी सदस्य को चमकती पूर्वी बिजली में ले जाने की कोशिश कर रहा है, तो मैं लपककर उनका पीछा करता। अगर कभी मुझे लगता कि बाइक से पहुँचने में देर हो जाएगी, तो मैं चमकती पूर्वी बिजली के लोगों का पीछा करने के लिए टैक्सी ले लेता। उस समय, मुझे लगता कि मैं प्रभु के मार्ग का बचाव करके झुंड की रक्षा कर रहा हूँ, उस काम के लिए मैं अपनी जान भी जोखिम में डालने को तैयार था। लेकिन एक बात मुझे समझ में नहीं आती थी कि मेरे तमाम संघर्ष के बावजूद, कलीसिया में घटनाएँ बढ़ती जा रही थीं।
होस्ट : घटनाएँ?
गु वेंकिंग : हाँ। अगस्त 1999 में जब हम सामूहिक बपतिस्मा कर रहे थे, तो काफी लोगों को गिरफ्तार कर थाने ले जाया गया। फिर अगस्त 2000 में बपतिस्मा के दौरान तीन महत्वपूर्ण सहकर्मियों के साथ मुझे भी गिरफ्तार कर लिया गया। मेरे घर की भी तलाशी ली गई और कलीसिया की सारी भेंटें पुलिस ने जब्त कर लीं। हिरासत में रहते हुए, मैंने उन तमाम बातों के बारे में विचार किया जो पिछले कुछ वर्षों में कलीसिया में हुई थीं। जो एल्डर मुझे हमेशा उपदेश देने और प्रचार करने के लिए आमंत्रित किया करते थे, बहन जियांग और भाई वू, वे अपने झुंड बचाने की कोशिश में लगे हुए थे, इसलिए उन्होंने चमकती पूर्वी बिजली से बचने के लिए अपनी कलीसिया को अलग कर लिया था। वे अत्यंत धर्मपरायण ईसाई थे, लेकिन हैरानी की बात है कि उन दोनों को कैंसर हो गया और बुरी हालत में उनकी मृत्यु हुई। और 1998 में एक बार 200 से अधिक प्रमुख कलीसिया के कार्यकर्ताओं की बड़ी बैठक में, अचानक एक कार्यकर्ता पर दुष्टात्मा ने कब्जा कर लिया, और तमाम प्रार्थनाओं के बावजूद उसे बाहर नहीं निकाल जा सका। तमाम घटनाएँ मेरे दिमाग में घूमती रहीं, लेकिन समझ नहीं पाया कि कलीसिया इतनी मुसीबत में क्यों है। बरसों मैंने प्रभु का अनुसरण किया है, नौकरी छोड़ी, परिवार छोड़ा, प्रभु के लिए कड़ी मेहनत की। कलीसिया के हर काम में सबसे आगे रहा, प्रभु के मार्ग और झुंड की रक्षा के लिये इतनी मेहनत की। प्रभु मेरी रक्षा कर मुझे आशीष क्यों नहीं दे रहा? मैं चमकती पूर्वी बिजली से जितना लड़ रहा था, उतना ही कष्ट क्यों हो रहा था, मैं लगातार बेचैन क्यों था? क्या चमकती पूर्वी बिजली के बारे में मेरी राय गलत है? क्या प्रभु सचमुच लौट आया है? सात दिन की हिरासत में, मैं ज़रा-भी सो नहीं पाया। मेरी हालत बेहद खराब थी। कलीसिया में जो कुछ हो रहा था, मुझे उसका सिर-पैर कुछ नहीं पता था। तब मैंने प्रभु से प्रार्थना की, "प्रभु, कलीसिया में इतना कुछ हो गया। इन सबके पीछे असली वजह क्या है? मैं क्या गलत कर रहा हूँ?"
जब मैं रिहा हुआ, तो मैंने देखा कि कलीसिया लगातार उजड़ती जा रही है। इसने मुझे दहला दिया। मैंने फिर प्रभु से प्रार्थना की : "प्रभु! कलीसिया की ऐसी हालत क्यों हो गयी? कलीसिया तेरे कीमती लहू की बदौलत बनी है, तू इसकी अनदेखी क्यों कर रहा है? हे प्रभु, मैं बहुत दुखी हूँ। झुंड बिखर रहा है, मैं चमकती पूर्वी बिजली से जितना लड़ता हूँ, कलीसिया उतनी ही अव्यवस्थित होती जाती है। मैं नहीं जानता कि इस सबको बचाऊँ और कलीसिया को कैसे पुनर्जीवित करूँ। प्रभु, मुझे रास्ता दिखा!" लेकिन मेरी तमाम प्रार्थनाओं के बावजूद, कलीसिया अव्यवस्थित ही रही। सारे सहकर्मी इधर-उधर बिखर गए और गिरफ्तारी के डर से छिप गए। कलीसिया में अराजकता व्याप्त हो गयी और उपस्थिति कम होती चली गयी। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि बुधवार और रविवार के धर्मोपदेशों में क्या बोलूँ। मेरी वार्ता के दौरान भाई-बहन झपकियाँ लेने लगे थे, मैं बेबस था। समझ नहीं पा रहा था कि क्या प्रार्थना करूँ, मेरी आस्था घटती जा रही थी। अचानक मैंने देखा कि मेरा संकल्प अब ऐसा नहीं रहा, कि भले ही किसी की आस्था डिग जाए, लेकिन प्रभु के लिए मेरी आस्था और प्रेम बना रहेगा। मैं धीरे-धीरे भ्रष्टता में डूबता जा रहा था। मैंने टीवी और फिल्में देखना शुरू कर दिया, यहाँ तक कि ताश और जुआ खेलना भी सीख लिया। मैं पाप में जी रहा था, खुद को बचा नहीं पा रहा था। मैं अक्सर बाइबल पकड़े दुखी और गुमसुम-सा अपने दहलीज पर खड़ा रहता। कुछ समझ नहीं आ रहा था कैसे आगे बढ़ूँ...। घुटनों के बल बैठ, मैं प्रभु के आगे रोया, गिड़गिड़ाया, "प्रभु यीशु, तू कहाँ है? दिल करता है कि मैं मर जाँऊगा। प्रभु, मुझे बचा, कलीसिया को बचा।"
होस्ट : लगता है आपकी आस्था में गतिरोध आ गया था।
गु वेंकिंग : हाँ। फिर 2002 में, जब मैं बेहद कमजोर स्थिति में था, तो दक्षिणी चीन से भाई झोउ ने मुझे फोन किया और किसी भक्ति-संबंधी अध्ययन के लिए मुझे मिलने को कहा। ये सुनकर मैंने परमेश्वर का हार्दिक धन्यवाद किया। मैं उस समय संघर्ष के दौर से गुजर रहा था, तो अपनी शक्ति फिर से पाने के लिए मैं इस अवसर का लाभ उठाना चाहता था। वहाँ पहुँचकर मैंने देखा कि उनकी स्थिति पिछले दो साल में और बेहतर हो गई थी। उनका विश्वास और मजबूत हो गया था। मुझे देखकर, वे दयालुता से पेश आए, मेरा उत्साह बढ़ाया, एक परिवार जैसा महसूस हुआ। मैं भावुक हो गया। अगले दिन, भाई झोउ ने मुझसे पूछा कि कैसा चल रहा है, सही मायने में वो जानना चाहते थे कि मेरे अंदर क्या संघर्ष चल रहा है। मैंने कुछ नहीं छिपाया और कलीसिया की वर्तमान हालत बयाँ कर दी। मेरी बात सुनकर वे बोले : "सिर्फ आपकी कलीसिया ही अपनी जीवन-शक्ति नहीं गँवा रही है। सब जगह की कलीसियाओं की यही हालत है। विश्वासियों का विश्वास और प्रेम ठंडा पड़ता जा रहा है, उनके पापों के लिए उन्हें अनुशासित नहीं किया जाता। सहकर्मियों के पास उपदेश देने को कुछ नहीं है, वे आपसी ईर्ष्या-द्वेष और लड़ाई में उलझे हैं। कलीसिया छिन्न-भिन्न हो रही हैं—उनमें लंबे समय से परमेश्वर की उपस्थिति नहीं है।" उन्होंने मुझे कलीसियाओं के उजड़ने का कारण भी बताया।
होस्ट : उन्होंने क्या कहा?
गु वेंकिंग : उन्होंने मुझे आमोस की पुस्तक से अध्याय 8, पद 11 पढ़कर सुनाया। परमेश्वर यहोवा ने कहा, "देखो, ऐसे दिन आते हैं, जब मैं इस देश में महँगी करूँगा; उस में न तो अन्न की भूख और न पानी की प्यास होगी, परन्तु यहोवा के वचनों के सुनने ही की भूख प्यास होगी।" फिर वो बोले, "हम इस पद से देख सकते हैं कि इस 'अकाल' का एक कारण ये है कि लोग परमेश्वर के वचनों पर अमल नहीं कर रहे। बिल्कुल जैसे व्यवस्था के युग के अंत में था, जब मुख्य याजक, शास्त्री और फरीसी यहोवा की व्यवस्था के बजाय केवल मानवीय परंपराओं का पालन कर रहे थे। वे निम्न-स्तर का बलिदान चढ़ा रहे थे, मवेशियों को खुलेआम बेचते थे, मन्दिर में धन का लेन-देन करते हुए उसे चोरों की पनाहगाह में बदल दिया था, इसलिए परमेश्वर ने चिढ़कर उसे त्याग दिया। जब उसमें परमेश्वर का कार्य नहीं रहा, तो लोग मनमर्जी करते हुए, अपने पापों को लेकर अनुशासनहीन हो गए। और मंदिर उजाड़ हो गए। तो, मूल कारण ये था कि धार्मिक अगुआओं ने यहोवा की आज्ञाओं का पालन नहीं किया और वो प्रभु के मार्ग से भटक गए। दूसरा कारण ये था कि परमेश्वर कार्य का एक नया चरण कर रहा था, इसलिए पवित्र आत्मा का कार्य बदल गया था। प्रभु यीशु ने अनुग्रह के युग की शुरुआत मंदिर के बाहर कर दी थी और उसका अनुसरण करने वाले सिंचन और पोषण पा सकते थे। लोग प्रभु के सामने प्रार्थना करके, अपने पाप स्वीकारकर क्षमा पा सकते थे और वे प्रभु द्वारा प्रदान किए गए सारे अनुग्रह और शान्ति का आनन्द उठा सकते थे। परन्तु जिन मुख्य पादरियों, शास्त्रियों और फरीसियों ने उसके कार्य को नकारा, उसका विरोध और निंदा की, और जिन्होंने उन पाखंडियों का साथ दिया, उन सभी को परमेश्वर के कार्य ने त्याग और हटा दिया, और वे अंधकार और वीरानी में जा गिरे।"
होस्ट : वो संगति आपको कैसी लगी?
गु वेंकिंग : उस समय, मुझे संगति सच में ज्ञानवर्द्धक लगी, लेकिन मैं उलझन में भी था और सोच रहा था, "मैंने ये सब हजारों बार बाइबल में पढ़ा है, तो फिर मैंने इसे पहले इस तरह क्यों नहीं देखा? यहाँ सब भाई-बहन कितने कम उम्र के हैं, तो इन्होंने इस समस्या में इतनी अच्छी अंतर्दृष्टि कैसे पा ली?" मैं हैरान था कि इन्हें ये कैसे समझ आया। मैं ध्यान से सुनता रहा। तब भाई झोउ ने कहा, "व्यवस्था के युग में मंदिर के पतन का जो कारण था, वही कारण आज की कलीसिया की स्थिति का भी है क्योंकि परमेश्वर कार्य का एक नया चरण संपादित कर रहा है।" उनकी बात सुनकर, मेरा दिल धक से रह गया, फिर ख्याल आया कि वे शायद चमकती पूर्वी बिजली के साथ हैं। सभी का कहना था कि वो जो सिखाते हैं वो चालाकी है—अगर मैं भी मूर्ख बन गया तो? मुझे घबराहट होने लगी और मेरे अंदर घमासान मच गया : मुझे इनकी बात सुननी चाहिए या नहीं?
होस्ट : आपने रुकने का फैसला किया होगा।
गु वेंकिंग : हाँ, वही किया। उस समय, मैं केवल कलीसिया की समस्या का समाधान चाहता था। इतने बरसों में, चीन या विदेश का कोई भी पादरी और एल्डर, तमाम बाइबल पढ़ने, उपवास रखने और प्रार्थना करने के बावजूद किसी तरह की कोई मदद नहीं कर पाए थे। कलीसिया की हालत बिगड़ती चली गयी थी। लेकिन वो भाई-बहन विश्वास और प्रेम से भरे थे, उनकी संगति ज्ञानवर्द्धक थी। पवित्र आत्मा के कार्य और मार्गदर्शन के बिना कोई भी इतना अच्छा नहीं कर सकता था। इसलिए मुझे लगा कि अगर मैं उनकी संगति से कलीसिया को पुनर्जीवित करने का रास्ता खोज पाऊँ, तो हमारे लिए अभी भी उम्मीद की किरण है। मैं इस अवसर को भुनाना चाहता था, अगर ये लोग चमकती पूर्वी बिजली के साथ हों भी, तो मुझे डरने की जरूरत नहीं थी, क्योंकि मैं बाइबल समझता हूँ, मुझे गुमराह नहीं किया जा सकता था। जब मैंने इस बारे में इस तरह सोचा, तो मैं उनकी हर बात सुनते हुए उसकी पुष्टि बाइबल से करने लगा ये देखने के लिए कि क्या उनकी बातें बाइबल के अनुरूप हैं।
होस्ट : आप रुक तो गए लेकिन आप काफी सतर्क थे।
गु वेंकिंग : हाँ। भाई झोउ आमोस 4:7–8 पढ़ते हुए संगति करते रहे : "'जब कटनी के तीन महीने रह गए, तब मैं ने तुम्हारे लिये वर्षा न की; मैं ने एक नगर में जल बरसाकर दूसरे में न बरसाया; एक खेत में जल बरसा, और दूसरा खेत जिस में न बरसा, वह सूख गया। इसलिये दो तीन नगरों के लोग पानी पीने को मारे मारे फिरते हुए एक ही नगर में आए, परन्तु तृप्त न हुए; तौभी तुम मेरी ओर न फिरे,' यहोवा की यही वाणी है।" उन्होंने ये कहते हुए समझाया, "इस पद में एक शहर में बारिश होने का जिक्र है और दूसरे में सूखे का। ये 'बारिश' पवित्र आत्मा के कार्य को दर्शाती है। परमेश्वर पवित्र आत्मा के कार्य को सभी जगहों से लेकर इसे उन लोगों तक पहुँचाता है जो उसके नया कार्य स्वीकारते हैं। जो लोग परमेश्वर के पदचिह्नों पर चलते हैं, उन्हें पवित्र आत्मा के वर्तमान वचनों का पोषण मिलता है और वे उसका कार्य प्राप्त करते हैं। लेकिन जो परमेश्वर के नए कार्य को स्वीकार नहीं करते वो परमेश्वर के कार्य के दौरान स्वाभाविक रूप से हटा दिए जाते हैं, और अंधकार में जीते हैं।" इस जगह पर उनकी संगति मुझे बेहतर समझ आने लगी। मैंने देखा कलीसिया उजाड़ है क्योंकि परमेश्वर नया कार्य कर रहा था, इसलिए पवित्र आत्मा का कार्य स्थानांतरित हो गया था। तो इसमें कोई हैरानी नहीं कि मैंने इतने बरस परमेश्वर की उपस्थिति नहीं बल्कि आध्यात्मिक अंधकार महसूस किया, मानो मैं एक अथाह गड्ढे में गिर गया था और मेरे लिए उम्मीद की कोई किरण नहीं थी। मैं बेहद दुख में जी रहा था। परमेश्वर के पदचिह्नों पर चलकर, पवित्र आत्मा के कार्य और मार्गदर्शन का आनंद लेने के ख्याल से, मैंने उत्सुकता से पूछा भाई झोउ, "इंसान मेमने के पदचिह्नों पर चलकर पवित्र आत्मा का कार्य कैसे प्राप्त कर सकता है?" उन्होंने कहा, "प्रकाशितवाक्य में इसकी भविष्यवाणी सात बार की गई है, 'जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है' (प्रकाशितवाक्य अध्याय 2, 3)। ये भविष्यवाणी हमें बताती है कि परमेश्वर अंत के दिनों में कलीसियाओं से बात करेगा, और जो कोई भी परमेश्वर की वाणी सुनेगा वो परमेश्वर के पदचिह्नों पर चलकर मेमने के विवाह-भोज में शामिल होगा।" फिर उन्होंने एक पुस्तक निकाली और बोले, "इस पुस्तक में कलीसियाओं के लिए पवित्र आत्मा के वचन हैं। इसे पढ़िए आप सब-कुछ समझ जाएँगे।" मैंने पुस्तक का नाम देखा वचन देह में प्रकट होता है। ये तो वही चमकती पूर्वी बिजली की पुस्तक है। मैं एक पल के लिए स्तब्ध रह गया और सोचने लगा, "मैं पिछले पाँच साल से उन लोगों से भिड़ रहा हूँ, लेकिन मैं वास्तव में अब तक उनसे रूबरू नहीं हुआ हूँ।" मैंने उन सभी भाई-बहनों के बारे में सोचा जो चमकती पूर्वी बिजली को सुन लेने के बाद उसे छोड़ने को तैयार नहीं थे। मैं बहुत घबरा गया था, लगा जैसे कलेजा मुँह को आ रहा है। मैंने प्रार्थना की, "प्रभु, मेरी रक्षा कर। मैं बाइबल से अलग नहीं हो सकता, मैं किसी भी सूरत में तेरे मार्ग से नहीं भटक सकता।" तो मैंने पूछा, "इस पुस्तक में परमेश्वर के वचन कैसे हो सकते हैं? परमेश्वर के सारे वचन तो बाइबल में हैं, उसके अलावा परमेश्वर के वचन और कहीं नहीं हैं। बाइबल से विमुख होना विधर्म है—ये प्रभु के साथ विश्वासघात है।" मैं वहाँ और ज्यादा नहीं बैठ पाया, तो मैं झुँझलाकर वहाँ से उठ खड़ा हुआ और उन्हें पूरी तरह से सुनना बंद कर दिया।
होस्ट : जब आपने कलीसिया की वीरानी के कारण पर संगति सुनी तो वो आपको ज्ञानवर्द्धक लगी।
गु वेंकिंग : हाँ, मैं मन ही मन जानता था कि यह सच है।
होस्ट : लेकिन जब आपको पता चला कि वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के विश्वासी हैं तो आप आगे नहीं सुन पाए।
गु वेंकिंग : बिल्कुल सही। मैं उसका विरोधी था और मेरे मन में बहुत-सी धारणाएँ थीं। मुझे घोर विरोध करते और संगति सुनना बंद करते देख, वो सब घुटनों पर बैठकर रोते हुए मेरे लिए प्रार्थना करने लगे कि परमेश्वर मुझे प्रबुद्ध करे और मुझे अपना कार्य दिखाए। मैं एक तरफ खड़ा था, उनकी भावपूर्ण प्रार्थना सुनकर मैं द्रवित हो गया। मैं सोच रहा था, पवित्र आत्मा के कार्य के बिना, कौन इतना प्रेममय हो सकता है? धीरे-धीरे मेरा मन शांत होने लगा और मेरा विरोध भी कुछ कम हो गया। प्रार्थना समाप्त करने के बाद, भाई झोउ ने मेरे साथ अपना अनुभव साझा किया। उन्होंने कहा, "मैं आपकी भावना समझता हूँ। मैं भी पहले आपकी ही तरह परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य का विरोध करता था। मैं पादरियों और एल्डरों के साथ मिलकर सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को बदनाम करता था, उनके विरुद्ध मैंने लेख भी लिखे थे। भाई-बहनों को उसमें विश्वास रखने से रोकने के लिए मैं उन्हें डराता भी था। मैंने ईश-निंदा और विरोध करने के लिए बहुत कुछ किया, मुझे लगता था कि मैं पूर्ण समर्पित हूँ और प्रभु के मार्ग की रक्षा कर रहा हूँ। मैं परमेश्वर में विश्वास तो रखता था लेकिन उसे जानता नहीं था, मैं अड़ियल और अभिमानी था। यदि परमेश्वर ने मुझे दंड देकर अनुशासित न किया होता, यदि उसके अधिकार-युक्त, दिल को छूने वाले वचन न होते, तो मैं कभी समर्पण न करता।" उन्होंने यह भी कहा कि वह हमेशा यही सोचते थे कि परमेश्वर के सारे वचन बाइबल में हैं, और कहीं नहीं, इसलिए बाइबल से अलग जाना विधर्म है। फिर उन्होंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कुछ ऐसे वचन पढ़े जिनसे समझ आया कि इस बात में दम नहीं है, यह बात तथ्यों के अनुरूप नहीं है। शुरू में तो मैं भ्रमित हो गया, आश्चर्य हुआ कि यह तथ्यों के अनुरूप कैसे नहीं है। फिर उन्होंने कहा, "आप बाइबल अच्छी तरह जानते हैं, तो जानते होंगे कि प्रभु के कार्य की समाप्ति के बरसों बाद लोगों ने बाइबल को संकलित किया था, इसका अर्थ यह है कि कुछ सामग्री छूट गयी थी। परमेश्वर की ओर से नबियों के कुछ वचन पुराने नियम में पूरी तरह से दर्ज नहीं हुए थे, बल्कि एज़्रा की भविष्यवाणियों के तौर पर अपोक्रिफा में डाल दिए गए थे।" उन्होंने यह भी कहा कि अनुग्रह के युग में प्रभु यीशु का सारा कार्य और वचन बाइबल में दर्ज नहीं किए गए थे। उसने आधिकारिक तौर पर साढ़े तीन साल कार्य किया था, किसी को नहीं पता कि उस समय उसने कितने वचन बोले और कितने उपदेश दिए। अगर हम चारों सुसमाचारों से प्रभु यीशु के सभी वचन जोड़ें, तो वह उसके प्रवचनों के कुछ ही घंटे बनते हैं। साढ़े तीन सालों में बोले उसके वचनों की तुलना में, यह बहुत ही सीमित है। यूहन्ना में लिखा है, "और भी बहुत से काम हैं, जो यीशु ने किए; यदि वे एक एक करके लिखे जाते, तो मैं समझता हूँ कि पुस्तकें जो लिखी जातीं वे संसार में भी न समातीं" (यूहन्ना 21:25)। उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या वाकई सच हो सकता है कि बाइबल के बाहर जो कुछ भी है वो परमेश्वर के वचन नहीं हैं, क्या यह तथ्य के अनुरूप है। और प्रकाशितवाक्य में कई बार भविष्यवाणी की गई है, "जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है" (प्रकाशितवाक्य अध्याय 2, 3)। इससे साबित होता है कि प्रभु के पास अंत के दिनों में कलीसियाओं से कहने के लिए और भी बहुत कुछ है। अंत के दिनों के वचन बाइबल में पहले से कैसे लिखे जा सकते हैं? प्रकाशितवाक्य में यह भी भविष्यवाणी है कि मेमना उस सूचीपत्र को खोलेगा, जिस पर मुहर लगी हुई है और उन मुहरों को केवल मेमना ही तोड़ सकता है। क्या उस सूचीपत्र की विषय-वस्तु पहले से ही बाइबल में दर्ज की जा सकती है? बिल्कुल नहीं। तो क्या पादरियों का यह दावा कि परमेश्वर के सभी वचन बाइबल में हैं तर्कपूर्ण है? क्या यह खुद परमेश्वर के वचनों का खंडन और निंदा नहीं है?
होस्ट : उनकी संगति सुनकर आप क्या सोच रहे थे?
गु वेंकिंग : उस समय तो मैं पूरी तरह आश्वस्त हो गया था। मुझे पता था कि यह सच है, प्रकाशितवाक्य ने स्पष्ट रूप से भविष्यवाणी की है कि अंत के दिनों में मेमना सात मुहरें तोड़कर सूचीपत्र खोलेगा। तो वह विशिष्ट सामग्री पहले से ही बाइबल में कैसे दर्ज हो सकती है? मुझे लगा मेरा इस बात पर जोर देना कि बाइबल के बाहर परमेश्वर के कोई वचन नहीं हैं, गलत है।
होस्ट : मुझे याद है आपने एक बार कहा था कि जब आप लोगों को चमकती पूर्वी बिजली की जाँच करने से रोक रहे थे, तो कुछ लोग इस पर आपके साथ पहले ही कुछ सरल संगति कर चुके थे।
गु वेंकिंग : हाँ, उन्होंने मुझे थोड़ा-बहुत बताया था। लेकिन मैंने अपने अहंकार के कारण सुनने से इनकार कर दिया था। लेकिन भाई झोउ की संगति बहुत ही स्पष्ट थी। उन्होंने बताया कि बाइबल परमेश्वर के कार्य का केवल ऐतिहासिक अभिलेख है, परमेश्वर ने जब कार्य का एक चरण पूरा कर लिया तो लोगों ने पुराने और नए नियम को संकलित किया। परमेश्वर बाइबल के अनुसार कार्य नहीं करता, न ही वह इससे बँधा है। परमेश्वर अपनी प्रबंधन योजना और इंसान की आवश्यकताओं के अनुसार कार्य करता है। जब प्रभु यीशु आया, तो उसने पुराने नियम के अनुसार कार्य नहीं किया, बल्कि वह प्रायश्चित के मार्ग का प्रचार करते हुए उस समय के पवित्र शास्त्र से आगे निकल गया, उसने बीमारों को चंगा किया, दुष्टात्माओं को निकाला, लोगों को सत्तर गुणा सात बार क्षमा करने के लिए कहा, सब्त न रखने को कहा, आदि। अंत में छुटकारे के कार्य का समापन करते हुए, वह सूली पर चढ़ गया। लेकिन इनमें से कुछ भी पुराने नियम में नहीं था। इनमें से कुछ तो इब्रानी शास्त्रों की व्यवस्था के विपरीत भी प्रतीत होता था। अगर हम पादरियों की बात मान लें कि बाइबल के बाहर सबकुछ विधर्म है, तो क्या यह प्रभु यीशु के कार्य की निंदा करना नहीं है? परमेश्वर सृष्टिकर्ता है, सबकुछ उसी की प्रचुरता में समाया हुआ है। तो क्या यह सच हो सकता है कि वह केवल बाइबल में दर्ज सीमित कार्य ही कर सकता है? क्या यह सच है कि परमेश्वर नया कार्य नहीं कर सकता या बाइबल के बाहर नए वचन नहीं बोल सकता? क्या यह परमेश्वर को सीमित कर ईशनिन्दा करना नहीं है? फरीसियों ने इब्रानी शास्त्रों द्वारा प्रभु यीशु के कार्य की निंदा की, यह कहते हुए कि यह शास्त्र के बाहर का है और विधर्म है। उन्होंने प्रभु द्वारा व्यक्त सत्यों का खंडन और निंदा की, अंततः मिलीभगत करके उसे सूली पर चढ़ा दिया और परमेश्वर द्वारा शापित और दंडित हुए। अब सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने आकर इंसान को शुद्ध करने और बचाने वाले सत्य व्यक्त किए हैं। ये कलीसियाओं के लिए पवित्र आत्मा के वचन हैं यह परमेश्वर का हमें अनंत जीवन का मार्ग देना है। अगर हम सुनकर खोज न करें, बल्कि बाइबल से चिपके रहकर, अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य और वचनों का विरोध और निंदा करते रहें, तो क्या हम फरीसियों वाली गलती ही नहीं दोहरा रहे हैं? ऐसा करने से तो हम परमेश्वर द्वारा हटा दिए जाएँगे!
होस्ट : हाँ, इसके परिणाम भयानक होंगे।
गु वेंकिंग : बिल्कुल। उनकी यह संगति सुनकर मैं डर गया, और मुझे प्रभु यीशु की कही बात याद आयी : "जो कोई मनुष्य के पुत्र के विरोध में कोई बात कहे, उसका वह अपराध क्षमा किया जाएगा, परन्तु जो पवित्र आत्मा की निन्दा करे, उसका अपराध क्षमा नहीं किया जाएगा" (लूका 12:10)। इन बातों पर विचार करके मैं समझ गया कि यदि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन वास्तव में परमेश्वर की ओर से हैं, तो वे पवित्र आत्मा के वचन हैं, और यदि मैं उसके कार्य और वचनों को विधर्म कहता हूँ, तो क्या यह पवित्र आत्मा की निन्दा करना नहीं है? तब न तो मुझे इस दुनिया में माफी मिलेगी, न ही दूसरी दुनिया में! अब मुझे पता था कि मैं निरंतर इसका विरोध नहीं कर सकता, बल्कि मुझे इसकी खोज और जांच करनी होगी।
होस्ट : तो आपका हृदय-परिवर्तन हो गया था।
गु वेंकिंग : बिल्कुल। फिर भाई झोउ ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों के कुछ अंश पढ़े। "बहुत से लोग मानते हैं कि बाइबल को समझना और उसकी व्याख्या कर पाना सच्चे मार्ग की खोज करने के समान है—परन्तु वास्तव में, क्या बात इतनी सरल है? बाइबल की इस वास्तविकता को कोई नहीं जानता कि यह परमेश्वर के कार्य के ऐतिहासिक अभिलेख और उसके कार्य के पिछले दो चरणों की गवाही से बढ़कर और कुछ नहीं है, और इससे तुम्हें परमेश्वर के कार्य के लक्ष्यों की कोई समझ हासिल नहीं होती। बाइबल पढ़ने वाला हर व्यक्ति जानता है कि यह व्यवस्था के युग और अनुग्रह के युग के दौरान परमेश्वर के कार्य के दो चरणों को लिखित रूप में प्रस्तुत करता है। पुराने नियम सृष्टि के समय से लेकर व्यवस्था के युग के अंत तक इस्राएल के इतिहास और यहोवा के कार्य को लिपिबद्ध करता है। पृथ्वी पर यीशु के कार्य को, जो चार सुसमाचारों में है, और पौलुस के कार्य नए नियम में दर्ज किए गए हैं; क्या ये ऐतिहासिक अभिलेख नहीं हैं? अतीत की चीज़ों को आज सामने लाना उन्हें इतिहास बना देता है, और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे कितनी सच्ची और यथार्थ हैं, वे हैं तो इतिहास ही—और इतिहास वर्तमान को संबोधित नहीं कर सकता, क्योंकि परमेश्वर पीछे मुड़कर इतिहास नहीं देखता! तो यदि तुम केवल बाइबल को समझते हो और परमेश्वर आज जो कार्य करना चाहता है, उसके बारे में कुछ नहीं समझते और यदि तुम परमेश्वर में विश्वास करते हो, किन्तु पवित्र आत्मा के कार्य की खोज नहीं करते, तो तुम्हें पता ही नहीं कि परमेश्वर को खोजने का क्या अर्थ है। यदि तुम इस्राएल के इतिहास का अध्ययन करने के लिए, परमेश्वर द्वारा समस्त लोकों और पृथ्वी की सृष्टि के इतिहास की खोज करने के लिए बाइबल पढ़ते हो, तो तुम परमेश्वर पर विश्वास नहीं करते। किन्तु आज, चूँकि तुम परमेश्वर में विश्वास करते हो और जीवन का अनुसरण करते हो, चूँकि तुम परमेश्वर के ज्ञान का अनुसरण करते हो और मृत पत्रों और सिद्धांतों या इतिहास की समझ का अनुसरण नहीं करते हो, इसलिए तुम्हें परमेश्वर की आज की इच्छा को खोजना चाहिए और पवित्र आत्मा के कार्य की दिशा की तलाश करनी चाहिए। यदि तुम पुरातत्ववेत्ता होते तो तुम बाइबल पढ़ सकते थे—लेकिन तुम नहीं हो, तुम उनमें से एक हो जो परमेश्वर में विश्वास करते हैं। अच्छा होगा तुम परमेश्वर की आज की इच्छा की खोज करो" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, बाइबल के विषय में (4))। "यीशु के समय में, यीशु ने अपने भीतर पवित्र आत्मा के कार्य के अनुसार यहूदियों की और उन सबकी अगुआई की थी, जिन्होंने उस समय उसका अनुसरण किया था। उसने जो कुछ किया, उसमें उसने बाइबल को आधार नहीं बनाया, बल्कि वह अपने कार्य के अनुसार बोला; उसने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया कि बाइबल क्या कहती है, और न ही उसने अपने अनुयायियों की अगुआई करने के लिए बाइबल में कोई मार्ग ढूँढ़ा। ठीक अपना कार्य आरंभ करने के समय से ही उसने पश्चात्ताप के मार्ग को फैलाया—एक ऐसा मार्ग, जिसका पुराने विधान की भविष्यवाणियों में बिलकुल भी उल्लेख नहीं किया गया था। उसने न केवल बाइबल के अनुसार कार्य नहीं किया, बल्कि एक नए मार्ग की अगुआई भी की, और नया कार्य किया। उपदेश देते समय उसने कभी बाइबल का उल्लेख नहीं किया। व्यवस्था के युग के दौरान, बीमारों को चंगा करने और दुष्टात्माओं को निकालने के उसके चमत्कार करने में कभी कोई सक्षम नहीं हो पाया था। इसी तरह उसका कार्य, उसकी शिक्षाएँ, उसका अधिकार और उसके वचनों का सामर्थ्य भी व्यवस्था के युग में किसी भी मनुष्य से परे था। यीशु ने मात्र अपना नया काम किया, और भले ही बहुत-से लोगों ने बाइबल का उपयोग करते हुए उसकी निंदा की—और यहाँ तक कि उसे सलीब पर चढ़ाने के लिए पुराने विधान का उपयोग किया—फिर भी उसका कार्य पुराने विधान से आगे निकल गया; यदि ऐसा न होता, तो लोग उसे सलीब पर क्यों चढ़ाते? क्या यह इसलिए नहीं था, क्योंकि पुराने विधान में उसकी शिक्षाओं, और बीमारों को चंगा करने और दुष्टात्माओं को निकालने की उसकी योग्यता के बारे में कुछ नहीं कहा गया था? उसका कार्य एक नए मार्ग की अगुआई करने के लिए था, वह जानबूझकर बाइबल के विरुद्ध लड़ाई करने या जानबूझकर पुराने विधान को अनावश्यक बना देने के लिए नहीं था। वह केवल अपनी सेवकाई करने और उन लोगों के लिए नया कार्य लाने के लिए आया था, जो उसके लिए लालायित थे और उसे खोजते थे। ... लोगों को ऐसा प्रतीत हुआ, मानो उसके कार्य का कोई आधार नहीं था, और उसमें बहुत-कुछ ऐसा था, जो पुराने विधान के अभिलेखों से मेल नहीं खाता था। क्या यह मनुष्य की ग़लती नहीं थी? क्या परमेश्वर के कार्य पर सिद्धांत लागू किए जाने आवश्यक हैं? और क्या परमेश्वर के कार्य का नबियों के पूर्वकथनों के अनुसार होना आवश्यक है? आख़िरकार, कौन बड़ा है : परमेश्वर या बाइबल? परमेश्वर का कार्य बाइबल के अनुसार क्यों होना चाहिए? क्या ऐसा हो सकता है कि परमेश्वर को बाइबल से आगे निकलने का कोई अधिकार न हो? क्या परमेश्वर बाइबल से दूर नहीं जा सकता और अन्य काम नहीं कर सकता? यीशु और उनके शिष्यों ने सब्त का पालन क्यों नहीं किया? यदि उसे सब्त के प्रकाश में और पुराने विधान की आज्ञाओं के अनुसार अभ्यास करना था, तो आने के बाद यीशु ने सब्त का पालन क्यों नहीं किया, बल्कि इसके बजाय क्यों उसने पाँव धोए, सिर ढका, रोटी तोड़ी और दाखरस पीया? क्या यह सब पुराने विधान की आज्ञाओं में अनुपस्थित नहीं है? यदि यीशु पुराने विधान का सम्मान करता, तो उसने इन सिद्धांतों को क्यों तोड़ा? तुम्हें पता होना चाहिए कि पहले कौन आया, परमेश्वर या बाइबल! सब्त का प्रभु होते हुए, क्या वह बाइबल का भी प्रभु नहीं हो सकता?" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, बाइबल के विषय में (1))। जब मैंने वो वचन सुने, तो मुझे लगा कि वे सच में अधिकार-युक्त हैं। मैंने बरसों की अपनी आस्था में, विदेशी और चीनी याजक-वर्ग के बहुत से उपदेश सुने थे, अध्यात्म पर कुछ किताबें भी पढ़ीं थीं, लेकिन किसी को बाइबल की इतनी स्पष्ट और बखूबी व्याख्या करते नहीं देखा था। यह वास्तव में मेरे लिए ज्ञानवर्द्धक था। मैंने देखा कि बाइबल परमेश्वर के कार्य का केवल एक ऐतिहासिक अभिलेख है, यह उसके कार्य के करने के बाद अस्तित्व में आया। लेकिन मैंने परमेश्वर को बाइबल तक ही सीमित कर दिया, यह सोचकर कि उसे बाइबल के बाहर कोई कार्य नहीं करना चाहिए, न ही नए वचन बोलने चाहिए। मैं कितना मूर्ख था! तब जाकर मुझे पता चला कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन वास्तव में परमेश्वर से आए हैं, वे पवित्र आत्मा के वचन हैं और मुझे कुछ खोजने की ज़रूरत है, वरना मैं प्रभु का स्वागत करने का मौका गँवा दूँगा और पछताने का मौका भी नहीं मिलेगा। इसलिए मैंने प्रभु से मेरा मार्गदर्शन करने की प्रार्थना की।
होस्ट : परमेश्वर का धन्यवाद! उस समय आपने बाइबल के बारे में सही दृष्टिकोण पा लिया।
गु वेंकिंग : हाँ। लेकिन मुझे अभी-भी थोड़ी उलझन थी। प्रभु यीशु ने स्पष्ट रूप से भविष्यवाणी की थी कि वह बादल पर आएगा और सबके सामने प्रकट होगा। लेकिन मैंने अभी भी ऐसा होते नहीं देखा था। उनका कहना था कि वह पहले ही लौट आया है और देह में रहकर नए वचन बोल रहा है। तो क्या प्रभु के देहधारी होकर दूसरे आगमन के बारे में बाइबल में कोई भविष्यवाणी है? मैंने भाई झोउ से इस बारे में पूछा।
होस्ट : उन्होंने क्या कहा?
गु वेंकिंग : उन्होंने बताया कि प्रभु के बादल पर सबके सामने खुलकर आने के बारे में बाइबल में कुछ भविष्यवाणियाँ हैं, लेकिन उसके गुप्त रूप से, देह में आने के बारे में भी बहुत-सी भविष्यवाणियाँ हैं। प्रभु यीशु ने कहा, "देख, मैं चोर के समान आता हूँ" (प्रकाशितवाक्य 16:15)। "जैसे नूह के दिन थे, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा" (मत्ती 24:37)। "इसलिये तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा" (मत्ती 24:44)। "क्योंकि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से कौंध कर आकाश के दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा। परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ" (लूका 17:24-25)। इन सभी पदों में मनुष्य के पुत्र के आने का उल्लेख है, और "मनुष्य का पुत्र" का अर्थ सामान्य मानवता के साथ, हाड़-मांस से, एक व्यक्ति से उत्पन्न होना है। यदि वह लोगों के सामने आध्यात्मिक रूप में बादल पर आता, तो लोग उसे देखकर डर जाते और साष्टांग दंडवत करने के लिए दौड़ते। उसका विरोध करने या उसे नकारने का साहस कौन करता? क्या लौटने पर वह इतने कष्ट उठाता और क्या ये पीढ़ी उसे ठुकराती? बिल्कुल नहीं। प्रभु यीशु ने भविष्यवाणी की थी कि वह दो अलग-अलग तरीकों से लौटेगा। पहला, वह गुप्त रूप से देह में आएगा, सत्य व्यक्त करने और परमेश्वर के घर से शुरू होने वाला न्याय का कार्य करने और आपदाओं से पहले विजेताओं का एक समूह बनाएगा। फिर आपदाओं के बाद, प्रभु बादल पर आकर सबके सामने प्रकट होगा। अगर हम सिर्फ बादल पर प्रभु यीशु के आने की प्रतीक्षा करते रहें और उसके गुप्त रूप से देह में आने पर परमेश्वर के कार्य और वचनों को न स्वीकारें, तो प्रभु हमें ठुकरा देगा! उनकी संगति मेरे लिए आँखें खोलने वाली थी। मुझे एहसास हुआ कि मनुष्य के पुत्र का अर्थ देहधारी परमेश्वर ही है। मैंने बरसों बाइबल के उन पदों पर लोगों से ढेरों बातें की हैं कि प्रभु चोरों की तरह आएगा, वो सतर्क रहें, प्रार्थना करें और प्रभु की प्रतीक्षा करें, लेकिन मैंने यह नहीं समझा कि वो प्रभु के गुप्त रूप से आने की भविष्यवाणी कर रहे हैं।
होस्ट : तो आपको उनकी नई समझ मिली।
गु वेंकिंग : बिल्कुल। उस समय, मुझे एहसास हुआ कि इतने बरसों तक बाइबल पढ़कर मैंने सिर्फ किताबी ज्ञान बटोरा है, उन भविष्यवाणियों के पीछे के असली अर्थ को मैं कभी समझ ही नहीं पाया। मैंने भाई झोउ से एक और प्रश्न पूछा। मैंने कहा, "प्रभु यीशु को मानवजाति के लिए पापबलि के रूप में सूली पर चढ़ाया गया था, और उसने हमारे सभी पाप ले लिए थे। एक विश्वासी के रूप में, मेरे पाप क्षमा कर दिए गए, तो प्रभु के लौटकर आने पर मुझे सीधे ही स्वर्ग के राज्य में ले जाया जाना चाहिए। फिर परमेश्वर को उद्धार करने के लिए कार्य का दूसरा चरण करने की क्या ज़रूरत?" उन्होंने मुझसे ही पूछ लिया, "आप कहते हैं कि पाप क्षमा कर दिए जाने से आप राज्य में प्रवेश कर सकते हैं, लेकिन क्या प्रभु के वचनों में इसका कोई आधार है? उसने सिर्फ हमारे पाप क्षमा किए हैं, लेकिन उसने ऐसा कभी नहीं कहा कि पाप क्षमा के कारण हम राज्य में प्रवेश कर सकते हैं। यह सिर्फ एक इंसानी धारणा है। हमारी पाप-माफी का अर्थ है कि अब वह हमें पापी नहीं मानता, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम पाप-मुक्त हैं। इसका यह अर्थ तो बिल्कुल नहीं है कि हम शुद्ध हैं, अब हम पाप नहीं करते या परमेश्वर का विरोध नहीं करते। अब राज्य में कौन प्रवेश कर सकता है, इस बारे में प्रभु यीशु ने स्पष्ट रूप से कहा है : 'जो मुझ से, "हे प्रभु! हे प्रभु!" कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है। उस दिन बहुत से लोग मुझ से कहेंगे, "हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत से आश्चर्यकर्म नहीं किए?" तब मैं उनसे खुलकर कह दूँगा, "मैं ने तुम को कभी नहीं जाना। हे कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ"' (मत्ती 7:21-23)। क्या प्रभु के नाम पर भविष्यवाणी करके दुष्टात्माओं को निकालने वाले लोगों के पाप क्षमा नहीं हुए? तो प्रभु क्यों कहेगा कि वह उन्हें नहीं जानता, और उन्हें कुकर्मी कहकर ठुकराएगा? ये वचन बताते हैं कि पाप में जीने वाले सारे लोग, फिर भले ही वो प्रभु के नाम पर सेवा करें, अन्तत: निंदित किए जाएँगे और परमेश्वर के राज्य के अयोग्य हैं।" मेरे प्रश्न के उत्तर में भाई झोउ ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कुछ वचन पढ़े। "तुम लोगों जैसा पापी, जिसे परमेश्वर के द्वारा अभी-अभी छुड़ाया गया है, और जो परिवर्तित नहीं किया गया है, या सिद्ध नहीं बनाया गया है, क्या तुम परमेश्वर के हृदय के अनुसार हो सकते हो? तुम्हारे लिए, तुम जो कि अभी भी पुराने अहम् वाले हो, यह सत्य है कि तुम्हें यीशु के द्वारा बचाया गया था, और कि परमेश्वर द्वारा उद्धार की वजह से तुम्हें एक पापी के रूप में नहीं गिना जाता है, परन्तु इससे यह साबित नहीं होता है कि तुम पापपूर्ण नहीं हो, और अशुद्ध नहीं हो। यदि तुम्हें बदला नहीं गया तो तुम संत जैसे कैसे हो सकते हो? भीतर से, तुम अशुद्धता से घिरे हुए हो, स्वार्थी और कुटिल हो, मगर तब भी तुम यीशु के साथ अवतरण चाहते हो—क्या तुम इतने भाग्यशाली हो सकते हो? तुम परमेश्वर पर अपने विश्वास में एक कदम चूक गए हो: तुम्हें मात्र छुटकारा दिया गया है, परन्तु परिवर्तित नहीं किया गया है। तुम्हें परमेश्वर के हृदय के अनुसार होने के लिए, परमेश्वर को व्यक्तिगत रूप से तुम्हें परिवर्तित और शुद्ध करने का कार्य करना होगा; यदि तुम्हें सिर्फ छुटकारा दिया जाता है, तो तुम पवित्रता को प्राप्त करने में असमर्थ होंगे। इस तरह से तुम परमेश्वर के आशीषों में साझेदारी के अयोग्य होंगे, क्योंकि तुमने मनुष्य का प्रबंधन करने के परमेश्वर के कार्य के एक कदम का सुअवसर खो दिया है, जो कि परिवर्तित करने और सिद्ध बनाने का मुख्य कदम है। और इसलिए तुम, एक पापी जिसे अभी-अभी छुटकारा दिया गया है, परमेश्वर की विरासत को सीधे तौर पर उत्तराधिकार के रूप में पाने में असमर्थ हो" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, पदवियों और पहचान के सम्बन्ध में)। "यद्यपि यीशु ने मनुष्यों के बीच अधिक कार्य किया, फिर भी उसने केवल समस्त मानवजाति की मुक्ति का कार्य पूरा किया और वह मनुष्य की पाप-बलि बना; उसने मनुष्य को उसके समस्त भ्रष्ट स्वभाव से छुटकारा नहीं दिलाया। मनुष्य को शैतान के प्रभाव से पूरी तरह से बचाने के लिए यीशु को न केवल पाप-बलि बनने और मनुष्य के पाप वहन करने की आवश्यकता थी, बल्कि मनुष्य को उसके शैतान द्वारा भ्रष्ट किए गए स्वभाव से मुक्त करने के लिए परमेश्वर को और भी बड़ा कार्य करने की आवश्यकता थी। और इसलिए, अब जबकि मनुष्य को उसके पापों के लिए क्षमा कर दिया गया है, परमेश्वर मनुष्य को नए युग में ले जाने के लिए वापस देह में लौट आया है, और उसने ताड़ना एवं न्याय का कार्य आरंभ कर दिया है। यह कार्य मनुष्य को एक उच्चतर क्षेत्र में ले गया है। वे सब, जो परमेश्वर के प्रभुत्व के अधीन समर्पण करेंगे, उच्चतर सत्य का आनंद लेंगे और अधिक बड़े आशीष प्राप्त करेंगे। वे वास्तव में ज्योति में निवास करेंगे और सत्य, मार्ग और जीवन प्राप्त करेंगे" ("वचन देह में प्रकट होता है" की 'प्रस्तावना')। "मनुष्य को छुटकारा दिए जाने से पहले शैतान के बहुत-से ज़हर उसमें पहले ही डाल दिए गए थे, और हज़ारों वर्षों तक शैतान द्वारा भ्रष्ट किए जाने के बाद मनुष्य के भीतर ऐसा स्थापित स्वभाव है, जो परमेश्वर का विरोध करता है। इसलिए, जब मनुष्य को छुटकारा दिलाया गया है, तो यह छुटकारे के उस मामले से बढ़कर कुछ नहीं है, जिसमें मनुष्य को एक ऊँची कीमत पर खरीदा गया है, किंतु उसके भीतर की विषैली प्रकृति समाप्त नहीं की गई है। मनुष्य को, जो कि इतना अशुद्ध है, परमेश्वर की सेवा करने के योग्य होने से पहले एक परिवर्तन से होकर गुज़रना चाहिए। न्याय और ताड़ना के इस कार्य के माध्यम से मनुष्य अपने भीतर के गंदे और भ्रष्ट सार को पूरी तरह से जान जाएगा, और वह पूरी तरह से बदलने और स्वच्छ होने में समर्थ हो जाएगा। केवल इसी तरीके से मनुष्य परमेश्वर के सिंहासन के सामने वापस लौटने के योग्य हो सकता है। आज किया जाने वाला समस्त कार्य इसलिए है, ताकि मनुष्य को स्वच्छ और परिवर्तित किया जा सके; वचन के द्वारा न्याय और ताड़ना के माध्यम से, और साथ ही शुद्धिकरण के माध्यम से भी, मनुष्य अपनी भ्रष्टता दूर कर सकता है और शुद्ध बनाया जा सकता है। इस चरण के कार्य को उद्धार का कार्य मानने के बजाय यह कहना कहीं अधिक उचित होगा कि यह शुद्धिकरण का कार्य है। वास्तव में यह चरण विजय का और साथ ही उद्धार के कार्य का दूसरा चरण है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, देहधारण का रहस्य (4))। फिर उन्होंने संगति की, "हम बहुत समय से विश्वासी हैं तो एक बात हमें स्पष्ट है। विश्वास पाने के बाद, अगर हम पाप करके प्रभु के सामने उन्हें स्वीकारते और प्रायश्चित करते हैं तो हमें क्षमा किया जा सकता है। लेकिन हम इस बात को नकार नहीं सकते कि हम हर समय झूठ बोलने और पाप करने से खुद को रोक नहीं पाते हैं। हम दिनभर पाप करने और रात को उन्हें स्वीकारने के कुचक्र में जीते हैं, इससे निकल नहीं पाते।"
होस्ट : एकदम सच है। सच्चाई तो यह है कि प्रभु के सभी विश्वासियों की यही हालत है।
गु वेंकिंग : "क्योंकि प्रभु ने केवल छुटकारे का काम किया है, लेकिन अंत के दिनों का न्याय और शुद्धिकरण का काम नहीं किया। हमारे पाप क्षमा हो गए, पर हमारी पापी प्रकृति अब भी मौजूद है। हमारी शैतानी प्रकृति और स्वभाव दूर नहीं हुए हैं, हम लोगों पाप से भी ज्यादा ये चीज़ें समाई हुई हैं। यही चीजें हमारे पाप और परमेश्वर के विरोध की जड़ हैं।" भाई झोउ ने कुछ उदाहरण भी दिए, उन्होंने कहा कि हम अभिमानी, चालाक और दुष्ट हैं, और इन्हीं शैतानी स्वभावों के अनुसार जीते हैं, हमेशा झूठ बोलते, धोखा देते हैं, अपनी ताकत और महत्ता बढ़ाते रहते हैं, दिखावा पसंद करते हैं। नाम और दौलत के लिए लड़ते हैं, हम ईर्ष्यालु और घिनौने हैं। आपदाएँ आने पर या हमारे घर में कोई समस्या होने पर, हम परमेश्वर को गलत समझकर उसे दोष देते हैं, कभी-कभी तो उसे नकारते और धोखा भी देते हैं। खासकर जब परमेश्वर का कार्य हमारी धारणाओं के अनुरूप नहीं होता, तो हम जानबूझकर परमेश्वर का विरोध और निंदा करते हैं। अब चूँकि प्रभु यीशु देह में लौट आया है और अंत के दिनों का न्याय-कार्य करते हुए सत्य व्यक्त कर रहा है, तो बहुत से पुराने विश्वासी अपनी धारणाओं के अनुसार उसे बांध रहे हैं, कह रहे हैं कि वह बाइबल के बाहर नए वचन नहीं बोलेगा या देहधारी होकर नहीं आएगा। उन्हें न तो परमेश्वर का कार्य खोजने में कोई दिलचस्पी है, न ही उसके प्रति समर्पित होने में, उनमें परमेश्वर के प्रति श्रद्धा का भी पूर्ण अभाव है। उनका काम सिर्फ विरोध और निंदा करना है, अड़ियल और अहंकारी बनकर परमेश्वर के विरुद्ध जाना है। परमेश्वर पवित्र है, तो वह अपना विरोध करने वाले शैतान के लोगों को अपने राज्य में कैसे आने दे सकता है? तो इंसानी जरूरतों के आधार पर, प्रभु यीशु के छुटकारे के कार्य की नींव पर हमें पाप से मुक्त करने के लिए परमेश्वर कार्य का एक चरण संपादित कर रहा है, हमारा न्याय करने और भ्रष्ट स्वभाव दूर करने के लिए सत्य व्यक्त कर रहा है। राज्य के युग में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर इंसान को शुद्ध कर बचाने वाले सत्य व्यक्त कर रहा है, उसने अपनी प्रबंधन योजना के सभी रहस्य प्रकट कर दिए हैं, जैसे अपनी प्रबंधन योजना के उद्देश्य, कार्य के तीन चरणों की आंतरिक कहानी, देहधारण के रहस्य, बाइबल संबंधी सत्य और लोगों के भविष्य के गंतव्य। उसने इंसान की भ्रष्टता की सच्चाई, हमारे पाप और परमेश्वर के प्रति हमारे विरोध के मूल को भी उजागर किया है, वह हमें अपना स्वभाव बदलने और पश्चाताप करने का मार्ग भी दिखा रहा है। इससे प्रभु यीशु की यह भविष्यवाणी पूरी होती है : "मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा" (यूहन्ना 16:12-13)। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने हमारी पापी प्रकृति को दूर करने के लिए ये सत्य व्यक्त किए हैं। उसके वचनों का न्याय स्वीकारने वाले लोग शुद्ध किए जा सकते हैं, उन्हें परमेश्वर आपदाओं से बचाएगा और वो उसके राज्य में प्रवेश कर सकेंगे।
होस्ट : क्या भाई झोउ की संगति से आपके प्रश्न का उत्तर मिला?
गु वेंकिंग : उनकी बात सुनकर मुझे चीजें अच्छी तरह समझ आ गयीं। अनुग्रह के युग में, प्रभु यीशु ने केवल छुटकारे का कार्य करके, इंसान को पाप-मुक्त किया। राज्य का युग वो है जब सर्वशक्तिमान परमेश्वर अपने न्याय कार्य के लिए सत्य व्यक्त करता है, यही हमारी पापी प्रकृति को भी दूर करेगा, हमें पाप से बचाकर हमें शुद्ध करेगा। मैंने विचार किया कि बरसों एक विश्वासी रहने के बाद भी मैं पाप के कब्जे में हूँ। खासकर हाल के वर्षों में, मैं किसी अविश्वासी की तरह और भ्रष्ट हो गया। टीवी और फिल्में देखता था, ताश खेलता था। आवारगी करता था, और पाप में जी रहा था। फिर समझा कि मैं परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने के कतई योग्य नहीं हूँ।
होस्ट : उन्हें अपने हालात से जोड़कर, आपको ज़रूर प्रेरणा मिली होगी, विचार करने को प्रेरित हुए होंगे।
गु वेंकिंग : वो तो है। सोचता हूँ तो लगता है कि पाप में जीने के वो दिन सच में पीड़ादायी थे, और निकलने का कोई रास्ता नहीं सूझता था। आखिरकार समझ आया कि मुझे अंत के दिनों के परमेश्वर के न्याय-कार्य को स्वीकारना होगा ताकि पाप के बंधन से मुक्त होकर शुद्ध हो जाऊँ और बचाया जा सकूँ। मैं सोच रहा था कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन हमारे पाप करने और उसे स्वीकारने के दुष्चक्र के मूल को उजागर करते हैं और परमेश्वर के कार्य की आंतरिक कहानी दिखाते हैं, शुद्ध होने और राज्य में प्रवेश करने का मार्ग प्रकट करते हैं। केवल परमेश्वर ही अपने कार्य को इतने स्पष्ट रूप से समझा सकता है, और केवल परमेश्वर ही मानवजाति को पाप से बचा सकता है। उस समय, मुझे और भी यकीन हो गया कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन सत्य और परमेश्वर की वाणी हैं। अगले कुछ दिन तक, मैं बेसब्री से परमेश्वर के वचन आत्मसात करता रहा, मुझे यकीन हो गया कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही लौटकर आया प्रभु यीशु है।
होस्ट : आपमें प्रभु का स्वागत करने का बहुत जोश रहा होगा।
गु वेंकिंग : बहुत जोश था। लेकिन मेरे अंदर पछतावा भी बहुत था। मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि जिस सर्वशक्तिमान परमेश्वर की मैं बरसों तक निंदा और विरोध करता रहा दरअसल वही प्रभु यीशु था जिसके लिए मैं तड़प रहा था, और जिस वचन देह में प्रकट होता है की मैं निंदा करता था, वो परमेश्वर के वचन हैं। मुझे खुद से नफरत थी कि मैं मूर्ख और अंधा था, इतने दिन तक प्रकाश भी नहीं देख पाया। मैं वचन देह में प्रकट होता है को सीने से लगाए सिसक पड़ा।
होस्ट : आपने कभी सोचा भी नहीं था कि आप प्रभु का इस तरह स्वागत करेंगे, है ना?
गु वेंकिंग : हाँ, यह मेरे लिए हैरानी की बात थी। मुझे खुद से नफरत होने लगी कि मुझे परमेश्वर में आस्था तो थी, पर मैं उससे अनजान था, मैं अहंकारी और विद्रोही था, और अपनी धारणाओं के कारण मैंने उसे सीमित कर दिया था, विश्वास नहीं किया कि परमेश्वर देह में कार्य करने के लिए लौटेगा। सबसे खराब बात तो यह थी, मैंने ईशनिंदा करने वाली सामग्री से भाई-बहनों को गुमराह किया, उन्हें परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को जाँचने से रोका। मैंने जो कुकर्म किए, उनके आधार पर तो मैं परमेश्वर के दण्ड का भागी हूँ। पर वह मेरे अपराधों के अनुसार मुझसे पेश नहीं आया, उसने मुझ पर दया की। उसकी कृपा से मैं उसकी वाणी सुन पाया और अंत के दिनों का उद्धार प्राप्त कर पाया। उसके प्रेम की कोई सीमा नहीं!
उसके बाद मैं उन भाई-बहनों के साथ नियमित सभाएँ करने लगा। सभी लोग भजन गाते थे, परमेश्वर की स्तुति करते थे और उसके वचनों पर संगति करते थे। उस प्रकार के कलीसियाई जीवन से मैं पवित्र आत्मा के कार्य से प्राप्त होने वाला आनंद खोज पाया, और प्रभु की उपस्थिति से प्राप्त होने वाला सुकून हासिल कर पाया। मुझे याद है एक बार मैंने परमेश्वर के वचन सुने जो वाकई बहुत प्रेरक थे : "इस बार परमेश्वर कार्य करने के लिए आध्यात्मिक देह में नहीं, बल्कि बहुत ही साधारण शरीर में आया है। इसके अलावा, यह न केवल परमेश्वर के दूसरे देहधारण का शरीर है, बल्कि यह वह शरीर भी है, जिसके द्वारा वह देह में लौटकर आया है। यह एक बिलकुल साधारण देह है। तुम ऐसा कुछ नहीं देख सकते, जो इसे दूसरों से अलग करता हो, लेकिन तुम उससे पूर्व में अनसुने सत्य प्राप्त कर सकते हो। यह तुच्छ देह परमेश्वर से आए सत्य के समस्त वचनों का मूर्त रूप है, जो अंत के दिनों में परमेश्वर का काम करता है, और मनुष्य के समझने के लिए परमेश्वर के संपूर्ण स्वभाव को अभिव्यक्त करता है। क्या तुम स्वर्ग के परमेश्वर को देखने की प्रबल अभिलाषा नहीं करते? क्या तुम स्वर्ग के परमेश्वर को समझने की प्रबल अभिलाषा नहीं करते? क्या तुम मानवजाति का गंतव्य जानने की प्रबल अभिलाषा नहीं करते? वह तुम्हें ये सभी रहस्य बताएगा—वे रहस्य, जो कोई मनुष्य तुम्हें नहीं बता पाया है, और वह तुम्हें वे सत्य भी बताएगा, जिन्हें तुम नहीं समझते। वह राज्य में जाने का तुम्हारा द्वार है, और नए युग में जाने के लिए तुम्हारा मार्गदर्शक है। ऐसा साधारण देह अनेक अथाह रहस्य समेटे हुए है। उसके कर्म तुम्हारे लिए गूढ़ हो सकते हैं, लेकिन उसके द्वारा किए जाने वाले कार्य का संपूर्ण लक्ष्य तुम्हें इतना समझाने के लिए पर्याप्त है कि वह कोई साधारण देह नहीं है, जैसा कि लोग मानते हैं। क्योंकि वह परमेश्वर की इच्छा और अंत के दिनों में मानवजाति के प्रति परमेश्वर द्वारा दिखाई गई परवाह को दर्शाता है। यद्यपि तुम उसके द्वारा बोले गए उन वचनों को नहीं सुन सकते जो आकाश और पृथ्वी को कँपाते-से लगते हैं, यद्यपि तुम आग की लपटों जैसी उसकी आँखें नहीं देख सकते, और यद्यपि तुम उसके लौह-दंड का अनुशासन नहीं पा सकते, फिर भी तुम उसके वचनों से यह सुन सकते हो कि परमेश्वर कुपित है, और यह जान सकते हो कि परमेश्वर मानवजाति पर दया दिखा रहा है; तुम परमेश्वर का धार्मिक स्वभाव और उसकी बुद्धि देख सकते हो, और इतना ही नहीं, समस्त मानवजाति के लिए परमेश्वर की परवाह महसूस कर सकते हो। अंत के दिनों में परमेश्वर के काम का उद्देश्य स्वर्ग के परमेश्वर को मनुष्यों के बीच पृथ्वी पर रहते हुए दिखाना और उन्हें परमेश्वर को जानने, उसकी आज्ञा मानने, उसके प्रति श्रद्धा रखने और उससे प्रेम करने में सक्षम बनाना है। यही कारण है कि वह दूसरी बार देह में लौटकर आया है। यद्यपि आज मनुष्य देखता है कि परमेश्वर मनुष्य के ही समान है, उसकी एक नाक और दो आँखें हैं और वह एक साधारण परमेश्वर है, लेकिन अंत में परमेश्वर तुम लोगों को दिखाएगा कि अगर यह मनुष्य नहीं होता तो स्वर्ग और पृथ्वी एक जबरदस्त बदलाव से गुजरते; अगर यह मनुष्य नहीं होता तो स्वर्ग धुँधला जाता, पृथ्वी पर उथल-पुथल मच जाती, और समस्त मानवजाति अकाल और महामारियों के बीच जीती। वह तुम लोगों को दिखाएगा कि यदि अंत के दिनों में देहधारी परमेश्वर तुम लोगों को बचाने के लिए न आया होता, तो परमेश्वर ने समस्त मानवजाति को बहुत पहले ही नरक में नष्ट कर दिया होता; यदि यह देह नहीं होता तो तुम लोग सदैव कट्टर पापी होते, और तुम हमेशा के लिए लाश बन जाते। तुम लोगों को यह जानना चाहिए कि यदि यह देह न होता, तो समस्त मानवजाति को एक अनिवार्य आपदा का सामना करना पड़ता, और अंत के दिनों में मानवजाति का परमेश्वर द्वारा दिए जाने वाले और भी कठोर दंड से बच पाना कठिन होता। यदि इस साधारण देह का जन्म न हुआ होता, तो तुम सबकी ऐसी हालत होती कि तुम लोग जीवन की भीख माँगते लेकिन जी न पाते और मरने की प्रार्थना करते लेकिन मर न पाते; यदि यह देह न होता, तो तुम लोग सत्य प्राप्त न कर पाते और आज परमेश्वर के सिंहासन के सामने न आ पाते, बल्कि अपने जघन्य पापों के लिए परमेश्वर द्वारा दंडित किए जाते। क्या तुम लोग जानते थे कि यदि परमेश्वर वापस देह में लौटा न होता, तो किसी को भी उद्धार का अवसर न मिलता; और यदि इस देह का आगमन न होता, तो परमेश्वर ने बहुत पहले ही पुराने युग को समाप्त कर दिया होता? ऐसा होने से, क्या तुम लोग अभी भी परमेश्वर के दूसरे देहधारण को नकार सकते हो? जब तुम लोग इस साधारण मनुष्य से इतने सारे लाभ प्राप्त कर सकते हो, तो तुम लोग उसे प्रसन्नतापर्वूक स्वीकार क्यों नहीं करोगे?" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, क्या तुम जानते थे? परमेश्वर ने मनुष्यों के बीच एक महान काम किया है)। मुझे यह भाग याद है : "यदि इस साधारण देह का जन्म न हुआ होता, तो तुम सबकी ऐसी हालत होती कि तुम लोग जीवन की भीख माँगते लेकिन जी न पाते और मरने की प्रार्थना करते लेकिन मर न पाते; यदि यह देह न होता, तो तुम लोग सत्य प्राप्त न कर पाते और आज परमेश्वर के सिंहासन के सामने न आ पाते, बल्कि अपने जघन्य पापों के लिए परमेश्वर द्वारा दंडित किए जाते।" यह सुनकर मुझे बहुत प्रेरणा मिली। मैंने उन दिनों को याद किया जब मैं प्रभु से वंचित था। कलीसिया सूनी हो गयी थी और भाई-बहनों का विश्वास कम हो रहा था। उपदेशों से कोई प्रेरित नहीं हो रहा था, ईर्ष्या और अंतर्कलह का बोलबाला था। हर कोई पाप में जी रहा था, बचने का कोई मार्ग न था, सब चलती-फिरती लाश जैसे जी रहे थे। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों ने मुझे फिर से जीवित कर दिया, और परमेश्वर के निकट होने का आनन्द पुन: प्रदान किया। मैंने परमेश्वर के कार्य की एक बुनियादी समझ भी प्राप्त की। अगर परमेश्वर ने देहधारण कर वचन न बोले होते, बाइबल और अपने देहधारण के रहस्य उजागर न किए होते, तो मैं अभी भी अपनी धारणाओं पर अड़ा रहता। क्या पता मैंने परमेश्वर के विरुद्ध कितनी दुष्टता कर डाली होती। परमेश्वर का देहधारण हमारे लिए कितना अमूल्य रहा है!
होस्ट : हाँ। आपकी कुछ उलझी हुई भावनाएँ भी रही होंगी।
गु वेंकिंग : हाँ थीं। मैंने बरसों पहले प्रभु के लौटने और नए कार्य करने के बारे में सुना था, लेकिन मैं अपनी धारणाओं को लेकर अड़ियल बना रहा, खोज और जाँच करने से इनकार करता रहा। उन पाँच सालों में, इतने सारे भाई-बहनों ने संगति साझा की और मुझसे जांच करने का आग्रह किया, लेकिन मैं बात अनसुनी करता रहा। मैंने खोज और जाँच को तो नकारा ही, उसका विरोध और निंदा भी की। मैंने औरों को भी गुमराह किया और उनके लिए बाधा खड़ी की, इस तरह उन्होंने प्रभु का स्वागत करने का मौका गँवा दिया। क्या मैं विश्वासी कहलाने लायक भी हूँ? क्या मैं फरीसियों की तरह परमेश्वर का विरोध नहीं कर रहा, उसे फिर से सूली पर नहीं चढ़ा रहा था? एक विश्वासी के रूप में मैंने बरसों परमेश्वर के अनुग्रह का आनंद उठाया, लेकिन जब प्रभु लौट आया, तो मैंने उसे नहीं पहचाना। पूरे पांच साल पागलों की तरह उससे लड़ता रहा। पाँच साल तक, मैंने अक्षम्य कुकर्म किए। मैं बहुत विद्रोही हूँ।
होस्ट : अपने कुकर्मों को याद करना बेहद पीड़ादायी होता है।
गु वेंकिंग : जब मैंने अपने अनगिनत पापों के बारे में सोचा, और परमेश्वर की दया और सहनशीलता को देखा, तो लगा कहाँ मुँह छिपाऊँ, परमेश्वर का सामना कैसे करूँ। मैंने परमेश्वर के वचनों की पुस्तक ली, घुटने टेके और रोते हुए प्रार्थना की। मैंने कहा, "सर्वशक्तिमान परमेश्वर! मेरे इतने विद्रोही और उद्दंड होने के बावजूद तूने मुझपर कभी प्रहार नहीं किया। तूने मुझे पश्चाताप करने का मौका दिया। समझ नहीं आता तेरी दया का प्रतिदान कैसे दूँ। सर्वशक्तिमान परमेश्वर, मैं और कुछ नहीं चाहता सिवाय इसके कि मैं अपना शेष जीवन तेरा प्रेम चुकाने में खपाऊँ, उन लोगों को तेरे सामने लाने में लगाऊँ जिन्हें मैंने तुझसे दूर रखा, जो अब तक तेरे सामने नहीं आए हैं, उन्हें तेरे घर में वापस ले आऊँ, तुझे थोड़ा सुख दूँ।" अब भी, जब मैं परमेश्वर से लड़ने के समय को याद करता हूँ, तो मेरे सीने में खंजर-सा चुभता है। ये वचन मुझे प्रभावित करते हैं : "ऐसे भी लोग हैं जो बड़ी-बड़ी कलीसियाओं में दिन-भर बाइबल पढ़ते रहते हैं, फिर भी उनमें से एक भी ऐसा नहीं होता जो परमेश्वर के कार्य के उद्देश्य को समझता हो। उनमें से एक भी ऐसा नहीं होता जो परमेश्वर को जान पाता हो; उनमें से परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप तो एक भी नहीं होता। वे सबके सब निकम्मे और अधम लोग हैं, जिनमें से प्रत्येक परमेश्वर को सिखाने के लिए ऊँचे पायदान पर खड़ा रहता है। वे लोग परमेश्वर के नाम का झंडा उठाकर, जानबूझकर उसका विरोध करते हैं। वे परमेश्वर में विश्वास रखने का दावा करते हैं, फिर भी मनुष्यों का माँस खाते और रक्त पीते हैं। ऐसे सभी मनुष्य शैतान हैं जो मनुष्यों की आत्माओं को निगल जाते हैं, ऐसे मुख्य राक्षस हैं जो जानबूझकर उन्हें विचलित करते हैं जो सही मार्ग पर कदम बढ़ाने का प्रयास करते हैं और ऐसी बाधाएँ हैं जो परमेश्वर को खोजने वालों के मार्ग में रुकावट पैदा करते हैं। वे 'मज़बूत देह' वाले दिख सकते हैं, किंतु उसके अनुयायियों को कैसे पता चलेगा कि वे मसीह-विरोधी हैं जो लोगों से परमेश्वर का विरोध करवाते हैं? अनुयायी कैसे जानेंगे कि वे जीवित शैतान हैं जो इंसानी आत्माओं को निगलने को तैयार बैठे हैं?" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर को न जानने वाले सभी लोग परमेश्वर का विरोध करते हैं)। परमेश्वर के वचन मेरा एकदम सही वर्णन करते हैं। मैं भाई-बहनों से परमेश्वर का अनुसरण करवाने के बजाय, उनसे पत्रों-सिद्धांतों और धारणाओं का पालन करवा रहा था। मैंने अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य का विरोध और बाइबल का उत्कर्ष किया। मुझसे गुमराह हुए भाई-बहन तर्कहीन बनकर बाइबल के शब्द मात्र से चिपके हुए थे उन्होंने अंत के दिनों के परमेश्वर के कार्य को स्वीकारने की हिम्मत नहीं की। मैंने उनका इतना नुकसान किया, उन पर तबाही ले आया। फरीसियों ने शास्त्रों से चिपके रहकर प्रभु को सूली पर चढ़ाने का जघन्य पाप किया। मैंने भी सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की निंदा करते हुए, बाइबल से चिपके रहकर, परमेश्वर को फिर से सूली पर चढ़ा दिया था। मैं आधुनिक-फरीसी की भूमिका निभा रहा था। हजार बार मरकर भी मैं अपने पापों की भरपाई नहीं कर सकता।
होस्ट : यह चीज हमेशा आपका पीछा करेगी।
गु वेंकिंग : हाँ। अब मैं केवल यही चाहता हूँ कि जी-जान से सत्य की खोज करूँ, अपना कर्तव्य निभाऊँ और सुसमाचार साझा करूँ ताकि परमेश्वर का ऋण चुका सकूँ।
परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?