अब मैं असली मसीह को झूठे मसीहों से अलग पहचान सकती हूँ

28 अक्टूबर, 2020

सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "देहधारी हुए परमेश्वर को मसीह कहा जाता है, और इसलिए वह मसीह जो लोगों को सत्य दे सकता है परमेश्वर कहलाता है। इसमें कुछ भी अतिशयोक्ति नहीं है, क्योंकि वह परमेश्वर का सार धारण करता है, और अपने कार्य में परमेश्वर का स्वभाव और बुद्धि धारण करता है, जो मनुष्य के लिए अप्राप्य हैं। वे जो अपने आप को मसीह कहते हैं, परंतु परमेश्वर का कार्य नहीं कर सकते हैं, धोखेबाज हैं। मसीह पृथ्वी पर परमेश्वर की अभिव्यक्ति मात्र नहीं है, बल्कि वह विशेष देह भी है जिसे धारण करके परमेश्वर मनुष्य के बीच रहकर अपना कार्य करता और पूरा करता है। यह देह किसी भी आम मनुष्य द्वारा उसके बदले धारण नहीं की जा सकती है, बल्कि यह वह देह है जो पृथ्वी पर परमेश्वर का कार्य पर्याप्त रूप से संभाल सकती है और परमेश्वर का स्वभाव व्यक्त कर सकती है, और परमेश्वर का अच्छी तरह प्रतिनिधित्व कर सकती है, और मनुष्य को जीवन प्रदान कर सकती है। जो मसीह का भेस धारण करते हैं, उनका देर-सवेर पतन हो जाएगा, क्योंकि वे भले ही मसीह होने का दावा करते हैं, किंतु उनमें मसीह के सार का लेशमात्र भी नहीं है। और इसलिए मैं कहता हूँ कि मसीह की प्रामाणिकता मनुष्य द्वारा परिभाषित नहीं की जा सकती, बल्कि स्वयं परमेश्वर द्वारा ही इसका उत्तर दिया और निर्णय लिया जा सकता है। इस तरह, यदि तुम जीवन का मार्ग सचमुच खोजना चाहते हो, तो पहले तुम्हें यह स्वीकार करना होगा कि पृथ्वी पर आकर ही परमेश्वर मनुष्य को जीवन का मार्ग प्रदान करने का कार्य करता है, और तुम्हें स्वीकार करना होगा कि अंत के दिनों के दौरान ही वह मनुष्य को जीवन का मार्ग प्रदान करने के लिए पृथ्वी पर आता है। यह अतीत नहीं है; यह आज हो रहा है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है)। परमेश्वर की बात बहुत अच्छी है। कुछ ही शब्दों में वह हमें झूठे मसीहों से अलग सच्चे मसीह को पहचानने का सिद्धांत बता देता है : ये सत्य व्यक्त कर इंसान को बचाने का कार्य कर सकते हैं या नहीं? यही है मुख्य सिद्धांत। मेरी पिछली आस्था में, पादरी और एल्डर हमें झूठे मसीहों से हमेशा सतर्क रखते थे, मगर वे कभी भी पहचान करने का सिद्धांत नहीं बताते। वे प्रभु की सारी गवाहियों को नकली बता कर उनकी निंदा करते, हमें बताते कि उसके साथ कोई नाता न रखें। इसलिए प्रभु के वापस आने के बारे में सुनकर भी मैंने उस पर गौर करने का साहस नहीं किया। मैंने अंत के दिनों के मसीह को लगभग ठुकरा ही दिया था और प्रभु का स्वागत करने का मौक़ा चूक ही गयी थी।

1996 में, यीशु में विश्वास रखने के बाद, किसी भी समस्या के आने पर मैं हमेशा उससे प्रार्थना करती, इस तरह मैं बहुत-सी मुश्किलों से उबर पायी। प्रभु का साथ पाना कमाल की बात थी, इससे मुझे सुकून और आनंद मिला। कुछ साल बाद, मुझे एहसास हुआ कि पादरी वर्ग के पास न बताने को कुछ नया है, न ही उनके धर्मोपदेशों में कोई रोशनी है। सेवाओं में आने वालों की संख्या घटने लगी, कुछ लोग तो धर्मोपदेशों के दौरान सो भी जाते। मुझे इससे कुछ भी नहीं मिला, मैंने कोई आध्यात्मिक आनंद भी महसूस नहीं किया। अब न चाहते हुए भी, अपराध-बोध के चलते मैं वहां मजबूरन जाया करती।

एक सभा में, एल्डर शू ने कहा, "प्रभु यीशु ने हमें आगाह किया : 'उस समय यदि कोई तुम से कहे, "देखो, मसीह यहाँ है!" या "वहाँ है!" तो विश्‍वास न करना। क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्‍ता उठ खड़े होंगे, और बड़े चिह्न, और अद्भुत काम दिखाएँगे कि यदि हो सके तो चुने हुओं को भी भरमा दें' (मत्ती 24:23-24)। प्रभु की वापसी की ज़्यादातर भविष्यवाणियाँ पूरी हो चुकी हैं और वह हमारे लिए जल्दी ही आयेगा, लेकिन हमें धोखा देने के लिए झूठे मसीह भी प्रकट होंगे। हमें चौकस रहना होगा, ऐसी कोई ख़बर स्वीकार नहीं करनी चाहिए कि प्रभु वापस आ गया है। चमकती पूर्वी बिजली गवाही दे रही है कि प्रभु वापस आकर नया कार्य कर रहा है, बहुत-सी कलीसियाओं के अनेक सच्चे विश्वासियों ने उसे स्वीकार कर लिया है। पुराने अनुभवी प्रचारकों को भी चमकती पूर्वी बिजली ने चुरा लिया है। तुम लोग जीवन में अभी परिपक्व नहीं हो, इसलिए अजनबियों से दूर रहो, ताकि चमकती पूर्वी बिजली से धोखा खाने से बच सको।"

जब मैंने सुना, चमकती पूर्वी बिजली कह रही है कि प्रभु वापस आ गया है, और अनेक पुराने अनुभवी प्रचारकों ने चमकती पूर्वी बिजली को स्वीकार कर लिया है, तो मैं चौंक कर सोचने लगी, "ये प्रचारक बाइबल को समझते हैं और अपने मन को भी जानते हैं। उनके लिए चमकती पूर्वी बिजली को स्वीकार करना आसान नहीं है। क्या चमकती पूर्वी बिजली में खोजने के लिए सत्य हो सकता है? मैं वर्षों से प्रभु के आगमन के लिए तड़पती रही हूँ। अगर वह सच में वापस आ चुका है और मैं खोज या जांच-पड़ताल न करूं, ऐसे में अगर वह मुझे त्याग दे तो मैं क्या करूंगी?" लेकिन मुझे एल्डर शू की इस बात को लेकर चिंता थी कि अंत के दिनों में झूठे मसीह प्रकट होंगे—मैं धोखा नहीं खा सकती थी! मैं थोड़ी पशोपेश में थी, समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं, इसलिए मैंने मन-ही-मन प्रार्थना की : "अगर चमकती पूर्वी बिजली की कलीसिया का कोई व्यक्ति मेरे सामने प्रचार करे, तो क्या मुझे उसकी बातें सुननी चाहिये? प्रभु यीशु, मुझे प्रबुद्ध करो, मेरा मार्गदर्शन करो।" फिर मैंने बाइबल के इस अंश को याद किया : "क्योंकि उसने आप ही कहा है, 'मैं तुझे कभी न छोड़ूँगा, और न कभी तुझे त्यागूँगा।' इसलिये हम निडर होकर कहते हैं, 'प्रभु मेरा सहायक है, मैं न डरूँगा; मनुष्य मेरा क्या कर सकता है'" (इब्रानियों 13:5-6)। मेरे दिल में तुरंत सुकून महसूस हुआ। जब प्रभु मेरे साथ है तो मुझे कैसी फ़िक्र। अगर मैं प्रभु से अक्सर प्रार्थना करूं, तो वह झूठे मसीहों को पहचानने के लिये मुझे राह दिखाएगा। सुनने में कोई नुकसान नहीं है।

एक दिन एक सभा में, एल्डर शू फिर से चमकती पूर्वी बिजली से सतर्क रहने के तरीके बताते रहे, बार-बार इस पर ज़ोर देते रहे कि झूठे मसीह लोगों को धोखा देते हैं, वे हमसे अजनबियों से दूर रहने को कहते रहे। तब बहन कियान बोली, "एल्डर शू, आप हमें अजनबियों से दूर रहने को क्यों कहते हैं? आप हमेशा कहते हैं कि प्रभु जल्दी ही हमारे लिए आयेगा, एक तरह से वह दरवाज़े पर कदम रख चुका है। चमकती पूर्वी बिजली गवाही दे रही है कि वह वापस आ चुका है और सत्य व्यक्त कर रहा है। क्या यही प्रभु की इच्छा है कि हम उनकी बात न सुनें और उसे न खोजें? बाइबल में कहा गया है, 'अत: विश्‍वास सुनने से और सुनना मसीह के वचन से होता है' (रोमियों 10:17)।यह तय करने के लिए कि क्या चमकती पूर्वी बिजली प्रभु की वापसी है, हमें पहले उसके धर्मोपदेशों को सुनना होगा। अगर हम न सुनें और उससे दूर रहें, तो कैसे जान पायेंगे कि चमकती पूर्वी बिजली सच्ची है या नहीं? अगर यह वास्तव में प्रभु की वापसी है, फिर क्या आप हमें प्रभु की तरफ मुड़ने से रोक नहीं रहे हैं?" फिर बहन ज़ॉन्ग ने कहा, "प्रभु यीशु ने कहा था, 'माँगो, तो तुम्हें दिया जाएगा; ढूँढ़ो तो तुम पाओगे; खटखटाओ, तो तुम्हारे लिये खोला जाएगा' (मत्ती 7:7)। प्रभु चाहता है कि हम और अधिक प्रार्थना करें और उन चीज़ों को खोजें जिन्हें हम नहीं समझते। अगर हम खुले दिल से खोजते हैं, तो वह हमारी प्रार्थनाएं सुन कर हमें रास्ता दिखायेगा।हमने प्रभु की वापसी का सुसमाचार सुना है, लेकिन उस पर गौर नहीं कर रहे हैं, हम प्रार्थना के जरिये प्रभु की इच्छा को नहीं खोज रहे हैं। यह उसकी शिक्षाओं के विरुद्ध है, तो हम उसका स्वागत कैसे कर पायेंगे?"

एल्डर शू इन दो बहनों की बातों से चकरा गये और उनकी बोलती बंद हो गयी। मुझे लगा कि बहनों की बातें सही हैं, हमें खुद चमकती पूर्वी बिजली पर गौर करना चाहिए। मुझे आश्चर्य भी हुआ। बहन ज़ॉन्ग हमेशा बेहद दब्बू बनी रहती थी, बड़ी मुश्किल से मुंह खोलती थी, फिर भी उसने एल्डर से बहस करने की हिम्मत जुटायी। उसके पास बाइबल का पक्का सबूत भी था, ताकि कोई भी उसकी बात काट न सके। ज़बरदस्त! इन दो बहनों को इतने अच्छे विचार और ऐसी गहरी समझ कैसे मिली? क्या ये चमकती पूर्वी बिजली को स्वीकार कर चुकी हैं? प्रभु का आना बहुत बड़ी बात है, मैं इस बारे में स्पष्ट जानना चाहती थी, इसलिए मैंने उनसे पूछने का फैसला किया।

अगले दिन, मैंने बहन ज़ॉन्ग से पूछ लिया कि क्या उसने चमकती पूर्वी बिजली को स्वीकार कर लिया है। उसने हामी भर कर कहा, "प्रभु सर्वशक्तिमान परमेश्वर के रूप में वापस आ गया है। वह हमें शुद्ध कर बचाने वाले समस्त सत्य को व्यक्त करता है, हमारी पापी प्रकृति को जड़ से ख़त्म करने, हमारी भ्रष्टता को शुद्ध करने और सदा के लिए हमें पाप से बचाने के लिए न्याय का कार्य करता है।" उसकी यह बात सुनकर, मुझे लगा कि मुझे चमकती पूर्वी बिजली की बातें सुननी चाहिए। उसने मेरे लिए सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया से संगति पाने की व्यवस्था की।

जब वह दिन आया, तो मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया से आये भाई को अपनी तमाम उलझनों के बारे में बताया। "प्रभु यीशु ने कहा था, 'उस समय यदि कोई तुम से कहे, "देखो, मसीह यहाँ है!" या "वहाँ है!" तो विश्‍वास न करना। क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्‍ता उठ खड़े होंगे, और बड़े चिह्न, और अद्भुत काम दिखाएँगे कि यदि हो सके तो चुने हुओं को भी भरमा दें' (मत्ती 24:23-24)। एल्डर शू कहते हैं कि अंत के दिनों में प्रभु के वापस आने पर झूठे मसीह प्रकट होंगे, प्रभु के आगमन की तमाम ख़बरें झूठी हैं, और हमें कोई खोज नहीं करनी चाहिए। मुझे नहीं लगता कि इतनी अधिक सतर्कता प्रभु की इच्छा के अनुरूप है। क्या होगा अगर हम इस पर गौर न करें, उसका स्वागत न करें और फिर प्रभु हमें त्याग दे? मगर मैं धोखा खाने से भी डरती हूँ। जब कोई व्यक्ति प्रभु की वापसी का प्रचार करता है, तो हमें क्या करना चाहिए? मैं इस बात को समझना चाहती हूँ।"

भाई ने मुस्करा कर कहा, "हम सभी भटकने और झूठे मसीहों से धोखा खाने से डरते हैं। ऐसी चिंता करना सामान्य है। लेकिन सिर्फ डर से क्या फायदा? क्या डर हमारी समस्याएँ सुलझा सकता है? इसे समझने और यह जानने के लिए कि क्या करें, हमें इन वचनों के पीछे प्रभु की इच्छा को समझना होगा। उसने ये वचन इसलिए कहे ताकि हम झूठे मसीहों की पहचान कर सकें और धोखा न खायें। उसने ये वचन इसलिए नहीं कहे कि हम हर चीज़ से सतर्क हो जाएं और प्रभु की वापसी को भी ठुकरा दें। वह सिर्फ यह नहीं कहता कि अंत के दिनों में झूठे मसीह प्रकट होंगे, वह हमें यह भी बताता है कि झूठे मसीहों की पहचान कैसे करें। प्रभु ने कहा, 'क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्‍ता उठ खड़े होंगे, और बड़े चिह्न, और अद्भुत काम दिखाएँगे कि यदि हो सके तो चुने हुओं को भी भरमा दें' (मत्ती 24:24)। प्रभु के वचन स्पष्ट हैं। झूठे मसीह लोगों को धोखा देने के लिए ख़ास तौर से संकेतों और चमत्कारों पर भरोसा करते हैं। अब हम झूठे मसीहों की बानगी को जानते हैं, इसलिए हमें बस सावधान रहना होगा, फिर हम धोखा नहीं खायेंगे। अगर हम इस पद को संदर्भ से बाहर करके प्रभु के वचनों का ग़लत अर्थ निकालें, प्रभु के आगमन की तमाम ख़बरों को झूठा बताकर बिल्कुल भी खोज न करें, तो क्या हम प्रभु की वापसी को नकार कर उसकी निंदा नहीं करेंगे?"

इससे मुझे झटका लगा। "यह सच है, है न?" मैंने सोचा। "प्रभु ने अपने आने की भविष्यवाणी की, लेकिन हमने इस पद को संदर्भ से हटा कर देखा, उसके आने की सभी ख़बरों को झूठा बता कर निंदा करते रहे। प्रभु की वापसी की निंदा करते रहे।"

भाई ने अपनी संगति जारी रखी : "प्रभु यीशु ने हमें बताया, 'आधी रात को धूम मची : "देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो"' (मत्ती 25:6)। 'देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा और वह मेरे साथ' (प्रकाशितवाक्य 3:20)। हम देख सकते हैं कि जब प्रभु वापस आएगा, तो कुछ लोग उसकी वाणी को पहले सुन कर उसका प्रचार करेंगे, उसकी गवाही देंगे। यही प्रभु का हमारे दरवाज़े पर दस्तक देना है। अगर हम पादरियों की बातें सुनें, और प्रभु के वापस आने की गवाही देने वाले हर किसी को दूर रखें, अपनी आँखें और कान न खोलें, तो क्या हम उसकी वाणी को सुनकर उसका स्वागत कर पायेंगे? क्या यह सतर्क रहने के फेर में खुद अपना ही नुकसान करना नहीं होगा?"

उसे सुनकर मुझे लगा कि उसकी बातें बाइबल और प्रभु की इच्छा के अनुरूप हैं। यानी प्रभु हमें बता रहा है कि झूठे मसीह मुख्य रूप से संकेत और चमत्कार दिखा कर लोगों को धोखा देते हैं, हमें झूठे मसीहों को ज़रूर पहचानना चाहिए, लेकिन हर किसी के प्रति निष्क्रिय और सतर्क नहीं हो जाना चाहिए। प्रभु के वचन इतने स्पष्ट हैं—मैं इन्हें पहले क्यों नहीं समझ पायी? पादरी और एल्डर ने यह पद कई बार पढ़ा था, लेकिन उन्होंने न केवल इस सिद्धांत का ज़िक्र नहीं किया, बल्कि उन्होंने इस पद को तोड़-मरोड़ कर और यह कह कर कि प्रभु के वापस आने की सभी ख़बरें झूठी हैं, बाइबल का ग़लत अर्थ पेश किया। अब ऐसा लग रहा था कि उन्होंने बाइबल को बिल्कुल भी नहीं समझा है। फिर भी उन्होंने हमें अजनबियों से दूर रहने को कहा, हमें प्रभु की वापसी के सुसमाचार को खोजने नहीं दिया। अगर वह सच में वापस आ चुका है, तो क्या मैं उसके सामने दरवाज़ा बंद नहीं कर रही हूँ? यह बहुत खतरनाक है!

फिर भाई ने एक क़िताब उठा कर कहा, "आओ, हम इस बात को समझने और झूठे मसीह लोगों को धोखा कैसे देते हैं, यह जानने के लिए सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़ें।" सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "यदि वर्तमान समय में ऐसा कोई व्यक्ति उभरे, जो चिह्न और चमत्कार प्रदर्शित करने, दुष्टात्माओं को निकालने, बीमारों को चंगा करने और कई चमत्कार दिखाने में समर्थ हो, और यदि वह व्यक्ति दावा करे कि वह यीशु है जो आ गया है, तो यह बुरी आत्माओं द्वारा उत्पन्न नकली व्यक्ति होगा, जो यीशु की नकल उतार रहा होगा। यह याद रखो! परमेश्वर वही कार्य नहीं दोहराता। कार्य का यीशु का चरण पहले ही पूरा हो चुका है, और परमेश्वर कार्य के उस चरण को पुनः कभी हाथ में नहीं लेगा। ... मनुष्य की धारणाओं के अनुसार, परमेश्वर को सदैव चिह्न और चमत्कार दिखाने चाहिए, सदैव बीमारों को चंगा करना और दुष्टात्माओं को निकालना चाहिए, और सदैव ठीक यीशु के समान होना चाहिए। परंतु इस बार परमेश्वर इसके समान बिल्कुल नहीं है। यदि अंत के दिनों के दौरान, परमेश्वर अब भी चिह्नों और चमत्कारों को प्रदर्शित करे, और अब भी दुष्टात्माओं को निकाले और बीमारों को चंगा करे—यदि वह बिल्कुल यीशु की तरह करे—तो परमेश्वर वही कार्य दोहरा रहा होगा, और यीशु के कार्य का कोई महत्व या मूल्य नहीं रह जाएगा। इसलिए परमेश्वर प्रत्येक युग में कार्य का एक चरण पूरा करता है। ज्यों ही उसके कार्य का प्रत्येक चरण पूरा होता है, बुरी आत्माएँ शीघ्र ही उसकी नकल करने लगती हैं, और जब शैतान परमेश्वर के बिल्कुल पीछे-पीछे चलने लगता है, तब परमेश्वर तरीक़ा बदलकर भिन्न तरीक़ा अपना लेता है। ज्यों ही परमेश्वर ने अपने कार्य का एक चरण पूरा किया, बुरी आत्माएँ उसकी नकल कर लेती हैं। तुम लोगों को इस बारे में स्पष्ट होना चाहिए" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आज परमेश्वर के कार्य को जानना)

वचन पढ़ने के बाद भाई ने कहा, "परमेश्वर हमेशा नया होता है, कभी पुराना नहीं होता, वह कभी भी अपने कार्य को नहीं दोहराता। व्यवस्था के युग में, परमेश्वर ने धरती पर इंसान को जीने का रास्ता दिखाने और उसकी आराधना के तरीके बताने के लिए व्यवस्थाएं और आदेश जारी किये। जब अनुग्रह के युग में प्रभु यीशु आया, तो उसने फिर से वही कार्य नहीं किया, बल्कि व्यवस्था के युग के कार्य की बुनियाद पर छुटकारे का कार्य किया। उसने प्रायश्चित करने का तरीका बताया, रोगियों को ठीक किया, दानवों को हटाया, संकेत और चमत्कार दिखाये। आखिरकार, उसे एक पाप-बलि के रूप में सूली पर चढ़ा दिया गया, इस तरह उसने इंसान को पाप से छुटकारा दिलाया। सर्वशक्तिमान परमेश्वर, यीशु के छुटकारे के कार्य की बुनियाद पर परमेश्वर के घर से शुरू करके न्याय का कार्य करने के लिए, अंत के दिनों में आया है। वह हमारे पाप के असली कारण, हमारे शैतानी स्वभाव और प्रकृति को जड़ से मिटा कर, इंसान को शुद्ध करने और बचाने वाला पूरा सत्य व्यक्त करता है, ताकि हम सदा के लिए पाप से मुक्त होकर शुद्ध हो सकें, परमेश्वर द्वारा उसके राज्य में ले जाए जा सकें। यह हमें दिखाता है कि परमेश्वर का कार्य हमेशा आगे बढ़ता रहता है, वह इंसान की ज़रूरत के आधार पर सत्य व्यक्त करते हुए कार्य करता रहता है। अगर प्रभु अंत के दिनों में आकर फिर से अनुग्रह के युग का कार्य करे, रोगियों को ठीक करे, दानवों को हटाये, तो परमेश्वर का कार्य आगे नहीं बढ़ेगा, और प्रभु यीशु का कार्य निरर्थक हो जाएगा। यही कारण है कि फिर से अंत के दिनों में आने पर वह संकेत और चमत्कार नहीं दिखाता, रोगियों को ठीक नहीं करता और दानवों को नहीं हटाता। अगर कोई व्यक्ति खुद को वापस आया हुआ प्रभु बता कर संकेत और चमत्कार दिखाता है, तो वह यकीनन एक झूठा मसीह है जो लोगों को धोखा देने की कोशिश कर रहा है। झूठे मसीह दुष्ट आत्मा और दानव होते हैं, जो मसीह होने का नाटक करते हैं। वे इंसान को बचाने का कार्य करना तो दूर रहा, सत्य भी व्यक्त नहीं कर सकते। वे बस परमेश्वर के पीछे-पीछे चल सकते हैं, उसके कार्य की नक़ल कर सकते हैं और लोगों को धोखा देने के लिए कुछ आसान-से चमत्कार दिखा सकते हैं। लेकिन परमेश्वर के अधिकार से भरे हुए चमत्कार जो प्रभु यीशु ने दिखाये, जैसे कि मृत लोगों को पुनर्जीवित करना, 5,000 लोगों को खाना खिलाना, और हवाओं और समुद्रों को शांत करना, ये झूठे मसीह नहीं कर सकते। परमेश्वर के कार्य को जान लेने और झूठे मसीहों के सार और कपटपूर्ण चालों को पहचान लेने के बाद, हम उनसे धोखा नहीं खायेंगे।"

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को सुनने के बाद, मैं झूठे मसीहों को पहचानने के सत्य को थोड़ा समझ पायी। परमेश्वर हमेशा नया होता है, कभी भी पुराना नहीं होता, वह कभी भी अपने कार्य को नहीं दोहराता। प्रभु यीशु का छुटकारे का कार्य पूरा हो चुका है, इसलिए वह वापस आने पर वही काम फिर से नहीं करेगा। झूठे मसीह न तो सत्य व्यक्त कर सकते हैं, न ही परमेश्वर का कार्य कर सकते हैं। वे सिर्फ परमेश्वर के पुराने कार्य की नक़ल कर सकते हैं, आसान संकेतों और चमत्कारों से लोगों को धोखा दे सकते हैं। प्रभु ने कहा, 'क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्‍ता उठ खड़े होंगे, और बड़े चिह्न, और अद्भुत काम दिखाएँगे,' अब मैं समझ पायी कि वह क्या कहना चाहता है।

भाई ने बात जारी रखी : "सच्चे मसीह से झूठे मसीहों को अलग कैसे पहचानें, इस सत्य के बारे में सर्वशक्तिमान परमेश्वर का वचन बहुत स्पष्ट है, वह हमें दोनों के बीच भेद करने का मुख्य सिद्धांत बताता है। सबसे पहले, हमें समझना होगा कि देहधारण क्या है, और मसीह का सार क्या है। मसीह को जान लेने पर हम स्वाभाविक रूप से झूठे मसीहों को पहचान पाएंगे।" फिर भाई ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों के कुछ अंश पढ़े। "जो देहधारी परमेश्वर है, उसके पास परमेश्वर का सार होगा और जो देहधारी परमेश्वर है, उसके पास परमेश्वर की अभिव्यक्ति होगी। चूँकि परमेश्वर ने देह धारण किया है, इसलिए वह उस कार्य को सामने लाएगा, जो वह करना चाहता है, और चूँकि परमेश्वर ने देह धारण किया है, इसलिए वह उसे अभिव्यक्त करेगा जो वह है और वह मनुष्य के लिए सत्य को लाने, उसे जीवन प्रदान करने और उसे मार्ग दिखाने में सक्षम होगा। जिस देह में परमेश्वर का सार नहीं है, वह निश्चित रूप से देहधारी परमेश्वर नहीं है; इसमें कोई संदेह नहीं। अगर मनुष्य यह पता करना चाहता है कि क्या यह देहधारी परमेश्वर है, तो इसकी पुष्टि उसे उसके द्वारा अभिव्यक्त स्वभाव और उसके द्वारा बोले गए वचनों से करनी चाहिए। इसे ऐसे कहें, व्यक्ति को इस बात का निश्चय कि यह देहधारी परमेश्वर है या नहीं और कि यह सही मार्ग है या नहीं, उसके सार से करना चाहिए। और इसलिए, यह निर्धारित करने की कुंजी कि यह देहधारी परमेश्वर की देह है या नहीं, उसके बाहरी स्वरूप के बजाय उसके सार (उसका कार्य, उसके कथन, उसका स्वभाव और कई अन्य पहलू) में निहित है" ("वचन देह में प्रकट होता है" की 'प्रस्तावना')। "देहधारी हुए परमेश्वर को मसीह कहा जाता है, और इसलिए वह मसीह जो लोगों को सत्य दे सकता है परमेश्वर कहलाता है। इसमें कुछ भी अतिशयोक्ति नहीं है, क्योंकि वह परमेश्वर का सार धारण करता है, और अपने कार्य में परमेश्वर का स्वभाव और बुद्धि धारण करता है, जो मनुष्य के लिए अप्राप्य हैं। वे जो अपने आप को मसीह कहते हैं, परंतु परमेश्वर का कार्य नहीं कर सकते हैं, धोखेबाज हैं। मसीह पृथ्वी पर परमेश्वर की अभिव्यक्ति मात्र नहीं है, बल्कि वह विशेष देह भी है जिसे धारण करके परमेश्वर मनुष्य के बीच रहकर अपना कार्य करता और पूरा करता है। यह देह किसी भी आम मनुष्य द्वारा उसके बदले धारण नहीं की जा सकती है, बल्कि यह वह देह है जो पृथ्वी पर परमेश्वर का कार्य पर्याप्त रूप से संभाल सकती है और परमेश्वर का स्वभाव व्यक्त कर सकती है, और परमेश्वर का अच्छी तरह प्रतिनिधित्व कर सकती है, और मनुष्य को जीवन प्रदान कर सकती है। जो मसीह का भेस धारण करते हैं, उनका देर-सवेर पतन हो जाएगा, क्योंकि वे भले ही मसीह होने का दावा करते हैं, किंतु उनमें मसीह के सार का लेशमात्र भी नहीं है। और इसलिए मैं कहता हूँ कि मसीह की प्रामाणिकता मनुष्य द्वारा परिभाषित नहीं की जा सकती, बल्कि स्वयं परमेश्वर द्वारा ही इसका उत्तर दिया और निर्णय लिया जा सकता है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है)

फिर भाई ने कहा, "सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों से हम स्पष्ट देख सकते हैं कि मसीह देहधारी परमेश्वर है, वह स्वर्ग का परमेश्वर है, जिसने इंसान के बीच कार्य करने के लिए मनुष्य के पुत्र के रूप में देह धारण किया है। मसीह में सामान्य इंसानियत और पूरी दिव्यता है। वह साधारण दिखाई दे सकता है, लेकिन उसका सार दिव्य है। यही कारण है कि वह सत्य व्यक्त कर, परमेश्वर की वाणी बोल सकता है, इंसान को बचा सकता है, परमेश्वर के स्वभाव और उसके स्वरूप को व्यक्त कर सकता है। मसीह हमेशा लोगों को पोषित करने और राह दिखाने के लिए सत्य व्यक्त कर सकता है, लोगों को अभ्यास का मार्ग दिखा सकता है। यह मसीह के सार से तय होता है। कोई व्यक्ति मसीह है या नहीं, यह हमें उसके वचनों, कार्य और स्वभाव के आधार पर तय करना होगा। प्रभु यीशु देहधारी परमेश्वर था। उसने अनुग्रह के युग को शुरू किया और व्यवस्था के युग का अंत किया। उसने सत्य व्यक्त किया और इंसान को प्रायश्चित का मार्ग दिया, उसने परमेश्वर के प्रेमपूर्ण और दयावान स्वभाव को व्यक्त किया, फिर छुटकारे का कार्य करने के लिए उसे सूली पर चढ़ा दिया गया। उसके वचनों और कार्य से हम देख सकते हैं कि उसने लोगों की आत्मा के लिए ज़रूरी पोषण दिया, लोगों को नये युग का मार्ग दिया। उसने लोगों को पाप स्वीकार करना और प्रायश्चित करना, अपने पड़ोसियों से प्रेम करना सिखाया, उसने सहिष्णु होना, धैर्यवान होना, सत्तर गुना सात बार क्षमा करना सिखाया, दिल और दिमाग़ से परमेश्वर से प्रेम करना और ऐसा ही बहुत-कुछ सिखाया। प्रभु से प्रार्थना करने पर हमें सुकून और आनंद मिलता है। उसके सामने पाप स्वीकार कर प्रायश्चित करने से हमारे पाप माफ़ कर दिये जाते हैं। उसके वचनों के अनुसार कर्म करने पर वह हमारी सराहना कर हमें आशीष देता है। उसके वचनों, कार्य और उसके द्वारा व्यक्त स्वभाव से हम देख सकते हैं कि वह इंसान को छुटकारा दिलाने वाला मसीह है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर अब परमेश्वर के घर से शुरू करके न्याय का कार्य करने आया है। उसने इंसान को शुद्ध कर बचाने वाला संपूर्ण सत्य व्यक्त किया है, उसने राज्य का युग शुरू किया है और अनुग्रह के युग का अंत किया है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर सत्य व्यक्त करता है और इंसान को बचाने की अपनी प्रबंधन योजना के रहस्य प्रकट करता है, वह अपने कार्य के तीन चरणों का उद्देश्य, अपने नामों और देहधारणों के रहस्य, परमेश्वर और इंसान के कार्य, पवित्र आत्मा और दुष्ट आत्माओं के कार्य के बीच के फ़र्क, सच्चे मसीह और झूठे मसीहों के बीच के फ़र्क को और दूसरे रहस्यों को प्रकट करता है। वह संसार के अंधकार और बुराइयों की जड़ को प्रकट करता है, परमेश्वर का प्रतिरोध करने वाली इंसान की शैतानी प्रकृति और तरह-तरह की भ्रष्ट दशाओं को प्रकट करता है, वह इंसान के अंदर के भ्रष्ट स्वभाव, जैसे कि अहंकार, कपट, दुष्टता और निष्ठुरता का खुलासा करता है। वह हमें यह भी दिखाता है कि शुद्ध होने का मार्ग क्या है और हम किस प्रकार के सत्य में प्रवेश करने का अभ्यास करें, जैसे कि कैसे ईमानदार बनें, परमेश्वर की आज्ञा मानें, उससे प्रेम करें और उसका आदर करें, कैसे परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप सेवा करें, कैसे अपने भ्रष्ट स्वभाव को दूर करें और भी बहुत-कुछ। परमेश्वर के वचनों के न्याय के जरिये, परमेश्वर के चुने हुए लोग कुछ सत्य को समझते हैं, वे जान पाते हैं कि वे शैतान द्वारा किस तरह भ्रष्ट किये गये हैं, वे परमेश्वर के धार्मिक स्वभाव और पवित्र सार को पहचान पाते हैं। फिर वे परमेश्वर का आदर करने लगते हैं, उसके वचनों का अभ्यास करने लगते हैं और अपने भ्रष्ट स्वभाव को दूर करने लगते हैं, और धीरे-धीरे उनका जीवन-स्वभाव बदलने लगता है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर का सत्य व्यक्त करना, न्याय-कार्य करना, अपना धार्मिक और प्रतापी स्वभाव व्यक्त करना, ये सब साबित करते हैं कि वह देहधारी परमेश्वर है, अंत के दिनों का मसीह। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही वापस आया हुआ प्रभु यीशु है! झूठे मसीह दुष्ट आत्माओं के अधीन होते हैं, दरअसल वे दुष्ट आत्माएं हैं। वे कोई नया युग शुरू नहीं कर सकते या पुराने युग का अंत नहीं कर सकते। वे न तो परमेश्वर के वचन व्यक्त कर सकते हैं, न ही परमेश्वर के प्रबंधन कार्य के रहस्यों को प्रकट कर सकते हैं। वे इंसान का न्याय करने, उसे शुद्ध करने या बदलने का कार्य नहीं कर सकते। वे सिर्फ परमेश्वर के कुछ पुराने कार्यों की नक़ल कर सकते हैं और बस कुछ आसान-से चमत्कार दिखा सकते हैं। वे बाइबल का ग़लत अर्थ निकालते हैं और नकली सिद्धांत बताते हैं, या ऐसी बातें बताते हैं जो लोगों को धोखा देने के लिए इंसान की दैहिक धारणाओं के मुताबिक़ होती हैं। उनकी बातें सुनने वाले लोग बंद गली के आख़िरी छोर तक पहुँच जाते हैं और उन्हें कुछ नहीं मिलता। उनके भीतर तब तक अंधेरा छाया रहता है जब तक शैतान और दुष्ट आत्माओं के द्वारा वे भटकाये नहीं जाते।"

फिर बहन ज़ॉन्ग ने कहा, "मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। मसीह सत्य व्यक्त कर सकता है, लोगों के जीवन को पोषित कर सकता है और मार्ग दिखा सकता है। झूठे मसीह दुष्ट आत्मा होते हैं जो न तो सत्य को व्यक्त कर सकते हैं, न ही लोगों के जीवन को पोषित कर सकते हैं, वे वाकई लोगों को मार्ग दिखा ही नहीं सकते। वे सिर्फ लोगों को धोखा देने के लिए उनकी धारणाओं से मेल खाने वाले चमत्कार दिखा सकते हैं या कुछ बातें कह सकते हैं। परमेश्वर के वचनों में, हमें झूठे मसीहों के बीच सच्चे मसीह को पहचानने का मार्ग मिलता है, और हमें अब भटक जाने से डरने की कोई ज़रूरत नहीं है।"

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों के आधार पर, उन दोनों की संगति में इस बारे में इतनी स्पष्टता थी कि मसीह क्या है, और झूठे मसीहों की पहचान कैसे करें, इससे मेरा दिल रोशन हो गया। कोई व्यक्ति मसीह या वापस आया हुआ प्रभु है या नहीं, यह तय करने की कुंजी उनके सार को जानने में है, यह देखने में है कि क्या वे सत्य और परमेश्वर के वचन व्यक्त कर सकते हैं, और इंसान को बचाने का कार्य कर सकते हैं। यही सबसे अहम है। जो सत्य व्यक्त कर सके और इंसान को बचाने का कार्य कर सके, केवल वही देहधारी परमेश्वर है, जो इंसान को शुद्ध कर बचाने के लिए न्याय-कार्य कर सके, वही अंत के दिनों का मसीह है। ऐसा कोई भी जो सत्य व्यक्त न कर सके या परमेश्वर का कार्य न कर सके, जो खुद को मसीह या परमेश्वर कहता हो, वह झूठा मसीह है, नकली इंसान जो लोगों को धोखा देने के लिए आता है। सच्चे मसीह और झूठे मसीहों के बीच भेद करने का यह कितना सही और आसान तरीका है! अगर सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने इस सत्य और रहस्यों को प्रकट न किया होता, तो मैं बाइबल को चाहे जितना भी पढ़ लेती या पादरियों को सुन लेती, कभी भी उन्हें जान नहीं पाती।

भाई ने अपनी बात जारी रखी, "प्रभु यीशु ने कहा था, 'मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा परन्तु जो कुछ सुनेगा वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा' (यूहन्ना 16:12-13)। सत्य का आत्मा अब देहधारी रूप में सर्वशक्तिमान परमेश्वर बन कर आया है। वह इंसान को उद्धार पाने के लिए ज़रूरी सभी सत्य और रहस्यों को प्रकट करता है, केवल उसके वचनों से ही हम सत्य को समझ सकते हैं और अभ्यास का सही मार्ग पा सकते हैं।" इसके बाद भाई ने और भी संगति की। अपनी इतने वर्षों की आस्था में, मैंने ऐसी बातें पहले कभी नहीं सुनीं। उस एक दिन में मैंने प्रभु में विश्वास रखने के अनेक वर्षों से ज़्यादा समझ हासिल की। कोइ अचरज की बात नहीं जब लोग कहते हैं कि चमकती पूर्वी बिजली के धर्मोपदेश बहुत अच्छे होते हैं। यह सब सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों से मिला है! मैंने भाई से पूछा, "वचन देह में प्रकट होता है क़िताब का मूल्य कितना है? मैं एक प्रति ख़रीद कर खुद पढ़ना चाहती हूँ।" उसने मुस्करा कर कहा, "यह मुफ़्त है। परमेश्वर ने कहा, 'मैं प्यासे को जीवन के जल के सोते में से सेंतमेंत पिलाऊँगा' (प्रकाशितवाक्य 21:6)। परमेश्वर इंसान से प्रेम करता है, इंसान को शैतान के अधिकार-क्षेत्र से हमेशा के लिए बचाने के लिए, वह हमें उदारता से देता है। अगर हम सत्य को खोजना चाहें, तो वह हमें अपने वचन मुफ़्त में देता है।" मुझे बहुत प्रेरणा मिली। केवल परमेश्वर ही हमें प्रेम और निस्वार्थ भाव से हमारे लिए दे सकता है। फिर भाई ने मुझे वचन देह में प्रकट होता है की एक प्रति दी।

इसके बाद, मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन हर दिन बड़ी रुचि के साथ पढ़े। जितना ज़्यादा पढ़ती, मैं उससे उतना ही ज़्यादा पाती और आनंदित होती। मुझे लगा परमेश्वर के वचन मेरे दिल में प्रवेश कर रहे हैं। मेरी आस्था की लंबे समय की उलझनें सुलझ गयीं। मैं प्रफुल्लित और रोमांचित हो गयी। मुझे एहसास हो गया कि चमकती पूर्वी बिजली को स्वीकार करने वाले सभी अच्छे विश्वासियों ने, परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य का निस्संकोच अनुसरण करने से पहले, सत्य को समझा है, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों में परमेश्वर की वाणी को सुना है, और उसे देहधारी परमेश्वर के रूप में, वापस आये हुए प्रभु यीशु के रूप में पहचाना है। वे बुद्धिमान कुंवारियाँ हैं! ऐसा यकीन करके कि प्रभु के आगमन की हर ख़बर झूठी है, और इस पर गौर करने की हिम्मत न करके मैंने अपनी कलीसिया के पादरी और एल्डर द्वारा बतायी गयी धारणाओं और बकवास से धोखा खाया, मैं प्रभु का स्वागत करने का अपना मौक़ा लगभग चूक ही गयी थी। मैं कितनी बेवकूफ़ थी! फिर भी परमेश्वर ने मेरा त्याग नहीं किया। भाई-बहनों की संगति के जरिये, परमेश्वर ने मुझे दिखाया कि झूठे मसीहों को कैसे पहचानें, जिससे मैं उसकी वाणी को सुन पायी, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य के बारे में सुनिश्चित हो गयी और मेमने के साथ कदम मिलाकर चल सकी। मेरा उद्धार करने के लिए मैं परमेश्वर का धन्यवाद करती हूँ!

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